dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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शनिवार, 24 जनवरी 2015

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः

अपनेक समस्त  परिवार  सादर  आमंत्रित  छी 
सरस्वती पूजाक संग   स्टजाम  कीर्तन  में ,
महा मन्त्र  
 काली दुर्गे राधे श्याम -  गौरी  शंकर सीता राम  , 
ध्वनि में  लिप्त  भ अपन  जीवन  के  कृतार्थ  करी , 
धन्यवाद ,
अपनेक दर्शन  अभिलाषी समस्त विद्यापति कॉलोनी निवासी , 
 स्थान -  जलपुरा  ग्रेटर नॉएडा , उत्तर प्रदेश (एनसीआर )
दिनांक - २५ -०१  -२०१५ 


ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्तिः॥

या कुंदेंदु तुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता |
या वीणावर दण्डमंडितकरा, या श्वेतपद्मासना ||

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभ्रृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता |
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ||

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमां आद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा पुस्तक धारिणीं अभयदां जाड्यान्धाकारापाहां|

हस्ते स्फाटिक मालीकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धि प्रदां शारदां||
ॐ .....शांति .....शांति ...... शांतिः ......ॐ

सोमवार, 19 जनवरी 2015

नरक निवारण चतुर्दशी



                             नरक निवारण चतुर्दशी 



ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् !!
   माघ मास कृष्ण पक्षक चतुर्दशी - देवाधिदेव महादेव केर प्रिय दिन, आइ देवता लोकनि परमपिता ब्रह्माजी सँ आदेश लय शिवकेर विवाह हेतु राजा हिमालय पुत्री गौरी संग कथा-वार्ता निश्चित कैल गेल छल।

     आजुक दिन अत्यन्त शुभ मानल गेल अछि आ एकर महत्ता बहुते पैघ छैक। मानव प्रजाति गार्हस्थ जीवनमे रहैत जे किछु पापाचार अनचोके केने रहैछ ताहि लेल क्षमायाचना आजुक दिन व्रत राखि करैत अछि। कर्म अनुरूपे फल भेटबाक बात मानव-संसारमे प्रसिद्ध छैक। तुलसीदासजी लिखैत छथि:
कर्म प्रधान विस्व रचि राखा - जो जस करहिं सो तस फल चाखा।
    अर्थात् एहि संसारमे जे कियो आयल अछि ओ निहित कर्म करबे करत आ तही लेल एहि संसारकेँ कर्मप्रधान मानल जाइछ, पुन: कर्म अनुरूप क्रियमाण, संचित ओ प्रारब्ध तीन तरहक फल पबैछ। हिन्दू धर्म-संस्कृतिमे जीवन पर्यन्त कर्मफलकेर जे किछु भोग छैक - तेकर अतिरिक्त मृत्युपरान्त सेहो कर्म अनुसार गति मानल गेल छैक। स्वर्ग आ नरक केर परिकल्पना ताहि लेल मानल जाइत छैक। सीधा शब्दमे पुण्यसँ स्वर्ग आ पाप सँ नर्क केर भोगक मान्यता छैक।
       गार्हस्थ जीवनमे विभिन्न प्रकारक कर्म करैत अनचोके कतेको पापाचार होइत रहैत छैक। लेकिन दर्शनशास्त्र ओ वैदिक कर्मकाण्ड द्वारा एहेन तरहक पापक भोगकेँ मेटाबय लेल किछु व्रत ओ अनुष्ठान आदिक चर्चा आयल छैक। माघ कृष्ण चतुर्दशीक व्रत एहेन पापसँ मुक्तिकारक होयबाक चलते नरक-निवारण चतुर्दशी कहाइछ। आइ लोक दिन भरि उपास रखैत अछि। आजुक दिन शिव-परिवारक पूजनमे बेल आ तीर्थक जलसँ जलाभिषेक केर विशेष महत्त्व छैक।
           मिथिलाक्षेत्रमे मकर संक्रान्तिसँ शुरु भेल शिवमठ पर दर्शन-पूजा, रवि-रवि मकर-मेला जेबाक प्रक्रियामे आइ चतुर्दशी दिन सेहो दर्शन-पूजापाठ लेल शिवमठपर जेबाक विशेष परंपरा छैक। लोक औझका व्रतक पारण लेल मठेपरसँ बेड फर आनैछ, संध्याकाल पारण करैत व्रत समापन कैल जाइछ। कतेक ठाम बेडक संग तील सेहो खाइत नरक निवारण चतुर्दशी व्रतक पारण करैत उपास खत्म करैछ। आजुक व्रत बाल्यावस्थासँ वृद्धावस्थामे रहनिहार सब कियो करैत अछि। मठ सबपर बड पैघ मेला सेहो लगैत छैक। प्राचिनकालसँ मिथिलामे एहेन समय घरक गृहिणी (नारीवर्ग) विशेष रूप सँ मठपर जाइत छथि आ नैहरा सहित अन्य सगा-सम्बन्धी सबसँ सेहो भेंटघाँट होइत छन्हि। कतेको रास वैवाहिक सम्बन्ध आजुक दिन मठेपर कनियां-निरीक्षणसँ पूर्ण होइत छैक। यैह कारण छैक जे संसारक लोकमे ई मान्यता छैक जे वैदिक विधान आ मिथिलाक लोकचर्या बहुत मिलैत छैक। 

बुधवार, 14 जनवरी 2015

तिला संक्राइत - मिथिला लेल तिल-चाउर

मकर संक्रान्ति - तिला संक्राइत - मिथिला लेल तिल-चाउर बहब!

मकर संक्रान्तिके शुभ अवसरपर समस्त जनमानस लेल शुभकामना!
      
मकर संक्रान्ति के त्योहार मोक्ष लेल प्रतिबद्धता हेतु होइछ - निःस्वार्थ सेवा - निष्काम कर्म करैत मुक्ति पाबैक लेल शपथ-ग्रहण - संकल्प हेतु एहि पावनिक महत्त्व छैक।

     जेना माय के हाथ तिल-चाउर खाइत हम सभ मैथिल माय के ई पुछला पर जे ‘तिल-चाउर बहमें ने..?’ हम सभ इ कहैत गछैत छी जे ‘हाँ माय! बहबौ!’ आ इ क्रम तीन बेर दोहराबैत छी - एकर बहुत पैघ महत्त्व होइछ। पृथ्वीपर तिनू दृश्य स्वरूप जल, थल ओ नभ जे प्रत्यक्ष अछि, एहि तिनूमें हम सभ अपन माय के वचन दैत तिल-चाउर ग्रहण करैत छी। एक-एक तिल आ एक-एक चाउरके कणमें हमरा लोकनिक इ शपथ-प्रण युगों-युगोंतक हमरा लोकनिक आत्म-रूपके संग रहैछ। बेसी जीवन आ बेसी दार्शनिक बात छोड़ू... कम से कम एहि जीवनमें माय के समक्ष जे प्रण लेलहुँ तेकरा कम से कम पूरा करी, पूरा करय लेल जरुर प्रतिबद्ध बनी।

आउ, एहि शुभ दिनक किछु आध्यात्मिक महत्त्वपर मनन करी:  

१. मकर संक्रान्ति मानव जीवन के असल उद्देश्य के पुनर्स्मरण हेतु होइछ जाहि सँ मानव लेल समुचित मार्गपर अग्रसर होयबाक प्रेरणा के पुनर्संचरण हेतु सेहो होइछ। धर्म, अर्थ, काम आ मोक्ष के पुरुषार्थ कहल गेल अछि - जे जीवन केर आधारभूत मौलिक माँग या आवश्यकता केर द्योतक होइछ। एहि सभमें मोक्ष या मुक्ति सर्वोच्च पुरुषार्थ होइछ। श्रीकृष्ण गीताके ८.२४ आ ८.२५ में दू मुख्य मार्गकेर चर्चा केने छथि - उत्तरायण मार्ग आ दक्षिणायण मार्ग। एहि दू मार्गकेँ क्रमशः ईशकेर मार्ग आ पितरकेर मार्ग सेहो कहल गेल छैक। अन्य नाम अर्चिरादि मार्ग आ धुम्रादि मार्ग अर्थात्‌ प्रकाशगामिनी आ अंधकारगामिनी मार्ग क्रमशः सेहो कहल जैछ।

उत्तरायण मार्ग ओहि आत्माके गमन लेल कहल गेल छैक जे निष्काम कर्म करैत अपन शरीर केर उपयोग कयने रहैछ। तहिना जे काम्य-कर्म में अपन शरीरकेँ लगबैछ, ताहि आत्माकेँ शरीर परित्याग उपरान्त दक्षिणायण मार्ग सऽ गमनकेर माहात्म्य छैक। उत्तरायण मार्गमे गमन केँ मतलब ईश्वर-परमात्मामे विलीन होयब, जखन कि दक्षिणायणमे गमन केँ मतलब कर्म-बन्धनकेर चलते पुनः जीवनमे प्रविष्टि सँ होइछ। मकर संक्रान्ति एहि मुक्तिक मार्ग जे श्रीकृष्ण द्वारा गीतामे व्याख्या कैल गेल अछि ताहि केँ पुनर्स्मरण कराबय लेल होइछ।  

२. सूर्यक उत्तरगामी होयब शुरु करयवाला दिन - जेकरा उत्तरायण कहल जैछ। अन्य लोकक लेल ६ महीना उत्तरायण आ बाकीक ६ महीना दक्षिणायण कहैछ।

३. पुराण के मुताबिक, एहि दिन सूर्य अपन पुत्र शनिदेवकेर घर प्रवेश करैत छथि, जे मकर राशिक स्वामी छथि। चूँकि पिता आ पुत्र केँ अन्य समय ढंग सऽ भेंटघांट नहि भऽ सकल रहैत छन्हि, तैं पिता सूर्य औझका दिन विशेष रूप सऽ अपन पुत्र शनिदेव सऽ भेटय लेल निर्धारित केने छथि। ओ वास्तवमें एक मास के लेल पुत्र शनिदेवके गृह में प्रवेश करैत छथि। अतः यैह दिन विशेष रूप सऽ स्मरण कैल जैछ पिता-पुत्रके मिलन लेल।

माहात्म्य: सूर्यदेव कर्म केर परिचायक आधिदेवता छथि, तऽ शनिदेव कर्मफल केर परिचायक आधिदेवता! मकर संक्रान्ति एहेन दिवसकेर रूपमे होइछ जहिया हम सभ निर्णय करैत छी हमरा सभकेँ कोन मार्ग पर चलबाक अछि - सूर्य-देव द्वारा प्रतिनिधित्व कैल निष्काम-कर्म (प्रकाशगामिनी) या फेर शनि-देव द्वारा प्रतिनिधित्व कैल काम्य-कर्म (अन्धकारगामिनी)।

४. यैह दिन भगवान्‌ विष्णु सदाक लेल असुरक बढल त्रासकेँ ओकरा सभकेँ मारिकय खत्म कयलाह आ सभक मुण्डकेँ मंदार पर्वतमे गाड़ि देलाह।

माहात्म्य: नकारात्मकताक अन्त हेतु एहि दिनकेर विशेष महत्त्व होइछ आ तदोपरान्त सकारात्मकताक संग जीवनक प्रतिवर्ष एक नव शुरुआत देबाक दिवस थीक मकर संक्रान्ति।

