dahej mukt mithila

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मंगलवार, 9 अक्टूबर 2012

वि‍देह वि‍चार गोष्‍ठी- आकाशवाणी दरभंगाक जातिवादी प्रवृत्तिक विरोधमे आ दसटा घोर जातिवादी परिवारक मैथिलीकेँ मारैक षडयन्त्रमे आकाशवाणी दरभंगा द्वारा देल जा रहल सहयोगक विरोधमे "विदेह गोष्ठी- सह कवि सम्मेलन" ७ अक्टूबर २०१२, स्थान, अशर्फी दास साहु-समाज महि‍ला इण्टर महावि‍द्यालय, निर्मली, सुपौल मे सम्पन्न (रिपोर्ट पूनम मण्डल)

वि‍देह वि‍चार गोष्‍ठी एक झलक-
आकाशवाणी दरभंगाक जातिवादी प्रवृत्तिक विरोधमे आ दसटा घोर जातिवादी परिवारक मैथिलीकेँ मारैक षडयन्त्रमे आकाशवाणी दरभंगा द्वारा देल जा रहल सहयोगक विरोधमे "विदेह गोष्ठी- सह कवि सम्मेलन" ७ अक्टूबर २०१२, स्थान, अशर्फी दास साहु-समाज महि‍ला इण्टर महावि‍द्यालय, निर्मली, सुपौल मे सम्पन्न भेल। लोकमे अपार उत्साह देखल गेल।
ई तथ्य सोझाँ मे आएल जे मैथिलीक पहिल जनकवि आ मैथिलीक भिखारी ठाकुरकेँ सेहो डेढ़ साल पहिने फॉर्म भरबाओल गेलन्हि मुदा आकाशवाणी दरभंगा द्वारा कोनो सूचना तकर बाद नै देल गेलन्हि। ओ कहलन्हि जे  आकाशवाणी दरभंगा बाहर देबालपर "झारू" साटि देबाक मोन होइए।

आकाशवाणी दरभंगा मैथिलीक जातिवादी रंगमंच आ साहित्यक प्रसारक आ प्रचारक बनि कऽ रहि गेल अछि।


वि‍देह वि‍चार गोष्‍ठी एक झलक-
शंभू सौरभजी कहलनि‍- हक-अधि‍कार आ कर्तव्‍यक संग लड़ाइ लड़ू तखन जे खोजि‍ रहल छि‍ऐ ओकर प्राप्‍ति‍ अवस्‍स हएत।
वीरेन्‍द्र कुमार यादवजी कहलनि‍- अपनामे एकता हेबाक चाही। तखने अधि‍कारक प्राप्‍ति‍ भऽ सकत। ओइ वर्गक लोक अपना सभकेँ सदि‍योसँ ठकि‍ रहल अछि‍।

रामदेव प्रसाद मण्‍डल ‘झारूदार’- अपना संग भेल दरभंगा रेडि‍यो स्‍टेशनक फुसलाओल कथा वि‍स्‍तारसँ सुनेलन्‍हि‍।

राहुल कुमार, बजलाह- अपने सभ एकता करू आ हम सभटा-युवा क्रांति‍कारी अहाँ सबहक संग छी। अधि‍कार प्राप्‍ति‍ करबाक लेल जे करए पड़तै हम सभ संग रहब।

राम वि‍लास साहुजी कहलनि‍- मात्र सात प्रति‍शत लोक मैथि‍ली वि‍कासक हेतु अर्थात मि‍थि‍लाक साहि‍त्‍यि‍क वि‍कासमे जे कोनो सरकारी वा गैर सरकारी संस्था सभ अछि‍ तइपर कब्‍जा केने अछि‍। जे बि‍लकुल अनुचि‍त अछि‍, अनुचि‍त ई जे तखन तँ समुचि‍त वि‍कास तँ नै हएत। जखन कि‍ सामुहि‍क वि‍कास आवश्‍यक अछि‍।

मनोज कुमार साहु कहलनि‍- अपने सभ अपन लेखनीक तागति‍केँ आओर बढ़ाउ आ तखन अधि‍कार प्राप्‍ति‍क लेल संघर्ष करू सफलता अवस्‍स भेटत, ई हमर शुभकामना।
कपि‍लेश्वर राउत कहलनि‍- दरभंगा रेडि‍यो स्‍टेशनक जाति‍वादी बेवस्‍था अवि‍लम्‍ब हटबाक चाही। वास्‍तवमे तखने  मि‍थि‍लाक वि‍कास हएत। जगदीश प्रसाद मण्‍डलकेँ जे टैगोर लि‍टरेचर अवार्ड भेटलनि‍, जे मैथि‍ली लेल पहि‍ल अछि‍; से समाचार नहि‍येँ कोनो दैनिक अखबार (दरभंगा-मधुबनीक)मे छपल आ ने आकाशवाणीयेमे। जे बहुत कि‍छु कहि‍ रहल अछि‍।

