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सोमवार, 6 अप्रैल 2020

यौवन हरियर सनक जजात !! गीतकार - बद्रीनाथ राय जी




  कामिनी कंचन के हम कानन ओझरायल छी
  प्यासल और भुखायल छी ना ।

पुरुष पहुँ बुझाए नञि छी बात,यौवन हरियर सनक जजात
पहुँ यौ गल्ती की भेल हमरा पर तमसायल छी
हिरणी हम डेराएल छी ना ..........

हम नारी अहिंक नकारल अहाँ के बुद्धि गेल अछि मारल
हम तँ मन्द सुगन्धित माला जकाँ सुखाएल छी 
बाट किएक बिसराएल छी ना.......

हमरा बाँझीन लोक कहSए नयन सँ झर्झर नीर बहयेए
प्राण पहूँ कौन डायन के माया में भुलाएल छी
चन्दा कतS नुकाएल छी ना.........

अकिल के खोलू ने अलमारी यौवन सजल फूलल फुलवाड़ी
हम तँ गंगा जल सँ माजल धोल पखारल छी
कुर्वक भाण्ड खराजल छी ना........

अहूँ समटि लियS सब भाभट,हमहुँ बिसरब बात विषादक
हमरा रोम-रोम में अहि मात्र समाएल छी
फुलक गाछ उखारल छी ना..........

अहि छी पति हमर परमेश्वर एहि में,बात ने किछुओ दोसर
हम तँ शरणागत छी चरण शरण मे आयल छी
ब्रत केने हरिबासल छी..............

शत-शत नमन करू स्वीकार किएक भेल कण्ठित कुटिल
विचार
हम तँ घघसल गहुँमक पछवा पवन झमारल छी
सुखल और ठठायल ना..........

गीतकार-
बद्रीनाथ राय "अमात्य"



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