dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

गुरुवार, 16 जून 2011

एकटा उड़नखटोला कक्का छै@प्रभात राय भट्ट



एकटा उड़नखटोला कक्का छै,
सकल्सुरत स भोलाभाला, 
मुदा एकनंबर उचका छै,
सत्य कहैत हुनका बड तित लगैय,
झूठ बोलैत बड मीठ लगैय,
भीतर स छैथ ओ बिलकुल खाली,
झूठमुठमें हैंस हैंस क मारैय ताली,
घरमें छथि दू दुगो घरवाली,
मुदा हुनका मोन परैय छोटकी साली,
धुवा धोती में लगाबैय टिनोपाल,
सिल्क कुरता पैर छीट लालेलाल,
कान्हा पैर रखैय मखमल के रुमाल,
अजब गजब छै हुनक चालढाल,
सुइत उईठ भोरे भोरे करैया मधुपान,
गप मारी मारी खाय पिबैय चायपान,
चाहे दिन भैर हुनका भेटे नै जलपान ,
मुदा सैद्खन मस्त रहैय करैमे धुम्रपान,
झुठमुठ क करैया ओ रोजगारी,
चौक चौराहा बैठ क मारैय पिहकारी,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: