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मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

मांगिते रहिगेलौ नइ देलौ आहाँ ।। गीतकार - रेवती रमण झा " रमण "

               || मांगिते रहिगेलौ नइ देलौ आहाँ ||
                                      

प्यार पावन वसन्तक उधारे रहल,
  मांगिते  रहिगेलौ  नइ  देलौ  आहाँ ।
  हम चितवन के उपवन में हेरि रहल,
  हे सुकन्या कहू ने कहाँ छी आहाँ ।।
                                               प्यार पावन........

पाँखि देलैन नइ हमरा विधाता हयै,
 पार  सात  समन्दर  में  ढूंढि  लितौ ।
 विधुवदनी  सुभांगी   सुनयना  सुनूं ,
    चान पूनम के बनि आइ आबू आहां ।।
                                           प्यार पावन.......

   चित लागल तय् लागल आहां सं कोना,
    जानि पौलहुं नइ  छन में  छनाके  भेलै ।
    मूक  नैनाक  भाषा  नइ  पढ़ि हम  पेलौ,
     एक  तूफान  दिल   में  द  गेलौ  आहाँ ।।
                                         प्यार पावन.......

     स्वर्ग भू पर कतौ  त  आहाँक प्यार अई ,
   "रमण"  बाकी जतेक सब  बेकार अई ।
    छी   प्रेमक   पुजारी   भिखारी    बनल,
      बुन्द  स्वाति वरषि   बनि आबू   आहाँ ।।
                                        प्यार पावन.......

गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "

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