सीता-नवमी
एक समय के बात थिक
त्रेता युग में राजा छलथि शिरध्वज
समस्त मिथिला में परल छल अकाल
चारु दिशा मचल छल हाहाकार
प्रजा सभ छल हकासल उदास
यज्ञ, जाप, पूजा, होमादि होमय लागल
तखन राजगुरु शतानन्दजी देलनि आदेश
गुरुक आज्ञानुसार शिरध्वज उठि
लेलन्हि कान्हपर हर विदा भेलाह खेत
बरद जोति हरमें बन्हलनि आँतर
लागनि पकरिते शिराउर में अभरल
हरक नाश में मटकुरी लागल छल
तखने माय वसुन्धराक कोखिसँ
उत्पन्न भेलथि पद्महस्त लेने सीता
खिलखिलाइत हँसैत मटकुर सँ बहरेली
वैशाख शुक्ल पक्षक नवमी संगहि
शुभ मंगल दिन छलैक
उत्तर फाल्गुनी नक्षत्रक योग
समूचा नगर भरि मचि गेल शोर
खुशी सँ नगरवासी झूमय लागल
हुनकहि कंठ सँ निकसलि मैथिली
सुन्दर मिठगर मैथिली भाषा बोली
वैह छथि वैदेही, जानकी, मैथिली, सीता
हुनकहि छन्हि आई जन्मदिवस
आउ समस्त मिथिलावासी मनावी
हर्षोल्लासक संग धियाक सीता नवमी ॥
समस्त मिथिला में परल छल अकाल
चारु दिशा मचल छल हाहाकार
प्रजा सभ छल हकासल उदास
यज्ञ, जाप, पूजा, होमादि होमय लागल
तखन राजगुरु शतानन्दजी देलनि आदेश
गुरुक आज्ञानुसार शिरध्वज उठि
लेलन्हि कान्हपर हर विदा भेलाह खेत
बरद जोति हरमें बन्हलनि आँतर
लागनि पकरिते शिराउर में अभरल
हरक नाश में मटकुरी लागल छल
तखने माय वसुन्धराक कोखिसँ
उत्पन्न भेलथि पद्महस्त लेने सीता
खिलखिलाइत हँसैत मटकुर सँ बहरेली
वैशाख शुक्ल पक्षक नवमी संगहि
शुभ मंगल दिन छलैक
उत्तर फाल्गुनी नक्षत्रक योग
समूचा नगर भरि मचि गेल शोर
खुशी सँ नगरवासी झूमय लागल
हुनकहि कंठ सँ निकसलि मैथिली
सुन्दर मिठगर मैथिली भाषा बोली
वैह छथि वैदेही, जानकी, मैथिली, सीता
हुनकहि छन्हि आई जन्मदिवस
आउ समस्त मिथिलावासी मनावी
हर्षोल्लासक संग धियाक सीता नवमी ॥
मंगल शुभकामनाक संग-