dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

समन्वय २०१२ आमंत्रण



साहित्य अकादेमी, दिल्लीक मैथिलीक आठम महिला समन्वयक डॉ. वीणा ठाकुर हेती

-साहित्य अकादेमी, दिल्लीक मैथिलीक आठम महिला समन्वयक डॉ. वीणा ठाकुर हेती, ई सूचना अशोक अविचल देलन्हि।

-एकर कार्यकाल पाँच साल लेल होइ छै।



DR. VEENA THAKUR KE BADHAI


Sahitya Akademi Nayi Delhi ker Maithili paramarshdatri samitik pahil sanyojak banak saubhagya Dr. Veena Thakur kein Bhetlain. nishchiten Maithili kein yogya karmath aa sahitya anuragi vidhusi pratinidhi bhetlaik. Jharkhand Maithili sahitya manch Jamshedpur aa Jharkhand Maithili Bhojpuri Sahitya Sangam dis san Dr. Thakur kein Badhai

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  • Amit Mishra and Ashish Anchinhar like this.
  • Ashish Anchinhar आशा अछि जे वीणा ठाकुर जी अपन एडवाइजरी बोर्डमे कबिलपुरक शंकरदेव झा-विजयदेव झा आदिकेँ दूर रखती आ 9 टा सदस्यमे सँ कमसँ कम 5 टा सदस्य गएर सवर्णकेँ रखती।
  • Gajendra Thakur पहिल रमानाथ झा, दोसर जयकान्त मिश्र, तेसर सुरेन्द्र झा सुमन, चारिम सुरेश्वर झा, पाँचम रामदेव झा, छअम रामदेव झाक ससुर चन्द्रनाथ मिश्र अमर, सातम रामदेव झाक समधि विद्यानाथ झा विदित आ आठम वीणा ठाकुर। साहित्य अकादेमीक मैथिली विभागक समन्वयक सूचीक ई आठम लगातार मैथिल ब्राह्मण समन्वयक हेतीह। 9 अ म जँ मैथिले ब्राह्मण बनि जाए तँ लगातार तेसर हैट्रिक बनि जाएत, जइ रेकॉर्डकेँ साहित्यकार कि क्रिकेटरो नै तोड़ि सकत।
    39 minutes ago · Like · 1
  • Ashok Avichal kam sa kam sahityan ke jatiwaad san pharak rakhak prayas hoit rahak chahi.. Veena Thakur matra maithil brahman nai Maithilik Sahityakar aa pahil Mahila chith
  • Gajendra Thakur मुदा ई पहिल महिला छथि से कने-मने आशाक किरण छोड़ैए। तेँ वीणा ठाकुर जीकेँ बधाइ।
    31 minutes ago · Like · 2
  • Gajendra Thakur मुदा आशीष अनचिन्हार जीक गपसँ हम सहमत छी। जेना रामदेव झाक बेटा आदि अजित आजादपर "विदित" केँ ५०-६० लाख देबाक आरोप आ नचिकेता आदिपर जातिगत/ व्यक्तिगत घृणित आरोप लगेने रहए (आज अखबारमे) से की सिद्ध करैए? की वीणा ठाकुर रामदेव झा-शंकरदेव झा- चन्द्र नाथ मिश्र क कैंडीडेट छली? आशीष अनचिन्हार जीक ऐ सलाह सँ सहमत छी जे "वीणा ठाकुर जी अपन एडवाइजरी बोर्डमे कबिलपुरक शंकरदेव झा-विजयदेव झा आदिकेँ दूर रखती आ 9 टा सदस्यमे सँ कमसँ कम 5 टा सदस्य गएर सवर्णकेँ रखती।"
  • Gajendra Thakur आ जे से नै करती तखन पहिल महिला समन्वयकक मैथिलीकेँ की लाभ हएत, आ तकर परिणाम मैथिली लेल भयंकर हएत।
  • Ashok Avichal vishwas aich je veena thakur yogya aa maithili lel samarpit sahityakar sabkein sadasya banebak kaal prathmikta detih
  • Gajendra Thakur जे संस्था सभ हुनका चुनलकन्हि अछि ओइमेसँ अधिकतर फर्जी छै, जकरा साहित्यसँ कोनो मतलब नै छै, ओही सभक सदस्य सभ भूतकालमे एडवाइजरी बोर्डमे चुनाइत आएल अछि।
  • Gajendra Thakur "योग्य" माने मात्र मैथिल ब्राह्मण नै भऽ जाए अशोक अविचलजी।
    14 minutes ago · Like · 1
  • Gajendra Thakur साहित्यकेँ जाति-पातिसँ दूर रखबाक चाही, ई सभ मैथिल ब्राह्मण साहित्यकार सभसँ सुनैत-सुनैत हमर कान पाकि गेल अछि। कोन तरहक हिप्पोक्रेसी अहाँ लोकनि कऽ रहल छी अशोक अविचलजी। दुनियाँ सभ देखि रहल अछि। इतिहास अहाँकेँ माफ नै करत। "शब्दशास्त्रम्" कथा जे हम "उमेश मण्डल"केँ समर्पित केने छलौं, ओ समर्पणक पाँती कोना अहाँ अपन सम्पादकत्वमे प्रकाशित "कथा पारस"सँ हटा देलिऐ। जँ ओ समर्पण "उमेश झा" केँ रहितै तँ अहाँ ओ पाँती हटबितिऐ अशोक अविचलजी?
    6 minutes ago · Like

    • Poonam Mandal ''आशा अछि जे वीणा ठाकुर जी अपन एडवाइजरी बोर्डमे कबिलपुरक शंकरदेव झा-विजयदेव झा आदिकेँ दूर रखती आ 9 टा सदस्यमे सँ कमसँ कम 5 टा सदस्य गएर सवर्णकेँ रखती।'' वि‍चारणीय अछि‍।
    • Arbind Kumar Yadav जे संस्था सभ हुनका चुनलक ओइमेसँ अधिकतर फर्जी अछि‍, जकरा साहित्यसँ कोनो मतलब नै छै, ओही सभक सदस्य सभ भूतकालमे एडवाइजरी बोर्डमे चुनाइत आएल अछि। ''साहित्य अकादेमीक मैथिली विभागक समन्वयक सूचीक ई आठम लगातार मैथिल ब्राह्मण समन्वयक छथि‍।''
    • Rabindra Kumar Choudhary akan dhair jha wa misar sanyojak hoiat rahlah achhi. pahil ber thakur bhelih achhi.badlab suru bha ghel achhi.
    • Ashish Anchinhar ई ठाकुर बाभन छथि हजाम नै
      5 hours ago via mobile · Like · 1
    • Umesh Mandal Rabindra Kumar Choudhary जी, झा आ मि‍श्रक जगह ठाकुर भेलीह जेकरा अहाँ बदलाव कहै छि‍ऐ; ई कोन बदलाव भेलै?


