भिनसरे स गावं में हल्ला अछि की,
बिरजू क कनियाँ भाईग गेलै.
असोरा पर बैसल साउस,
बिख्खिन्न-बिख्खिन्न गाइर परहै छेलई.
इ अल्लछी दुइए साल में ,
हमर बेटा के खा लेलेक.
आब घर स भाइग क ,
हमर नाक कटा देलक .
अई बात पर ,
गावं क चौपाल पर बैसल किछु लोग मौन छला,
बनवारी क दोकान पर किछु छौरा ठिठियाइत रहै.
इस्कूल के मास्टर विद्यार्थी स कहलखिन,
तू सब जाक खेल .
किछु अबोध बालक नै बुझलक की ,
छुट्टी कियैक भेल .
बैसल खरिहान में किछु जनानी बतियाइत छलै ,
बिरजू क कनिया त एहन नै रहै .
ओ त चूपचाप नोर पिबैत ,
साउसक गाइर सुनैत छलै.
भोर स राइत तक खटइत ,
कृशमलान ओ ,
पीड़ा क आइग में धधकैत छलै.
बिरजू क मरला क बाद ,
सब ओकरा अलच्छी कहै छलै,
ओकर मैओ नै ओकरा कहियो बजबै छलै .
साउस ननैद क व्यंग स ओ उकता गेलै.
किन्तु ओकर वेदना सुनै वला कियो नै छलै.
जाइन परै या तै दुआरे ओ घर स भाइग गेलै .
सहनशक्तियों के एक सीमा छई ,
सहतै त ओ कते सहतै.
दोसर दिन मंगला भोरे पोखैर के घाट पर गेल ,
ओतुका दृश्य देख अचंभित भेल .
काठ ह्रदय मंगला क आइख भइर गेल ,
डगमगाइत थरथराइत ,
मंगला बिरजू क घर पहुचल .
नोरक समुंदर बहबैत,
पुतला जेना ठाड़ छल .
बिरजू क मैअ पुछ्लकई,
रौ बाज ने की भेलौ
कपकपाइत आवाज में ओकर मुहं स निकलल ,
बिरजू क कनियाँ क लाश पोखैर में अछि परल
मूल मधुबनी (सोहराय गावं )
पापा के नाम उदय चन्द्र झा ,पति के नाम -रवि गोस्वामी
नानी गावं -तरौनी ,
वर्तमान में में गुजरात गांधीधाम में रहै छी,
अध्ययनरत छी.
उत्कृष्ट प्रस्तुति रविवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंअपन समाज में बाल विधवा के पुनर्विवाह सब सईं जरूरी परिवर्तन. बहुत जिनगी बर्बाद भ गेल अईछ एखन तैक. बढ़िया कविता.
जवाब देंहटाएंअहि दर्द भरल कविता सन , मन में बहुत कचोट उत्पन भेल , आखिर हमर समाज एहन बैमान कियक , जिनगी सबहक अमूल्य होइय्त छैक , ओही के बाबजूद , लोभ के चलत , आम इन्सान के कोनो मोजगारा नै , आखिर कियक , और कहिया धरी बदलत समाज ?
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