मिथिलाक जिला आ महत्व
मिथिलाक जिला आ महत्व
आई मिथिलाक जिला "सीतामढ़ी " के चर्चा।
सीतामढी के माँइट में तिरहुत और मिथिला क्षेत्र के संस्कृति के गंध भेटत। इ भूभाग के देवी सीता के जन्मस्थली तथा विदेह राजक अंग हेबाक गौरव प्राप्त अईछ। इ स्थानक सम्बन्ध त्रेता युग सँ मानल जाइत अईछ । धार्मिक और पौराणिक ग्रन्थ मे सेहो एकर उल्लेख अईछ । त्रेता युग में राजा जनक के पुत्री एवं भगवान राम के पत्नी देवी सीताक जन्म पुनौरा में भेल छल, कहल जाइत अईछ कि मिथिला में एक बेर दुर्भिक्ष के स्थिति उत्पन्न भ गेल छल . पुरोहित और पंडित सब मिथिला के राजा जनक के अपने क्षेत्र के सीमा में हल चलेबाक सलाह देलैन। सीतामढ़ी के पूनौरा नामक स्थान पर जखन राजा जनक खेत में हर जोतैत छला त ओहि समय धरती सँ सीताक जन्म भेलैन। सीता जी के जन्म के कारण ई नगर के नाम पाहिले सीतामड़ई, फेर सीतामही और कालांतर में सीतामढ़ी पड़ल। एहन जनश्रुति अईछ कि सीताजी के प्रकाट्य स्थल पर हुनक विवाह पश्चात राजा जनक भगवान राम और जानकी के प्रतिमा लगावला। लगभग ५०० वर्ष पूर्व अयोध्याक एक संत बीरबल दास ईश्वरीय प्रेरणा पावि ओइ प्रतिमाक खोजा और ओकर नियमित पूजन आरंभ केला। प्राचीन काल मे सीतामढी तिरहुत के अंग छल । ई क्षेत्र में मुस्लिम शासन आरंभ होब तक मिथिला के शाशन छल। 1908 ईस्वी में तिरहुत मुजफ्फरपुर जिला के हिस्सा छल। स्वतंत्रता पश्चात 11 दिसंबर 1972 क सीतामढी के स्वतंत्र जिला के दर्जा भेटल, जेकर मुख्यालय सीतामढ़ी बनल।
दार्शनिक स्थल:-
- जानकी स्थान और उर्बीजा कुंड
-पुनौरा और जानकी कुंड
-हलेश्वर स्थान
-पंथ पाकड़
-बगही मठ
-देवकुली (ढेकुली): द्रोपदी के जन्म स्थली मानल जाइत अईछ
-गोरौल शरीफ
-शुकेश्वर स्थान
-बोधायन सर
-सभागाछी ससौला
साहित्यकार:-
रामधारी सिंह `दिनकर', रामवृक्ष बेनीपुरी, लक्षमी नारायण श्रीवास्तव,डॉ रामाशीष ठाकुर, डॉ विशेश्वर नाथ बसु, राम नन्दन सिंह,पंडित बेणी माधव मिश्र, मुनि लाल साहू, सीता राम सिंह, रंगलाल परशुरामपुरिया,हनुमान गोएन्दका, राम अवतार स्वर्ङकर, पंडित उपेन्द्रनाथ मिश्र मंजुल,पंडित जगदीश शरण हितेन्द्र,ऋषिकेश,राकेश रेणु, राकेश कुमार झा, बसंत आर्य,राम चन्द्र बिद्रोही, माधवेन्द्र वर्मा, उमा शंकर लोहिया, गीतेश, इस्लाम परवेज़, बदरुल हसन बद्र,डॉ मोबिनूल हक दिलकश आदि
1 टिप्पणी:
पंकज जी,
बहुत बहुत धन्यबाद कि अपने आज मिथिला के सही रूप के
विवरण केलोंउ,
बीना जानकी चर्चा के मिथिला नइ भ सकइअ
जय जानकी जइ मिथिला !
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