    • Gajendra Thakur ई विजदेव झाक पिताक नाम रामदेव झा आ नानाक नाम चन्द्रनाथ मिश्र अमर छियन्हि। गरिखर मे दुनू नामी- दुनू पक्षसँ ई गुण हिनका आनुवंशिक रूपेँ तँ नै आबि गेल छन्हि!!
    • Umesh Mandal शंकरदेव झा हमरा कहने छथि जे सभ भाँइ दस सदस्यीय साहित्य अकादेमीक एडवाइजरी कमेटीक सदस्य रूपमे नै एता, आ ईहो कहने रहथि "जे जँ हम सभ मेम्बर बनी तँ रामदेव झाक बेटा नै होइ"। कतेक दिन पुरान गप भऽ गेलै। अजित आजादसँ चर्च भेल तँ ओ कहलनि- "धुर छोड़ू एकर सभक किरिया खायबक कोनो माइन नै छै, गिरल सभ छै..."।- देखा चाही आगाँ की होइए।
      Ashish Anchinhar मने जे जँ शङ्करदेव आ हुनक भाए आदि साहित्य अकादेमीक कोनो पद लेता तँ ओ रामदेवक बेटा नै हेता सएह ने
      about a minute ago via mobile · Unlike · 1
      Pawan Kumar Sah पहिल रमानाथ झा, दोसर जयकान्त मिश्र, तेसर सुरेन्द्र झा सुमन, चारिम सुरेश्वर झा, पाँचम रामदेव झा, छठम रामदेव झाक ससुर चन्द्रनाथ मिश्र अमर, सातम रामदेव झाक समधि विद्यानाथ झा विदित आ आठम वीणा ठाकुर; एकछाहा झा.. मि‍सर... बाभन ठाकुर...!!!!!! कहि‍या तक चलैत रहत ई खेल?? की हि‍नकासँ कमजोर केण्‍डीडेट छलखि‍न्‍ह प्रोफेसर उदय नारायण सिंह 'नचि‍केता'? की हि‍नकासँ सौ गुणा अधि‍क काज नचि‍केता जी नहि‍ केने छथि‍न्‍ह मैथि‍ली लेल? मुदा तैयो श्री गजेन्‍द्र ठाकुर जीक बातपर ''महिला छथि से कने-मने आशाक किरण छोड़ैए।'' आश अछि‍, मुदा से तँ गड़गड़ेलेपर बूझब।

    -चोर रोशन कुमार झा अखनो नै हटेलक जगदीश प्रसाद मण्डलक ओकरा (चोर रोशन कुमार झा ) द्वारा कएल चोरिक लघुकथा सभ अपन ई-पत्रिका (ब्लॉग)सँ- साहित्यिक जगतमे ऐ सँ घोर क्षोभ अछि- चोर आ ओकर अधीनस्थ सम्पादक-सहयोगीपर कार्रवाइपर विचार

    -चोर रोशन कुमार झाक चोरिक सबूत नीचाँ लिंकमे अछि जे ओ अखन धरि अपन ई-पत्रिका (ब्लॉग) सँ डिलीट नै केलक अछि। ओकर एकटा आर ई-पत्रिका (ब्लॉग) छै जैमे ओकर अधीनस्थ सम्पादक अमलेन्दु शेखर पाठक आ सहयोगी कुमार शैलेन्द्र, शंकरदेव झा आदि छै। एकर अतिरिक्त मिथिलांगनसँ जुड़ल रवीन्द्र दासक सेहो ऐ चोरक प्रति सहानुभूति छै।

    -

    -जगदीश प्रसाद मण्डलक रचनाक केलक चोरि-
    चोरिक लिंक नीचाँ देल जा रहल अछि:
     http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/rikshaavala.html
    http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/jivika.html
    http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_7993.html
    http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_9212.html
    http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_4646.html
    http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_691.html
    http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_88.html
    http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_7693.html
    http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_4876.html
    http://mithlakgaamghar.blogspot.in/2012/05/blog-post_31.html


    ई धूर्त रोशन कुमार झा ई सभ रचना जगदीश प्रसाद मण्डलक " गामक जिनगी" सँ चोरा कऽ अपन ई-पत्रिकामे छपने अछि जेकर लिंक ऊपर देल गेल अछि। गामक जिनकीकेँ मैथिलीक पहिल टैगोर पुरस्कार भेटल छै।

    पहिनहियो एकर संगी रण्जीत चौधरी मुन्नाजीक रचनाक लगातार चोरिमे पकड़ाएल अछि, जे अजित आजादक  मिथिलाक अबाज पर अखनो अछि। अजित आजाद मुन्नाजीकेँ कहने रहथिन्ह जे ओ रण्जीत चौधरीकेँ बैन करताह आ चोरिक रचनाकेँ डिलीट करताह, मुदा हुनकर कार्यालसँ से अखन धरि से नै भेल तावत ओही कार्यालयसँ ई नबका चोर रोशन कुमार झा आबि गेल।

    ऐ चोरक संरक्षक अमलेन्दुशेखर पाठक (जिनकर पिता शिवकान्त पाठक रामदेव झा आदिक संग आकाशवाणी दरभंगा खोलने छथिन्ह, जे रोशन झाक निचुक्का ब्लैकमेल पत्रसँ सिद्ध होइत अछि, कारण ओ जकरा चाहता तकरा अमरसँ रोशन झा धरिकेँ आकाशवाणीमे कार्यक्रम देता आ गौहाटीक विद्यापति पर्वक आयोजक ककरा कहियाक टिकट पठबै छथि से ओ हिनके आ बैजू सँ पुछि कऽ आगाँसँ पठेथिन्ह!!), शंकरदेव झा आदि छथि जकरा संगे मिलि कऽ ई ब्लॉग (ई-पत्रिका) चलबैत अछि।
    -ऐ संगठित चोरिमे रोशन कुमार झा, रणजीत चौधरी आदि प्यादा अछि, मुख्य खिलाड़ी यएह सभ छै।
    -पूर्वपीठिका देखू http://esamaad.blogspot.in/2012/08/blog-post_4877.html



    रोशन कुमार झा जे रचना चोरि केलक तकर सरगना सभक चिट्ठी/ किरदानी आदि नीचाँमे अछि

    मातृभाषा: मैथिलि पाक्षिक ई-पत्रिका(!!)

    जे की दरभंगास प्रकाशित पहिल ई-पत्रिका अछि . एकर पहिल अंक छपी चुकल अछि . जेना की सर्वविदित अछि जे अहि स पहिने विदेह ई-पत्रिका सेहो निकली रहल अछि . विदेह साहित्य लेल काज त कैरते अछि मुदा एक टा काज ओ बखूबी क रहल अछि आ दिन प्रतिदिन क रहल अछि . ओ काज अछि जातिवादिताक नाम पर झगरा केनाइ साहित्यकार सभ केर खुलेआम फसबूक आ ब्लोगक माध्यम स गारि पढ्नाई .
    मातृभाषा ई-पत्रिकाक अंक देखैत देरी नहीं जानी किया गजेन्द्र ठाकुरअक देह में आगि किअक लागी गेलें आ ओ अपन चेला चपाटीकेर पुनः मैदान में लड़बाक लेल उतारी देलैन . हुनक एक टा चेला जिनकर नाम उमेश् मंडल छियैन ओ अपन घरवाली केर ब्लॉग ईसमदिया पर एक टा पोस्ट केलें जे फल फल आदमी मिलि ब्लाच्क्मैलिंग  करबाक उद्देश्य स अहि पत्रिकाक शुरुआत केलक अछि . विदेह फसबूक ग्रुपअक एक टा पोस्ट पर माननीय आशीष अनचिन्हार आ उमेश मंडल जी कमेन्ट देला जे मा
    तृभाषा ई-पत्रिकाक सम्पादक महान ब्रह्मण वादी अमलेंदु शेखर पाठक छैथ .

    अमलेंदु शेखर पाठक मैथिलिक साहित्यकार , दरभंगा रेडिओ स्टेशनअक उद्घोषक आ वरिस्थ पत्र्रकार छैथ . आब सवाल उठैत अछि जे एहन आदमी पर उमेश मंडल जी ब्रह्मण वादी हेबाक आरोप किअक लगा रहल छैथ .

    अहि सवालक जवाब लेल किछु समय पाछू घुर पडत . रेडिओ स्टेशन स एक दिन पाठक जी उमेश मंडल केर फ़ोन केल्थिन जे अपनेक पोस्टल एड्रेस की अछि ? उमेशक पुछला पर पाठक जी कहलें जे आहाक रेडिओ में कथा पढबा हेतु छित्ती पता रहल छि . उमेशक काटन छल जे हमरा बदला ज हमर पिताजिकर अवसर देब त हमरा नीक लागत . पाठक जी कहलें जे आहा चिंता जुनी करू हम दुनु गोटेक अवसर देब . ओही दिन स पाठक जी ओही उमेश लेल भगवान् छल आ बहूत दिन रहबो केला . तखन उमेश आ हुनका किअक गाडिया रहल छैन .
    पछिला बरख गुवाहाटी में अंतर रास्ट्रीय मैथिलि सम्मलेन भेल छल ओही थाम २ दिवसीय कार्यक्रमअक आयोजन छल . पहिल दिन कवि घोस्थी आ दोसर दिन विद्यापति समारोह . उमेश मंडल आ हुनक पिताजी केर दोसर दिनक आयोजनक लेल आमंत्रित कैल गेल छल , मुदा महा साहित्यकार उमेश मंडल एक दिन पहिने गुवाहाटी पहुँच गेला . उमेश पाठकजी स आग्रह केलें जे हाम्रो पिताजी केर कविता पढबा लेल बजेबैं अपनेक आभारी रहब . मुदा समय कम रहबाक आ कवि बेसी हेबाक कारण उमेशक आग्रह पाठक जी नहीं पूरा का सकला अहि कारने जे आदमी हुनका नजरी में आई धरी भगवान् छल से आबी ब्राह्मण वादी बनी गेल छल .
    विदेह केर एहो कास्ट छैन जे दोसर ई-पत्रिका किअक निकली रहल अछि . कारण साफ़ अछि जाहि पत्रिकाक सम्पादक मंडली लोकनि अपन समय झगरा आ गारि पढबा में बितेता टा निक रचना कतय स छपता .

    "राड़केँ सुख बलाय" केर लेखक रोशन कुमार झा रामदेव झाक बेटा, विद्यानाथ झा विदितक जमाए आ चन्द्रनाथ मिश्र "अमरक" नैत शंकरदेव झा-विजयदेव झाक संग मिलि कऽ एकटा ब्लैकमेलिंग ब्लॉग ई-पत्रिका (!!) मातृभाषा शुरू केलक अछि।(रिपोर्ट पूनम मण्डल)
    राड़केँ सुख बलाय" केर लेखक रोशन कुमार झा रामदेव झाक बेटा, विद्यानाथ झा विदितक जमाए आ चन्द्रनाथ मिश्र "अमरक" नैत शंकरदेव झा-विजयदेव झाक संग मिलि कऽ एकटा ब्लैकमेलिंग ब्लॉग ई-पत्रिका मातृभाषा शुरू केलक अछि।
    धूर्त रोशन कुमार झा:राअर के सुख बले :
    मिथिलाक गाम घर :

    राअर के सुख बले :

    पढुआ काका किछु काज स दरभंगा आयल छलाह . जखन सव काज भ गेलैन त बस पकर्बाक लेल बस स्टैंड गेलाह , मुदा गामक बस छुट्टी गेलैन .
    पधुआ काका हमरा फ़ोन केलैने ? रोशन कतय छ: ? हम आकाशवाणी लग ठाढ़ छि ? हाउ हम तोहर घरे बिसरी गेलिय . तो आबी क हमरा ल जा .

    जखन हम पढुआ काका क ल के घर पर आय्लाहू त घर पर लाइन छल .चुकी गर्मी काफी छल ताहि कारने पंखा चला हुनका लग बैसी गेलहु आ हुनका अपन कंप्यूटर पर फसबूक के खोली हुनका देखाबय लाग्लाहू ?
    अचानक ललका पाग केर देखैत देरी हुनक मन गडद-गडद भ गेलैने . ओ कह्लैने जे की " इ थिक मिथिला वासी केर पहचान , आ पाग पहिर्ला स बाढ़ी जाइत अछि मान "

    हम कहलियैक , काका किछू लोक केर कथन अछि जे की पाग मात्र उपनयन , विवाह में पहिरे वाला एक टा परिधान अछि जे की बाभन आ लाला सब मे पहिरल जाइत अछि ?

    ओ कह्लैने हौ जे इ गप करैत अछि ओ पागल हेताह ?
    हम कहलियैक , कका ओ सब पढ़ल लिखल आ पैघ-पैघ साहित्यकार छैथ आ विदेह सनक पत्रिका सेहो निकालैत छैथ ?

    किछु काल केर उपरान्त पढुआ कका कह्लैने जे की एकटा , दूटा ओही महानुभाव केर नाम त कहक जे सब पाग केर मिथिला केर मान नहीं बुझैत अछि आ मात्र ओकरा जातिगत स जोरी रहल अछि ?

    हम कहलियैक आशीष अनचिन्हार , उमेश मंडल , पूनम मंडल प्रियंका झा आ विदेह केर सम्पादक गजेन्द्र ठाकुर .
    कका कह्लैने हौ अहि मे त कोनो पैघ साहित्य कार लोकनि केर नाम कहा अछि ?
    कका आजुक समय केर इ सब करता धर्ता छैथ साहित्य जगत के .
    हौ यदि आजुक साहित्य केर करता एहन छैथ त नहीं जानी की होयत भविष्य मे ?

    हमरा सब केर समर में हरिमोहन झा , नागार्जुन , दिनकर सब सनक महान रचना कार लोकिन छलाह . से इ सब कोनो हुनका स पैघ छैथ जखन ओ लोकिन पाग पहिर अपना केर गौरवान्वित बुझैत छलाह तखन आजुक नौसिखुआ सब के की औकात ?

    ओ कह्लैने हौ बाऊ ब्रह्मण एकर विरोध किअक क रहल अछि से नहीं जानी मुदा जिनकर बाप दादा कहियो पहिर्बे नहीं केने हैथ हुनका त अवस्य ने असोहाथ बुझेतैन .
    ओहुना मिथिलाक गाम घर मे कहल जाइत अछि जे की " राअर केर सुख बले " .
     ·  ·  · 3 hours ago


    • 9 minutes ago ·  · 1

    • Ashish Anchinhar एहि पत्रिका केर सम्पादक महान ब्राम्हणवादी अम्लेन्दु शेखर पाठक अछि
      9 minutes ago via mobile ·  · 1

    • Umesh Mandal जगदीश प्रसाद मण्डल जीकेँ गौहाटी विद्यापति समारोहमे मुख्य अतिथि बनाओल गेलापर वैद्यनाथ बैजू आ अमलेन्दु शेखर पाठक आदि हंगामा केने रहथि, अमलेन्दु शेखर पाठक कहि रहल रहथि "सपनोमे नै सोचने हेतै", एकर वीडियो देखू www.purvottarmaithil.org पर



    रणजीत चौधरी
    Ashish Anchinhar
    अजित आजाद नहिये अखन धरि माफी मंगने छथि आ नहिये अखन धरि ऐ रणजीत चौधरीक आइ.डी.केँ प्रयोग वा सह देनाइ बन्ने केने छथि। एकर प्रमाण अछि जे एतेक बेइजत्तीक बादो ओ अपन "मिथिला अवाज" ग्रुपपर ऐ फेक द्वारा (नमस्कार मिथिला जेकरा फेक नै कहि रहल छथि, तँ प्रमाणित भेल जे ई तूनू मिलल छथि)मुन्नाजीक चोरि कएल गजल अखनो विराजमान अछि, ने ऐ फेक पर कोनो कार्वाइ कएल गेल छै। साबित भेल वा बाकी अछि? मुदा ई लोकनि माफी कोना मंगता। पहिने नवारम्भ पत्रिकामे त्रिकालज्ञक फेक आइ.डी.सँ अजित आजाद जे धंधा करै/ करबै छलाह से "मिथिला अवाज" मे रणजीत चौधरीक माध्यमसँ करबा रहल छथि। नमस्कार मिथिला जी, ऐ रणजीत चौधरीकेँ अहाँ चिन्है छिऐ ने, आ अजित बाबू सेहो चिन्है छथिन्ह, तखन ओ मुन्नाजीकेँ किए कहलखिन्ह जे ओ रणजीत चौधरीकेँ नै चिन्है छथिन्ह? की ई फेक आइ.डी. वा अहाँ सभक छाया मिइत्र मिथिला अवाज कार्यालयसँ ई कुकृत्य तँ नै कऽ रहल अछि?

    अमलेन्दु शेखर पाठकक आ बैजू आदिक कुकृत्यक वीडियो आब www.purvottarmaithil.org
    तकर बाद एकरा सभकेँ मंचपर सेहो बजाओल गेलै आ ई निर्लज्जतासँ टीक नुरियाबैत ओतऽ पहुँचल।


    रणजीत चौधरी नाम्ना एकटा फेक आइ.डी.द्वारा मुन्नाजीक गजल चोरि कऽ कए मिथिला अवाज ग्रुप (संचालक अजित आजाद) पर देल जा रहल अछि। हमरा शंका अछि जे ई फेक आइ.डी. अजित आजाद द्वारा द्वारा संचालित अछि वा ओकरा द्वारा सह देल जा रहल अछि


    रामदेव झाक मूर्ख बेटा विजयदेव झाक फोन नम्बरसँ उमेश मण्डलकेँ पठाओल एस.एम.एस.

    "गजेन्‍द्रक पोसुआ अपन परतर हमर परि‍वारसँ जुनि‍ करू बाउ आ फेसबुकपर जे नाटक क' रहल छी ओइसँ पैघ नाटक हमरा अबैए। कहबी छै फल्‍लाँ धोबीकेँ लूरि‍सँ बनल भगता मंडल अपन बापकेँ परतर आ तुलना ककरासँ क' रहल छी बाउ पहने फल्‍लाँ धो आउ तखन हमरा परि‍वारक योगदानपर चर्चा करब बाउ अपनेक पि‍ताकेँ कोना अकेदमी एवार्ड भेटल आब ओइपर अहाँ लेख पढ़ब बुरी रे लि‍खनाइ की होइ छै से हम सीखा देब।"

    महेन्द्र मलंगियाक मूर्ख बेटा ललित कुमार झाक हाथ जे रामदेव झाक मूर्ख बेटा विजयदेव झाक फोन नम्बरसँ उमेश मण्डलकेँ पठाओल ऐ एस.एम.एस. सँ सिद्ध होइए।

    "बहुत-बहुत धन्यवाद, समदिया पहिल बेर नीक समाचार सुनौलक हमरा, हमर एक हेराएल मित्र हमरा नाइजीरियासँ फोन केलनि, फूइसक खेती चालू रहय मण्डल"
    (+२३४८०३९४७२४५३नाइजिरिया  ललित कुमार झा) (विजयदेव झा  +९१९४७०३६९१९५)