नंद वि‍लास राय- मैथि‍लीक नामपर जे कोनो फंड सरकार द्वारा देल जाइए ओ मात्र मुट्ठी भरि‍ लोकक बीच रहि‍ जाइए। माने तेकर फैदा खाली दस प्रति‍शत ब्राह्मणेटा उठबैए। आेतबे नै, चौक-चौराहापर मि‍थि‍लाक मान-प्रति‍ष्‍ठा मात्र भोजनेकेँ कहैत रहैए।

कृष्‍ण राम कहलनि‍- समाजकेँ खण्‍ड-खण्‍ड कऽ वर्णवादी बेवस्‍थाक तहत बाभन सभ बाँटि‍ कऽ बेवसाय कऽ रहल अछि‍।’ एकर अति‍रि‍क्‍त बहुजन समाजक संघर्षक चर्च सेहो कएलनि‍।
हेम नारायण साहु कहलनि‍- मात्र मुट्ठी भरि‍ लोक अपन आधि‍पत्‍य कायम केने अछि‍ आ एमहुरका लोक सभकेँ गप-गप दऽ दऽ आ पूजा-पाठ करा कऽ आर्थिक आ मानसि‍क लूट करैत रहल अछि‍। ओ सभ रूपैयाक लेल जे-नै-सेहो कऽ सकैए आ कऽ रहल अछि‍।

राम प्रवेश मण्‍डल बजलाह- हम सभ जगबाक प्रयास कऽ रहल छी आ बूझू जे जागि‍ गेल छी। आब नि‍श्चि‍त अपन अधि‍कारकेँ पाबि‍ लेब।

वीपीन कुमार कर्ण कहलनि‍- जहि‍ना माताकेँ सम्‍मान हेबाक चाही तहि‍ना मैथि‍लीकेँ सेहो। एते दि‍न अपना सभ बूझू जे भाषाकेँ भरना लगा देने रहि‍ऐ आब ओ छोड़बैक समए आबि‍ गेल अछि‍। कथनी आ करनीमे अंतर खाली नै हेबाक चाही।

कवि‍ उमेश पासवान- बाभन सभ मैथि‍लीकेँ कद्दै जकाँ धेने अछि‍। लेकि‍न आब हमरा सभ छोड़बै नै ढावक जकाँ दौग कऽ जेबै आ छोड़ा लेबै। खाली अपना सभमे एकटा हेबाक चाही।
श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल- कि‍छुये लोकक ई कि‍रदानी अछि‍ जे मात्र बोलि‍येपर काज चला रहल अछि‍। देखबै जे मक्कै खेतमे ऊचका मचान बना कऽ नेंगराे-लुल्‍हाकेँ ओइपर बैसा‍ बजबबैत रहैए जे हैआ आबए दे,  के छि‍अँ रौ, अखने देखा दइ छि‍औ, रूक....। अर्थात् टि‍टकारी दैत रहल छथि‍। मात्र एक धक्का देबाक जरूरति‍ अछि‍। परि‍णाम सामने आबि‍ जाएत आ समाजक वि‍कासक असली आ बुनि‍यादी रास्‍ता सबहक सोझामे आबि‍ जाएत मि‍थि‍लाक चि‍न्‍तन पंचदोवोपासनाक रहल अछि‍। कोनो साधारण चि‍ंतन नै।

नाटककार बेचन ठाकुर : कि‍छुए लोक मैथि‍लीकेँ बपौती सम्‍पति‍ बूझि‍ शब्‍दजालमे फसा कऽ लूट कऽ रहल अछि‍। जे हर बहए से खढ़ खाए आ बकरी खाए अचार। एहि‍ना आरो बहुत कि‍छु कहलनि‍।
उमेश मण्‍डल- ब्राह्मणोमे सभ ब्राह्मण ऐ खेलमे शामील नै छथि‍ मात्र पाँचसँ दस प्रति‍शत लोक ई कारनामा मैथि‍लीक संग कऽ रहल छथि‍। अोहुँमे माने ब्राह्मणोमे वंचि‍त साहि‍त्‍य-प्रेमी सभ्‍ा छथि‍। खाली ऐ पेंचकेँ बुझबाक अछि‍ आ तइपर धक्का लगेबाक अछि‍। मणि‍पद्मम आ हरि‍मोहन झाक साहि‍त्‍यक अखन तक जे मूयांकण भेल से संबंधि‍त वि‍चारधाक पहि‍चान छी...‍।

