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गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

"करवा चौथ के प्रचलन - Ashok Mishra

 विषय : "करवा चौथ के प्रचलन", मिथिलांचल में सेहो तेज़ी सँ हाबी भ रहल। 


आजुक समय में मिथिलांचल में “करवा चौथ” के परंपरा सेहो धीरे-धीरे बहुतहिं तेज़ी सँ हाबी भ’ रहल अछि। पहिने मिथिला में ई प्रथा नै छल। मिथिलाक स्त्री सभक अपन अनेक लोकपर्व रहैत छनि - जेना कि शामा-चकेवा, मधुश्रावणी, जीतिया, छठि, तिला संक्रांति, तुलसी विवाह इत्यादि जेकर मूल भावना सेहो पति-पत्नीक प्रेम, निष्ठा आ दीर्घायु स’ जुड़ल अछि। 

      एहन पवित्र भाव मिथिला संस्कृति में सदिखन रहैत आएल अछि। हम “करवा चौथ”क खूब सम्मान करैत छी, कारण हर परंपरा अपन विश्वासक प्रतीक होइत अछि। 

      संस्कृति के आदान-प्रदान कथमपि खराब नै छैक, धरि अपन जड़ि सँ कटि क कोनो आर परंपरा में पूर्णतः डूबि गेनाई व ओहि के अहम हिस्सा बना लेनाई, हमर व्यक्तिगत विचार सँ मिथिलाक "सांस्कृतिक हानि" अछि। 

      दोसरक संस्कृति, परम्परा वा व्यवहार सँ किछु अपनायब एहि दिशि इंगित करैत अछि जे, हमर जे सनातन परम्परा अछि, ओ पूर्ण नहि अछि। ओहि में किछु नव जोड़बाक आवश्यकता अछि। जबकि मिथिला अपन साँस्कृतिक विरासत आ परम्पराक सङ्गे पूर्ण अछि, कोनहुँ अन्यक जरुरैत नहि अछि। 

      चिंता एहि बातक अछि जे मिथिला समाज अपन मौलिक संस्कार, लोकगीत, लोकव्रत आ रीति-रिवाज छोड़िकेँ दोसर प्रदेशक संस्कृति सँ अत्यंत प्रभावित भ’ रहल अछि। मिथिला के लोग अपन संस्कृति के छोड़ि वा बिसरि क अन्य जगहक संस्कृति अपना रहल छथि। 

      अपन पहचान बचेनाई बहुत जरूरी अछि, नहि तँ भावी पीढ़ी मिथिलाक मूल लोकपरंपरा सँ बिल्कुल अनभिज्ञ रहि जाएत। मिथिला केवल एकटा भूभाग नहि, बल्कि एकटा जीवंत संस्कृति के प्रतीक अछि। मिथिला संस्कृति अपन मर्यादा, मातृशक्ति के सम्मान, मधुर वाणी, खान-पान, आध्यात्मिकता, प्रकृति सँ संलग्नता, लोकसंस्कृति आ जीवन दर्शन लेल प्रसिद्ध अछि। 

      अतएव, ई अति आवश्यक अछि जे अपन लोकपर्व, लोकभाषा आ परंपरा केँ स्नेहपूर्वक सहेजि क राखी, जकरा सँ अप्पन मिथिलाक गौरव सदा अमर रहत। 

      चिंतन - चलू कनी काल लेल मानलौं जे, पति के लेल आर अपन भाग सौभाग्यक लेल कोनो पावनि केनाई कोनो अधलाह नै छै। मुदा, ओहि पति परमेश्वर के माय बाप के गाईर पढ़नाई आर पति के हरदम दुत्कारैत रहनाई कथमपि ठीक नै छैक। कियौ माए बहिन पति लेल कोनहु पर्व करै छथि, त हुनका सॅं हमर विनम्र निवेदन अछि जे अपन पतिदेव केॅं कदर सेहो निष्ठा भाव सॅं करथि।       

मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025

"पार्टी विथ डिफरेंस" यानि सिद्धांत-आधारित राजनीति करने

 