५. महाराज भागिरथ यैह दिन अत्यन्त कठोर तपसँ गंगाजीकेँ पृथ्वीपर अवतरित करैत अपन पुरखा ६०,००० महाराज सगरक पुत्र जिनका कपिल मुनिक आश्रमपर श्रापक चलतबे भस्म कय देल गेल छलन्हि - तिनकर शापविमोचन एवं मोक्ष हेतु मकर-संक्रान्तिक दिन गंगाजल सँ आजुक गंगासागर जतय अछि ताहि ठामपर तर्पण केने छलाह आ हिनक तपस्याकेँ फलित कयलाक बाद गंगाजी सागरमें समाहित भऽ गेल छलीह। गंगाजी पाताललोक तक भागिरथकेर तपस्याक फलस्वरूप हुनकर पुरुखाकेँ तृप्तिक लेल जाइत अन्ततः सागरमें समाहित भेल छलीह। आइयो एहि जगह गंगासागरमे आजुक दिन विशाल मेला लगैछ, जाहिठाम गंगाजी सागरमे विलीन होइत छथि, हजारों हिन्दू पवित्र सागरमे डुबकी लगाबैछ आ अपन पुरुखाकेँ तृप्ति-मुक्ति हेतु तर्पण करैछ।
       माहात्म्य: भागिरथ केर प्रयास आध्यात्मिक संघर्षक द्योतक अछि। गंगा ज्ञानक धाराक द्योतक छथि। नहि ज्ञानेन सदृशम्‌ पवित्रमिह उद्यते! पुरुखाक पीढी-दर-पीढी मुक्ति पबैत छथि जखन एक व्यक्ति अथक प्रयास, आध्यात्मिक चेतना एवं तपस्या सऽ ज्ञान प्राप्त करैछ।

६. आजुक दिनकेर एक आरो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ भेटैछ जखन महाभारतक सुप्रतिष्ठित भीष्म पितामह एहि दिवस अपन इच्छा-मृत्युक वरदान पूरा करय लेल इच्छा व्यक्त कयलाह। हुनक पिता हुनका इच्छामृत्युकेर वरदान देने छलखिन, ओ एहि पुण्य दिवस तक स्वयंकेँ तीरकेर शय्यापर रखलाह आ मकर संक्रान्तिकेँ आगमनपर अपन पार्थिव शरीर छोड़ि स्वर्गारोहण कयलाह। कहल जैछ जे उत्तरायणमें शरीर त्याग करैछ ओ पुनर्जन्मकेर बंधन सँ मुक्ति पबैछ। अतः आजुक दिन विशेष मानल जैछ अन्य दुनिया-गमन करबाक लेल।

माहात्म्य: मृत्यु उत्तरायणके राह अंगीकार कयलापर होयबाक चाही - मुक्ति मार्गमें। ओहि सऽ पहिले नहि! आत्माकेर स्वतंत्रता लेल ई जरुरी अछि। एहिठाम उत्तरायणक तात्पर्य अन्तर्ज्योतिक जागरण सऽ अछि - प्रकाशगामिनी होयबाक सऽ अछि।

एहि शुभ दिनक अनेको तरहक आन-आन माहात्म्य सब अछि आ एहि लेल विशेष रुचि राखनिहार लेल स्वाध्याय समान महत्त्वपूर्ण साधन सेहो यैह संसारमे एखनहु उपलब्ध अछि। केवल शुभकामना - लाइ-मुरही-चुल्लौड़-तिलवा आ तदोपरान्त खिच्चैड़-चोखा-घी-अचाड़-पापड़-दही-तरुआ-बघरुआक भौतिकवादी दुनिया मे डुबकी लगबैत रहब तऽ मिथिलाक महत्ता अवश्य दिन-प्रति-दिन घटैत जायत आ पुनः दोसर मदनोपाध्याय या लक्ष्मीनाथ गोसाईंक पदार्पण संभव नहि भऽ सकत।

अतः हे मैथिल, आजुक एहि पुण्य तिथिपर किऐक नहि हम सभ एक संकल्प ली जे मिथिलाकेँ उत्तरायणमे प्रवेश हेतु हम सभ एकजूट बनब आ अवश्य निष्काम कर्म सऽ मिथिला-मायकेर तिल-चाउरकेँ भार-वहन करबे टा करब। जेना श्री कृष्ण अर्जुन संग कौरवकेर अहं समाप्त करय लेल धर्मयुद्ध वास्ते प्रेरणा देलाह, तहिना मिथिलाक सुन्दर इतिहास, साहित्य, संगीत, शैली, भाषा, विद्वता एवं हर ओ सकारात्मकता जेकरा बदौलत मिथिला कहियो आनो-आनो लेल शिक्षाक गढ छल तेकरा विपन्न होइ सऽ जोगाबी। जीवन भेटल अछि, खेबो करू... मुदा खेलाके बाद बहबो करियौक। मातृभूमि आ मातृभाषाक लेल रक्षक बनू। मिथिला मायकेर तरफ सँ तिल-चाउर हमहुँ खा रहल छी, जा धरि जीवन रहत ता धरि बहब, फेरो जन्म लेबय पड़त सेहो मंजूर - आ फेरो बहब तऽ मिथिलाक लेल बही यैह शुभकामनाक संग, मकर संक्रान्ति सँग जे नव वर्षक शुरुआत आइ भेल अछि ताहि अवसर पर फेर समस्त मैथिल एवं मानव समुदाय लेल मंगलकेर कामना करैत छी।
  जय मैथिली! जय मिथिला!
ॐ तत्सत्‌!
  









प्रवीण चौधरी ‘किशोर’

मंगलवार, 13 जनवरी 2015

तिला संक्रांति

तिला संक्रांति -
       तिल में विटामिन ए और सी छोईड़ वो सभ आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होईत अछि जे नीक स्वास्थ्यक लेल अत्यंत आवश्यक होइत अछि। तिल विटामिन बी और आवश्यक फैटी एसिड्स सौं भरपूर होइत अछि । तिल में मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दू गोट बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होइत छै जे बदाम (चना), मूँगफली, राजमा, चौला और सोयाबीन सन अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों में नहि होइत अछि। ट्रायोप्टोफन के शांति प्रदान करय वाला तत्व सेहो कहल जैत अछि जे अनिंद्रा के दूर करय में सक्षम होइत अछि। ई चमड़ी(त्वचा) आ केश के सेहो स्वस्थ रखैत अछि। मीथोनाइन यकृति (लीवर) के दुरुस्त रखैत अछि आ कॉलेस्ट्रोल के सेहो नियंत्रित रखैत अछि। तिलबीज स्वास्थ्यवर्द्धक वसा केर बड़ पैघ स्त्रोत अछि जे चयापचय को बढ़बैत अछि।
  जेना की अहि पावनीक नामे तिला संक्रांति थीकै आ अहि मे तिल केर उपयोग होइते टा अछि, तS आऊ जानल जाई किछू विशेष "तिल" केर संबंध में।
तिल के घरेलू उपयोगक सुझाव-
1. कब्ज दूर करबाक लेल तिल के मेंही पीस ली आ प्रतिदिन पचास ग्राम तिल के चूर्ण गुड़, चीनी वा मिश्री के संग मिला फाँईक ली।
2. पाचन शक्ति बढ़ेबाक लेल समान मात्रा में बादाम, मुनक्का, पीपर, नारिकेल के गरी आ मावा नीक सS फेंट ली, फेर अहि मिश्रणक बराबर तिल कूटि पीस कय मिला ली , स्वादानुसार मिश्री मिला आ भोरे -भोर खाली पेट सेवन करी। अहि सौं शरीर केर बल, बुद्धि आ स्फूर्ति में सेहो वृद्धि होइत अछि।
3. प्रतिदिन राति में तिल के खूब चिबा के खयला सौं दाँत मजबूत होईत छैक।
4.यदि कोनो घाव भS गेल हुए तS तिल के पानि भिजा कय पीस आ घाव पर बांधला सौं घाव शीघ्रता सS भैर जैत अछि।
5. तिल केर लड्डू ओहि बच्चा के भोर आ साँझ अवश्य खुआबी जे राति में बिछौना गील करैत छथि। तिल के नियमित सेवन कयला सौं शरीरक कमजोरी दूर होईत अछि आ रोग प्रतिरोधकशक्ति में वृद्धि सेहो होइत अछि।
6. पायरिया आ दाँत हिलबाक कष्ट में तिल के तेल के मुँह में १०-१५ मिनट तक राखि, फेर अहि सS कुल्ला करी। अहि सौं दाँतक दर्द में तत्काल आराम भेतैत छैक। गर्म तिल के तेल में हींग फेंट के सेहो ई प्रयोग कयल जा सकैत अछि।
7. पानी में भिजाओल तिल के कड़ाही में हल्का स भूइज ली आ ओकरा पैन या दूधक संग मिक्सी में पीस ली । सादा या गुड़ फेंट के पीला सौं सोनीत (रक्त) केर कमी दूर होइत अछि।
8. जोड के दर्दक लेल एक गोट चाय के चम्मच भैर तिल के राति भैर पैन के गिलास में फुला ली आ भोरे भोर एकरा घोइंट ली वा प्रत्येक भोर एक चम्मच तिल के आधा चम्मच सूखायल अदरकक(सोईंठ) चूर्ण केर संग फेंट के गर्म दूधके संग पीयला सौं जोड़ के दर्द नष्ट भ जैत अछि।
सौजन्य सन - 
  मिथिला संस्कार 

