dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

गुरुवार, 30 जनवरी 2014

गजल

हेतै खतम गुटबाज बेबस्था
बनतै सभक आवाज बेबस्था

भेलै बहुत चीरहरणक खेला
राखत निर्बलक लाज बेबस्था

देसक आँखिमे नोर नै रहतै
सजतै माथ बनि ताज बेबस्था

मिलतै सभक सुर ताल यौ ऐठाँ
एहन बनत ई साज बेबस्था

"ओम"क मोन कहि रहल छै सबकेँ
करतै आब किछु काज बेबस्था

दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-लघु, दीर्घ-दीर्घ-लघु-दीर्घ, दीर्घ-दीर्घ प्रत्येक पाँतिमे एक बेर।

बुधवार, 29 जनवरी 2014

नरक निवारण चतुर्दशी


   आइ माघ मास कृष्ण पक्षक चतुर्दशी - देवाधिदेव महादेव केर प्रिय दिन, आइये देवता लोकनि परमपिता ब्रह्माजी सँ आदेश लय शिवकेर विवाह हेतु राजा हिमालय पुत्री गौरी संग कथा-वार्ता निश्चित कैल गेल छल। 

आजुक दिन अत्यन्त शुभ मानल गेल अछि आ एकर महत्ता बहुते पैघ छैक। मानव प्रजाति गार्हस्थ जीवनमे रहैत जे किछु पापाचार अनचोके केने रहैछ ताहि लेल क्षमायाचना आजुक दिन व्रत राखि करैत अछि। कर्म अनुरूपे फल भेटबाक बात मानव-संसारमे प्रसिद्ध छैक। तुलसीदासजी लिखैत छथि: 

कर्म प्रधान विस्व रचि राखा - जो जस करहिं सो तस फल चाखा।

अर्थात् एहि संसारमे जे कियो आयल अछि ओ निहित कर्म करबे करत आ तही लेल एहि संसारकेँ कर्मप्रधान मानल जाइछ, पुन: कर्म अनुरूप क्रियमाण, संचित ओ प्रारब्ध तीन तरहक फल पबैछ। हिन्दू धर्म-संस्कृतिमे जीवन पर्यन्त कर्मफलकेर जे किछु भोग छैक - तेकर अतिरिक्त मृत्युपरान्त सेहो कर्म अनुसार गति मानल गेल छैक। स्वर्ग आ नरक केर परिकल्पना ताहि लेल मानल जाइत छैक। सीधा शब्दमे पुण्यसँ स्वर्ग आ पाप सँ नर्क केर भोगक मान्यता छैक।

गार्हस्थ जीवनमे विभिन्न प्रकारक कर्म करैत अनचोके कतेको पापाचार होइत रहैत छैक। लेकिन दर्शनशास्त्र ओ वैदिक कर्मकाण्ड द्वारा एहेन तरहक पापक भोगकेँ मेटाबय लेल किछु व्रत ओ अनुष्ठान आदिक चर्चा आयल छैक। माघ कृष्ण चतुर्दशीक व्रत एहेन पापसँ मुक्तिकारक होयबाक चलते नरक-निवारण चतुर्दशी कहाइछ। आइ लोक दिन भरि उपास रखैत अछि। आजुक दिन शिव-परिवारक पूजनमे बेल आ तीर्थक जलसँ जलाभिषेक केर विशेष महत्त्व छैक।

मिथिलाक्षेत्रमे मकर संक्रान्तिसँ शुरु भेल शिवमठ पर दर्शन-पूजा, रवि-रवि मकर-मेला जेबाक प्रक्रियामे आइ चतुर्दशी दिन सेहो दर्शन-पूजापाठ लेल शिवमठपर जेबाक विशेष परंपरा छैक। लोक औझका व्रतक पारण लेल मठेपरसँ बेड फर आनैछ, संध्याकाल पारण करैत व्रत समापन कैल जाइछ। कतेक ठाम बेडक संग तील सेहो खाइत नरक निवारण चतुर्दशी व्रतक पारण करैत उपास खत्म करैछ। आजुक व्रत बाल्यावस्थासँ वृद्धावस्थामे रहनिहार सब कियो करैत अछि। मठ सबपर बड पैघ मेला सेहो लगैत छैक। प्राचिनकालसँ मिथिलामे एहेन समय घरक गृहिणी (नारीवर्ग) विशेष रूप सँ मठपर जाइत छथि आ नैहरा सहित अन्य सगा-सम्बन्धी सबसँ सेहो भेंटघाँट होइत छन्हि। कतेको रास वैवाहिक सम्बन्ध आजुक दिन मठेपर कनियां-निरीक्षणसँ पूर्ण होइत छैक। यैह कारण छैक जे संसारक लोकमे ई मान्यता छैक जे वैदिक विधान आ मिथिलाक लोकचर्या बहुत मिलैत छैक। 


गुरुवार, 23 जनवरी 2014

मिरनिसे के जन्म एक महत्वपूर्ण विषय

          सब स पहिने दिल्ली कार्यक्रम के ले तमाम मिरानीसे सेनानी के हार्दिक शुभकामना, मिथिला राज्य के लेल प्रयास जाहि स्तर पर मिरानीसे द्वारा सम्भव अछि शायद कोनो दोसर मंच सा सम्भव नहीं अछि, पिछला एक दू साल में जे कोनो कार्यक्रम, जन जागरण और धरना प्रदर्शन वा नेतागण नेतागण संग भेट वार्ता काबिलेतारीफ छल।


      आई मिथिला नहीं सम्पूर्ण देश और विदेशो में भी अलग मिथिला राज्य के मांग (मिरानीसे) द्वारा जे उठाओल जा रहल अछि से चर्चित अछि, संगहि एक टा बात (जे गंभीर अछि) जन समर्थन, और एक आवाज पर इकठ्ठा भेनाई महत्वपूर्ण अछि (उदाहरण : - जाई जगह जगह पर अपन मिरनिसे कार्यकर्ता प्रदर्शन करबाक लेल इकठ्ठा भेल डेल्ही पुलिस द्वारा हटा देल गेल और देश के सब स महत्वपूर्ण जगह पर १४४ के बाबजूद दिल्ली c. m द्वारा अपन समर्थक संग दू दिन तक भांगरा के कार्यक्रम भेल से पूरा देश देखलक और संगहि पुलिस और तमाम केंद्र सरकार के मंत्रीगण सेहो सहभागी भेल, कारण - धरना कोनो पार्टी प्रायोजित छल ताई लेल केंद्र सरकार सेहो अपन वोट के खातिर उपयुक्त कार्यवाई करय में हमेशा बचय के कोशिश कयलक) मतलब साफ अछि जे अगर धरना प्रदर्शन राजनीतिक होयत त सरकारो गम्भीरता स एक्शन लई छै ओना अगर कोनो आम धरना होयत ता याद आबैत अछि (बाबा रामदेव के रामलीला). अलग मिथिला राज्यक मांग शायद ही कोनो पार्टी एखुनका परिदृश्य में पूर्ण रूपेण समर्थन करत।
            भाजपा सांसद कीर्ति झा जी द्वारा समर्थन स्वागत योग्य अछि, 

एक टा सुझाव/निवेदन/जनाकांक्षा … जे किया नै मिरनिसे के एक राजनीतिक रूप देल जाय लगभग सब पदाधिकारी (मिरानीसे के) एक जन प्रतिनीधि के हिसाब सा कार्यरत छि और संगहि राजनीतिक परिवेश स छि ज्यादा तकलीफ नहि होयबाक चाही कारन राजनीतिक पार्टी के अपन एजेंडा होयबाक चाही जे मिरनिसे के जन्म एक महत्वपूर्ण विषय के पूरा करबाक लेल भेल अछि (अलग मिथिला राज्य) ई प्रमुख मुद्दा होयबाक चाही जन समर्थन जरूर जरूर भेटत। जमीनी स्तर पर हर मैथिल के अई संग्राम में सहभागिता लेल उत्साहित करबाक जरुरत अछि संगहि मिथिलांचल के हरेक गाव और शहर में सदस्यता अभियान चलेबाक जरुरत अछि.
         

           ओना बिना राजनीतिक भेने सेहो सफलता भेटइ छै मुदा शनैः शनैः (एक बात और अगर झारखण्ड, विदर्भ, तेलंगाना, पूर्वांचल या और कोनो राज्यक मांग गैर राजनीतिक होईत त शायद अहि पर कार्यवाई सम्भव नहीं छल, झारखण्ड, तेलंगाना बनी गेल शीघ्रहि विदर्भ और उ.प में सेहो छोट - छोट राज्य बनी जायत कियाक ता हर पार्टी अपन नफा नुकसान देखति कार्यवाई करैत अछि से त आहाँ सभ लोकनि ज्यादा समझदार/जानकार छी). 

अंत में - उपरोक्त विचार किछु ग्रामीण जनमानस और हमर अपन अछि हमर विचार स अगर किनको तकलीफ या ठेस पहुँचनि त हैम क्षमाप्रार्थी छी। — 


सोमवार, 20 जनवरी 2014

हमरा चाही मिथिला राज

जय मिथिला 
जय मिरानिसे
        

बस एक मात्र संकल्प ध्यान में , मिथिला राज्य होई संबिधान में.


   मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा आयोजित राष्ट्रिय संगोष्ठी में अपन उपस्थिति देनिहार हर मिथिला प्रेमी भाई बहिन के बहुत धन्यवाद। अपने सब के उपस्थिति इतिहास बनेलक। आगू और सक्रिय सहयोग के अपेक्षा मिरानिसे राखैत अछि।
कार्यक्रम के दू सत्र में नियोजित कैल गेल छल। प्रथम सत्र मिरानिसे के सांगठनिक संबोधन स सम्बंधित छल। 


मुंबई,गोहाटी,नेपाल और मिथिला क्षेत्र स आयल मिरानिसे के सदस्य अपन बात रखला। सब के केवल एक आवाज-हमरा चाही मिथिला राज। मिरानिसे स सहयोग केनिहार जे बहुत भाई किछु अपरिहार्य व्यस्तता के कारण नै आबि सकला हुनको आभासी उपस्थिति रहल।

   द्वितीय सत्र मिथिला राज्य के मुद्दा पर राजनीतिक एकीकरण लेल राखल गेल छल। दलगत भावना स ऊपर उठि के मिथिला राज्य लेल अपन प्रतिबद्धता सुनिश्चित करबाक समय मिरानिसे हर दल स सम्बद्ध राजिनितिग्य के देलक। इ कठोर सत्य अछि जे आमंत्रित वक्ता में स केवल बीजेपी के सांसद और विधायक गण न केवल अपन उपस्थिति दर्ज करेला बल्कि पुरजोर तरीका स मिथिला राज्य मांग के समर्थन केला। कांग्रेस ,राजद ,जेडीयू स गछ्ला बादो वक्ता नै आयला। निर्दलीय सदस्य पप्पू यादव सेहो सत्र के संबोधित केला। एहेन सांकेतिक घटना के बादो मिरानिसे अपन सूत्र वाक्य - समर्थन द रहल व्यक्ति के समर्थन आ विरोध क रहल व्यक्ति के विरोध - स एखन धरि सटल अछि।

   
 आदरणीय प्रभात झा जी आन्दोलन के लेल हर तरहक सहयोग देबाक वचन देला। भाई कीर्ति झा आज़ाद त मिथिला राज्य के लेल सदैव अपना स्तर स कार्य क रहला है। पुनः अपन जोशगर उदबोधन स नव उर्जा के संचरण केला। भाई गोपाल ठाकुर( विधायक बेनीपुर) ,भाई संजय सरावगी( विधायक दरभंगा शहरी) और भाई संजीव झा ( पूर्व विधायक सहरसा) सब तरहक सहयोग के वचन देला और कार्यक्रम के अंत तक रहि मिरानिसे के मान बढौला।

     

शेफालिका जी और कुमुद जी द्वारा सेहो मिथिला राज्य के समर्थन कैल गेल।
कार्यक्रम के दौरान मैथिली पुस्तक प्रदर्शनी के सेहो व्यवस्था छल। मिरानिसे के नवीन वेबसाइट mrns.in के सेहो लोकार्पण भेल। मधुबनी जिला परिषद् सदस्य भारत भूषण जी, बिजय झा भोला भाई आ मो. कलीम भाई द्वारा मिथिला राज्य के समर्थन कैल गेल।
कार्यक्रम के औपचारिक शुरुआत जय जय भैरवि के सामूहिक गायन और समाप्ति वन्दे मातरम द्वारा कैल गेल।

पुनः सब के कोटिशः धन्यवाद। जय मिथिला जय मिरानिसे

बस एक संकल्प ध्यान में , मिथिला राज्य होई संबिधान में

मिथिलानगरी नमस्तुभ्यं ,नमस्तुभयं मिथिलावासिने 
माता सीता नमस्तुभ्यं , जन्म भूमि - कर्म भूमि नमस्तुते !!

एही सभागार में बैसल समस्त मिथिला राज्यक माँग के समर्थित अतिथि, मित्र लोकनि एक बेर फेर अपने लोकनिकें संजय झा, नागदह निवासी आ मिथिला राज्य निर्माण सेना के तरफसँ स्नेह युक्त चरण रज जे अपने लोकनि एहिठाम राखल ताहि हेतु अपने लोकनि के हार्दिक अभिनन्दन आ स्वागत करैत छि.
हम अपने लोकनि के विशेष किछु नहीं कहब, कारन, हमर सबहक एही संगोष्ठी में राजनीतिक आ सामाजिक स्थिति पर प्रकाश देबाक वास्ते विशेष वक्ता लोकनि अपन  - अपन वक्तव्य सँ मिथिला राज्य आंदोलन के दिशा आ दशा के प्रकाशित करताह. हम सिर्फ एतवे कहए चाहब जे जाहि मिथिलासँ  न्याय दर्शन लिखल गेल ओकरे संग अन्याय होए ? दिशा हमर सबहक एखन धरि बाल्य अवस्था में अछि त दशा कि रहत ? 
बहुतो राज्य भारत में भाषा - विशेष के कारन बनल जाहि में आसाम त' प्रमुख अछि, ओना हमर आलेख -मिथिला राज्य क्यों ? मिथिला राज्य निर्माण सेना के वेब साईट डव्लू डव्लू डव्लू डॉट एम आर एन एस डॉट इन पर देल अछि पढ़बाक प्रयत्न करब.
जावत धरि मिथिला में एकटा आवाजक गूंज जे 'हमरा चाही मिथिला राज्य' के नहीं होएत तावत धरि दशा उपयुक्त नहीं होएत - तैं, दिशा जौं हमसब ठीक करब त अपने आप दशा ठीक होएत आ माँग स्वीकार करबा लेल सरकार बाध्य होएत. ओना मैथिल जौं एकमत भ' सिर्फ ठानि मैथ, त' सालक - साल समय लगबाक त बात दूर एक साल में राज्य भेट सकैत अछि - हमर मैथिल एतेक प्रबुद्ध त' छथिहे. एही पर प्रबुद्ध लोकनि के सोचबाक जरुरत छन्हि. कारन एहन कोनो पार्टी नहि, विभाग नहि, मंत्रालय नहि, जतय मिथिलाक पुत्रक वर्चस्व नहि हो. 
संगे - संग हम एकटा सम्बाद देबय चाहैत छि, जे चाहे कतहु राहु , कोनो देश में , राज्य में , गाँव में, जतय मातृभाषा लिखय या लिखवए पड़ैत अछि, मातृभाषा मैथिली लिखल आ लिखाएल करू.
समस्त मिथिला क्षेत्रक लोककें इ भावना जगबय पड़तनि जे हम मिथिला के छि - हमरा मिथिला राज्य चाही - कारन हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई - जे बसती मिथिला ओ मैथिल भाई. एही मंत्र सँ एकजूटताक मिशन तैयार कएल जाए.
दिल्ली, मुम्बई, यत्र - कुत्र , प्रवास में जे वास करैत छथि हुनका रोजगार छनि आ अपन मिथिला में किछु नहि.बहुतो मैथिल के माय बौआ के अयबाक आस लगेने रहैत छथि, प्रवास में एतेक जगह नै, ओतेक आय नहि, जाहि सँ सबके संगे राखी सकथि. मिथिला में सिर्फ  रोजगार नहि होबाक करने - दाय के श्राद्ध में, बाबा मरलाह तखन, मुंडन में, उपनयन में, विवाह में एही क्रम में कोनो ना गाम जा पबैत छथि आ बुजुर्गक  सेवा नहि क पबैत छथि - जाहि सँ  हमर सबहक बुजुर्ग के सेहो बहुत कष्टक सामना करय पड़ैत छनि. सोचु कि हमरा सबके मिथिलाक समग्र विकाश के संग - संग मिथिला राज्य चाही ने ? जाहि सँ अपन मातृभूमि आ अपन माय के गोद में रहि सकि.
बस एतवे आर किछु नहि बहुत वक्ता लोकनि छथिअपन - अपन विचार देताह - बस एकता बढ़ाऊ,
भायचारा बढ़ाऊ,वाज एक करू.

चाहे अहाँ रहु दिल्ली  मुम्बई,

 देशविदेशक कोनो कोण में ,

मैथिल भेटितेमैथिली बाजू टन मिठगर बोल में.
जाहि सँ आपस में लगाव बढ़ए  कड़ी सँ कड़ी जोड़ैत रहु-   

बस एक संकल्प ध्यान में , मिथिला राज्य होई संबिधान में.

धन्यबाद .
अस्तु !

संजय कुमार झा 'नागदह '
दिनांक : १९ जनवरी २०१४

शनिवार, 18 जनवरी 2014

संगोष्‍ठी - "मिथिला राज्य निर्माण आन्दोलन: दशा आ' दिशा"

संगोष्‍ठी - "मिथिला राज्य निर्माण आन्दोलन: दशा आ' दिशा" आयोजक : मिथिला राज्‍य निर्माण सेना -

एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे -

 मिथिला राज्‍य हो संविधान मे

 

स्‍थान : डिप्‍टी स्‍पीकर हॉल, कांस्टिट्यूशन क्‍लब (पटेल चौक मेट्रो स्‍टेशन सं नजदीक) नई दिल्‍ली। 


         मिथिला राज्य मांग के औचित्य के सब स प्रमुख आ आम जनभावना स जुरल एके टा कारण कि अगर मैथिलि के अस्मिता बचेबाक अइछ, अगर माँ मैथिलि के सम्मान के रक्षा चाहे छी, अगर मिथिलाक धरोहर के स्थापित कराय चाहैत छी, अगर मिथिलाक संस्कृति के जीवित रखे चाहैत छी, अगर मातृभाषा, मैथिलि साहित्य के आ मातृभाषा में शिक्षा के महत्व स्थापित करय चाहैत छी, अगर मिथिला में रोजगार के अवशर ठार करय चाहैत छी, अगर मिथिला के कृषि विकाश के प्रोत्साहित करय चाहैत छी, अगर मिथिला के संसाधन के सदुपयोग चाहैत छी त बिना मिथिला राज्य के सम्भव नई....पिछला ६५ वर्ष में जहा सरकार मिथिलाक उपेक्षा केलक तहिना मिथिलाक किछु स्वेम्भू नेता जी सब अपन गुणगान के प्राथमिकता आ एक दोषर के छीटा कासी संग आंदोलन के कमजोर केला. मिथिला राज्य वर्त्तमान के मांग नई आजादी के पहिने सॅ मांग होइत रहल. कोनो राज्य के मांग के लेल जतेक उचित आ जरुरी मुद्दा हेबाक चाही सब मिथिला राज्य के लेल प्रयाप्त नई बल्कि तहु सॅ बेसी उचित अइछ. 

मिथिला क्षेत्रक उपेक्षा आब किनको सॅ छुपल नई अइछ. आब अई लेल डेटा के जरुरत नई. इ बात 

-बिहार गीत में बिहार सरकार द्वारा मिथिला के उपेक्षा,
 
-केंद्रीय विश्वविद्यालय के मिथिला सॅ अन्तः स्थान्तरण,
 
-मैथिलि सिनेमा के कर मुक्त नई करब, 

-आई तक भारत के सम्मान बढेवा बल दरभंगा में हवाई अड्डा के सुचारु नई करब,
 
-पुनौरा धाम जे कि सीता के जन्म भूमि थीक ताहि संग समस्त मिथिला के धार्मिक स्थल के विकाश स मुह मोरब, 

-प्राथमिक शिक्षा में उच्चतम न्यायलय के आदेश के बादो मैथिलि के अनिवार्य नई करब,

-उर्दू आ बंगाली के लेल शिक्षक के बहाली मुदा मैथिलि के लेल कोनो सोच नई ,


एवं प्रकारे सदेव हर डेग पर मैथिलि के उपेक्षा.


जागु मैथिल जागु नई त पहचान मिटा जायत

https://www.facebook.com/events/240959019400154/?source=1 

मंगलवार, 14 जनवरी 2014

मकर संक्रान्ति - तिला संक्राइत - मिथिला लेल तिल-चाउर बहब!

मकर संक्रान्ति - तिला संक्राइत - मिथिला लेल तिल-चाउर बहब!

मकर संक्रान्तिके शुभ अवसरपर समस्त जनमानस लेल शुभकामना!
      
मकर संक्रान्ति के त्योहार मोक्ष लेल प्रतिबद्धता हेतु होइछ - निःस्वार्थ सेवा - निष्काम कर्म करैत मुक्ति पाबैक लेल शपथ-ग्रहण - संकल्प हेतु एहि पावनिक महत्त्व छैक।

जेना माय के हाथ तिल-चाउर खाइत हम सभ मैथिल माय के ई पुछला पर जे ‘तिल-चाउर बहमें ने..?’ हम सभ इ कहैत गछैत छी जे ‘हाँ माय! बहबौ!’ आ इ क्रम तीन बेर दोहराबैत छी - एकर बहुत पैघ महत्त्व होइछ। पृथ्वीपर तिनू दृश्य स्वरूप जल, थल ओ नभ जे प्रत्यक्ष अछि, एहि तिनूमें हम सभ अपन माय के वचन दैत तिल-चाउर ग्रहण करैत छी। एक-एक तिल आ एक-एक चाउरके कणमें हमरा लोकनिक इ शपथ-प्रण युगों-युगोंतक हमरा लोकनिक आत्म-रूपके संग रहैछ। बेसी जीवन आ बेसी दार्शनिक बात छोड़ू... कम से कम एहि जीवनमें माय के समक्ष जे प्रण लेलहुँ तेकरा कम से कम पूरा करी, पूरा करय लेल जरुर प्रतिबद्ध बनी।

आउ, एहि शुभ दिनक किछु आध्यात्मिक महत्त्वपर मनन करी:  
१. मकर संक्रान्ति मानव जीवन के असल उद्देश्य के पुनर्स्मरण हेतु होइछ जाहि सँ मानव लेल समुचित मार्गपर अग्रसर होयबाक प्रेरणा के पुनर्संचरण हेतु सेहो होइछ। धर्म, अर्थ, काम आ मोक्ष के पुरुषार्थ कहल गेल अछि - जे जीवन केर आधारभूत मौलिक माँग या आवश्यकता केर द्योतक होइछ। एहि सभमें मोक्ष या मुक्ति सर्वोच्च पुरुषार्थ होइछ। श्रीकृष्ण गीताके ८.२४ आ ८.२५ में दू मुख्य मार्गकेर चर्चा केने छथि - उत्तरायण मार्ग आ दक्षिणायण मार्ग। एहि दू मार्गकेँ क्रमशः ईशकेर मार्ग आ पितरकेर मार्ग सेहो कहल गेल छैक। अन्य नाम अर्चिरादि मार्ग आ धुम्रादि मार्ग अर्थात्‌ प्रकाशगामिनी आ अंधकारगामिनी मार्ग क्रमशः सेहो कहल जैछ।

