dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

शनिवार, 29 नवंबर 2014

मैथिली मे बाज बला किछू प्रसिद्ध शब्द प्रस्तुत अछि:-

Kunal Thakur जी के  कलम सं -

 तीमन (vegetable), 
सोहारी (Bread),
रामतरोई (Ladyfinger) , भांटा (Brinjal),
भंसा घर' (Kitchen) , भानस (Cooking) ,
करछ (Serving spoon/Laddle),
चंगेरा (Flatten Bamboo Basket) ,
रही(Blender) , गीरनाई (Gobble),
झोर (Gravy) , संतोला (Orange),
सियो (Apple), लेमनचूस (Candy) ,
नून (Salt), करुआ तेल (Mustard oil) ,
आलू सन्ना ( Massed Potato) ,
खिच्चैर (Rice & Pulse cooked together) ,
गहुम(Wheat), खेरही (मूंग) ( green bean)
दाइल (Pulse), झौंसगर (Spicy),
झूर सोहारी (crispy bread) , बासन (Utensil),
घाईट (Gram Flour), नेमो (Lemon),
मूर (Radish), अल्हुआ (Sweat Potato),
माउस (Meat), कांट-कूस ( Fish),
ओरिका (Milk boiling tool made with coconut Shel),
फटोन (Cheese) ,
डाढ़ी (thick layer of milk cream accumulated in milk boiling pan)
औग्थान ( post mid night dinner)
जलखई(breakfast) , पैनपियाई (brakfast for labors),
तप्पत(very hot dish), भूजा(corn snacks) ,
कुच्चा(typical mango pickle),
पिरिकिया(barley made sweet snacks)
छिट्टा (bamboo Basket),
मौनी (Small Bamboo Basket), अर्नेबा (Papaya),
लताम (Guava)
टटीबा, फौतिबा, सरधुआ, अर्घासनवाला, जनिपिट्टा, धौंछी,निमझानी अहि सूंदर सुन्दर गैरिक अर्थ यदि किनको बुझल हुए तS अस्पस्ट करब!

रविवार, 23 नवंबर 2014

अप्पन हारल ककरा कहबई



कोमल मोन तन्नुक भाव ,
शब्द कठोर , गंभीर घाव |
दोसर सदिखन हंसी ऊडेतई,
मोनक बात जकरा कहबई |
अप्पन हारल ककरा कहबई-
बाज'य कथा सब अपने अपना ,
टूटय बरु आनक सुन्नर सपना  |
फाटल दोसर टांग अड़ाबई ,
एकरे त' सब रगडा कहबई |
अप्पन हारल ककरा कहबई -
भाऊ हिसाबे ,सिनेह देखाबई ,
गिरला उत्तर आँखि चोराबई  |
गेठी दाम नहि महल मोलाबई ,
एकरे दादीक फकरा कहबई  |
अप्पन हारल ककरा कहबई-
कियो पैघ नहि कियो छोट ,
थोड बहुत त' सब में खोट  |
बनि अप्पन जे सुनतइ बात ,
मोनक मीत तकरा कहबई  |
अप्पन हारल ओकरा कहबई  -- 









सादर : महेश झा 'डखरामी '

गुरुवार, 13 नवंबर 2014


  
नोटः मैथिली साहित्य परिशदक परिसरमे साक्षर दरभंगा द्वारा ओयोजित विद्यापति समोरह 2014 मे हमरा द्वारा पढ़ल गेल कविता।




कहबा ले बेटी कें सीता कहै छी
कोखिये मे मारै छी यौ-2
बेटी बिना कोना बेटा जनम लेत
से नहि सोचै छी यौ-2
बेटी जनम पर छाती पीटै छी
घर मे मातम मनाबै छी
बेटा जनम पर चानन केर लकड़ी-2
षोइरी मे अहां जराबै छी
बेटा कें अहां अपन मनै छी-2
बेटी कें आन बूझै छी यौ 
बेटी बिना कोना बेटा जनम लेत
से नहि सोचै छी यौ-2
बेटी थिक लक्ष्मी, सीता स्वरूपा
बेटी थिकी श्री राधा यौ
बेटी बिनु ई सृश्टि अधूरा-2
स्वंय नारायण आधा यौ-2
तैं जं बुढ़ारी मे ठेस नहि लागय 
बेटी बचाबू यौ-2
बेटी बिना कोना बेटा जनम लेत
से नहि सोचै छी यौ-2