सोमवार, 5 जनवरी 2015

मैथिली महायात्रा आ रक्तदान कार्यक्रम



 
 मैथिली महायात्रा आ रक्तदान कार्यक्रम
मिथिलांचल महासभा द्वारा आयोजित मैथिली महायात्रा ४ जनबरी केँ होटल रिलेशन केर सभागार मे भव्यतापूर्वक सम्पन्न भेल। कानपुर सँ सांसद तथा भाजपाक वरिष्ठ नेतृत्वकर्ता डा. मुरली मनोहर जोशी केर जन्मदिनक पूर्व-संध्या पर आयोजित एहि कार्यक्रम मे सामाजिक सरोकार आ मानव-सेवा प्रति जिम्मेवारीक वहन करैत आयोजक संस्था द्वारा रक्तदानक कार्यक्रम सेहो राखल गेल छल। रोटरी क्लब - कानपुर संग सहकार्य करैत सभागारक बाहर रक्तदान कैम्प लगाओल गेल। विदित हो जे मिथिलांचल महासभा अपन स्थापनाकालहि सँ समाज प्रति पूर्ण संवेदनशील रहि विभिन्न तरहक मानव-सेवाक कार्य करैत आबि रहल अछि। एहि मे फ्री मेडिकल कैम्प, विकलांग लेल ट्राइ-साइकिल वितरण, असहाय परिवार पर अचानक आयल कोनो आफत-विपत्तिक घड़ी सहायक बनि मानवीय सहयोग देनाय, आर्थिक रूप सँ विपन्न बाल-बालिकाक समुचित शिक्षा लेल प्रयास आदि विभिन्न सामाजिक कार्य करबाक पैघ सूची अछि।
        मैथिली-मिथिला प्रति योगदान देनिहार विभिन्न शहर-नगर मे बसनिहार प्रवासी मैथिल लोकनिक परिचय केँ संग्रह करबाक उद्देश्य सँ कैल जा रहल मैथिली महायात्राक पड़ाव कानपुर मे 'मैथिली, मैथिल के प्रति सिनेह एवं एकजुटता' आ 'प्रवासी मैथिलक राजनैतिक अधिकार' पर परिचर्चा गोष्ठीक संग कविता पाठ, भगवती गीत तथा सहभोज सँ समापन कैल गेल। मिथिलांचल महासभाक संस्थापक अध्यक्ष तथा कानपुर मैथिल समाजक अग्रणी श्री रवि नाथ मिश्र केर अध्यक्षता मे लगभग ५ घंटा तक चलल परिचर्चा कार्यक्रम मे विभिन्न ठाम सँ पधारल विद्वान्, अभियानी, नेतृत्वकर्ता, कवि सहित स्थानीय विज्ञजनक नीक सहभागिता देखल गेल। मैथिलक सम-सामयिक अवस्था पर आधारित रहबाक कारणे श्रोतावर्ग शालीनता सँ वक्ता लोकनिक सब बात केँ सुनलैन।
     किसलय कृष्णक कुशल ओ विशिष्ट मंच संचालन सँ चलि रहल कार्यक्रम मे प्रमुख अतिथि प्रो. ज्योति किरण (प्राध्यापक, विमेन्स कालेज, कानपुर) द्वारा दीप-प्रज्वलन तथा हरेराम झा द्वारा गाओल गोसाउनि गीत सँ सभा आरंभ भेल। कार्यक्रम प्रभारी (संयोजक) अनिल झा द्वारा स्वागत-मन्तव्यक संग विषय प्रवेश करबैत मिथिलांचल महासभाक विगत मे कैल गेल विभिन्न मूल्यवान् सेवा सहित भविष्य मे मैथिल केँ अधिकार संपन्न बनेबाक लेल राजनैतिक सामर्थ्य सँ परिपूर्ण बनेबाक लेल संघर्ष जारी रखबाक बात स्पष्ट कैल गेल। ओ अपन प्रखर वाणी सँ समस्त मैथिल समाजकेँ आह्वान कयलनि जे जाबत हमरा लोकनि अपना आप केँ राजनैतिक पद आ पावर सँ परिपूर्ण नहि करब, बाहरी दुनिया हमरा सबकेँ मोजर नहि देत। मुस्लिम वोट बैंक केर उदाहरण दैत ओ मैथिल वोट केर परिकल्पना पर विचार केन्द्रित केलनि। एहि लक्ष्य केर प्राप्ति तखनहि संभव होयत जखन हम सब सशक्त एकजुटता सँ अपन नेता अपनहि बनायब। दुनियाक कोनो राजनैतिक शक्ति मैथिल केँ पाछू नहि कय सकैत अछि जँ हमरा लोकनि एकसूत्री कार्यक्रम चलाबी, अपन समाजक लोक मे कथमपि राजनैतिक लड़ाई मे धोखा नहि दय बस एक स्वर मे आवाज लगाबी। काफी भावुकता सँ भरल विचार सब रखैत श्री झा इहो कहलैन जे कोना लोक अपन मूल घर-द्वारि छोड़ि कतहु शहर मे अबैत अछि, कोन तरहें ओकरा पर ओहिठामक स्थानीय समाजक लोक बिहारी कहिकय वा आन-आन तरहें दुत्कार-फटकार दैत छैक, तथापि अपन माटि-पानि-भाषा-संस्कृतिक प्रसादे कोना एक मैथिल प्रवास पर सेहो अपन जीवटतापूर्ण संघर्ष सँ अपना केँ स्थापित करैत अछि आ आब बेर आबि गेल छैक जे प्रवासी मैथिल केँ अपन राजनैतिक अधिकार प्रति पूर्ण साकांछ रहैत अधिकारसंपन्न बनय। आब कानपुर मे मैथिल केर एतेक अधिकार बनैत छैक जे कुल ७ विधायक मे सँ ३ विधायक मैथिल बनय, कानपुर नगरक मेयर मैथिल बनय, मैथिल बाहुल्य क्षेत्रक वार्ड कमिश्नर मैथिलहि केँ चुनल जाय आ विभिन्न राजनीतिक दलक मात्र मुखौटा वोटबैंक नहि बनि मैथिल ओहि दलक नीतिकार आ पदवीधारी अधिकारी सेहो बनय। मुह ताकयवला समय सँ आब मैथिल ऊपर आबि चुकल अछि। सब तरहें मैथिल मे ई सामर्थ्य छैक जाहिक आधार पर ओ राजनैतिक सामर्थ्य केँ हासिल कय सकैत अछि। एहेन उर्जावान् आ सशक्त घोषणा सुनि उपस्थित जनमानस बेर-बेर तालीक गुंज सँ स्वागत करैत देखायल। एहि उद्घोषणाक तुरन्त बाद बाल गायक निकेतन द्वारा भगवतीक गीत गाबि दर्शक-श्रोताकेँ मंत्रमुग्ध कय देल गेल।
           तदोपरान्त मैथिली महायात्राक उद्देश्य तथा कानपुर धरि अयबाक अनुभूति पर प्रवीण नारायण चौधरी द्वारा सभाकेँ संबोधन कैल गेल। पूर्व वक्ताक भावुक प्रस्तुति सँ अभिभूत प्रवीण सेहो हुनकहि समस्त बातकेँ बल दैत कानपुरवासी सँ अपील कयलनि जे हनुमानी शक्ति जे बिसरायल अछि तेकरे पुनर्स्मृति मे अनबाक लेल ईश्वरीय कृपासँ ई यात्रा आइ कानपुर आबि गेल अछि। कानपुर सहित भारत ओ नेपालक विभिन्न शहर मे मैथिलक जे उपस्थिति अछि ताहिक बले आब मैथिल पुत्र विधानसभा आ संसद भवन तक पहुँचय लागल छथि। मिथिलाक हालत बदतर अछि, ताहि दिशा मे सोराज केर सिद्धान्त टा कारगर होयत। ताहि लेल सेहो आब प्रवासी मैथिल केँ जिम्मेवारी वहन करय पड़तनि। ब्रजस्थ मैथिलक उदाहरण दैत ओ सभा सँ यैह अपील कयलनि जे पहिचानक विशिष्टताक प्रथम आधार भाषा प्रति उदासीनता दुखद अछि। मैथिली भाषा मे सृजनशील कार्य करबाक परंपराक निर्वाह कैल जाय। जहिना मैथिली अन्तो-अन्त तक संविधान द्वारा सम्मानित भेल तहिना मिथिला सेहो सम्मानित हेबाक चाही।
       क्रमश: विषय तथा महायात्राक उद्देश्य पर विभिन्न वक्ता द्वारा सारगर्वित संबोधन कैल गेल। परिचर्चा तखन फेर रंग पकैड़ लेलक जखन दिल्ली सँ यात्रा मे आयल मिथिला राज्य निर्माण सेनाक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर नाथ झा द्वारा मैथिली आ मिथिला लेल कैल जा रहल युवा प्रयास पर प्रकाश देल गेल, संगहि इहो स्पष्ट कैल गेल जे एक रतिक इगो कतेक घातक बनि सकैत अछि आ कोना कोनो सार्थक कार्यकेँ पटरी सँ उतारि सकैत अछि। लोक देवी-देवता केँ पूजा डरे करैत अछि जे जँ पूजा नहि करब तऽ अनिष्ट होयत। तहिना आइ राजनीतिकर्ता एहि डरक सिद्धान्त पर काज करैत अछि जे जँ कोनो खास समुदाय वा भाषाभाषी वा क्षेत्रक लोक केर बात नहि मानब तऽ वोट कटि जायत। मैथिल केँ ई आत्मसात करबाक चाही जे आपसी विखंडन सँ मैथिलक डर केकरो नहि होइत छैक आ यैह कारण सँ आइ मैथिल केर अधिकार संविधान द्वारा सम्मान नहि पाबि सकल अछि। अपन सुन्दर अनुभव केर वर्णन प्रस्तुत करैत ओ आह्वान कयलनि जे हम सब दोसराक पैर पूजा कम करी, अपन भाषाभाषीक नेताकेँ आगू बढाबी आ एकजुटता आर विषय मे हो नहि हो, राजनीतिक विषय मे सबहक स्वर एक रहबाक चाही। एहि लेल दोसर किछु नहि, बस अपन इगोकेँ हम सब कम करी।
गवर्नमेन्ट कालेजक प्राचार्य प्रो. पंकज चौधरी एहि आयोजन प्रति हर्षक अनुभूति प्रकट करैत स्वयं बहुत दिन सँ एहि मौकाक प्रतीक्षा करबाक उद्गार व्यक्त केलनि। मात्र पेपर मे पढि संतोष कय लैत छलहुँ, मुदा आइ प्रत्यक्ष मैथिल द्वारा आयोजित मैथिली महायात्रा कार्यक्रम मे सहभागी बनि प्रवासी मैथिल रहितो स्वयं मिथिले मे रहबाक अनुभव कय रहल छी। एहि तरहक कार्यक्रम निरंतरता मे रहत तऽ स्वत: परिस्थिति निर्माण होइत रहतैक, आ हम सब फेर सँ अधिकारसंपन्न बनबे टा करब। मिथिलांचल महासभाक उपाध्यक्ष देवेन्द्र झा अपन संबोधन मे 'संघे शक्ति कलियुगे' सिद्धान्त पर सबकेँ एकजुट बनबाक आह्वान केलनि। संगहि प्रवासी मैथिल दुइ प्रकारक होइत अछि, एक मैथिलीभाषी आ एक गैर-मैथिलीभाषी, एहि दुनु केँ जोड़बाक बात पर ध्यान देबाक आवश्यकता अछि, तखनहि संघ मजगुत बनत। अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषदक महासचिव प्रेमकान्त झा सभा मे कने देरी सँ पहुँचलाक कारणे केवल अपन मनक बात राखि मिथिला राज्यक आवश्यकता आ मैथिली भाषाक प्रयोग पर जोर देलनि। समाधान लेल मैथिलीक अपन मिडिया आ मैथिली पढाई लेल सिबिएसई कोर्स मे विषय रखबाक बात पर प्रकाश देलनि। ओ अपन आलोचनात्मक अंदाज मे सभा मे बैसल जोरदार भाषण देनिहार लोक सब सँ सेहो ईमानदारी सँ मैथिली केँ स्वीकारबाक माँग केलनि। दिनेश झा, राधा बल्लभ झा व कानपुर मैथिल समाजक अनेको अगुआ लोकनिक सुन्दर उपस्थिति आ संबोधन सभाक विशेषता रहल।
     तहिना मिथिला राज्य निर्माण सेनाक संस्थापक अध्यक्ष हेमन्त झा द्वारा सेहो राजनीतिक लड़ाई कोन आधार पर लड़ल आ जितल जा सकैत अछि तेकर सुन्दर चित्रण प्रस्तुत कैल गेल। आर कतहु मतभिन्नता हो, मुदा मिथिला राज्य लेल आ मैथिलक राजनैतिक अधिकार लेल एकजुटताक आवश्यकता केँ मनन करी। सरस्वतीक धनी मैथिल लक्ष्मी केँ प्रसन्न किऐक नहि कय पबैत छथि। विखंडित समाज द्वारा कहियो अधिकारसंपन्नता प्राप्त नहि भेलैक अछि, तैँ एकजुटता पर सब कियो निरंतर कार्य करी। मैथिली महायात्रा कार्यक्रम आइ जोड़बाक कार्य कय रहल अछि। मिथिला राज्य निर्माण सेनाक कोषाध्यक्ष तथा नीतिकार संजीब सिन्हा द्वारा एक सँ बढि कय एक प्रेरक उदाहरण दैत संघर्ष लंबा समय धरि करबाक बात पर जोर देलनि। हुनक कहब छल जे बस एकटा ज्ञापन कतहु देला सँ ओ माँग पूरा होयत से जरुरी नहि छैक, ओकर प्रक्रिया छैक आ ताहि मे हमरा सबकेँ बेर-बेर प्रयास करहे टा पड़त। जन-आन्दोलन मे जन-जन केर सहयोगक आवश्यकता पर ओ जोर दैत रहलाह। कौशल कुमार संबोधन करैत कहला जे आइ मैथिल पलायन जेहेन खतरनाक वन-वे-स्ट्रीट मे यात्रा करबाक लेल बाध्य अछि। पलायन तखनहि रुकत जखन प्रवासी संपन्न मैथिल एहेन रास्ताक निर्माण करैथ जाहि सँ पलायन रुकय। विकासक परिस्थिति आइ बाहरे बसल सक्षम आ सामर्थ्यवान मैथिल द्वारा बनि सकैत अछि।