अच्‍छेलाल शास्‍त्री कहलनि‍- संगठन हेबाक चाही तखने अधि‍कारक प्राप्‍ति‍ भऽ सकत; ऐ जगमे के नै जनैए बाभनक कारनामा।

कवि‍ उपेन्‍द्र नारायण अनुपम- लक्ष्‍यपर पहुँचि‍ रहल छी आ पहुँचबे करब।

संचालक द्वय श्री पवन कुमार साह आ दुर्गानंद मण्‍डल- मंच संचालनक क्रममे अपन उद्गार व्‍यक्‍त करैत कहलनि‍, एहेन-एहेन वि‍चार गोष्‍ठी मासे-मास हेबाक चाही। मि‍थि‍लाक वि‍कासक बाधापर बहुत रास जाति‍वादी मुद्दा अछि‍ जेकरा जँ साहि‍त्‍यकार-वि‍द्वान नै बुझताह तँ के....?

अध्‍यक्ष राजदेव मण्‍डल- संवंधि‍त वि‍षयपर अर्थात् ‘आकाशवाणी दरभंगाक जातिवादी प्रवृत्तिक विरोधमे आ दसटा घोर जातिवादी परिवारक मैथिलीकेँ मारैक षडयन्त्रमे आकाशवाणी दरभंगा द्वारा देल जा रहल सहयोगक विरोधमे’ पर सभ वक्‍ताक वक्‍तव्‍य सुनलौं। ऐपर सामुहि‍क वि‍चार करैत वैधानि‍क तरि‍कासँ डेग उठाएब आवश्‍यक अछि‍। वि‍कासक क्रम तखने सोझराएत। नै तँ....!!!!!


कवि‍ सम्‍मेलनक एक झलक-

प्रेम आदि‍त्‍य कुमार- उपेदसात्‍मक कवि‍तक पाठ केलनि‍।
वीपीन कुमार कर्ण- भारत ि‍नर्माण केना भऽ रहल अछि‍ आ केना हेबाक चाही तकरा उजागर करैत कवि‍ताक पाठ केलनि‍।
शंभू सौरभ- लोक गीत सुना दर्शक दीर्घाक लोट-पोटक स्‍थि‍ति‍ बनौलनि‍। गुरु जीक चि‍त्र हुनक कवि‍तामे देखल गेल।
रामदेव प्र. झारूदार- प्रदूषणसँ मुक्‍ति‍ लेल वृक्षा-रोपन कार्यक्रमपर बल दैत कवि‍ताक पाठ केलनि‍।
दुगानंद ठाकुर- वर्षा कतए चलि‍ गेल...। तइ कारण फसि‍लक केहेन दुर्गति‍ भऽ गेल...। अपना कवि‍ताक माध्‍यमसँ रखलनि‍।
कवि‍ उमेश पासवान- कतए हरा गेल छी यौ भाय सभ; कतए हरा गेल छी।’ कहैत भाव-वि‍ह्वल भऽ गेलाह।
कवि‍ नंद वि‍लास राय- बेटी वि‍आहमे कतेक समस्‍या उत्पन्न होइए तेकर नीक चि‍त्र अपना कवि‍ताक माध्‍यमे रखलनि‍।

पलल्‍वी कुमारी- जगदीश प्रसाद मण्‍डल लि‍खि‍त गीतांजलिक साभार करैत जुग-जुग आस लगेने मैइये शीत रौद चटैत एलौं... गीत गौलनि‍।
अच्‍छेलाल शास्‍त्री- घर-घरमे दुख अछि पसरल‍, ऐ दुखमे केना लुटनाहार लूटि‍ रहल अछि‍ तेकर चि‍त्रण केलनि‍।
बेचन ठाकुर- अखुनका समैक वि‍चि‍त्रताक वर्णक अपना कवि‍ताक माध्‍यमे केलथि‍।
हेम नारायण साहु- हि‍नक कवि‍तामे केहेन-केहेन जुलुम भऽ रहल अछि‍ तकर साफ-नि‍च्‍छल चि‍त्र आएल।
राम वि‍लास साहु- रौदीक वर्णक करैत सामाजक आडम्‍बरी सबहक चि‍त्रांकण केलनि‍।


कवि‍ कपि‍लेश्‍वर राउत, राजदेव मण्‍डल, जगदीश प्रसाद मण्‍डल, पवन साह, दुर्गानन्‍द मण्‍डल इत्‍यादि‍ कवि‍क कवि‍ताक वि‍वरण शीघ्र देल जाएत.....
तत्‍खनात एतबए....



















































































































































































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