dahej mukt mithila

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बुधवार, 29 अप्रैल 2015

सीता-नवमी

सीता-नवमी











एक समय के बात थिक
त्रेता युग में राजा छलथि शिरध्वज
समस्त मिथिला में परल छल अकाल

चारु दिशा मचल छल हाहाकार
प्रजा सभ छल हकासल उदास
यज्ञ, जाप, पूजा, होमादि होमय लागल
तखन राजगुरु शतानन्दजी देलनि आदेश 
गुरुक आज्ञानुसार शिरध्वज उठि
लेलन्हि कान्हपर हर विदा भेलाह खेत
बरद जोति हरमें बन्हलनि आँतर 
लागनि पकरिते शिराउर में अभरल
हरक नाश में मटकुरी लागल छल
तखने माय वसुन्धराक कोखिसँ
उत्पन्न भेलथि पद्महस्त लेने सीता
खिलखिलाइत हँसैत मटकुर सँ बहरेली
वैशाख शुक्ल पक्षक नवमी संगहि
शुभ मंगल दिन छलैक
उत्तर फाल्गुनी नक्षत्रक योग
समूचा नगर भरि मचि गेल शोर
खुशी सँ नगरवासी झूमय लागल
हुनकहि कंठ सँ निकसलि मैथिली
सुन्दर मिठगर मैथिली भाषा बोली
वैह छथि वैदेही, जानकी, मैथिली, सीता
हुनकहि छन्हि आई जन्मदिवस
आउ समस्त मिथिलावासी मनावी
हर्षोल्लासक संग धियाक सीता नवमी

मंगल शुभकामनाक संग-

 
अमरनाथ मिश्र' भटसिमरि
जय मिथिला जयति मैथिली

सोमवार, 27 अप्रैल 2015

जय माँ जानकी -

ॐ   द्यौ:   शान्तिरन्तरिक्षँ  शान्ति:     पृथिवी  शान्तिराप:   शान्तिरोषधय:    शान्तिः। 
वनस्पतये: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति: सर्वँ शान्ति: शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि॥ 

ॐ शान्ति: शान्ति: शान्तिः॥  

     य माँ जानकी  , 
मिथिला एक बेर भयंकर अकाल परि गेल,प्रजा सब मे हाहाकार मचि गलैक । चारु तरफ यग्ञ्य होम पूजा पाठ होमय लागल मुदा वर्षा नहि भेल तहन मिथिला नरेश राजा जनक अप्पन गुरू शतानन्द महाराज केर आग्या स हल चलायब शुरू कयलनि कहल जाइछ जे पुनैारागढ सीतामढी मे भूमि स हरक ठोकर स एकटा नवजात कन्या भेटलनि जनिकर नाम सीता,जानकी,वैदेही,मैथिली परलनि तकर बाद मिथिला मे खुब पानि भेल, राजा जनक सेहो मिथिला मे सीता के पाबि गदगद भेलाह विदेह रहितो सगुण रुप के अनुभूति मे आनंनदित भेलाह
  मिथिलावासी के लेल आजूक दिन अविस्मरणीय अछि । जानकी नवमी, मैथिली दिवस पर मातृभाषा के    समबर्द्धन करी
       माता सीता लक्ष्मीक अवतार छलीह।लक्ष्मी पद्मासना छथि आ' सीता पद्महस्ता।सीताक आँचर सुलटा छनि।सीतारामक मूर्ति सोझ होइत अछि।सीताक आयुध कहियो धनुष नहि रहलनि। उल्टा आँचर,धनुर्धरी,कैटवाक करैत माता सीताक दोखाह चित्रक प्रचार शास्त्र-बिरुद्ध अछि। कम सं कम दूटा दृष्टांत पर ध्यान दीः---
अथ लोकेश्वरी लक्ष्मीर्जनकस्य पुरे स्वतः।
शुभ क्षेत्रे हलोत्खाते तारे च उत्तर फाल्गुने।।
अयोनिजा पद्मकारा वालार्क शतसन्निभा।
सीतामुखे समुत्पन्ना वालभावेन सुंदरी।

  पद्म पुराण -  अर्थः---साक्षात् लक्ष्मी महर्षि जनकक नगरी मिथिला मे वैशाख शुक्ल नवमी शुभ मंगल दिन उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र मे शुभ क्षेत्र मे हर'क द्वारा उत्खनन सं अयोनिजा हाथ मे कमल रखने शताधिक बाल सूर्य केर सदृश उत्तरायण काल मे उत्पन्न भेली।(2)जानामि राघवं विष्णुं लक्ष्मी जानामि जानकीम् ।ज्ञात्वैव जानकी सीता मया नीता वनाद् बलात्।।-आध्यात्म रामायण।रावण द्वारा मंदोदरी केँ कहल गेल।अर्थ साफ अछि।कहबाक तात्पर्य जे बिना शास्त्रक मत जनने माता सीताक रूपक संबंध मे कृत्रिम वाद स्थापित करब आध्यात्मिक अपराध अछि।राजा जनक बहुतो भेलाह तहिना सब जनकक पुत्री जानकी कहबैत छथि मुदा, सीता ओ भेलीह जे हरक सिराउर सं प्रकट भेलीह।हमसब सीतानवमी मनबैत छी।चूँकि, सीता सेहो जानकी छलीह तेँ,हिनको लेल जानकी नवमी अनुपयुक्त नहि मुदा, मिथिलावासी सीतानवमी मनबैत छथि। सीतारामक निम्नांकित मूर्तिक पूजा शास्त्र सम्मत अछिः-

सीता माताक आरती.

सीता बिराजथि मिथिला धाम सब मिलिके करियनु आरती
संगहि सुशोभित लछुमन राम सब मिलिके करियनु आरती।।

बिपदा विनाशिनि सुखदा चराचर,सीता धिया बनि अयली सुनयना घर
मिथिलाके महिमा महान।। सब मिलिके करियनु आरती.....
सीता सर्वेश्वरि ममता सरोवर,बामा कमल कर दायाँ अभय वर
सौम्या सकल गुणधाम।। सब मिलिके करियनु आरती.....
रामप्रिया सर्व मंगलदायिनि,सीता सकल जगती दुःखहारिणि
करथिन सभक कल्याण।। सब मिलिके करियनु आरती...
सीतारामक जोड़ी अति मनभावन,नइहर सासुर कयलनि पावन
सेवक छथि हनुमान।। सब मिलिके करियनु आरती.....
ममतामयी माता सीता पुनीता.संतन हेतु सीता सदिखन सुनीता
धरणी सुता सबठाम।। सब मिलिके करियनु आरती..
शुक्ल नवमी तिथि बैशाख मासे, ”चंद्रमणि” सियाजीके उत्स


जय मिथिला जय जय मैथिली
जानकी नौमी के  हार्दिक शुभकामनाए -