dahej mukt mithila

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रविवार, 27 सितंबर 2020

जातिवादमे जकडाइत प्रदेश नं.२ : अनिष्टक संकेत

 

–मनोज झा मुक्ति

ओना नेपाल आ ताहुमे मधेशमे जातिपातिक राजनीति आइए आविकऽ शुरु नै भेलैय । अपनासबहकलेल ई कोनो नवका गप्प नई रहिगेल छै । एकसँएक अपनाके बुद्धिजीवी कहनिहार लोक जातिपातिक राजनीतिसँ अछुत नई रहिगेल अछि । किछु वर्ष पहिनेसँ नेपालेमे आ विषेश कऽ मधेशमे जातिपाति एकटा संस्कृतिकेँरुपमे बढैत जाऽरहल अछि ।

टोल सुधार समितिक चुनावसँ लऽकऽ माननीय आ माननीय सबमेसँ मन्त्रीधरिक चुनावमे जातीयता प्रतिष्ठाकरुपमे स्थान वनवैतगेल अछि । आर त आर चोरी,छिनरपन,अपहरण,गुण्डागर्दी लगायत निकृष्टसँ निकृष्ट काजमे जातीयताके ओतवे प्रवल समर्थनक मानिसिकता जाहि तरहें समाजक हरेक वर्ग,समुदायमे देखल जाऽरहल अछि, बहुत चिन्तनीय बात अछि ।

ओना मनुष्यक पहिचानमे जातीयता एकटा बहुत पैघ अवयव छै । सबगोटेके अपना अपना जातिपर गर्व करवाक चाही, मुदा कि अन्धभक्त भेनाई कतेक सही या वेजाय ? एहिपर चर्चा–परिचर्चा के शुरु करत आ कहियासँ ?

प्रदेश नं.२ मे किछुएदिन पहिने एकटा मन्त्रीद्वारा एकटा मन्त्रालयके सचिवके मारिपीटके घटना समाजिक संजालमे खुब चर्चा कमेलक । ओ काज निकृष्ट या उत्कृष्ट रहय तकर सामाजिक न्यायसँ बेसी एकसँएक विद्वानक पंक्तिमे अपनाके ठाढ कएनिहारसब सेहो अपनाके ब्राम्हण आ यादवके कित्तामे बँटवारा कएल देखलगेल । मन्त्री आ सचिवके मारिपीट त मात्र एकटा छोट उदाहरण अछि, एकटा छोटकोनो गल्ती या कमजोरी ककरो भेटवाक मात्र चाही  जातीवादके नंगा समर्थन या विरोध विशेषकऽ सामाजिक संजालमे शुरु भऽजाइत अछि ।

विचित्र त तखन बुझाइत अछि कि नीक काज कएनिहार कोनो जातिकलोकके जते सराहना नई होइत अछि, ताहिसँ बेसी खराब काज कएनिहार कोनो जातिक समर्थन या विरोधमे जातिक लडाकासब देखाइदेवऽलगैत अछि । अनेरे कुकर्मोके जाहि तरहें जातीवादके नामपर प्रश्रय जे भेटिरहल अछि ओ समाज,प्रदेश आ देशकलेल कोनो विषसँ कम नई अछि ।

समाज आ देशके सुधरवाक, परिवर्तन करवाक दिनराति चौक–चौराहासँ लऽकऽ सडक,सदन आ मिडियामे बजनिहार कथित बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता आ राजनीतिकर्मीसब जातियताक रंगदेवऽमे सबसँ आगु देखल जाऽरहल अछि । कि एहने परिवर्तनक पक्षधर हमसब छी ?

जतऽ जातिपातिक विष नई पनपल रहैछ, ओतऽ राजनैतिक दलसब जातिपातिक विषक वृक्ष दिनानुदिन रोपिते जाऽरहल अछि । मात्र आ मात्र जातिक भोंट लऽ,सत्ता प्राप्तीकवाद हमसब केहन रस्तापर देशके आगु बढवऽ चाहि रहल छी ? एकर जवाव ककरासँ पुछल जाए ?

जातिपातिक नामपर जाहि तरहें चोरके साधुक मुखिया बनाओल जएवाक काज भऽरहल अछि, केहन विधि आ व्यवस्थाके निर्माण कएल जाऽरहल अछि ? कि इएह आ एहने परिवर्तन हमसब समाजमे चाहि रहल छी जे सबजाति अपन अपन जाति जाहिगाम,टोल या मुहल्लामे अछि ओत्तहि जाऽकऽ वास करओ ? समाजक परिचय जे विविधिता रहल अछि, ओ समाप्त कएल जाए ? जँ, नहिं त मात्र भाषणमे विरोधक स्थान लैत आएल जातीवाद कहियासँ व्यवहारिकरुपमे समाजमे अपन स्थान बनाओत ? जतेक समय बितिरहल अछि, एकर प्रकोप ओतवे समाजमे देखाइ दऽरहल अछि । किया त एकर नाकारात्मक पक्षके पृष्टपोषकक संख्या दिनानुदिन बढिए रहल अछि । बौद्धिक आ सचेत वर्ग जातियताक नामपर पद आ प्रतिष्ठा आर्जन करवाक प्रतिस्पर्धामे लागल अछि आ राजनैतिक दल भोंटक लोभमे जातीवादके मलजल देवऽमे प्रतिस्पर्धी बनल अछि ।

