!! हनुमान - आरती !!
आरती आहाँक उतारि रहल छी
राम दूत हनुमान यौ ।
महिमा ऋषि मुनि सदिखन गाबथि
गाबथि वेद पुरान यौ ।।
केसरी नंदन काल निकंदन
टूटल विपति पहाड़ यौ ।
पतवार सम्हारु,जीवन तारू
नैया अछि मझधार यौ ।।
अहिरावण के मारि , बचौलौ -
राम लखन के प्राण यौ ।। आरती......
सरसिज लोचन,जग दुख मोचन
मुर्छित लखन बुटी लयलौ ।
सुग्रीव उवारल,विभिषण तारल
धर्मक काज सतत कयलौ ।।
लंका जारि सिया सुधि लेलौं
राखल रघुकुल मान यौ ।। आरती.....
शिव सुत बलकारी , गगन बिहारी
महिमा कते बखान करू ।
"रमण" विपति में,अछि कोन गति में
यौ बजरंगी ध्यान धरु ।।
जग में कते मनोरथ पूरल
हमरो किछु अरमान यौ ।। आरती.....
गीतकार - रेवती रमण झा "रमण"
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