dahej mukt mithila

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सोमवार, 13 जून 2011

मिथिला दर्शन भाग - ३

मधुबनी - 
 दरभंगा प्रमंडल के एकटा प्रमुख शहर आ जिला छल मधुबनी। मधुबनी आ दरभंगा के मिथिला संस्कृति के द्विध्रुव मानल जाए ये। एतोका मुख्या भाषा मैथिलि आ हिंदी अछि। विश्वप्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग आ मखान के लेल ई जिला विश्व भर में जानल जाय ये। एही जिला के गठन १९७२ में दरभंगा के विभाजन के बाद भेल रहे। मधुबनी के नामे सुनि के लागय ये जे एतोका लोग के वाणी बेसी मीठ छल ताहि दुवारे एकर नाम मधु+बानी राखल गेल ये मुदा किछु लोग के कहनाय ये की एहिठाम पहिने मोध(मधु) बहुत बेसी बनय रहे ते दुवारे से एकर नाम मधु-बन पड़ल।

इतिहास - १९७२ में बिहार के अन्य जिला के संगे मधुबनी जिला के निर्माण भेल। पहिने ई दरभंगा जिला के उपखंड रहे विभाजन के बाद ई जिला बनल। एहिठाम प्रगेतिहसिक काल के अवशेष देखे लए भेट जाएत जाही से पता लागैत ये की ई जगह बहुत प्राचीन अछि। एहनो कहल जाए ये की पांडव अपन अज्ञातवास में किछु समय एतो बितेलक रहे। १८५७ के विद्रोह में भी एही जिला अपन बड़ योगदान देलक रहे आ महात्मा गाँधी के खादी के लेल भी एही जिला प्रसिद्द ये एही ठाम के खादी जग प्रसिद्द अछि, मधुबनी जिला के कला के केंद्र कहि सकय छी, कियाकि विश्व प्रसिद्द मिथिला पेंटिंग के जनक एही जिला अछि।

भूगोल - मधुबनी के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में दरभंगा, पूरब में सुपौल आ पश्चिम में सीतामढ़ी जिला छल। जिला के कुल क्षेत्रफल ३५०१ वर्ग किलोमीटर अछि संगही एही जिला भूकंप क्षेत्र के ५ नो. जोन में सेहो पड़य ये। एहिठाम नदी के प्रमुखता अछि आ बरसात के दिन ते बूझिये मधुबनी जिला के लेल काल अछि हरेक साल एही जिला के बाढ़ि के भयंकर तबाही के झेलय ये। पूरा जिला के माटि समतल आ उपजाऊ छल आ एता औसत बारिश १२७३ मिमी होएत अछि।
एहीठाम के प्रमुख नदी कमला, करेह, बलान, भूतही बलान, गेहुंआ, सुपेन, त्रिशुला, जीवछ, कोशी आऔर अधवारा समूह अछि। करीब करीब सबटा नदी बरसाति के दिन अपन भयंकर रूप में रहय अछि आ हरेक साल भयंकर तबाही सेहो आनैत अछि।
प्रशासनिक विभाजन - मधुबनी जिला में ५ टा अनुमंडल, २१ टा प्रखंड, ३९९ टा पंचायत आ ११११ टा गाम अछि
। संगही एही जिला में १८ टा थाना आ २टा जेल सेहो छल। मधुबनी जिला २ टा संसदीय क्षेत्र आ ११ टा विधान सभा क्षेत्र में बटल ये।
अनुमंडल- मधुबनी, बेनीपट्टी, झंझारपुर, जयनगर आ फुलपरास अछि।
प्रखंड- मधुबनी सदर (रहिका),पंडौल, बिस्फी, जयनगर, लदनिया,लौकहा, झंझारपुर, बेनीपट्टी, बासोपट्टी, राजनगर, मधेपुर, अंधराठाढ़ी, बाबूबरही, खुटौना, खजौली, घोघरडीहा, मधवापुर, हरलाखी, लौकही, लखनौर, आ फुलपरास अछि।

जनसँख्या आ शिक्षा -
२००१ के जनसँख्या के अनुसार मधुबनी के जनसंख्या ३,५७५,२८१ अछि
। जाही में पुरुष के जनसँख्या १,८४०,९९७ आ महिला के जनसँख्या १,७३४,२८४ अछि। एहिठाम साक्षरता के प्रतिशत ४१.९७% अछि जाही में पुरुष के प्रतिशत ५६.७९ आ महिला प्रतिशत २६.२५ अछि।


