dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

अनुचित केहन करै छी यौ


 ( भास - नचारी  )
अनुचित  केहन  करै  छी  यौ    ।
सोन सनक बेटा  जनमा  कउ
मूल्य   धरै   छी   यौ ----
अनुचित केहन -- सोन सनक - मूल्य ---

रावण एक  कनोलक  सीता
तकर दण्ड  वो  पौलक  ।
तिलक - वाण सँ  लाखो  बेटीक
प्राण    हरै    छी    यौ  ----
अनुचित केहन -- सोन सनक - मूल्य ---

लाख करोड़  टाका  गनबौलहुँ
जेवर   लेलौं     धराय   ।
मोटर साइकिल  चरपहिया लय  -
नित   झगड़ै    छी   यौ-----
अनुचित केहन -- सोन सनक - मूल्य ---

बेटीक  जन्म  हमर  मिथिला  में
भेल   अछि   अभिशाप  ।
निर्धन कन्यागत  केर जीवन -
ज्योति   हरै   छी   यौ  ॥
अनुचित केहन -- सोन सनक - मूल्य ---

"रमण"  सब सँ  हाथ  जोरि कय
कहलक    आई    पुकारि
अप्पन माहुर अपनहि खा कय
सब   मरै   छी   यौ ----
अनुचित केहन -- सोन सनक - मूल्य ---

रचैता -
 रेवती रमण झा " रमण" 
 मो -9997313751 

    समस्त पाठक गन सन  आग्रह  एक बेर ई विडियो लिंक जरूर देखि  ----
जय मैथिल - जय ----

मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

मिथिलाक गीत

मिथिलाक गीत

पग - पग  पर  हो  मिथिलाक गीत  ।
रमण    मनोरथ     प्रवल    पुनीत ॥
मनक    बात      ब्रहाणी     जानू    ।
आँगक  गति  - बिधि  शुभे बखानू  ॥
दर  - दर   ठोकर   खूबे   खयलहूँ    ।
रहलहुँ  रगड़ति  , बयस  बितयलहुँ ॥
नीके    लागल ,  कलम   धेने   छी   ।
यतन  गढ़ी - गढ़ी  कवित  केने  छी  ॥
मति - गति  नियति , लेल सब हेरि  ।
  दल -  दल   जीवन ,  देल   अवडेरि   ॥
नगर   -  डगर   नपिते    दिन  गेल  ।
हामहि  सब  किछु , किछु नञि भेल  ॥
कुमतिक   काल  - चक्र    बौरायल   ।
 रहितहूँ  सजग , सुदिन नञि आयल ॥
जीवन  जीलहुँ  , भेल नञि  सुकारथ ।
बैह   कार्य ,   जे  अछि    परमारथ    ॥
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रचैता  - रेवती रमण  झा "रमण "