उघारि लीय मुँह
उघारि लीय मुँह , हये घोघ वाली कनियाँ
ऐ चले छी आहाँ, ई हँसेया दुनियां ।।
जाने छी सब बात, बैसल छी घरे
देखै छी सबके , घोघक तरे
बाजे छी टन-टन जेना कि हरमुनियाँ
ऐ चले छी आहाँ----------------------
बाजे छी थोरबे , छोट मिरचाइ सन
देखै में चिक्कन, मुदा छी सलाई सन
लेसे छी चुप्पे , जे बुझत के दुनीयाँ
ऐ चले छी आहाँ -------------------
धोइल् अहाँ छी , आ सब मुसहरनी
सत्ती आहाँ छी , आ सब भेल चोरनी
"रमण" के धुनेंछी, जेना की धुनें धुनिया
ऐ चले छी आहाँ -----------------------
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "
उघारि लीय मुँह , हये घोघ वाली कनियाँ
ऐ चले छी आहाँ, ई हँसेया दुनियां ।।
जाने छी सब बात, बैसल छी घरे
देखै छी सबके , घोघक तरे
बाजे छी टन-टन जेना कि हरमुनियाँ
ऐ चले छी आहाँ----------------------
बाजे छी थोरबे , छोट मिरचाइ सन
देखै में चिक्कन, मुदा छी सलाई सन
लेसे छी चुप्पे , जे बुझत के दुनीयाँ
ऐ चले छी आहाँ -------------------
धोइल् अहाँ छी , आ सब मुसहरनी
सत्ती आहाँ छी , आ सब भेल चोरनी
"रमण" के धुनेंछी, जेना की धुनें धुनिया
ऐ चले छी आहाँ -----------------------
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "
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