   जनहित में  जारी ---

शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

शामा- चकेवा मोहत्सव शिव शक्ति सोसाएटी के द्वारा नॉएडा

शामा- चकेवा  मोहत्सव  शिव शक्ति सोसाएटी के  द्वारा   नॉएडा -
   
      लगातार सात वर्ष से कार्य - कर्म   के  पालन  करैयत शिव  शक्ति   सोसाईटी  फेर एक  बेर  अपन ज़ीमेबरी  के  निर्वाह करैयत   नॉएडा सेक्टर 71 मे  समा - चकेवा पर्व  मोह्होत्सव के  आयोजन विश्मभर ठाकुर  के  अध्यक्छता मे सम्पनय भेल  , जाहि में  मुखय अतिथि  संसद श्री महेश शर्मा  विधायक  बिमला नाथन के कर कमाल द्वारा दीप प्रज़ोलित करैत सभा के मनोरंजनक दिस  इसारा करैत   किसलय कृष्ण जी के माइक सुपूर्ति  कइल  गेलन  –

      मंच के  संचालन क्रिसलय कृष्ण जी करैयत सुनील झा पवन , हरीनाथ झा , रिचा ठाकुर , निशा झा , संगीता तिवारी ,कोसल किशोर  अनिल अकेला , जी के सानिध्य में  रंगा रंग कार्य करम - चालू  भेल - निशा  झा  के  समां -चकेव गीत सुनी  दर्शाक  खास क मई - बहिन  बहुत  रास  आनंद  उठेली ,

ओहिना  रिचा  ठाकुर  के  स्वमधुर सं निकलल समां चकेवा के  गीत  होय  या  भगवती  बंदना , श्रोता सुनी मन्त्र - मुग्ध  भगेला , तहिना सुनील जी के अहा - अहा- की  कहु कोना के  तुटलो मोती के हार , आ हैए तुमोल वाली  हे ये सुपौल वाली , एतेक  दर्शक  उत्साहित भेलाह  वर्णन  नै  क सकैत  छी ।  कहावत  कोनो खराप  नै  छैक  जनम  यदि  ली त  मिथिलेटा  में  ली  से हरिनाथ झा सावित केला १०३डिग्री बोखार रहैत  मंच पर ऐला , जेना लागल  जे  गामक हवा  संगे  लेक  ऑयल  छैथ - हेगै  बुधनी माय --- चल गए बच्ची गाम पर ---  जातेय   देखे  छी  ततय  बिहार -- सुनिक  दर्शक लोकनि  लोट  पोट भगेला ,


   संगीत मनोरंजन  समापन के  बाद  - मिथिला मैथिलिक मौलिक अधिकार भारतीय संघ  द्वारा , 
तकर  कलस यात्रा  जे १३ सेप्टेम्बर  २०१४ के साईं करुणा धाम सं सुरुवात  कइल गेल छल , ओहि  कलस  यत्रा  के  सुनील झा पवन जनजागरण  हेतु भर  उठेने छाला ओ भार मदन कुमार ठाकुर (विद्यापति गौरव मंच)  विद्यापति कालोनी जलपुरा ग्रेटर नॉएडा निवसी के सोपल गेलानिं  

सोमवार, 3 नवंबर 2014

देवोत्थान अर्थात देवता के जगेबाय वाला तिथि

देवोत्थान अर्थात देवता के जगेबाय वाला तिथि :
  
जे कियो एकादशी तिथि के भगवान विष्णुक पूजन अभिवंदन करैत छथि ओ समस्त दुख सौं मुक्त भs जन्म मरण के बंधन सौं मुक्त भs जैत छथि।
आई देवोत्थान एकादशी अछि ।
आई चारि मासक बाद भगवान् नींद सौं उठताह, तदर्थ अपने सभक हेतु भगवानकेँ उठेबाक मंत्र :-
ऊँ ब्रह्मेन्द्र रुद्रैरभिवन्द्यमानो भवान ऋषिर्वन्दितवन्दनीय:।
प्राप्तां तवेयं किल कौमुदाख्या जागृष्व-जागृष्व च लोकनाथ।।
मेघागता निर्मल पूर्ण चन्द्र: शरद्यपुष्पाणि मानोहराणि।
अहं ददानीति च पुण्यहेतोर्जागृष्व च लोकनाथ।।
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द! त्यज निद्रां जगत्पते।
त्वया चोत्थीयमानेन उत्थितं भुवनत्रयम्
विष्णु पुराणक अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी के हरिशयनी एकादशी कहल जैत अछि। अहि दिन भगवान विष्णु चारि मासक लेल क्षीरसागर में शयन करबाक लेल चैल जैत अछि।
चारि मासक बाद भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी के जगैत छथि।
ताही कारणे कार्तिक एकादशी के देवोत्थान अर्थात देवता के जगेबाय वाला तिथि के रूप में मानेबाक प्रचलन पौराणिक काल सौं अछि।
अहि एकादशी के तुलसी एकादश सेहो कहल जैत अछि।
अहि दिन तुलसी विवाहक सेहो आयोजन कयल जैत अछि।
आजूक दिन तुलसी जी केर विवाह शालिग्राम सौं कराओल जैत अछि ।
मान्यता अछि कि अहि तरहक के आयोजन सौं सौभाग्यक प्राप्ति होइट अछि ।
एहेन मान्यता अछि कि तुलसी शालिग्रामक विवाह करेला सौं ओहने पुण्य प्राप्त होइट अछि जे माता-पिता अपन पुत्रीक कन्यादान कs पबैत छथि ।
अहि वर्ष ई एकादशी 3 नवम्बर 2014 के दिन अछि।
एक गोट पौराणिक कथा अनुसार भगवान विष्णु भाद्रपद मासक शुक्ल एकादशी के महापराक्रमी शंखासुर नामक राक्षसक संहार विशाल युद्धक बाद समाप्त केने छलाह तs थकावट दूर करबाक हेतु क्षीरसागर में जाs सुइत रहलाह आ चारि मासक पश्चात फेर जखन ओ उठलाह तs ओ दिन देवोत्थनी एकादशी कहायल।
अहि दिन भगवान विष्णुक सपत्नीक आह्वान कय विधि विधान सौं पूजन करबाक चाही। अहि दिन उपवास करबाक विशेष महत्व अछि ।
अग्नि पुराण के अनुसार अहि एकादशी तिथि के उपवास बुद्धिमान, शांति प्रदाता व संततिदायक होइत अछि ।
विष्णुपुराण में कहल गेल अछि कि कोनो कारण सौं चाहे लोभ के वशीभूत भs, चाहे मोह के वशीभूत भs जे कियो एकादशी तिथि के भगवान विष्णुक पूजन अभिवंदन करैत छथि ओ समस्त दुख सौं मुक्त भs जन्म मरण के बंधन सौं मुक्त भs जैत छथि।
ओतहि सनत कुमार अहि एकादशीक महत्त्ता केर वर्णन करैत लीखैत छथि कि जे व्यक्ति एकादशी व्रत या स्तुति नहीं करैत छथि ओ नरकक भोगी होइत छथि। महर्षि कात्यायन के अनुसार जे व्यक्ति संतति, सुख सम्पदा, धन धान्य व मुक्ति चाहैत छथि हुनका देवोत्थनी एकादशी के दिन विष्णु स्तुति, शालिग्राम व तुलसी महिमा के पाठ व व्रत रखबाक चाही।
भागवतपुराणक अनुसार विष्णु केर शयन कालक चारि माह में मांगलिक कार्यक आयोजन निषेध होइत अछि।
शास्त्रोंक अनुसार श्रीहरि विष्णु अहि समय क्षीरसागर में शयन अवस्था में रहैत छथि तथा पृथ्वी अहि काल में रजस्वला रहैत अछि ।

Santosh Jha