dahej mukt mithila

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रविवार, 25 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

                            गजल
जगमे आब नाम धरी नहीं रहिगेल  इन्सान
मानवताकें  बिसरल  मनाब  भS गेल सैतान 

स्वार्थलोलुप्ता  केर  कारन  अप्पनो बनल आन
जगमे नहीं कियो ककरो रहिगेल भगवान

धन  सम्पतिक खातिर लैए भाईक भाई प्राण
चंद  रुपैया  टाका  खातिर भाई भS गेल सैतान 

अप्पने सुखमे आन्हर अछि लोग अहिठाम
अप्पन बनल अंजान दोस्त भS गेल बेईमान

मनुख बेचैय मनुख, मनुख लगबैय दाम
इज्जत बिकल,लाज बिकल, बिकगेल सम्मान 

अधर्म  पाप सैतानक  करैय  सभ  गुणगान  
धर्म बिकल, ईमान बिकल, बिकगेल  इन्सान 

पग  पग  बुनैतअछ  फरेबक  जाल  सैतान  
कोना जीवत "प्रभात"मुस्किल भS गेल भगवान 
....................वर्ण:-१८.....................................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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