!! कने सुनु श्रीमान !!
मैथिली ज्ञान आऔर शिक्षा-साहित्य आई भेला अछि हरियर घास
साढ़े मात्र चरईए जिनका दुर भेल छथि मैथिल खास
मैथिली-मिथिला केर सपूत सभ फाँकी रहल छथि घूरा,
सम्मानित होइ छथि ओ - बेसी जे छथि लोक बेलुरा
विद्यापति जी भेला खेलौना किछु मैथिल छथि बेचनिहार ।
माँ मैथिली के बेटा देखू माएयक चीर हरण केनिहार ।।
पुरष्कार साकार होइत अछि ऊँच हवेली राज निवाश
माईट-पानि छोरि पुष्पित अछि किछु मैथिल के कुल आकाश
अक्षर के है ज्ञान ने कनिऔ ओकरे झण्डा छइ फरराइत
लात सँ लत खुरदईन होइ छथि ठाढ़ भेल जे शिष्ट पछाइत
महा मदारी बजा रहल अछि डमरू ओ झुन-झुन्ना
आगि में ऐइठल जरा रहल अछि दुष्ट शिरोमणि जुन्ना
मैथिली-मिथिला अछि अपियारी सभ दिन फ़सलेई रोहु-बुआरी
मुदा आब सभ जागि गेल अछि सभ के चाही माछ-बुआरी
महा-महत्व अछि पान-मखानक उत्पादक के की स्थान
झनु-झुन्ना जे-बाजि रहल अछि तेकरो कने सुनु श्रीमान ।।।
रचनाकार-
बद्रीनाथ राय "अमात्य"
गाम - करमोली "बिहार"
मैथिली ज्ञान आऔर शिक्षा-साहित्य आई भेला अछि हरियर घास
साढ़े मात्र चरईए जिनका दुर भेल छथि मैथिल खास
मैथिली-मिथिला केर सपूत सभ फाँकी रहल छथि घूरा,
सम्मानित होइ छथि ओ - बेसी जे छथि लोक बेलुरा
विद्यापति जी भेला खेलौना किछु मैथिल छथि बेचनिहार ।
माँ मैथिली के बेटा देखू माएयक चीर हरण केनिहार ।।
पुरष्कार साकार होइत अछि ऊँच हवेली राज निवाश
माईट-पानि छोरि पुष्पित अछि किछु मैथिल के कुल आकाश
अक्षर के है ज्ञान ने कनिऔ ओकरे झण्डा छइ फरराइत
लात सँ लत खुरदईन होइ छथि ठाढ़ भेल जे शिष्ट पछाइत
महा मदारी बजा रहल अछि डमरू ओ झुन-झुन्ना
आगि में ऐइठल जरा रहल अछि दुष्ट शिरोमणि जुन्ना
मैथिली-मिथिला अछि अपियारी सभ दिन फ़सलेई रोहु-बुआरी
मुदा आब सभ जागि गेल अछि सभ के चाही माछ-बुआरी
महा-महत्व अछि पान-मखानक उत्पादक के की स्थान
झनु-झुन्ना जे-बाजि रहल अछि तेकरो कने सुनु श्रीमान ।।।
रचनाकार-
बद्रीनाथ राय "अमात्य"
गाम - करमोली "बिहार"
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