    विजयदेव झाक ड्रग एडिक्ट बला भ्रष्ट-अशुद्ध अंग्रेजीमे पठाओल अभद्र ई-मेल, पैरवीसँ पास करैक निशानी


    Vijay Deo Jha

    Mar 19

    to Gajendra
    Dear,
    Sri Gajendra Thakurji I am writing you this mail in response to sustained campaign by your close group forming E-Samadiya and others including Umesh Mandal and one ghost lady Priyanka Jha against me that I obtained assignment from the Sahitya Akademi. I have attached scanned copy of the reply of Sahitya Akademi in this regard. Dear sir, as your supported E magazine had published the report of an RTI indicating my name one who has obtained translation assignment that you people propagated some sort of Wikileaks. Dear Sir, your energetic team did not apply its mind to ascertain the fact of the assignment and thereafter. Though during the debate I found your esteemed literary colleague Priyanka Jha down to the gutter--she had neither the manner nor mind to enter into a debate of literary kind. I rest this matter here. But I will like you to publish this letter and my  version with same prominence the way I was targeted. I don't have mail id and phone number of Shree Umesh Mandal and Priyanka Jha to reply them. I mailed you also because of the reason that you have been in touch with these two.

    Regards

    Vijay Deo Jha

    Jun 4

    to Gajendra
    Dear Sir,
    Please refer to my previous mail along with attachment. I had requested you to give space to my statement in you E Samadiya blog against libelous content published against me regarding taking benefit from Sahatiya Akademi. I understand that you have a busy schedule in politics of literature apart from your job. I understand that you people are prone to forget to repair mistakes and nonsense delivery of allegation. Sir let me be very specific that you had leveled certain charges against me and I made my reply along with official communication received from SA. Don't you think that you should act as a gentleman to publish my version and the letter to clear my stand. Sir I am frivolous and flippant kind of person rather I am a very no-nonsense kind of people. You must be wondering that I am chasing you like anything over a petty issue. The charges you leveled against me could be petty in your consideration but for me it a serious matter. I am amazed that how person like you who is calmouring to be maker of Maithili Literature has been behaving shamelessly. Some two and half month back I had sent you the mail with the request. I had sent mail to Umesh Ji also. Your silence suggests you people are standing nowhere on the integrity index and how a so called intellectual and writer like you can be third rate cheat. I am also looking for that fantastic lady Priyanka Jha. Hadn't she been a lady I would have given her piece of my mind. Sorry for being harsh but you have forced me to be so.      
    29 AUGUST 2012 09.15 PM मैं इस बात के लिए खेद प्रकट करता हूँ की मेरी वजह से आपका लीटर भर खून जल गया होगा. आप और आपके अनुचरों की भाषा उस तिलमिलाहट को दिखाती है वैसे मुझे बहुत सारे सज्जनों ने फोन पर आपसे मूह न लगाने की सलाह दी क्यूँ की आपने किसी को नहीं छोड़ा है सब को गाली दी है ऐसे में मैं क्या. छोड़िये इन बातों को, मेरा मेल आप खूब प्रकाशित कर रहे हैं आप. मैं ने आपको एक और मेल भेजा था हिंदी में क्यूँ की मेरी अंग्रेजी या तो बुरी है या फिर आपके समझ से बाहर है. वह मेल भी प्रकाशित करें हाँ लेकिन ईमानदारी होनी चाहिए क्यूँ की मेरे ड्रग एडिक्टेड टेक्स्ट को आप अपने करप्ट एडिटिंग के द्वारा अपने लायक बना देते हैं. मूल सवाल यह देखने में आया है की आप मेरे सवालों को अपने ब्लॉग और साईट पर जगह नहीं देते. अगर आप वह मेल प्रकाशित कर दें तो मुझ जैसे मुर्ख के असलियत के साथ साथ लोगों को आप जैसे महान इंटरनेटी फेसबुकिया साहित्यकार के असलियत का भी पता चल जायेगा. आप एक महान फेसबुक साहित्यकार हैं आपका बस चले तो मैथिली के सारे साहित्यकारों का संहार कर दें. अपने सभ्य तमीजदार टीम और उसके भाषा में बारे में क्या ख़याल रखते हैं गजेन्द्र सर. अच्छा है की लोग उन्हें भी पढ़ रहें हैं. एक बात तो है की अगर साहित्य अकादमी में मैथिली न होता तो आप जैसे पैसा पीटने वाले लोग साहित्यकार बनने की कोशिश नहीं करते. आप किसी साहित्य की सेवा नहीं कर रहे हैं. जब आदमी पैसा कमा लेता है तो उसे यश कमाने की भूख लगती है लेकिन वह पैसे से नहीं कमाया जा सकता है ना सर. मुर्ख हूँ आपके शब्दों में लेकिन है यह है पते की बात. सर बहुत सीधा सा सवाल पूछता हूँ की आप इतना बड़ा ढोंग कैसे कर लेते हैं मसलन घोर ब्रामहण विरोधी आदि आदि. यह जो जातिसूचक टाईटिल आपने लगा रखा है उसे तो पहले हटायें फिर जनेऊ हटायें फिर यह सब बाचन करें. यह बात मैंने आपको पिछले बार भी पुछा था जब आप प्रियंका झा बन कर हम से पेंच लड़ा रहे थे. मैं आप के किस रूप की पूजा करू आप कब किस रूप में दर्शन देते हैं श्रीमान यह बड़ा गंभीर तत्व ज्ञान का विषय हैं. श्रीमान यह बताएं की जब आपको यह दिव्यज्ञान प्राप्त हुआ था की आपको साहित्य में भी हाथ आजमाना चाहिए उस वक्त आपकी उम्र क्या थी? क्या मेरे पिताजी के उम्र से अधिक या उनके बराबर. जबाब देने से पहले सोच लें क्यूँ की मेरे पिताजी (आपके शब्दों में बाप, यह आपका तमीज है) और आपके पूजनीय पिताजी हमउम्र ही होंगे. यह आप तय करेंगे की मेरे पिताजी साहित्यकार हैं या नहीं या आपका वह गुमास्ता आशीष तय करेगा? अच्छा आप एक बात बताएं बुरा न मानें तो क्या आपलोग अपने पिताजी को बाप ही कहते हैं. एक काम करें अपना मूह उठायें और थूकें और देखें की थूक कहाँ गिरता है आपके चेहरे पर या सूर्य पर. कौन सा डिबेट आप कर रहे थे आप? आपको इस बात की जानकारी भी नहीं होगी की मैं आपका बहुत बड़ा प्रसंशक रहा था मेरे पास आप के द्वारा पंजी प्रथा पर काम किया गया अद्भुत सीडी है जिसे मैं लोगों को दीखता था. लेकिन आपने अपने टुच्चे हरकत से मुझे तो ज़लील किया ही मेरा विस्वाश भी तोडा की आप सही में आदरणीय हैं. मुझे क्या पड़ी है की किसको अवार्ड मिले लेकिन आपने मुझे अपने घटिया राजनीति का शिकार बनाया. मेरे लिए सारे साहित्यकार बराबर हैं और सम्माननीय क्यूँ की वह साहित्य की सेवा कर रहें हैं. मैं ने पिछली बार भी आप लोगों को तभी रोका और टोका था जब आप लोगों ने मायानादं मिश्र को गन्दी गन्दी गलियां दी थी. लेकिन गाली गलौज करते हुए आप उस सीमा तक चले गए जहां आप जाहिल नज़र आते हैं और मैं किस जाहिल से बहस कर रहा हूँ? किसी का अपमान ना करें और किसी पर गलत आरोप न लगायें. आश्चर्य है की आप ने मुझे क्यूँ साहित्य अकादमी के विवाद में घसीटा जब मुझे पता ही नहीं की क्या हो रहा है ? एक अच्छे और ज़िम्मेदार व्यक्ति की तरह मैं ने अपनी सफाई दी थी और यह आशा किया की आप मेरी बातों को भी रखेंगे. लेकिन आप ने ये क्या किया? सर जी घटियापन की एक हद होती है और आपका वह हद कहाँ ख़तम होता है और कहाँ शुरू वह बस आप बता सकते हैं. यह मेल मैं आपको उत्तेजित करने के ख़याल से कतई नहीं लिख रहा हूँ. आप इसे पढ़े और मनन करें की आप कैसे कैसे अपने इज्ज़त का बट्टा खुद ही लगा रहे हैं क्यूँ की आपके बारे में लोगों के विचार सुन कर मैं सकते में पड़ गया. यह जीवन आपका है इसके मालिक आप खुद हैं. मैं तो बस आपके लिए प्रार्थना कर सकता हूँ ऊपर वाला मेरी बात सुने. आप मेरे बड़े भाई की तरह हैं. और हाँ यह सब मैं आपके चापलूसी के लिए नहीं लिख रहा हूँ. स्वभावतः मैं लड़ाकू नहीं हूँ लेकिन लड़ने से पीछे नहीं रहता. सादर चरण स्पर्श आपका अनुज विजय (हाँ आपको मेरे मोबाईल लोकेसन को ट्रेस करने के लिए मेहनत नहीं करनी चाहिए आपका मेरे ऊपर आपका स्वाभाविक अधिकार है जो किसी साहित्यिक इज्म से ऊपर है. यह मेरा आपको,लिखा गया अंतिम मेल है)

    ऐ महानुभावक vijaydeojha@gmail.com मूर्खतापूर्ण मैथिली (अशुद्ध)
    १०.०९.२०१२
    उमेश भाई प्रणाम पता चलल अपनेक श्रीमती जी पूनम मंडल जी एक टा पोस्ट लगौलनी आचार्य सुरेन्द्र झा सुमन के पुस्तक के ऊपर जाहि में लिखल गेले शेमलेस ग्रेंड फादर आ शेमलेस ग्रैंड चिल्ड्रेन एडिटर ओ शंकर देव जी आ हमर नाना पर लिखल गेल. औ उमेश जी कनिया एतेक अंग्रेजी बुझइ  छथिन. कहाँ दन कनिया सेहो एडिटर छथिन यौ भाई कुल सुधरि गेल अहाँ के अपनों एडिटर कनियों एडिटर.  एडिटरे एडिटर. अहूँ के सौभाग्य होईत जे अहाँ अहाँ के कनिया आ अहाँ के पिताजी तिनु गोटे एकटा किताब के एडिटरी करितों. होऊ मौक़ा भेटत गजेन्द्र महाकाव्य रचु ओकरा नोबल पुरस्कार भेटतै कतबो संपादकी करब लोक ओही में उप उपसर्ग नहीं लागत. हौ जी एकटा बात कहू अहाँ सब अपन पिताजी के बाप कहै छीयनि ई एही दुवारे पूछल जे पोस्ट में अहाँ बाप लिखे छियई. हमरा स अलगे रहू नीक होयत अपन जे दुकानदारी चलाबय के हो से करू जे भुकय हो से करू हमरा कोनो लेना देना नै. जानकारी भेटल जे हम कोनो पत्रिका निकालि रहल छी सेहो अहाँ के बिरुद्ध में. हमर  औकात की आब ई रही गेल जे हम ई करी सेहो अहाँ के बिरुद्ध. साजिश बंद करू. किछु जानकारी भेटल जाहि पर हम बिना खोजबीन के विश्वास नहि करब जे अपनेक ग्रुप के एकटा सज्जन दरभंगा में ककरो ई समाद देलखिन जे ओ हमरा बरबाद क देता यदि ई सत्य त एही माउथ डायरिया स बची. हम कोनो फलनमा के भौजाई नै छीये. हम कहलों जे हमरा लड़ाई में कोनो रूचि नै लेकिन जखन लड़ब त अंगद जेना पैर रोपि देब. फिलहाल अहाँ के निस्तुकी मंगवा लेलौं पढ़ खातिर. अहांके पहिल पुस्तक हम पढ़ब. जखन हम पहिल बेर अहाँ स गप केने रही तखन नीक लागल रहै लेकिन अहाँ के चरित्र बाद खराब निकलल एकदम कुटिल बला. हमरा मजबूर नै करू ई प्रार्थना आ एकरा हमर कमजोरी नै बुझल जाय. जिनका कोनो गोटे के हमरा द कोनो संसय छनि आ हमर औकात के कम आंकि रहल होथि हुनका हम बता दियनि जे हम साक्षात् बरवानल छी. हाँ इक्षा हो तो ईहो मेल के पोस्ट क देबै. शब्द अपने येह इस्तेमाल करब देलक रामदेव के मुर्ख बेटा धमकी.  ई हमर अंतिम मेल  अहाँ के.
    प्रणाम
    पुनश्च खूब लिखू हम पढ़ब आ आनो पढय. साहित्य सद्यः सरस्वती के सेवा थीक आ अहाँ सरव्स्ती के गारि पढि क प्राप्त करय चाहै छी.

    सादर

    ई मूर्ख विजयदेव फेर ई-मेल केलक (लिखने छल जे उपरका ई-मेल ओकर अन्तिम ई-मेल छिऐ!!!)
    अपडेट २३.०९.२०१२

    "राड़केँ सुख बलाय" केर लेखक रोशन कुमार झा रामदेव झाक बेटा, विद्यानाथ झा विदितक जमाए आ चन्द्रनाथ मिश्र "अमरक" नैत शंकरदेव झा-विजयदेव झाक संग मिलि कऽ एकटा ब्लैकमेलिंग ब्लॉग ई-पत्रिका मातृभाषा शुरू केलक अछि। आपके द्वारा किये पोस्ट के आलोक में
    आदरणीय उमेश मंडल जी पति पूनम मंडल साकीन निर्मली गुमास्ता गजेन्द्र ठाकुर नमस्कार मिथिला जिसमे आप ने मेरा नाम दिया है वैसे मैं बता दूं की मेरे जानाकरी में मैं ऐसे किसी भी पत्रिका से नहीं जुड़ा हुआ हूँ. उसने आपकी भी पोलपट्टी खोली है. आपकी यह बेहूदगी भरी भाषा मुझे किसी ने बताया की यह तब से हो गया है जबसे आपने भागाल्पुरिया के यहाँ गुमास्ते का काम करना शुरू किया. इस पर दिए पोस्ट में यह कहा गया है की आप ने अपने पिताजी को आकाशवाणी से लेकर कवि सम्मलेन तक में प्रमोट करवाने के लिए क्या क्या नहीं किया और इसी क्रम में अमलेंदु जी से आपका विरोध हो गया. कृपया अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में बताएं. मुझे यह पता है की आप तुरंत ही मेरे मेल को अपने फसदिया ब्लौग पर डाल देंगे वह भी मुर्ख उपनाम के साथ. लेकिन हे विद्वान संपादक कवि साहित्यकार निबंधकार, आलोचक नाटककार   और जो कुछ मुझ से छूट गया हो वह अपनी तरफ से जोड़ लें. मामला बाद विवाद तक था जिसे आप लोग गाली गलौज तक ले गए अब यह सुनने में आया है की (मैं तहकीकात  कर रहा हूँ इस बारे में) की आपके आलाकमान ने दरभंगा के एक साहित्यकार के पुत्र को मेरे बारे में यह कहते हुए धमकी दी की वह मुझे बर्बाद कर देंगे. क्यूँ और कैसे? अगर यह सत्य है तो यह निश्चय ही गंभीर बात है. उमेश जी (सिस्ताचार के नाते जी शंब्द का इस्तेमाल कर रहा हूँ) मैं गांजा और स्मगलिंग का धंधा नहीं करता हूँ गुरु. और मैं पंकज पराशर भी नहीं हूँ. और जिनके घर सीसे के होते हैं वह दूसरों के घर पर पत्थर नेही फेका करते हैं  बेहतर है की मेरे ऊपर हाथ डालने से पहले मेरे अतीत का पता कर लें भविष्य बेहतर रहेगा. मैंने आपको कहा था की मैं आपको फिर से मेल नहीं लिखूंगा लेकिन आपने मुझे मजबूर किया है. मेरे लिखे को सह्त्यिक निबंध ना समझें यह सलाह है गंभीर. बेहतर होगा की आप अपनी भाषा संयमित रखें  वरना खुल्ला खेल फर्रुखावादी औरों को भी आता है.




    आशीष अनचिन्हारकेँ फेसबुक मैसेजपर सेहो ई मूर्ख विजदेव मैसेज केलक
    एखने हमर फेसबुक मैसेजमे रामदेव झाक मूर्ख बेटा विजयदेव झाक मैसेज आएल अछि जे हम बिना काँट-छाँटकेँ दए रहल छी। ऐ मैसेजसँ अहाँकेँ ई पता लागि जाएत जे कोना रामदेव झा आ हुनक दूनू बेटा मने विजय देव झा आ शंकर देव झा गारि बलेँ मैथिलीकेँ बहुत दिन धरि ब्लैकमेलिंग केलकै। संगे-संग हम ईहो कहए चाहब जे ऐ ब्लैकमेलिंगमे रामदेव झा आ हुनक बेटा संगे मोहन भारद्वाज, महेन्द्र मलंगिया, चेतना समीति आ आर किछु साहित्यकार सभ अनवरत सहयोगी रहल छथि। मुदा आब जे विदेह आंन्दोलन भए रहल अछि ताहिसँ घबड़ा कए ई सभ अभद्रता कए रहल अछि। मुदा आब से चलए बला नै छै। तँ पढ़ू हुनक मूल मैसेज----

    हे रे अशीषवा, गजेन्द्र के पोसुवा, पतचटवा औकात देख क बात कर बालगोविन्द जनामि क ठाड़ भेलौं ने की कहै जे छै नबका जोगी के गांडी में जट्टा


    Vijay Deo Jha
    Oct 29 (1 day ago)

    to Gajendra

    दू गो बात सर 
    गजेन्द्र बाबु हम अपने आ अपनेक रामचेलवा के कमेन्ट पढ़ल। नीक लागल जे हमरा अपने एडवाजरी बोर्ड में मेंबर हेबाक योग्य बुझल। चलू लागले हाथ हमहूँ अहाँ के महान साहित्यकार कहि देलौ। लेकिन एकटा बात हम कहि रहल छी आ एही बात के हम वीणा जी के सेहो कहबनि जे अपने पर मोनोग्राफ जरुर लिखल जाय। अपने बड़ पैघ आ महान साहित्यकार छी सरकार आ उत्तम किस्म के थेथर सेहो। कोन बुद्धिये पोस्ट में हमर नाम देलियई सरकार। आप भी सर हद्दे करते है सब चीज़ को कस्टम का माल समझ लिए हैं। और ई सब जो ढोंग करते हैं जाति वाला तो पहले अपना टाईटिल हटाईये। अपने बेटा के जनउ में जो लाख टाका बुके थे और बभना सब को खिलाये उसका हिसाब भी दीजिये ना और हम सब तुच्छ प्राणी को ज्ञान दीजिये प्रभु की जब आप सचमुच में जाति के विरोध में हैं तो बेटा के कन्धा पर धागा काहें टाँगे गुरु। मतलब पुरे मिथिलांचल में एक आप ही भगल्पुरिया कबिलाहा है ये सब पैतराफोकासी उमेश जैसे लोगों को दीजिये गुरु। और गजेन्द्र बाबु कुछ दिन पहले तक तो आपही अजीत आज़ाद जी को गरिया रहे थे अब दोस्तियारी कैसे हो गया। आप घिना दिए गुरु। इसको पोस्ट कर दीजियेगा एक दम लाइन बाई लाइन।       
    SATISH VERMA LIKHAI CHHATHI...Satish Verma Isi Bhagwa Shankardev jha ko maine bahut pahle apne lekh me khub lapeta tha. Darsal Agnipushp sampadit samvad patrika me Gujrat danga aur Narendra modi ke role par meri ek kahani chapi thi,jis par usne badi hi behuda tippani ki thi,jiska jawab maine rachna,darbhanga,vishwanathjee ke patrika ke jariye diya tha.shunt ho gaye the shankardev babu,aukat nap gayi thi unki.

    VINIT UTPAL..LIKHAI CHHATHI ..
    Vinit Utpal क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पर गरल हो, वह क्या जो दन्तहीन, विषहीन और अत्यंत सरल हो.गाली देब परम्परा अछि. जिनकर जेहन संस्कार, हुनकर मुंह से तहिने बोली.रचनात्मकता में जीवन अनुभव के बड़ रास योगदान होयत अछि. फेर संस्कार ते घर से भेटैत अछि. अशीषवा,पोसुवा, गांडी, जट्टा एहन शब्द अलंकारक प्रयोग करहिक अर्थ अछि जे अखनो लोक में आदिम संस्कार से जुडल अछि. ई सब शब्द साहित्य से दूर भ
    रहल अछि. ताहि सं विजयदेव झा सहित तमाम मैथिली से जुडल अहिने प्रबुद्ध लोक सें आग्रह जे अहां सब शब्दक संगे आओर एहिने शब्दक प्रयोग क मिथिलाक शब्दकोष के समृद्ध करल जाय. कियाकि तथाकथित ब्राहमणवादी साहित्यकार घर में ते एहन शब्दक प्रयोग करैत छथिन आ अप्पन नेना सभ के सिखाबैत अछि मुदा अप्पन लेखनी में प्रयोग
    नहि करैत अछि.
    रामदेव झा, शंकरदेव झा आ विजयदेव झा:ब्लैकमेलर फैमिलीक आज अखबारमे निकालल न्यूज

    रामदेव झा, शंकरदेव झा आ विजयदेव झा:ब्लैकमेलर फैमिलीक आज अखबारमे निकालल न्यूज 

    रामदेव झा, शंकरदेव झा आ विजयदेव झा:ब्लैकमेलर फैमिलीक आज अखबारमे निकालल न्यूज 
    रामदेव झा, शंकरदेव झा आ विजयदेव झा:ब्लैकमेलर फैमिलीक आज अखबारमे निकालल न्यूज आ
    wemaithils@gmail.com सँ स्पैम कएल गेल

    पूर्वपीठिका:


    -रामदेव झाक बेटा विजयदेव झा द्वारा फोन नम्बर +९१९४७०३६९१९५ सँ उमेश मण्डलकेँ धमकी

    -उमेश मण्डलकेँ देख लेबाक आ उठा लेबाक धमकी देलक विजयदेव झा

    -हालेमे साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कारमे प्रौढ़ साहित्यपर पुरस्कार ओकर पितयौत भाइ मुरलीधर झा केँ देल गेल, जकर घोर विरोध भऽ रहल अछि

    -विजयदेव झा गाड़ि-गलौज सेहो केलक



    -विजयदेव झा एक दिससँ सुभाष चन्द्र यादव, प्रियंका झा, प्रीति ठाकुर, प्रबोध नारायण सिंह, उदय नारायण सिंह नचिकेता, उमेश मण्डल, ज्योत्सना चन्द्रम, विभूति आनन्द, भीमनाथ झा, उषाकिरण खान, यात्री, शरदिन्दु चौधरी, सुधांशु शेखर चौधरी सभकेँ गरियेलक



    -ओ ईहो कहलक जे प्रीति ठाकुरकेँ बाल साहित्य पुरस्कार नै देल गेल, तेँ सभ विरोध कऽ रहल अछि, ऐसँ पहिने ओ फरबरीमे कहने छल जे जगदीश प्रसाद मण्डलकेँ मूल साहित्य अकादेमी पुरस्कार नै देल गेलै तँइ विरोध भऽ रहल अछि।


    -विजयदेव झा कहलक जे प्रीति ठाकुर, सुभाष चन्द्र यादव, नचिकेता, जगदीश प्रसाद मण्डल आ गजेन्द्र ठाकुर केँ ऐ जन्ममे ओ सभ साहित्य अकादेमी पुरस्कार नै प्राप्त करऽ देतै

    पीत पत्रकारिता

    रामदेव झा आ ओकर बेटा शंकरदेव झा/ विजयदेव झाक किरदानी- रामदेव झाकेँ उर्दू वर्णमाला नै अबै छन्हि मुदा साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार उर्दूसँ मैथिली अनुवाद लेल निर्लज्जतासँ लेलनि/ ई लेख सभ अही ब्लैकमेलर फैमिली द्वारा कबिलपुरक ब्लैकमेलर पत्र विद्यापति टाइम्समे छपल!! आ ईहो असाइनमेन्ट साहित्य अकादेमीक छी जैपर अही ब्लैकमेलर फैमिलीक आइ धरि कब्जा छल!!!

    रामदेव झा आ ओकर बेटा शंकरदेव झा/ विजयदेव झाक किरदानी- रामदेव झाकेँ उर्दू वर्णमाला नै अबै छन्हि मुदा साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार उर्दूसँ मैथिली अनुवाद लेल निर्लज्जतासँ लेलनि/ ई लेख सभ अही ब्लैकमेलर फैमिली द्वारा कबिलपुरक ब्लैकमेलर पत्र विद्यापति टाइम्समे छपल!! आ ईहो असाइनमेन्ट साहित्य अकादेमीक छी जैपर अही ब्लैकमेलर फैमिलीक आइ धरि कब्जा छल!!!

    रामदेव झा आ ओकर बेटा शंकरदेव झा/ विजयदेव झाक किरदानी- रामदेव झाकेँ उर्दू वर्णमाला नै अबै छन्हि मुदा साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार उर्दूसँ मैथिली अनुवाद लेल निर्लज्जतासँ लेलनि/ ई लेख सभ अही ब्लैकमेलर फैमिली द्वारा कबिलपुरक ब्लैकमेलर पत्र विद्यापति टाइम्समे छपल!! आ ईहो असाइनमेन्ट साहित्य अकादेमीक छी जैपर अही ब्लैकमेलर फैमिलीक आइ धरि कब्जा छल!!!