पर्यटन स्थल -

राजनगर  - मधुबनी जिला के लेल एकटा एतिहासिक महत्त्व बला स्थान छल राजनगर। राजनगर के  महाराजा रामेश्वर सिंह बसेलक रहे, पहिने ई दरभंगा के उप-राजधानी सेहो रहे। ओ एहिठाम एकटा विशाल नौलखा मंदिर करेलक रहे मुदा १९३४ में आएल भूकंप के कारण एकरा काफी क्षति पहुंचल। ई महल में एकटा प्रसिद्ध आ जागृत काली देवी के मंदिर सेहो छल। राजनगर, मधुबनी जिला मुख्यालय स करीब ७ किलोमीटर उत्तर में ये। ओना १९३४ के भूकंप स एही ईमारत क काफी क्षति पहुंचल मुदा अखनो धैर ओकर अवसेष एता देखय लए भेट जाएत।

सौराठ -  मधुबनी-जयनगर रोड पर बसल एही गाम में सोमनाथ महादेव के मंदिर छल। ई जगह मिथिलांचल आ मैथिल ब्रह्मण के लेल बड़ महत्वपूर्ण अछि। हरेक साल एता मैथिल ब्रह्मण के सभा लागए ये जाही ठाम सब गोटे के सामूहिक विवाह होए अछि। एही गाम में रहय बला पंजीकार मैथिल ब्रह्मण के वंशावली के रिकार्ड राखय छैक जाही से विवाह में हुनका बड़ सुविधा आ सहयोग भेटय ये।

कपिलेश्वरनाथ - 
मधुबनी से ९ किलोमीटर दूर एही जगह पर हिन्दू के अगाध आस्था के प्रतिक कपिलेश्वर शिव मंदिर अछि। हरेक सोम दिन आ साओन के महिना में एता बड़ भीड़ रहय छैक आ बड़ा भयंकर मेला सेहो लगय ये।

उचैठ - बेनीपट्टी प्रखंड में थुमने नदी के कात बसल ई गाम में माँ भगवती के एकटा विशाल मंदिर अछि। कहल जाए ये की एहिठाम संस्कृत के महाकवि आ विद्वान कालिदास के देवी से आशीर्वाद भेटल रहे।

भवानीपुर - पंडौल प्रखंड मुख्यालय से ५ किलोमीटर दूर एही गाम में उगरनाथ शिव मंदिर अछि। मैथिलि के महान कवी विद्यापति से ई मंदिर जुड़ल ये। एहन कहल जाए ये की विद्यापति शंकर भगवान् के अनन्य भक्त रहे ओ एही मंदिर में शंकर भगवान् के नियमित रूप से पूजा करय रहे जकर बाद ओकर भक्ति से प्रसन्न भए के खुद भगवान् शंकर हुनकर लग उगना के रूप में एला आ हुनकर सेवा केलखिन।

बलिराज गढ़ - जिला मुख्यालय से करीब ३४ किलोमीटर उत्तर-पूर्व में मधुबनी-लौकहा सड़क के कात बसल एही गाम में एकटा प्राचीन किला के भग्नावेश छल जे ३६५ बीघा में पसरल ये। एकर किला के देबार एते मोट ये की जेना लागय ये एही पर होए के कैकटा रथ आराम से गुजैर जाएत हेता। ई जगह भारत के पुरातत्व विभाग के अधीन अछि जाही कारन से एकर किछु कर्मचारी एकर देखभाल करय ये। एता सालाना रामनवमी के अवसर पर चैती दुर्गा के विशाल पूजनोत्सव के आयोजन होए छैक। एहि जगह के दू बेर खुदाई सेहो भेल ये मुदा नीक जोंक खुदाई नै भेला से एतोका इतिहास के बारे में नीक जोंका नै कहल जाए सकय ये ओना किछु लोग के माननाय ये जे बलिराज गढ़ मिथिला के राजधानी भए सकय ये कियाकि जनकपुर के महल सब काफी नया छल। ओना ठीक से किछु नै कहल जाए सकय ये कियाकि बलिराज गढ़ अखनो धैर एकटा व्यापक आ पैघ खुदाई के इन्तेजार में ये।

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