कानपुर युवा मैथिल केर प्रतिनिधित्व करैत मनोज कुमार द्वारा युवा-जागृति पर जोर देल गेल। ओ कहलनि जे हम सब योजनाबद्ध तरीका सँ अपन पहिचान, भाषा, संस्कृति आ एकजुटताक लेल काज कय रहल छी। आब चुप नहि रहब, अधिकार लेबे टा करब। तहिना दिल्ली सँ आयल 'नशा मुक्त मिथिला' केर संस्थापक विक्की ठाकुर द्वारा संबोधन मे कहल गेल जे जँ दहेज मिथिला समाजक लेल साँप छी तऽ नशा समाज लेल जहर छी। साँपक समाधान संभव छैक, मुदा ओकर बिख चढि गेलाक बाद समाधान कठिन छैक। एहि अभियानक कार्य किनको निजी जीवन मे प्रवेश करबाक कदापि नहि मुदा नशाक असर सँ समाजकेँ मुक्त करबाक एहि अभियान मे समाजक सबहक सहभागिता जरुरी छैक। एहि लेल कानपुर समाज सँ सेहो सहयोग भेटत एहि अपेक्षा केँ ओ प्रकट केलैन। मैथिली गीतकार विमल जी मिश्र सेहो दिल्ली सँ आबि एहि यात्रा मे सहभागी बनलाह आ दहेज लेनिहारक पत्नी आ बिन लेनिहारक पत्नी कोन तरहें अपन पति ओ परिवार संग व्यवहार करैत अछि तेकरा लयात्मक प्रस्तुति मे रखलनि।
      मिथिला मिरर केर संपादक ललित नारायण झा मैथिल समाज सँ वर्तमान युग अनुरूप महिलाक सहभागिता बढेबाक बात पर जोर देलनि। उपस्थित जनसमूह मे महिलाक सहभागिताक उदाहरण दैत ओ कानपुर समाजकेँ आइना देखबैत अपन पत्नी सहित ओहि समस्त महिलाक उदाहरण देलनि जे आइ पढि-लिखि सब तरहक फैशन आ मिशन मे आगाँ छथि। मैथिलानी कतहु सँ कमजोर नहि छथि आ ई बात मिथिलावासीक परंपरावादी समाजकेँ आत्मचिन्तन करबाक चाही। तहिना ओ अपन मन्तव्य मे मैथिली सिखेबाक दायित्व माता-पिता पर रहबाक बात कहलनि। भले धिया-पुता अंग्रेजी माध्यम सँ किऐक नहि पढि रहल हो, ओकरा काउ माने गाय मैथिली मे होइत छैक सेहो पता हेबाक चाही। पापा बापे केँ कहल जाइत छैक ई बात हम सब अपन बच्चा केँ जरुर सिखा सकैत छी। माता-पिताक गुणे धिया-पुताक बाढि होइत छैक, संस्कार जेहेन देबैक वैह आगाँ देखब। जे मैथिली नहि सिखबैत छथि ओ स्वयं २० वर्षक बाद परिणाम भुगतय लेल तैयार रहैथ। एहि तरहें मिथिला मिरर द्वारा कैल जा रहल मैथिली ओ मिथिला प्रति विभिन्न योगदान तथा एहि मे सबहक सहयोगक आवश्यकता पर जोर दैत आगामी समय मे सेहो स्वयं प्रतिबद्ध रहैत सेवा करैत रहब ओ अपन भावना व्यक्त केलनि।
           अन्त मे अध्यक्षीय संबोधन करैत मिथिलांचल महासभाक संस्थापक अध्यक्ष श्री आर एन मिश्र समस्त संबोधन-भाषण केँ ध्यान सँ सुनि आ मनन करबाक उपरान्त एक्कहि बात पर जोर देलनि जे वर्तमान कानपुर मैथिल समाजक हित सर्वोपरि अछि, जाहि लेल मिथिलांचल महासभाक स्थापना ओ केलनि। एहि मे सब नि:स्वार्थ भावना सँ मात्र सेवा करैत अपन पहिचान आ आत्मसम्मानक रक्षा लेल आगू बढि गेल छथि। कियो गैर-मैथिल नेता संग फोटो खिचाबय मे गर्वक अनुभूति करैत छथि ताहि सँ बहुत नीक जे स्वयं मे स्थित ओहि विशिष्टताकेँ जगाउ जे आन-आन लोक अहाँक संग फोटो खिचाबय मे गर्वक अनुभूति करैथ। अपन निज जीवनक एक अविस्मरणी उदाहरण रखैत ओ स्मृति मे अनलाह जे कोना हुनक पिता कानपुर मे पुरोहिताइ करेबा समय एक व्यवसायीक घर हुनकर सोझें अपमानित भेल छलाह, जेकरा ओहि समय तँ ओ मजबूरी मे वर्दास्त कय लेने छलाह, मुदा बाद मे अपन संकल्प-शक्ति सँ नौकरी नहि करबाक प्रण करैत व्यवसाय शुरु केनाय आ ओहि अपमान केनिहार व्यवसायीक पुत्र केँ अपन फर्म मे बारह वर्ष नौकर बनाय रखबाक विलक्षण आ अति-प्रेरणादायक जोशीला उद्धरण सभाक समक्ष प्रस्तुत केलनि। अपन संस्थाक युवा आ उर्जावान् शक्ति अनिल झा तथा अध्यक्ष अमित झा केँ दायाँ आ बायाँ हाथ कहैत ओ वचन देलनि जे बस काज करू आ एहि मे नकारात्मक शक्तिक कोनो गिनती नहि कैल जायत। अनिल झा केर उर्जा केँ आ काज करबाक प्रतिबद्धताकेँ आत्मसात करैत ओ एहि मुहिम मे आजन्म आगाँ रहबाक सेहो वचन देलनि। समाजक हर वर्गक लोक केँ आगू आबि मिथिलांचल महासभाक उद्देश्यक संग डेग बढेबाक आह्वान सेहो केलनि। कानपुर मैथिली, मिथिला आ मैथिल लेल सदैव तत्पर रहत आ कानपुरक हरेक समाज संग सहकार्य करैत एहि ठामक विकासक संग मूल मिथिला लेल सदैव अग्रगामी भूमिकाक निर्वाह करत।
      आयोजक संस्था मिथिलांचल महासभाक अध्यक्ष श्री अमित झा द्वारा आगन्तुक अतिथि तथा समस्त सहभागी सभासद लोकनिकेँ हृदय सँ आभार प्रकट करैत धन्यवाद ज्ञापन केलनि। अपन संछिप्त संबोधन मे कानपुरक आयोजन बहुत कम समय मे एतेक गंभीर होयबाक सत्यकेँ साक्षात् दर्शन कय आह्लादित हेबाक बात कहलनि। तदोपरान्त सभाध्यक्षक आदेश सँ महाकवि विद्यापतिक स्मृति करैत प्रवीण नारायण द्वारा 'उगना रे मोर कतय गेलाह' आ 'कहल सुनल सब क्षेमा करियौ यौ बैद्यनाथ' गाबि संपूर्ण दर्शक-श्रोताकेँ भाव-विभोर बनायल गेल।

    मैथिली महायात्राक कार्यक्रमक संग रक्तदान कैम्प मे लगभग ४० गोटा अपन रक्तदान केलनि। रोटरी क्लब अफ कानपुर केर सेहो सक्रिय सदस्य तथा ऐगला सत्रक अपेक्षित अध्यक्ष मिथिलांचल महासभाक अध्यक्ष अमित झा केर सृजनशील प्रयास सँ एहि महान मानवीय कार्यकेँ निष्पादन कैल गेल। कार्यक्रम मे लगभग ५ बजे अत्यन्त गरिमामयि उपस्थितिक संग डा. मुरली मनोहर जोशी द्वारा कार्यक्रम सराहना कैल गेल, ५ जनबरी हुनक जन्मदिनक उपलक्ष्य आयोजित कार्यक्रम मे सेहो मिथिलांचल महासभाक उपस्थिति लेल आमंत्रणाक संग मैथिली भाषा जेना संविधान मे हुनक दल भारतीय जनता पार्टी स्थापित केलक तहिना मिथिला राज्य केँ सेहो स्थापित करबे करत। एहि लेल विशेष कार्यदल द्वारा समुचित गृहकार्य कैल जा रहल रहस्य सेहो प्रकट कैल गेल। समस्त अभियानी केँ अपना संगे सोफा पर बैसाय फोटो सेशनक संग बेर-बेर डा. जोशी द्वारा मैथिली-मिथिला प्रति शुभकामना संदेश देल गेल। भविष्य मे सेहो मिथिलांचल महासभा एहेन गौरवपूर्ण कार्यक्रम करैत रहबाक अपेक्षा रखैत सभा सँ विदाइ लेलनि।
        आगन्तुक अतिथि लोकनि केँ जहिना आरंभ मे पाग, बैज आ माला सँ सम्मान कैल गेलनि, तहिना अन्त मे 'मिथिलांचल महासभा अंकित स्मृति चिह्न'क संग दोपटा दऽ के अनन्तकाल धरि आयोजित मैथिली-महायात्रा-कानपुर केँ मोन राखबाक अनुपम संदेश देल गेल। कार्यक्रमक अन्त एक भव्य सहभोज सँ भेल। समस्त श्रोता-दर्शक आ आगन्तुक अतिथि लोकनि एक संगे मिथिलाक पारंपरिक शैली मे भोजक रसास्वादन करैत सभाक समापन कैल गेल।

प्रवीण नारायण चौधरी
कानपुर उत्तर प्रदेश  

गुरुवार, 1 जनवरी 2015

नव वर्ष २०१५ केर हार्दिक मंगल कामना


लिखा गेल २०१५ ई काल केर कपाल पर !
आउ नव संकल्प ली, एहि नवका साल पर !

जाति-धर्मक भेद नहि, जन-जनमे प्रीत हो,
विश्व भरिक मंच पर ,बस शांति केर गीत हो,

गमकेत गुलाल लगय, ब्रह्माण्ड केर गाल पर !
आउ नव संकल्प ली, एहि नवका साल पर !


अश्लीलताक अंत हो, बचा ली हम संस्कृति,
समाज सं हटा दियौ, एकहक टा विकृति,

पराती केर मीठ धुन बजय सुर आ ताल पर !
आउ नव संकल्प ली, एहि नवका साल पर !

मैथिली बाजयमे ककरो नहि कनिको लाज हो,
गाम-घर-प्रवास धरि माटिए लेल काज हो,

किसलय शुभकामना एहि अंतर जाल पर !
आउ नव संकल्प ली, एहि नवका साल पर !

Kislay Krishna
 .नव वर्ष २०१५ केर हार्दिक मंगल कामना..