आइ भोरे भोर हम चिरपरिचित मिथिला-मैथिलक नेतृत्व जीक आग्रह पर हुनक पोती के उच्च शिक्षा हेतु मार्गदर्शन देबाक हेतु हुनक घर पहुँचलहुँ। घरक लहजा देखि दंग रहि गेलहुँ। घरक सात सदस्य में सँ एक्को गोट सदस्य केँ मैथिली बजैत नहिं पयलहुँ। सब के सब अंग्रेजी किंवा हिन्दी में बात कयलन्हिं। हम बीच-बीच में मैथिली बाजि अप्पन मैथिल होबाक परिचय देबऽ चाहलहुँ। मुदा हमर प्रयास बेकार भऽ गेल। स्वयं हमर सबहक मिथिलाक नेतृत्व जी बजलाह : " मैथिली नहिं अंग्रेजी में बुझाबक प्रयास करियौन। इ सब मैथिली नहिं जनैत छथीन्ह।"
हमर मन बड्ड व्यथित भऽ गेल। नहिं रहल गेल। पुछि बैसलयन्हि जे - ऐना कियाक ? आहाँ सनक मैथिली अनुरागी कियाक अपना बाल बच्चा के मैथिली सँ दूर रखने छी ?
आँखिक संकेत के माध्यम सँ किछु कहलथि । शायद ओ कहऽ चाहलथि जे - चुप रहू, किछु दिन आर जीबऽ दिय। हम मजबूर छी। शपथ खाऽ कऽ कहैत छी आब हम कोनो मिथिला-मैथिलक समारोह में नहिं जायब। हम पतित छी। हमरा माँफ कऽ दिय।
ओ प्रतिष्ठित व्यक्ति रुमाल सँ आँखि पोछथि घर में भागि गेलाह। हमर आँखि में सेहो नोर भरि गेल छल। कहुना अपना के सम्हारैत जे काज लेल गेल छलहुँ से पूरा कऽ यथाशीघ्र अप्पन घर वापस आबि गेलहुँ। किन्तु एक टा प्रश्न मन में बार बार एखनहुँ घुमि रहल अछि जे ऐना कियाक ?
डाॅ माया शंकर झा 'राष्ट्रभाषा-रत्न'
राष्ट्रीय अध्यक्ष
मिथिला स्वराज्य अभियान मंच
कोलकाता
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