।। मउहक ।।
रूचि सं जेमि लीय
रूचि सं जेमि लीय
सुनू लालन मोहन चितचोर
रूचि सं जेमि लीय ।। सुनू...
बनल अनोन जे किछु आहाँ पबियौ
काल्हि तरि देब व्यंजन तिलकोर ।।
रूचि सं.....
सारि सरहोजि चहूँ दिश बैसलि
ठाढ़ि सासू करै छथि निहोर
रूचि सं....
दूधक दाम माय पहिने गनौलनि
आब लटकल कथी लय अइ ठोर
रूचि सं.....
अछि,आबो अभाव बहिन के बेचू
हमरा भैया लगा दीय जोड़
रूचि सं.....
"रमण" ओझा लाज आबो लगाबू
भरि मिथिला में भय गेल शोर
रूचि सं जेमि लीय ।।
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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