आप किसी भी धर्म, मजहब, जाति के हों, किसी भी प्रांत या क्षेत्र के निवासी हों, यदि आप भारतीय हैं तो मुस्कराने की तमाम वजहें हैं आपके पास|
1. चैन की सांस लीजिये कि आप दिवालियेपन की कगार पर पहुँच चुके श्रीलंका के निवासी नहीं हैं जहाँ अस्पताल में सर्जरी नहीं हो पा रहीं| जहाँ पेट्रोल, डीज़ल और गैस बाजार से गायब हो चुकी हैं| खाद्यान्न और खाद्य सामग्री का टोटा हो गया है| जनता सड़क पर बाहर आकर इन सबका रोना भी नहीं रो सकती, कर्फ्यू लगा दिया गया है|
2. आप पाकिस्तान के निवासी नहीं हैं जहाँ पूरा का पूरा देश ही गिरवी रखा हुआ है दूसरे देशों के रहमोकरम पर चलता है| कल तक अमेरिका के तलवे चाटने वाला पाकिस्तान आज चीन की चमचागिरी करने को मजबूर है| क्यों न हो? जिसका घर खैरात पर चलता हो उसे जो भीख दे दे वही उसका मालिक| पता नहीं कल कौन इस्लामाबाद की सत्ता संभालेगा, राजनैतिक उठापठक होगी या सैनिक तानाशाही| लोकतंत्र का मखौल बना हुआ है|
3. आप नेपाल के निवासी नहीं हैं जो पुरुषार्थ विहीन होकर छोटी मोटी परियोजनाओं के लिए भी कभी भारत का मुंह ताकता है तो कभी चीन का| जो अपने बफर स्टेट होने का फायदा उठाकर माल-ए-मुफ्त दिल-ए-बेरहम छानते हुए भले ही दोनों बड़े देशों से अनुदान ले लेता हो लेकिन जिसकी स्वयं की उत्पादकता शून्य है| दवाई हो या वाहन, अस्पताल हों या बाँध, हथियार हों या पुल, रेल ट्रैक्स हों या सड़कें, इन्हें खुद कुछ नहीं करना, या तो भारत कर जाये या चीन| नहीं समझ रहे कि एक दिन पूरा देश ही चीन जैसा साम्राज्यवादी, विस्तारवादी हड़प जायेगा और डकार तक नहीं लेगा|
4. अपने भारतीय होने पर गर्व कीजिये जिसने दो साल तक कोरोना महामारी की विभीषिका को झेलते हुए भी उफ़ नहीं की| अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों की हालत पतली हो गयी| जब तथाकथित संपन्न माने जाने वाले विकसित देशों ने भी धन की कमी के कारण अस्पतालों तक के दरवाजे बंद कर दिए तब भी भारत इसका न सिर्फ डटकर मुकाबला करता रहा बल्कि सालों तक अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न और पाँच सौ रुपये प्रति माह बांटता रहा|
5. संतोष है हमें अपने उस गरीब और दुनिया की नज़रों में अविकसित माने जाने वाले देश भारत के निवासी होने पर जिसने एक सौ अस्सी करोड़ कोरोना वैक्सीन अपने नागरिकों को मुफ्त लगाकर एक विश्व रिकॉर्ड बना दिया| याद करें केजरीवाल और राहुल गांधी जैसे मक्कारों के बयानों को जो कहते थे भारत में टीकाकरण होने में दशकों लग जायेंगे|
6. भारतीय जान लें कि अपने को दुनिया का चौधरी समझने वाला अमेरिका भी मंहगाई की ऐतिहासिक मार से त्रस्त है, पेट्रोल और गैसोलीन के दामों के मामले में आज घुटनों पर है| वहाँ भी पेट्रोल, जो कभी भारतीय दामों का एक मामूली सा हिस्सा हुआ करता था, आज 6 डॉलर प्रति गैलन अर्थात लगभग 104 रुपये प्रति लीटर है जो भारतीय भावों से अधिक कम नहीं|
7. गर्व कीजिये कि जिस भारत की कुछ वर्ष पूर्व तक दुनिया में कोई पूछपरख नहीं थी, आज दुनिया के एक दूसरे हिस्से अर्थात रूस और यूक्रेन में युद्ध होने पर अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, जापान जैसे ताकतवर मुल्कों के कद्दावर नेताओं का नई दिल्ली में जमावड़ा लगा हुआ है| लग रहा है कि भारत ही इस समस्या का निदान निकाल सकता है|
8. तसल्ली रखिये कि आपके प्रधानमंत्री, आपके नेताओं ने देश को संकट में नहीं आने दिया, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव, नेपाल और अन्य पचासों एशियाई अफ्रीकी देशों की तरह “ऋणं कृत्वा घृतं पीबेत” की नीति अपनाते हुए चीन और अमेरिका जैसे देशों के पास गिरवी नहीं रखा| हाँ, थोड़ा सा कष्ट अवश्य हुआ लेकिन वह दिवालिया होने की स्थिति से तो काफी बेहतर रहा|
9. सीना तानते हुए सिर ऊपर उठाइये कि सौ सालों के सर्वाधिक खतरनाक समयखंड से गुजरने के बावजूद आपके देश ने किसी के आगे हाथ नहीं पसारा| अरे हाथ पसारने की बात तो जाने दीजिये, हमने अपनी महान संस्कृति और परंपरा के अनुसार जब श्रीलंका जैसा भुखमरी की कगार पर पहुँचा पड़ौसी देश “त्राहिमाम् शरणागतम्” कहता हुआ हमारे द्वार पर आया तो हमने पुराने गिले शिकवे भूलते हुए उसकी झोली में ढाई बिलियन डॉलर की सौगात डालते हुए दुनिया के सामने साबित कर दिया कि अब भारत “देवता” है “लेवता” नहीं|
10. शुक्र मनाइए कि हमारा नेतृत्व “राहुल गांधी” जैसे अपरिपक्व या “सोनिया गांधी” जैसे भ्रष्ट फिरंगियों के हाथ में नहीं था| क्या होता? कोरोना में ये देश लाशों से पटा होता और आज भारत की हालत पाकिस्तान और श्रीलंका से भी बदतर होती|
11. सब्र रखिये, “बेस्ट” अभी आना बाकी है| यदि भारत में वर्तमान सरीखा नेतृत्व दस वर्ष और रह गया तो आज तो दुनिया भारत की तरफ टकटकी लगाये आशा भरी नज़रों से देख मात्र रही है, भविष्य में दुनिया का केंद्र भारत होगा| आज हमारे बच्चे जिस तरह अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जाकर वहाँ पढ़ाई, नौकरी या व्यवसाय करने की चाहत रखते हैं, आश्चर्य मत करना यदि अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लोग भारत आकर शिक्षा प्राप्त या नौकरी करने की तमन्ना रखने लग जायें|
विश्वास मानिये, वामपंथी विघ्नसंतोषी, विदेशी फंडिंग पाकर विषवमन करने वाली संस्थाएं, एनजीओ और सेवा की आड़ में धर्मपरिवर्तन में लगी ईसाई मिशनरियां सकपकाई हुई हैं, किम्कर्त्व्यविमूढ़ हैं, समझ नहीं पा रही हैं क्या करें, परिणामस्वरूप देश तोड़ने तक पर उतारू हो गयी हैं| हाँ, यदि आपका साथ नहीं मिला तो बोरियाबिस्तर समेटने ही वाली हैं|
भारत सकारात्मक रूप से बदल रहा है, उत्तरपूर्व और इसके आठों राज्य, जिन्हें भारत से सुदूर मानकर सौतेला व्यवहार करते हुए आतंकवादी संगठनों की दया पर छोड़ दिया था, तेज़ी से मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं| विकास की गंगा अब वहाँ भी बह रही है, पहली बार मेघालय, मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के लोगों को महसूस हो रहा है कि वे भी भारतीय हैं| अरुणाचल प्रदेश, जिसके लिए चीन अपना हिस्सा होने का झूठा दावा करता है, मजबूती के साथ भारत के कंधे से कंधा मिलाये खड़ा है|
मान्यवर, हौसला रखिये, अपनी अपनी जगह अपने कर्तव्य का निष्ठापूर्वक पालन करते रहें और गर्व से मुस्कारते हुए एक बार तो कह दीजिये कि – “भगवान, आपका लाख लाख आभार, जो आपने हमें भारत में पैदा किया”|
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