|| सूखल नयन नयि नोरक धार ||
पथ हेरि वयस बितल गहि मोख
आँचर छूछ, विकल भेल कोख
भेल संताप सींथक सिंदूर
नई भल कैल, कंत मोर दूर
सरसिज सेज शूलहि सन भेल
जे भल हमर चित्तहि चलि गेल
शीतल समीर ताप तन लाग
की जग पैच भेटय भल भाग
"रमण" केहन दुर लिखल लिलार
सुखल नयन नञी नोरक धार
रचयिता
रेवती रमण झा"रमण"
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