गे बहिना वर हमर बड़ बुरिबक आऔर अनारी छै,
मूर्खशिरोमणि कारी छै ना।..................
दूष्ट दहेजक हम छी मारल ,
यौवन जिबिते गेलै जारल।
बुरिबक बात नञि बुझए,
बापक आज्ञाकारी छै।।
मूर्खशिरोमणि.... .........
एक त गोबर के छै चोत,
हम छी लाजे लाहालोट।
लाजक बात की कहियौ,
नञि पुरूषे नञि नारी छै। ।
मूर्खशिरोमणि ... ......... . ... .
यौवन छिन्न भेल निस्तेज,
फाटए कोमल कोढ करेज।
बुझए प्रणय निवेदन के नञि,
पैघ बीमारी छै ।।
मूर्खशिरोमणि.....................
कहितो लाज लगइए भारी,
अकिल के खोलए नञि अलमारी।
बरही बिना ओजारक ,
वुद्धिक बन्द केबारी छै।।
मूर्खशिरोमणि... ..... .. ............
करबै केकरा पर हम आश ,
बाहर पवन बहै उनचास।
केकरा कहबै मनक बतिया,
बड़ लाचारी छै।।
मूर्खशिरोमणि ... .........
जहिना झरकल सन छै देह,
हमरो जरलै सख सिनेह।
विद्या पढने एक्कहि मात्र ,
मुदा भैंसबारी छै।।
मूर्खशिरोमणि... ..... ..........
शिक्षा पहला मे अछि फेल,
हमरा चिन्हलक नञि बकलेल।
नहिरा नीक लगइए,
रहै जेना कुमारी छै।।
मूर्खशिरोमणि...... .................
पौरूष रखने नञि जरलाहा ,
बथुआ साग सनक नरमाहा।
यौवन धधकि रहल अछि,
हमरा संङ लाचारी छै।
मूर्खशिरोमणि ......................|
...... .........
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