उत्तरायण मार्ग ओहि आत्माके गमन लेल कहल गेल छैक जे निष्काम कर्म करैत अपन शरीर केर उपयोग कयने रहैछ। तहिना जे काम्य-कर्म में अपन शरीरकेँ लगबैछ, ताहि आत्माकेँ शरीर परित्याग उपरान्त दक्षिणायण मार्ग सऽ गमनकेर माहात्म्य छैक। उत्तरायण मार्गमे गमन केँ मतलब ईश्वर-परमात्मामे विलीन होयब, जखन कि दक्षिणायणमे गमन केँ मतलब कर्म-बन्धनकेर चलते पुनः जीवनमे प्रविष्टि सँ होइछ। मकर संक्रान्ति एहि मुक्तिक मार्ग जे श्रीकृष्ण द्वारा गीतामे व्याख्या कैल गेल अछि ताहि केँ पुनर्स्मरण कराबय लेल होइछ।  

२. सूर्यक उत्तरगामी होयब शुरु करयवाला दिन - जेकरा उत्तरायण कहल जैछ। अन्य लोकक लेल ६ महीना उत्तरायण आ बाकीक ६ महीना दक्षिणायण कहैछ।

३. पुराण के मुताबिक, एहि दिन सूर्य अपन पुत्र शनिदेवकेर घर प्रवेश करैत छथि, जे मकर राशिक स्वामी छथि। चूँकि पिता आ पुत्र केँ अन्य समय ढंग सऽ भेंटघांट नहि भऽ सकल रहैत छन्हि, तैं पिता सूर्य औझका दिन विशेष रूप सऽ अपन पुत्र शनिदेव सऽ भेटय लेल निर्धारित केने छथि। ओ वास्तवमें एक मास के लेल पुत्र शनिदेवके गृह में प्रवेश करैत छथि। अतः यैह दिन विशेष रूप सऽ स्मरण कैल जैछ पिता-पुत्रके मिलन लेल।

माहात्म्य: सूर्यदेव कर्म केर परिचायक आधिदेवता छथि, तऽ शनिदेव कर्मफल केर परिचायक आधिदेवता! मकर संक्रान्ति एहेन दिवसकेर रूपमे होइछ जहिया हम सभ निर्णय करैत छी हमरा सभकेँ कोन मार्ग पर चलबाक अछि - सूर्य-देव द्वारा प्रतिनिधित्व कैल निष्काम-कर्म (प्रकाशगामिनी) या फेर शनि-देव द्वारा प्रतिनिधित्व कैल काम्य-कर्म (अन्धकारगामिनी)।

४. यैह दिन भगवान्‌ विष्णु सदाक लेल असुरक बढल त्रासकेँ ओकरा सभकेँ मारिकय खत्म कयलाह आ सभक मुण्डकेँ मंदार पर्वतमे गाड़ि देलाह।

माहात्म्य: नकारात्मकताक अन्त हेतु एहि दिनकेर विशेष महत्त्व होइछ आ तदोपरान्त सकारात्मकताक संग जीवनक प्रतिवर्ष एक नव शुरुआत देबाक दिवस थीक मकर संक्रान्ति।

५. महाराज भागिरथ यैह दिन अत्यन्त कठोर तपसँ गंगाजीकेँ पृथ्वीपर अवतरित करैत अपन पुरखा ६०,००० महाराज सगरक पुत्र जिनका कपिल मुनिक आश्रमपर श्रापक चलतबे भस्म कय देल गेल छलन्हि - तिनकर शापविमोचन एवं मोक्ष हेतु मकर-संक्रान्तिक दिन गंगाजल सँ आजुक गंगासागर जतय अछि ताहि ठामपर तर्पण केने छलाह आ हिनक तपस्याकेँ फलित कयलाक बाद गंगाजी सागरमें समाहित भऽ गेल छलीह। गंगाजी पाताललोक तक भागिरथकेर तपस्याक फलस्वरूप हुनकर पुरुखाकेँ तृप्तिक लेल जाइत अन्ततः सागरमें समाहित भेल छलीह। आइयो एहि जगह गंगासागरमे आजुक दिन विशाल मेला लगैछ, जाहिठाम गंगाजी सागरमे विलीन होइत छथि, हजारों हिन्दू पवित्र सागरमे डुबकी लगाबैछ आ अपन पुरुखाकेँ तृप्ति-मुक्ति हेतु तर्पण करैछ।

माहात्म्य: भागिरथ केर प्रयास आध्यात्मिक संघर्षक द्योतक अछि। गंगा ज्ञानक धाराक द्योतक छथि। नहि ज्ञानेन सदृशम्‌ पवित्रमिह उद्यते! पुरुखाक पीढी-दर-पीढी मुक्ति पबैत छथि जखन एक व्यक्ति अथक प्रयास, आध्यात्मिक चेतना एवं तपस्या सऽ ज्ञान प्राप्त करैछ।

६. आजुक दिनकेर एक आरो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ भेटैछ जखन महाभारतक सुप्रतिष्ठित भीष्म पितामह एहि दिवस अपन इच्छा-मृत्युक वरदान पूरा करय लेल इच्छा व्यक्त कयलाह। हुनक पिता हुनका इच्छामृत्युकेर वरदान देने छलखिन, ओ एहि पुण्य दिवस तक स्वयंकेँ तीरकेर शय्यापर रखलाह आ मकर संक्रान्तिकेँ आगमनपर अपन पार्थिव शरीर छोड़ि स्वर्गारोहण कयलाह। कहल जैछ जे उत्तरायणमें शरीर त्याग करैछ ओ पुनर्जन्मकेर बंधन सँ मुक्ति पबैछ। अतः आजुक दिन विशेष मानल जैछ अन्य दुनिया-गमन करबाक लेल।

माहात्म्य: मृत्यु उत्तरायणके राह अंगीकार कयलापर होयबाक चाही - मुक्ति मार्गमें। ओहि सऽ पहिले नहि! आत्माकेर स्वतंत्रता लेल ई जरुरी अछि। एहिठाम उत्तरायणक तात्पर्य अन्तर्ज्योतिक जागरण सऽ अछि - प्रकाशगामिनी होयबाक सऽ अछि।

एहि शुभ दिनक अनेको तरहक आन-आन माहात्म्य सब अछि आ एहि लेल विशेष रुचि राखनिहार लेल स्वाध्याय समान महत्त्वपूर्ण साधन सेहो यैह संसारमे एखनहु उपलब्ध अछि। केवल शुभकामना - लाइ-मुरही-चुल्लौड़-तिलवा आ तदोपरान्त खिच्चैड़-चोखा-घी-अचाड़-पापड़-दही-तरुआ-बघरुआक भौतिकवादी दुनिया मे डुबकी लगबैत रहब तऽ मिथिलाक महत्ता अवश्य दिन-प्रति-दिन घटैत जायत आ पुनः दोसर मदनोपाध्याय या लक्ष्मीनाथ गोसाईंक पदार्पण संभव नहि भऽ सकत।

अतः हे मैथिल, आजुक एहि पुण्य तिथिपर किऐक नहि हम सभ एक संकल्प ली जे मिथिलाकेँ उत्तरायणमे प्रवेश हेतु हम सभ एकजूट बनब आ अवश्य निष्काम कर्म सऽ मिथिला-मायकेर तिल-चाउरकेँ भार-वहन करबे टा करब। जेना श्री कृष्ण अर्जुन संग कौरवकेर अहं समाप्त करय लेल धर्मयुद्ध वास्ते प्रेरणा देलाह, तहिना मिथिलाक सुन्दर इतिहास, साहित्य, संगीत, शैली, भाषा, विद्वता एवं हर ओ सकारात्मकता जेकरा बदौलत मिथिला कहियो आनो-आनो लेल शिक्षाक गढ छल तेकरा विपन्न होइ सऽ जोगाबी। जीवन भेटल अछि, खेबो करू... मुदा खेलाके बाद बहबो करियौक। मातृभूमि आ मातृभाषाक लेल रक्षक बनू। मिथिला मायकेर तरफ सँ तिल-चाउर हमहुँ खा रहल छी, जा धरि जीवन रहत ता धरि बहब, फेरो जन्म लेबय पड़त सेहो मंजूर - आ फेरो बहब तऽ मिथिलाक लेल बही यैह शुभकामनाक संग, मकर संक्रान्ति सँग जे नव वर्षक शुरुआत आइ भेल अछि ताहि अवसर पर फेर समस्त मैथिल एवं मानव समुदाय लेल मंगलकेर कामना करैत छी।

जय मैथिली! जय मिथिला!

ॐ तत्सत्‌!



प्रवीण चौधरी ‘किशोर’