हालांकि मुझे ऐसा लग नहीं रहा है कि #अलीनगर विधानसभा सीट से मैथिली ठाकुर को भाजपा टिकट देने जा रही है लेकिन अगर भाजपा आलाकमान ऐसा करती है तो ये यकीनन गलत होगा। "पार्टी विथ डिफरेंस" यानि सिद्धांत-आधारित राजनीति करने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। किसी भी पार्टी को सबसे पहले अपने कार्यकर्ताओं का ध्यान रखना चाहिए, वे कार्यकर्ता जो पार्टी और संगठन हित में 5 साल अपना सर्वस्व झोंक देते हैं….तन मन और धन से संगठन को सींचते हैं और चुनाव का वक्त जब आता है तो आप किसी मैथिली ठाकुर जैसी आयातित उम्मीदवार को सीधे विधायकी का टिकट दे देंगे तो ये सरासर अन्याय है। मैथिली ठाकुर का समाज के लिए योगदान ही क्या है? ये सवाल इसलिए अहम है कि मैथिली ठाकुर को सेलेब्रेटी बनाने में संपूर्ण मिथिलावासियों का अहम योगदान रहा है। लाखों की संख्या में मैथिल समाज के लोगों ने मैथिली ठाकुर के समर्थन में आज से कुछ साल पहले एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। माना की मैथिली ठाकुर के गले में मां सरस्वती का वास है लेकिन मां सरस्वती की पुत्री वे एक मात्र नहीं हैं। मैथिली ठाकुर के समानांतर कई ऐसे कलाकार हैं जो बहुत अच्छा गाते हैं। 

हां तो जिस मैथिल समाज ने जी जान एक कर दिया कि मैथिली ठाकुर स्टार बन जाए उसको बदले में मैथिली ठाकुर ने क्या दिया? आज से कुछेक साल पहले की बात है जब मैथिली ठाकुर को मंच पर स्थान मिले इसके लिए उनके पिताजी लोगों से अनुनय विनय करते थे और जब मैथिली स्टार बन गई तो उनके पिताजी का एटीट्यूड ही बदल गया। ये बात सिर्फ मैं नहीं कहता हूं…आपको हजारों लोग इसकी गवाही दे सकते हैं। मैथिली ठाकुर और उनके पिता का व्यवहार इतना बदल जाएगा इस बात की किसी ने कल्पना तक नहीं की होगी। नतीजा क्या हुआ….मैथिली ठाकुर के बाद किसी भी नवोदित कलाकार के लिए मैथिल समाज ने वो प्रयास नहीं किया जो मैथिली के लिए किया गया। कई और नवोदित कलाकार टीवी चैनलों के मंच पर गए लेकिन मैथिली ठाकुर एपिसोड से चोट खाए मैथिल समाज ने दोबारा किसी पर भरोसा करना ही छोड़ दिया। मैथिली ठाकुर और उसके पिता के व्यवहार का खामियाजा अन्य नवोदित कलाकारों को भुगतना पड़ गया। 

धन कमाना गलत बात नहीं है…हम सभी धनोपार्जन में लगे रहते हैं लेकिन कम से कम व्यवहार में तो मानवीयता रहनी चाहिए। विनम्रता बड़े लोगों का आभूषण होता है….लता मंगेशकर जी, शारदा सिन्हा जी उदाहरण हैं…इतने बड़े कलाकार लेकिन इनकी विनम्रता मिसाल है, प्रेरणादायक है। मैथिली ठाकुर बड़ा नाम हैं, लेकिन समाज के लिए इनका क्या योगदान है? अब ये मत कहिएगा कि मेरा क्या योगदान है….अपने कामकाज से जब कभी फुर्सत मिलती है तो सामाजिक कार्यों में गिलहरी के समान योगदान देने का काम करता हूं और आगे भी करता रहूंगा। 

बंद कमरे में किसी भी पार्टी का आलाकमान अगर किसी उम्मीदवार को जबरन थोपने का प्रयास करती है तो ये सरासर गलत है। अलीनगर हो या कोई और विधानसभा सीट….हर पार्टी को चाहिए कि वो सबसे पहले स्थानीय उम्मीदवार को ही मौका दे। अलीनगर से अगर मैथिली ठाकुर को टिकट मिल भी जाता है और वे जीत भी जाती हैं तो क्या अपना काम कराने के लिए अलीनगर के लोग दिल्ली के द्वारका इलाके में आकर संपर्क स्थापित करेंगे? अगर भाजपा या कोई दल अपने कार्यकर्ताओं की फिक्र नहीं करेगी तो फिर कार्यकर्ता संगठन की फिक्र क्यों करेगा? भाजपा अगर इस तरह के फैसले बंद कमरे में करती है तो इससे नुकसान ही उठाना होगा….जन सुराज जैसे विकल्प इसलिए बिहार के लोगों को अच्छा लगता है….भाजपा हो या कांग्रेस…अगर अपने पुराने ढर्रे पर ही चलेगी तो फिर लोगों के पास भी नए विकल्प हैं और आपके कर्मठ कार्यकर्ता भी नए विकल्प को तलाशने के लिए मजबूर हो जाएंगे। विनोद तावड़े जी, आपने जो मैथिली ठाकुर के लिए पोस्ट लिखा था कि बिहार की बेटी फिर से बिहार वापस लौटना चाहती है तो ये कहिए की 5 साल बिहार लौट कर किसी विधानसभा क्षेत्र की धूल फांके….उस क्षेत्र में पसीना बहाए…..उसके बाद अगर आप उन्हें टिकट देते हैं अगले 5वें साल में तो ये स्वागत योग्य फैसला होगा।  और हां…लोग पलायन इसलिए करते हैं ताकि उन्हें अच्छा अवसर मिल सके…मैथिली के परिवार ने पलायन नहीं किया होता तो वे आज शायद इस स्तर की गायिका कभी बन नहीं पाती…दिल्ली में अच्छे तरीके से स्थापित हो चुका मैथिली का परिवार अगर दिल्ली से बिहार पलायन करना चाहता है तो इसके पीछे भी स्वार्थ या अच्छा अवसर ही होगा। कोई बहुत बड़ा त्याग नहीं करने जा रही हैं बिहारियों के लिए मैथिली ठाकुर….

माल महाराज का और मिर्जा खेले होली ये नहीं होना चाहिए…संगठन के लिए पसीना बहाया कार्यकर्ताओं ने और विधायकी का टिकट दे देंगे एक सेलेब्रेटी को तो ये तो सरासर गलत है। जनता भी जागरुक है सर…ध्यान रखिएगा और आपके कार्यकर्ता भी।

#mithilapolitics #अलीनगर_विधानसभा  @pankaj prasoon 

शनिवार, 4 अक्टूबर 2025

ट्रेड डील

अमेरिका की व्यापार शर्तों (ट्रेड डील) के सामने भारत क्यों नहीं झुकता?

यह एक बहुत ही खतरनाक खेल है। अगर हम झुक गए, तो देश खत्म हो गया समझो।

अमेरिकी दृष्टिकोण के पीछे नम्रता नहीं, बल्कि एक छिपी हुई गंदी राजनीति है।

एक ऐसा शर्तों भरा क्लॉज है, जिसे भारत ने छूने से भी इनकार कर दिया है।

ट्रंप रोज दबाव बनाते हैं, लेकिन भारत मजबूती से खड़ा है।

सब पूछते हैं, भारत अमेरिका की सभी शर्तों पर हस्ताक्षर क्यों नहीं करता?

तो चलिए, इस बात को विस्तार से समझते हैं...

साल 2030 तक भारत-अमेरिका के बीच व्यापार का लक्ष्य 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का सपना है।

अच्छा लगता है ना? लेकिन उस सपने के पीछे एक शर्त थी... *जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) बीज/फसलें।*

अमेरिका ने कहा – *साइन करो।*

भारत ने कहा – *नहीं, कभी नहीं।*

क्योंकि यह सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता का सवाल है।

GM बीज कोई साधारण बीज नहीं, यह तो एक सॉफ्टवेयर है।

पेटेंट वाला सॉफ्टवेयर... एक बार बोओ, तो हमेशा पैसे देते रहो।

फिर आपकी फसल आपकी नहीं रहती, वह *बीज के मालिक* की हो जाती है।

वह बीज का मालिक कौन है, जानते हैं? *Monsanto Ltd.*

हां, वही Monsanto कंपनी, जिसने Agent Orange बनाया था और अब उसका नया नाम है *Bayer Ltd.*

कंपनी का नाम बदला, लेकिन जहर वही है।

1960 के दशक में, अमेरिका पूरी दुनिया को गेहूं सप्लाई करता था।

लेकिन अब क्या देता है?

• GM मक्का

• GM सोया

• GM कैनोला

• GM कपास

ये सब *“राउंडअप रेडी”* फसलें हैं।

GM से खरपतवार मर जाते हैं, लेकिन फसल जिंदा रहती है! क्योंकि वह केमिकल रेसिस्टेंट होती है।

अमेरिका में आज 95% मक्का GM है। सोया का भी यही हाल है।

और यह सब कहां जाता है? सीधे लोगों के भोजन में।

1990 के बाद से अमेरिका में...

o मोटापा दोगुना हो गया,

o किशोरों में डायबिटीज तेजी से बढ़ा,

o बांझपन,

o डिप्रेशन,

o कैंसर,

o हृदय रोग, लिवर की बीमारियां।

*यह सब "संयोग" है या "अंजाम"?*

और इनका "इलाज" क्या है?

*दवाइयां:*

o स्टैटिन्स

o मेटफॉर्मिन

o एंटी-डिप्रेसेन्ट्स

o ओजेम्पिक

*यह इलाज नहीं — सब्सक्रिप्शन है!*

आप जियो, लेकिन हमेशा दवाइयों पर निर्भर रहो।

*Big Food आपको बीमार करता है।*

*Big Pharma आपको जिंदा रखता है।*

*Big Insurance आपको सब कुछ चुकवाता है।*

और आपको जानकर हैरानी होगी कि…

इन तीनों के मुख्य शेयरधारक कौन हैं?

• Vanguard

• BlackRock

• State Street

और वही लोग निवेश करते हैं...

• खाने में

• दवाइयों में

• न्यूज नैरेटिव में

इसलिए भारत ने *साफ मना कर दिया* और फिर क्या हुआ?

*ट्रंप के ट्वीट्स:*

• पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध दिखाना

• पश्चिमी मीडिया का भारत विरोधी रुख

*विपक्ष की आवाज:*

• मोदी सरकार असफल रही

लेकिन कोई यह नहीं कहता कि... *क्यों?*

*क्योंकि यह “ट्रेड डील” नहीं, भारत को बीमार बनाने की योजना है।*

अगर भारत अमेरिका की इस "ट्रेड डील" पर साइन करता है, तो क्या खोएगा?

• हमारे किसान

• हमारे बीज

• हमारी मिट्टी का स्वाभिमान

• हमारा भविष्य

ये खलनायक कौन हैं?

*कृषि क्षेत्र में:*

• Bayer (Monsanto)

• ADM

• Cargill


*खाद्य क्षेत्र में:*

• Nestlé

• PepsiCo

• Kraft


*फार्मा क्षेत्र में:*

• Pfizer

• Johnson & Johnson

• Merck


*बीमा क्षेत्र में:*

• United Health


और इन सबके पीछे कौन है?

वही महंगे निवेशक,

वही डॉलर!

वही खतरनाक योजना।

अगली बार जब कोई पूछे:

अमेरिका की शर्तें मान लेने में क्या हर्ज है?

तो उन्हें कहो:

आप अपने घर के बच्चों को खिलाओगे, या उनकी फैक्ट्रियों को?

यह एंटी-अमेरिका नहीं है, यह है:

• मिट्टी के पक्ष में

• सत्य के पक्ष में

• भविष्य के पक्ष में

और अगर किसी को लगता है कि *भारत सिर उठा रहा है*, तो लगने दो

क्योंकि अगर हम उनकी शर्तों पर साइन कर लेंगे, तो सिर्फ एक करार नहीं खोएंगे... बल्कि अपने पैरों तले की जमीन खो देंगे।

यह लेख पढ़कर सभी को समझना चाहिए कि अमेरिका की दादागिरी के खिलाफ पूरी दुनिया में सिर्फ *एक ही आदमी* लड़ रहा है और उसे सपोर्ट करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। 🙏

यह लेख वाकई आंखें खोल देने वाला है और जिसकी आंखें खुल गई हों, वह एक बार जरूर शेयर करे। 🙏जय माताजी की!🚩🚩