|| अम्बे आइ कीय भेलौ उदास ||
नवोरूप धरि आहे अयलौ नवदुर्गे
नवो दिन कयलहुँ वास ।
हे अम्बे आइ कीय भेलौ उदास ।।
जग कल्याणी आहे दुःख हरनी
जगत जननी आहे सुख करनी
ममतामयी मैया कोना बिसरबै
एक अहींक अछि आश ।
हे अम्बे आइ कीय भेलौ उदास ।।
चहल पहल मैया नवो दिन केलिअई
अपन कृपा चहुँ दिश बरसेलिअइ
अपन दया केर वर वारिधि सँ
पूरल सबहक आश ।
हे अम्बे आइ कीय भेलौ उदास ।।
भव विपदा सँ जीवन घायल
देखू "रमण" शरण अछि आयल
महिषासुर मर्दिनी मैया पुनि
आयब आसिन मास ।
हे अम्बे आइ कीय भेलौ उदास ।।
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
नवोरूप धरि आहे अयलौ नवदुर्गे
नवो दिन कयलहुँ वास ।
हे अम्बे आइ कीय भेलौ उदास ।।
जग कल्याणी आहे दुःख हरनी
जगत जननी आहे सुख करनी
ममतामयी मैया कोना बिसरबै
एक अहींक अछि आश ।
हे अम्बे आइ कीय भेलौ उदास ।।
चहल पहल मैया नवो दिन केलिअई
अपन कृपा चहुँ दिश बरसेलिअइ
अपन दया केर वर वारिधि सँ
पूरल सबहक आश ।
हे अम्बे आइ कीय भेलौ उदास ।।
भव विपदा सँ जीवन घायल
देखू "रमण" शरण अछि आयल
महिषासुर मर्दिनी मैया पुनि
आयब आसिन मास ।
हे अम्बे आइ कीय भेलौ उदास ।।
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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