dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

मधेशी जनता

  मधेश  करता  है  गजू  बाबु  तुझे  सलाम ,तुझसे  ही  मिला  मधेशी  जनता  को  एक  नया  अबम . अज  गजू  बाबु  हमारे  बिच  नहीं  है  पर  उनकी  बनी  अज  भी  हमारे  साथ  है , कदम  कदम  पे  हमे  मार्गदर्शन  करते  है ,उन्होंने  हमे  स्वतंत्र  ज़िन्दगी  जीने  की  कला  सिखलाये ,मधेश  को  आजादी  दिलाने  की  कसमे   उठाये ,अकेला  वोह  सकस  थे  जो  संषद  भवन  में  मधेसी  पोषक  धोती  और  कुरता  पहनके  जाते  थे ,पहाड़ी  समुदाई  के  लोग  गीध  के  नजर  से  उन्हें  देखता  था , पर  वोह  कवी  भी  कदम  पीछे  नै  हटाये  , एक  बीर  योधा  की  बहती  आगे   और  सिर्फ  आगे  बढ़ते  गए .उनका  अकेला  आजादी  की  यात्रा  था  और  वोह  अकेले  ही  सरे  पहाड़ी  समुदाई  से  लड़ते   रहे , पर  हम  मधेशी  जनता  जो  उनके  साथ  नैन्शाफी  किये  है  वोह  अज  हमे  ज्ञात  हो  रहा  है ,जिन्हों  ने  अपने  ज़िन्दगी  को  भुलाके  हमारे  लिए  जीते  रहे , हमने  उनकाही  दमन छ ओद   दिया ,नगण्य  रूपसे  उन्हें  मधेसी  जनता  की  साथ  मिली . अज  जब  वोह  हमारे  बिच  नहीं  है  तो  उनकी  कमी  मह्सुश  हो  रही  है .अज  मधेशी  जनता  में  जो  उर्जा  है  यही  उर्जा  हम   पहले  दिखाए  होते  और  गजू  बाबु  को  साथ  दिए  होते  तो  18 साल  पहले  ही  हमे   आजादी  मिल  गयी  होती .खैर  अब  भी  हम  सरे  मधेसी  जनता  मिलके  उनके  सपने  साकार  करें  क्यों   की  वोह  हमारे  आदर्श  है .

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