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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

बन्द करूँ सम्मानक मेला ।। रचनाकार - निशान्त झा "बटोही"


 बन्द   करूँ   सम्मानक   मेला
 जन विद्वान बनल अछि खेला ।
 एक   दोसर    पागे   पहिराबी
 दोसर कीर्ति पर आँखि देखाबी ।।

 कियो ने कम बुधियारक सार
 सब भेटल गुरुए कियो नै चेला ।
 बन्द   करूँ   सम्मानक   मेला
 जन विद्वान बनल अछि खेला ।।

 अपने बनलौं सब भाग्य विधाता
 बुझिगेलौं सब आहाँ के गाथा ।
 बनल   प्रपंञ्ची  , सबटा   ज्ञानी
 देब  सम्मान   ,  बात  जौं  मानी ।।

 चाटुकारिता     एतय     प्रधान
 जँ नई करब  तS भेंटत ढ़ेला ।
  बन्द   करूँ   सम्मानक   मेला
  जन विद्वान बनल अछि खेला ।

 कूटनीति अइ कपट सँ भरल
 राज नीति तेलहि सब तरल ।
 विद्यापति नामक बनल धंधा 
 चला  रहल अइ देखू अंधा ।।

 मठोमाट अछि पग - पग बैसल
"बटोही" बुड़िबक ठाढ़ अकेला ।
 बन्द   करूँ   सम्मानक   मेला
 जन विद्वान बनल अछि खेला ।।

रचनाकार -
निशान्त झा"बटोही"





हर - हर हरियौ हमरो पीर ।। रचनाकार - बद्रीनाथ राय "अमात्य"




 हौ बाबा बयस बसन्तक वितलई खेतिबारी में
 फुटल लोटा थारी में ना...........
 हर - हर हरियौ हमरो पीर
 दुःख सँ बेधल सकल शरीर
 सब दिन रौदी दाही रहलई खेत पथारी में
 माया के फुलवारी में ना
 हर यौ जुरल ने हरदी नोन
 ने भरलई पापी पेटक कोन
 सबटा हमारे लेल छी भरने विपति बखारी में
 काँट भरल फुलवारी में
 घर मे लोटा नञि अछि थारी
 बाबा विपति परल अछि भारी
 बाबा समय कटै छी फाटल धोती सारी में
 खाली तेलक टारी में ना
 हमर अछि फुटल सन तकदीर
 बाबा लिखलौ केहन लकीर
 सब दिन व्यस्ते रहलौं पेटक मारा मारी में ।।

रचनाकार - बद्रीनाथ राय "अमात्य"

शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

यौ सजना कहु अहाँ , कोना हम रहबै ।। गीतकार - दिनेश झा "माधव"

                      ।। प्रेम विरहगीत।।
       


यौ सजना  कहु अहाँ  , कोना हम रहबै  अहाँ के बिना ।
       यौ सजना.......
 भेलै कोन चुक यौ हमरा सँ , किया नैन मुनि बैसि रहलौं ।
कहबै ककरा मोनक बतिया , किया  चण्ठ बनि रूसि रहलौं।
   आबु आबु प्राण प्रितम , जियब हम  आब कोना ।।
        यौ सजना............।।
  दीप प्रेमक जराके अहाँ    किया विरह अगन में झोंकि देलौं
 धहधह धधकै जिया हमरयौ पिया पीड़ हृदय में भौंकि देलौं
  बाजु बाजु सजन सिनेहिया , तड़पै मन छै कंत बिना ।।
           यौ सजना............।।
 खनकै चुड़ी खनकै कंगना , रहि रहि टीस उठै छै यौ सजना
 भेलौं पाथर हे यौ माधव ,  बुझि हमरा  यौ अहाँ अदना 
   बाजु बाजु प्रेमी प्रियवर , देलौं किया यौ पीर वेदना ।।
           यौ सजना.......... ।।

        ---  गीतकार दिनेश झा " माधव "
           सझुआर , बेनीपुर , दरभंगा, मिथिला
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गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

नैन अहाँ केर अछि मधुशाला ।। गीतकार - दिनेश झा "माधव"

                 ।। मैथिली गजल ।।
        


मणि मानिक सन चम चम काया , चमकैत पुनम चान ।
नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मन मोहक  मुस्कान ।।
       मणि मानिक सन ............।।
  घन घनघोर घटा सन कारी ,घुरमल घुरमल  केश ।
मद मातल मद मस्त जवानी , कामिनी  काम सनेश ।
 गजगामिनी मन मोहनी मुरति, स्वर्ग परी सन भेश ।
  पिक बैनी मृगलोचनी  सुन्नरि , सौंदर्यक छी खान ।
 नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मुख मोहक मुस्कान ।
        मणि मानिक सन............।। 
चंचल चितवन चन्द्र चकोरी , सुगना  जईसन ठोर ।
 लाल गुलाब गाल अहाँ कअ , नमगर नाकक कोर ।
  हिरणी जईसन चालि चलै छी , बान्हल प्रितक डोर ।
   पातर पातर डार लचका  कअ , छोड़लौं प्रेमक बाण।
नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मुख मोहक  मुस्कान ।।
        मणि मानिक सन..............।।
 खन खन बाजे  कँगन कर में ,पग पायल केर शोर । 
 नाक नकवेसर  झुमका टीका,  अँग अँग भुषण तोर ।
 सोरहो सिंगार बत्तिसो अभरण , रमणी रूप बेजोड़ ।
  लिखल छन्द " माधव " सुनु दामिनी ,प्रित भरल ई गान ।
   नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मुख मोहक मुस्कान ।
         मणि मानिक सन............।।

 ---------   गीतकार दिनेश झा " माधव "
           सझुआर , बेनीपुर , दरभंगा , मिथिला
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मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

श्याम सलौना छै , मोहक नैना छै ।। गीतकार - दिनेश झा "माधव"

               ।। चुमाओन गीत ।।



   श्याम सलौना  छै ,  मोहक नैना छै ,
              मन्द - मन्द  मुख  मुस्कान  ।
     गे  बहिना  पहुना  क  करियौन  चुमान ।।
             श्याम सलौना छै ...............।।
      तिनु भुवन में  , जोड़ा नहि  हिनकर ।
      बाजब की कहबौ  , बोल छन्हि मिठगर ।
    कौशल्या क लाला छै ,  चमकैत उजाला छै ,
                   रघुकुल   चानन   राम 
        गे बहिना पहुना क करियौन चुमान ।।
               श्याम सलौना छै ...........।।
       कोमल कोमल ,  गाल  छन्हि चोटकल ।
        दुधकटुआ जेना  , लागै छथि रघुवर । 
      दुल्हा अनाड़ी छै , तीनगो  महतारी छै ,
                नहि छन्हि किछुओ ग्यान 
          गे बहिना पहुना क करियौन चुमान ।।
                 श्याम सलौना छै..........।।
      चुमबे  जे  अयली  ,  मातु   सुनैना  ।
       देखि मगन मन ,   ढबकै छन्हि नैना ।
      आजु  सुहावन छै , मिथिला ई पावन छै ,
                  बाबा  कयलनि  धियादान 
          गे बहिना पहुना क करियौन चुमान ।।
                  श्याम सलौना छै ...........।।
        की  हम  कहबौ ,  तोरो  गे   सखिया  ।
        काजर  छै  लेपने  , सगरो  ई अँखिया ।
     " माधव " लिखल गीत ,  गाबु भरल प्रीत ,
                दुल्हा  रवि कुल शान  
         गे बहिना  पहुना  क  करियौन चुमान  ।।
               श्याम सलौना छै ..............।।

    ------  गीतकार दिनेश झा " माधव "
         सझुआर , बेनीपुर , दरभंगा , मिथिला 
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सोमवार, 6 अप्रैल 2020

दुल्हा दुलरूवा बबुआ , अबध किशोर हे ।। गीतकार - दिनेश झा "माधव"

                ।। राम विवाह गीत ।।



     दुल्हा दुलरूवा बबुआ , अबध किशोर हे ।
     जनक जमैया देखि -2, मनमा विभोर हे ।।
           दुल्हा दुलरूवा  बबुआ...........।।
     फुल सन कोमल देहिया , पान सन ठोर हे ।
     कमल नयन रघुवर - 2 ,  सिया चितचोर हे ।।
          दुल्हा दुलरूवा बबुआ.............।।
     अछि मोन शंका सखि हे , सुनु बात मोर हे ।
     कोना क ई भंग कयलनि-2, धनुष कठोर हे ।।
          दुल्हा दुलरूवा बबुआ................।।
     रवि सम कान्ति चमकत, जोत ईजोर हे ।
      श्याम वरण दुल्हा - 2, दुल्हिन गोर हे ।।
           दुल्हा दुलरूवा बबुआ..............।।
     चलु सखि बान्हु वर कें , प्रितक डोर हे । 
    कहत " माधव " सखि हे- 2 , पहुना  बेजोड़ हे ।।
           दुल्हा दुलरूवा बबुआ............।।       

    ------- गीतकार दिनेश झा " माधव "
          सझुआर , बेनीपुर , दरभंगा , मिथिला
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गीतकार - दिनेश झा "माधव"

मनोजवं मारूत तुल्य वेगं , जितेन्द्रीयं बुद्धिमतां बरिष्ठं ।
 वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं ,  श्रीरामदुतं शरणं प्रपद्ये ।।

            ।। हनुमान भजन ।।


    हे शंकर सुवन वीर हनुमान ,
               हरू संकट प्रभु हे दयानिधान।
    हरू संकट प्रभु हे दयानिधान  -- 3
          हे शंकर सुवन वीर .................।।
    अहाँ अंजनी नैनक तारा छी , 
              प्रभु जनकसुता कें दुलारा छी।
    छथि हृदय विराजीत सीताराम , 
                 हरू संकट प्रभु हे दयानिधान ।।
        हे शंकर सुवन वीर .............।।
   हे संकटमोचन पवन कुमार ,
                देखु विपदा में अछि आई संसार ।
    करू दुष्टक नाश हे वीर बलवान ,
                 हरू संकट प्रभु हे दयानिधान ।।
        हे  शंकर सुवन वीर ..............।।
    हम घोर विपत्ति में छी डुबल ,
              अहाँ जाय कतय  प्रभु छी सुतल ।
    छी अतुलितबल कें अहाँ बलधाम ,
                हरू संकट प्रभु हे दयानिधान  ।।
        हे शंकर सुवन वीर ................।।
    हे रघुवर पद प्रभु अनुगामी ,
                  छी शरण अहाँ कें हम स्वामी ।
    करू " माधव " कें प्रभु  भव सँ त्राण ,
                 हरू संकट प्रभु हे दयानिधान ।।
       हे शंकर सुवन वीर ..............।।

    ------   गीतकार दिनेश झा " माधव "
        सझुआर , बेनीपुर , दरभंगा , मिथिला 
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यौवन हरियर सनक जजात !! गीतकार - बद्रीनाथ राय जी




  कामिनी कंचन के हम कानन ओझरायल छी
  प्यासल और भुखायल छी ना ।

पुरुष पहुँ बुझाए नञि छी बात,यौवन हरियर सनक जजात
पहुँ यौ गल्ती की भेल हमरा पर तमसायल छी
हिरणी हम डेराएल छी ना ..........

हम नारी अहिंक नकारल अहाँ के बुद्धि गेल अछि मारल
हम तँ मन्द सुगन्धित माला जकाँ सुखाएल छी 
बाट किएक बिसराएल छी ना.......

हमरा बाँझीन लोक कहSए नयन सँ झर्झर नीर बहयेए
प्राण पहूँ कौन डायन के माया में भुलाएल छी
चन्दा कतS नुकाएल छी ना.........

अकिल के खोलू ने अलमारी यौवन सजल फूलल फुलवाड़ी
हम तँ गंगा जल सँ माजल धोल पखारल छी
कुर्वक भाण्ड खराजल छी ना........

अहूँ समटि लियS सब भाभट,हमहुँ बिसरब बात विषादक
हमरा रोम-रोम में अहि मात्र समाएल छी
फुलक गाछ उखारल छी ना..........

अहि छी पति हमर परमेश्वर एहि में,बात ने किछुओ दोसर
हम तँ शरणागत छी चरण शरण मे आयल छी
ब्रत केने हरिबासल छी..............

शत-शत नमन करू स्वीकार किएक भेल कण्ठित कुटिल
विचार
हम तँ घघसल गहुँमक पछवा पवन झमारल छी
सुखल और ठठायल ना..........

गीतकार-
बद्रीनाथ राय "अमात्य"



केकरा लग जा कानी हे मईया ।। गीतकार - निशान्त झा "बटोही"


           !! जिनगी भेल अन्हार !!

    केकरा लग जा कानी हे मईया
    पूरा जिनगी भेल अन्हार ...
    हे मईया पूरा जिनगी भेल अन्हार ।।

    वयस बीतेलौ माँ काटैत अहुरिया
    कियौ ने पकड़लक माँ गे अंगुरिया ।
    ठुकरायल जग सँ शरण मे आयल
    भवानी लिखले इ केहन कपार ।।

    पूरा जिनगी भेल अन्हार ...
    हे मईया पूरा जिनगी भेल अन्हार ।।

    दर दर ठोकरे माँ खुबे खेलौ
    अपमानित भय समय बीतेलौ ।
    आश विश्वाश तोहरे भवानी
    सम्हार गे माँ हम्मर पतवार।।

    पूरा जिनगी भेल अन्हार ...
    हे मईया पूरा जिनगी भेल अन्हार ।।

    गीतकार -
    निशान्त झा "बटोही"

    

रविवार, 5 अप्रैल 2020

छोड़ि के अपन गाम यौ ।। गीतकार - दिनेश झा "माधव"

।। मिथिला वर्णन ।।


जहिया सँ हम एलौं मीता, छोड़ि के अपन गाम यौ ।
रहि-रहि कअ मोन पड़ैय, पावन मिथिला धाम यौ ।।
               जहिया सँ हम एलौं...................।।
जेहि धरती पर बीतल बचपन, छै वो स्वर्ग समान यौ।
दुलकि-दुलकि के मारी ठेहुनिया,मायक मुख मुस्कान यौ।
धूल धूसरित तन कोरा लए,बाबा चुमैत मुँह कान यौ ।।
रहि-रहि कअ मोन पड़ैय,पावन मिथिला धाम यौ  ।
               जहिया सँ हम एलौं.................।।
छुटल बाग बगैचा सँगमें , कलकतिया मालदह आम यौ।
मिठगर-मिठगर जामुन महुआ, सोहरल गाछ लताम यौ ।
अखरा नून सँग टिकुला मीता, बैस बाग  मचान यौ ।।
रहि रहि कअ मोन पड़ैय, पावन  मिथिला धाम यौ ।
               जहिया सँ हम एलौं मीता............।।
लुक्का छिप्पी चोरा नूक्की , खेलै छलियै  खेल यौ ।
मचै  हुड़दंग  मितक सँग , अापस में  छल मेल यौ ।
बूढबा  बाबा  छड़ी घुमाबैथ, दौड़ी सगरो दलान यौ ।
रहि रहि कअ मोन पड़ैय, पावन मिथिला धाम यौ ।
                जहिया सँ हम एलौं मीता.............।।
घर-घर ललना पहिर के गहना , गाबै हिलमिल गान यौ।
सोहर , झुमर, लगनी, झरनी , बटगवनी केर तान यौ ।
मधुरी बोली चानन टीका, " माधव" मुख में पान यौ  ।
रहि रहि कअ  मोन पड़ैय, पावन मिथिला धाम यौ ।।
               जहिया सँ हम एलौं मीता............।। 
-     
   ------दिनेश कुमार झा " माधव "
       सझुआर,बेनीपुर,दरभंगा ,मिथिला .
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श्रद्धेय कविवर श्री रेवती रमण झाजी कें जन्म दिवस पर हमर एक छोट छिन्न रचना रूपी भेंट ,,,,, रचनाकार - दिनेश झा "माधव"




               ।। ॐ ।।

अभिनंदन   अभिनंदन  ,
               हे कविवर अभिनंदन । 
   पुण्य धरा माटि वो ,
              जतय लेलौं  अहाँ अवतरण ।
   अछि कोटि कोटि नमन,
               हे " रमण "कवि चरण    वंदन ।।
          अभिनंदन अभिनंदन............।।
   अछि शान अहाँ सँ , 
                  अभिमान अहाँ सँ ।
     मिथिला क अछि  
                   पहचान अहाँ  सँ  ।
    छी सरस्वती पुत्र 
                   अहाँ हे मैथिल नंदन ।।
          अभिनंदन अभिनंदन ...........।।
    परचम सतत नभ पर ,  
                 शीतलता अछि चान सन । 
     खिलल क्यारी फुलवारी , 
                  चमकैत नाम भानु सन ।
      नहि भेंटि रहल शब्द 
                  हे मैथिल सिर के चन्दन ।।
             अभिनंदन अभिनंदन ...........।।
   छी शब्दकोष भंडार अहाँ,
               गीत गजल झनकार अहाँ।
   छी " माधव" मन उदगार अहाँ,
                करू प्रेम सुमन स्वीकार अहाँ ।
    निज लेखनी सँ करू ,
                 नित नव नव पद स्रृजन  ।।
        अभिनंदन अभिनंदन..........।। 

    ------  गीतकार दिनेश झा " माधव "
        सझुआर , बेनीपुर , दरभंगा , मिथिला 
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शनिवार, 4 अप्रैल 2020

हे रघुनंदन रविकुल चंदन ।। गीतकार - दिनेश झा " माधव "

               ।। मैथिली श्रीराम - भजन ।।


हे रघुनंदन रविकुल चंदन , पुरूषोत्तम  श्रीराम ।
कौशलेश दशरथ  कें लाला , सिता के अभिमान ।
सुनु हे  अबध बिहारी  ,  हरू हे  संकट   भारी  ।।
           हे रघुनंदन ...............।
 पतित पावन  परमेश्वर , सुनु सियवर राम अहाँ यौ ।   
  कतेक अधम  पापी कें तारलौं ,  रघुवर राम अहाँ यौ ।     
  प्रेम पाश बंघन में पड़ी क , केलौं  प्रभु कल्याण ।
  सुनु हे  वीर धनुधारी  ,  हरु हे   संकट   भारी  ।।
         हे रघुनंदन ...............।।
   पग रज प्रभु  महिमा , के नहि जग में जानै ।
  गौतम नारी अहिल्या प्रभुजी , जन्म कृतारथ मानै । 
   पग पखारत केवट तड़ि गेल ,  जाने सकल जहान ।
   सुनु हे परम सुखारी ,   हरू  हे  संकट  भारी  ।।
        हे रघुनंदन ..............।।
   ऐंठल  बैर  सबरी के , प्रभु  रूचि सँ  भोग लगेलौं ।
   अधम गीध जटायु कें स्वामी , मोक्ष के धाम पठेलौं ।
 माँगत " माधव " करजोरी प्रभुजी , दियौ अभय वरदान।
   सुनु   हे  संत हितकारी ,  हरू  हे  संकट  भारी  ।।
           हे रघुनंदन ...........।।

   ----- गीतकार दिनेश झा " माधव "
       सझुआर , बेनीपुर , दरभंगा , मिथिला 
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हे प्रियतम जुनी तजी ।। रचना - कविता झा


          (गीत)

हे प्रियतम जुनी तजी,
जाहू विदेश-2
होई तहि सांझ निशा,
पुनि आयत,
रहब कोना निश्चिंत।
हे......
पिया बिनु दुर्दिन,
सद ती जे लगाए-2
धरके हिया मन,
रहि-रहि भागे,
सोचीतहि होई अछि पीर
हे........
कारी मेघ घटा घन गरजे-2
बरसे बदरा बिजली छिटके,
लगाए सब विपरीत।
हे.................
                      कविता झा


गौरी के नंदन हे ।। गीतकार - दिनेश झा "माधव"


वक्रतुण्ड महाकाय , कोटि सुर्य सम प्रभ : ।
निर्विघ्नं  कुरू मे देव , सर्व कार्येषु सर्वदा ।। 🙏🙏

           ।।  श्रीगणेश  वन्दना ।।
 

 प्रथम पुजब तोहे गणपति ,  गौरी के नंदन हे ।
आहे  शंकर सुत वरदायक ,  सुनु प्रभु वंदन हे ।।
     प्रथम पुजब तोहे गणपति...............।।
  मुसक  पीठ  पर  शोभित ,   सेनुर  के    चंदन   हे । 
  आहे  ऋधि सिद्धि केर स्वामी , सकल दुख भंजन हे ।।
       प्रथम पुजब तोहे गणपति...............।।
  मोदक  प्रिय  मुद  मंगल , गज मुख  आनन  हे ।  
  आहे   विघ्न विनाशक स्वामी , पतित के पावन हे ।।
         प्रथम पुजब तोहे गणपति...............।।
   देहु   अभय   वरदान  , हम  तोहे   शरणन   हे । 
   आहे  बँदऊँ  गौरी कुमार , करजोरी  चरणन  हे ।।
         प्रथम पुजब तोहे गणपति...............।।
   माँगत  " माधव "  दण्डवत ,  दियौ प्रभु दर्शन हे ।
   आहे पार उतारू  नैया ,  शिव पुत गजानन हे ।।
         प्रथम पुजब तोहे गणपति............।।

     ------ गीतकार दिनेश झा " माधव "
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