आखिर कहियाधरि ई आगि समाजके मूल्य आ मान्यताके झरकवैत रहत आ समाजिकताके रक्ताम्य बनवैत रहत । आ विशेषकऽ प्रदेश नं.२मे जे जातियताके खेती जाहि तरहें वढैत जाऽरहल अछि, समाज, प्रदेश आ देशके महाभारी द्वन्द्वमे फँसवैत जाऽरहल अछि । जँ आइए आ एखनेसँ समाजक सऽभ वर्ग सचेत नईं होइजाएव त अपना घरक दुहारिपर कालके प्रतिक्षा करैत रहु, कखनो अपना चपेटमे लऽसकैत अछि ।

नीक आ बेजाय कएनिहार हरेक जातिमे होइत छैक । चोर,छिनार,डाकू आ हत्यारा एवम् भ्रष्टाचारीके कोनो जाति नहिं होइत छैक, ओ कोनो जातिक हुए ओकरा समाजसँ दुत्कारे भेटवाक जे हमरासबहक सामाजिक परम्परा रहल, तकरा पुनःसमाजिक प्रचलनमे लाएव आवश्यक अछि । जानकी सबके सदबुद्धि देथुन । समयमे सबके चेत खुलय ।


शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

Hamare desh ki samasya

 आइये मिलकर बढ़ती बेरोज़गारी के कारणों पर एक नज़र डालें... 


किसी बेरोज़गार से सवाल करो...

1. मजदूरी करोगे....? 

    - नहीं

2. दुकान पर काम करोगे..? 

    - नहीं

3. बाइक / कार का काम जानते हो..?

    - नहीं

4. बिजली मैकेनिक बनोगे...?

    - नहीं

5. पेंटिंग का काम आता है..?

    - नहीं

6. मिठाई बनाना जानते हो...? 

    - नहीं

7. प्राइवेट कंपनी में काम करोगे? 

     - नहीं... 

8. मूर्तियां, मटके, हस्तशिल्प वगैरह कुछ बनाना आता है? 

     - नहीं.

9. तुम्हारे पिता की ज़मीन है?

     - हाँ.

10. तो खेती करोगे ?

     - नहीं!!!! 


ऐसे 10 - 20 प्रश्न और पूछ लो जैसे - सब्ज़ी बेचोगे ? फ़ेरी लगाओगे? प्लम्बर, बढ़ई / तरखान, माली / बागवान, आदि का काम सीखोगे ??

      - सब का जवाब ना में ही मिलेगा।।


फिर पूछो...

11. भैया किसी  कला मे निपुण तो होगे...?

    - नहीं।। पर मैं B. A. पास हूँ , M.A. पास हूँ I    

      डिग्री है मेरे पास।।

12. बहुत अच्छी बात है पर कुछ काम जानते हो ? कुछ तो काम आता होगा सैकड़ों की संख्या में काम है ?

    - नहीं.  काम तो कुछ नहीं आता I😇


बताओ अब ऐसे युवा बेरोज़गार सिर्फ हमारे ही देश में क्यूँ है?

 क्योंकि हमारा युवा दिखावे की जिंदगी जीने का आदी हो गया है l यहां सबको कुर्सी वाली नौकरी चाहिए जिसमें कोई काम भी ना करना पड़े l ऐसा युवा सच में देश के लिए अभिशाप ही है l जहां अपनी आजीविका के लिए भी काम करने से हिचकिचाता है l

शर्म आनी चाहिए खुद की कमजोरी को बेरोजगारी का नाम देते हुए l

हर साल लाखों बच्चे डिग्री लेके निकलते है पर सच कहूँ तो सब के हाथ में काग़ज़ का टुकड़ा होता है हुनर नहीं l जब तक आप खुद में कुछ हुनर पैदा करके उसको आजीविका अर्जन में प्रयोग मे नहीं लाते तब तक ख़ुद को बेरोजगार कहने का हक़ नहीं है किसी का भी l

रही बात सरकारों की ये तो आती रहेंगी जाती रहेंगी कोई भी सरकार 100% सरकारी रोज़गार नहीं दे सकती l तो मेरे प्यारे देशवासियों, समय रहते भ्रामक दुनिया से निकलने का प्रयत्न करो और अपनी काबिलीयत के अनुसार काम करना शुरू करो l अन्यथा जीवन बहुत मुश्किल भरा हो जाएगा l

जापान और चाइना जैसे देशों में छोटा सा बच्चा अपने खर्च के लिए कमाने लग जाता है l और हम यहां 25-26 साल का युवा वर्ग केवल सरकारों की आलोचना करके समय की बर्बादी कर रहा है l कुछ नहीं होने वाला इनसे। कितने भी आंदोलन कर लीजिए किसी सरकार को कुछ फर्क़ नहीं पड़ने वाला l अंततः परिश्रम अपने आप को ही करना पड़ता है l 

किस्मत रही तो आपको भी जरूर सरकारी नौकरी मिलेगी l लेकिन सिर्फ इसके भरोसे मत बैठो l