dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

apani bhasha me dekhe / Translate

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

कोशी महोत्सव में उपेक्षित भेल मैथिल आ मैथिलि

माछ, मखान आ पान के लेल  प्रसिद्ध मिथिला आ कोसी के धरती पे आयोजित भेल कोसी महोत्सव में भी मैथिली भाषा उपेक्षित रही गेल। कोसी आ मिथिला के नामी गिरामी कलाकार भले ही दोसर प्रदेशों आ जिलों में अपन नाम कमा रहल हुए मुदा कोसी में ही उपेक्षा के शिकार बनल ये |
कोसी महोत्सव में मौजूद लोगेंन सब कहैत रहा जे मैथिली आंदोलन के दौरान 1965 में जखन दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आवास पे  आयोजित कार्यक्रम में सुपौल जिला के धीरेन्द्र झा धीर जी समदाउन की चाइरे पंक्ति में इंदिरा जी का मन मोह ललक रहे । ओही मैथिली के कोसी महोत्सव से बाहर खड़ी क देल गेल ये। कोसी क्षेत्र के कईकटा गायक आ अभिनेता ये जे वालीवुड में अपना नाम कमा रहल ये लेकिन, अपन एता भेल कार्यक्रम में ओ उपेक्षित रही गेल। मैथिली के गीतकार अशोक चंचल जी दूरभाष पर कहलखिन जे कोसी महोत्सव में मिथिला आ कोसी के कलाकार के उपेक्षित करल जाय रहल ये !जबकि गायक एश्वर्या निगम मैथिली कैसेट 'मिथिला में रफी' से ही चर्चित भेल रहे! ओ कहलखिन जे लोक संस्कृति को बढ़ावा दै  के लेल स्थानीय स्तर पे भी लोग के जागरुक
होबाक चाही। दुःख ते बहुत भेल की आपन माटी पर आपन मैथिल की उपेक्षा भेल मुदा संघर्ष करैत छि जे आगाँ से एहन गलती नै होएत| याह कामना के साथ " जय मैथिल जय मिथिला" |

कोई टिप्पणी नहीं: