dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शुक्रवार, 11 मई 2012

बृहस्पतिवार, 10 मई 2012


कविता-मधेश

कविता-मधेश

नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नहि जानि कोन बज्रपात गिरल
सपनाक शीशमहल ढहल
सहिद्क शोणित सं
बाग़ में छल एकटा फुल खिलल
छन में फुल मौलाएल
सुबास नहि भेट सकल
टुकरा टुकरा शीशा चुनी
कोना महल बनाएब
मौलाएल फुल सं
कोना घर आँगन गमकाएब

नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
वीर सहिदक आहुति सं
छल आशा केर दीप जरल
नीरस भेलहु जखन
स्वार्थक बयार सं दीप मिझल
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

रंग विरंगक फुल के
हम सब छलहूँ एकैटा माला
स्वार्थक बाट में टुटल माला
काटल गेल मधेश माए केर गाला
मैटुगर बनी गेलहुं हम
मधेश माए पिविगेल्ही हाला
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

बन्ह्की पडल माए छलहीन
सिस्कैत हुनक ठोर
बैसल छलन्हि आशा में
कहियो तं हेतइए भोर
षड्यंत्र नामक खंजर ल क
एलई अमावस कठोर
नव प्रभात देख नै पैलन्ही नहि भेलै भोर
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: