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शनिवार, 27 अक्टूबर 2012

बिरजू क कनियाँ

                                                                                

भिनसरे स गावं में हल्ला अछि की,
बिरजू क कनियाँ  भाईग गेलै.
असोरा पर बैसल साउस,
बिख्खिन्न-बिख्खिन्न गाइर परहै छेलई.
इ अल्लछी दुइए साल में ,
हमर बेटा के खा लेलेक.
आब घर स भाइग क ,
हमर नाक कटा देलक .
अई बात पर ,
गावं क चौपाल पर बैसल किछु लोग मौन छला,
बनवारी क दोकान पर किछु छौरा ठिठियाइत रहै.
इस्कूल के मास्टर विद्यार्थी स कहलखिन,
तू सब जाक खेल .
किछु अबोध बालक नै बुझलक की ,
छुट्टी कियैक भेल .
बैसल खरिहान में किछु जनानी बतियाइत छलै ,
बिरजू क कनिया त एहन नै रहै .
 ओ त चूपचाप नोर पिबैत ,
साउसक गाइर सुनैत छलै.
भोर स राइत तक खटइत ,
कृशमलान ओ ,
पीड़ा क आइग में धधकैत छलै.
बिरजू क मरला क बाद ,
सब ओकरा अलच्छी कहै छलै,
ओकर मैओ नै ओकरा कहियो बजबै छलै .
साउस ननैद क व्यंग स ओ उकता गेलै.
किन्तु ओकर वेदना सुनै वला कियो नै छलै.
 जाइन परै या तै दुआरे ओ घर स भाइग गेलै .
सहनशक्तियों  के एक सीमा छई ,
सहतै त ओ  कते सहतै.
दोसर दिन मंगला भोरे पोखैर के घाट पर गेल ,
ओतुका दृश्य देख अचंभित भेल .
काठ ह्रदय मंगला क आइख भइर गेल ,
डगमगाइत थरथराइत ,
मंगला बिरजू क घर पहुचल .
नोरक समुंदर बहबैत,
पुतला जेना ठाड़ छल .
बिरजू क मैअ पुछ्लकई,
रौ बाज ने की भेलौ
कपकपाइत आवाज में ओकर मुहं स निकलल ,
बिरजू क कनियाँ क लाश पोखैर में अछि परल


नाम- रूचि गोस्वामी ,
मूल मधुबनी (सोहराय गावं )
पापा के नाम उदय चन्द्र झा ,पति के नाम -रवि गोस्वामी
नानी  गावं -तरौनी , 
वर्तमान में में गुजरात गांधीधाम में रहै छी,
अध्ययनरत छी.

3 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

उत्कृष्ट प्रस्तुति रविवार के चर्चा मंच पर ।।

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

अपन समाज में बाल विधवा के पुनर्विवाह सब सईं जरूरी परिवर्तन. बहुत जिनगी बर्बाद भ गेल अईछ एखन तैक. बढ़िया कविता.

MADAN KUMAR THAKUR ने कहा…

अहि दर्द भरल कविता सन , मन में बहुत कचोट उत्पन भेल , आखिर हमर समाज एहन बैमान कियक , जिनगी सबहक अमूल्य होइय्त छैक , ओही के बाबजूद , लोभ के चलत , आम इन्सान के कोनो मोजगारा नै , आखिर कियक , और कहिया धरी बदलत समाज ?