नमक हराम नेता
फैल रही है अराजकता
स्वार्थलिप्सा की छाओमे !!
स्वार्थलिप्सा की छाओमे !!
बह रही है खुनकी नदियाँ
मधेश की हर गाओमे !!
मधेश की हर गाओमे !!
चल रही है गुन्डागर्दी
अपहरण हत्या और फिरौती की
संजाल गदार नेताओ की आडमे !!
अपहरण हत्या और फिरौती की
संजाल गदार नेताओ की आडमे !!
उसको तो सताकी कुर्सि
और बैंक बैलेन्स अपरम - पारमें !!
और बैंक बैलेन्स अपरम - पारमें !!
चाहे देश की जनता जाये भाड्मे !!
लुट गई जनताकी अमन चैन
छिन गयी आँखोकी निन्द !!
छिन गयी आँखोकी निन्द !!
मधेश आन्दोलन की काम मे !!
सुनी होगयी माँ की गोद,
धुल गयी माथेकी सिन्दुर !!
धुल गयी माथेकी सिन्दुर !!
आनाथ हो गये सैकड़ो बच्चे
आमुल परिवर्तनकी नाममे !!
आमुल परिवर्तनकी नाममे !!
फिर भी न मिल पाया एक
जन्मशिधनागरिक अधिकार !!
जन्मशिधनागरिक अधिकार !!
मधेश मुदों को कायर नेताओ
बना डाला अपने जेबों का पैकेट
बना डाला अपने जेबों का पैकेट
भरने का राजनीति व्यापार !!
धिकार है तुम मधेसी नेताओ पे,
जो भुल गया उन सहिदों का सपना !!
जो भुल गया उन सहिदों का सपना !!
मधेस आन्दोलन को सफल बनाया
प्राणआहुति दे के अपना !!
प्राणआहुति दे के अपना !!
कायर और कतार नेताओ
भरले तुझे झोली जितना है भर्ना !!
भरले तुझे झोली जितना है भर्ना !!
जब जनता जाग जाएगी
एक ऐसा तुफान आयेगा !!
एक ऐसा तुफान आयेगा !!
मिट जाएगा तेरा बहुरुपिये
और नौटंकीबालि हस्ती !!
और नौटंकीबालि हस्ती !!
डुब जाएगा तेरा गंदी राजनीति की कस्ती !!
फिर कायम होगा अमन चैन
और समृद्ध समाज की एक आदर्श बस्ती !!
और समृद्ध समाज की एक आदर्श बस्ती !!
कविता का रचनाकार :--
प्रभात राय भट्ट
प्रभात राय भट्ट
जनकपुरधाम नेपाल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें