dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

गुरुवार, 25 मई 2023

लो भाई 3 पूर्व भारतीय प्रधानमंत्रियों पर प्रश्नोत्तर।

Q1: थुसु रहमान बाई नाम से महिला कौन है ?

Ans: पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की माँ।

Q2: जवाहरलाल नेहरू के पिता कौन हैं ?

Ans: श्री मुबारक अली

Q3: मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू के बीच क्या संबंध है ?

Ans: मुबारक अली की मृत्यु के बाद मोतीलाल नेहरू, थुसु रहमान बाई के दूसरे पति हैं। मोतीलाल मुबारक अली के कर्मचारी के रूप में काम कर रहा था और वह उसके लिए दूसरी पत्नी है। तो मोतीलाल नेहरू जवाहरलाल नेहरू के सौतेले पिता हैं।

Q4: क्या जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडित जन्म से हैं ?

Ans: नहीं, पिता और माता दोनों ही मुसलमान हैं।

Q5: क्या जवाहरलाल नेहरू अपने सौतेले पिता की वजह से अपना हिन्दू नाम रखे हुए थे ?

Ans: हाँ, क्योंकि ये नाम एक पर्दा था। लेकिन मोतीलाल भी खुद कश्मीर पंडित नहीं हैं।

*Q6: मोतीलाल के पिता कौन हैं और पंडित उनके नाम के साथ कैसे जुड़ गए ?*

Ans: मोतीलाल के पिता जमुना नहर (नेहर) के ग़यासुद्दीन गाज़ी हैं जो 1857 के विद्रोह के बाद दिल्ली भाग गए और फिर कश्मीर चले गए।

वहाँ उन्होंने अपना नाम गंगाधर नेहरू में बदलने का फैसला किया ('नहर/नेहर' 'नेहरू' बन गए) और "पंडित" को इस नाम के सामने इसलिए रखा कि वे लोगों को अपनी जाति पूछने का कोई मौका न दे। अपने सिर पर टोपी (टोपी) के साथ पंडित गंगाधर नेहरू इलाहाबाद चले गए।

उनके बेटे मोतीलाल ने लॉ की डिग्री पूरी की और लॉ फर्म के लिए काम करना शुरू किया।

Q7: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के माता-पिता कौन हैं ?

Ans: जवाहरलाल नेहरू के सौतेले पिता से जन्मे मंसूर अली (मुस्लिम) और कमला कौल नेहरू (एक कश्मीरी पंडित)।

Q8: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के माता-पिता कौन हैं ?

A: जहांगीर फ़िरोज़ खान (फ़ारसी मुस्लिम) और इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू उर्फ मामूना बेगम खान।

इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू उर्फ मामूना बेगम खान- w/o जहांगीर फिरोज खान (फारसी मुस्लिम), जिन्होंने बाद में मोहनदास करमचंद गांधी की सलाह पर अपना नाम बदलकर गांधी रख लिया।

उनके दो बेटे राजीव खान (पिता फिरोज जहांगीर खान) और संजीव खान (नाम बाद में बदलकर राजीव गांधी व संजय गांधी हो गए) संजय के पिता भी फिरोज़ नही बताये जाते।

Q9: क्या जवाहरलाल नेहरू (भारत के पूर्व प्रधानमंत्री), मुहम्मद अली जिन्ना (पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री) और शेख अब्दुल्ला (कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री) एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं ?

Ans: हाँ

 *ऊपर बताए गए तीन लोगों की माताओं में एक ही पति मोतीलाल नेहरू थे।

 *जिन्ना की मां मोतीलाल की चौथी पत्नी हैं।*

 *अब्दुल्ला मोतीलाल की 5 वीं पत्नी जो उनके घर की मेड थी के माध्यम से है।

*इसलिए दोनों के पिता एक ही थे। जबकि जवाहर लाल के पिता मोतीलाल जवाहर लाल के सौतेले पिता हैं।

Q10: आपको ये सभी उत्तर कहां से मिले, जबकि मुझे इतिहास की पुस्तकों में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है, जिसका मैंने अध्ययन किया है ?l

Ans: एम. ओ. मथाई (जवाहरलाल नेहरू के निजी सहायक) की जीवनी से।

👉 *एम.ओ. मथाई!!*

सभी को फॉरवर्ड करें :--

           *बहुत कम लोगों को पता है कि यह परिवार भारत के लोगों को धोखा दे रहा है।"*

*सबको असलियत से रूबरू करायें*

[: लो खोद के लाया हूं घोटाले बाज काग्रेस का कच्चा चिठ्ठा :-

क्या आपको पता है मोदी जी कड़े निर्णय कहीं भी क्यों नहीं ले पाते हैं ❓

ऐसे में वह जो भी कर पा रहे हैं वह भी बड़ा चमत्कार है आश्चर्यजनक है

 नीचे लिखा अगर आप पढ़ेंगे तो आपको पता लग जाएगा

*देश मे मुस्लिम और क्रिश्चियन का कार्ड खेलने वाली कांग्रेस ने देश मे क्या-क्या गुल खिलाये हैं...!

*जानना हरेक भारतवासी का हक़ है...

2008 मे कांग्रेस सरकार बनने के बाद सोनीया उर्फ एन्टोनियो माइनो और राहुल खान के काले कारनामे...👇

*मुस्लिम क्रिस्चियन आरक्षण का कहर !*

राष्ट्रपति सचिवालय मे कुल पद : 49 

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 45

हिन्दू : 4

उप राष्ट्रपति सचिवालय मे कुल पद : 7 

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 7

हिन्दू : 00

मंत्रियो के कैबिनेट सचिव कुल पद : 20

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 19 

हिन्दू : 1 

प्रधानमंत्री कार्यालय मे कुल पद : 35

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 33

हिन्दू : 2

कृषि-सिचंन विभाग मे कुल पद : 274

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 259

हिन्दू : 15

रक्षा मंत्रालय मे कुल पद : 1379

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 1331

हिन्दू : 48

समाज-हैल्थ मंत्रालय कुल पद : 209

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 192

हिन्दू : 17

वित्त मंत्रालय मे कुल पद : 1008

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 952

हिन्दू : 56

ग्रह मंत्रालय मे कुल पद : 409

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 377

हिन्दू : 32 

श्रम मंत्रालय मे कुल पद : 74

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 70

हिन्दू : 4

रसायन-पेट्रो मंत्रालय कुल पद:121

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 112

हिन्दू : 9

राज्यपाल-उपराज्यपाल कुल पद : 27 

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 20

हिन्दू : 7

विदेश मे राजदूत : 140

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 130

हिन्दू : 10

विश्वविद्यालय के कुलपति पद : 108

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 88

हिन्दू : 20

प्रधान सचिव के पद : 26

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 20

हिन्दू : 6

हाइकोर्ट के न्यायाधीश : 330

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 326

हिन्दू : 4

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश : 23

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 20

हिन्दू : 03

IAS अधिकारी : 3600

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 3000

हिन्दू : 600

PTI कुल पद : 2700 

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 2400

हिन्दू : 300

1947 से अब तक किसी सरकार ने इस तरह से सविँधान को अनदेखा और इस का उल्लंघन नहीं किया,  सरकार की नजरों तो जैसे मुस्लीम से श्रेष्ठ, ईमानदार, योग्य, अनुभवी और मेहनती कोई दूसरी जातियो्ँ है ही नहीं... 

*क्या ये सब कानून का उल्लंघन और सविँधान के खिलाफ नहीं था ?

आपको यह सन्देश 3 लोगो को भेजना है।

3 × 3 = 9

9 × 3 = 27

*बस आपको तो एक कड़ी जोड़नी है,*

*देखते ही देखते पूरा देश जुड़ जायेगा.*

जय हिंद, जय भारत |

गुरुवार, 18 मई 2023

बेरसाइतिक पूजा , साभार : सुश्री सीमा झा (mithilasanskar)

 बेरसाइतिक पूजा (नव विवाहित कनिया )

साभार : सुश्री सीमा झा (mithilasanskar)
सामाग्री –
1. बियैन-8 टा
2. डाली -8 टा
3. बोहनी-1
4. अहिवात
5. उड़ीदक दालि के बङ-14
6. सुतरी
7. सरवा -२
8. मईटक नाग-नगीन
9. केरा क पात
10. लावा
11. एकटा सरवा में दही
12. मुंग (फुलायल नवेद्यक वास्ते )
13. चना फुलायल
14. लाल कपङा
15. कनिया -पुतरा
16. साजी
17 अरवा चौर
18. जनॐ -एक जोङ आ गोटा सुपारी
19. फल ,फूल ,मिठाई
20. कांच हरैद ,दुईब,गोटा धनिया
21 बिन्नी (ललका कपङा में चौर,दुईब , हरैद बांधल)
22 .दूध
विधि -
एक दिन पहिने कनिया नहा धोय कए अरवा भोजन करथिन.
साँझ खन भगवती ,महादेव ,ब्राह्मण ,हनुमान आर गौरी कें गीत गावि, दुईब ,कांच हरैद ,धनिया (कनी )फेंट कए गौर बनत,जकरा ढउरल सरवा पर एकटा सिक्का पर गौरी राखि पान क पात स झापि ,पान क पातक ऊपर सिंदूरक गद्दी राखि ललका कपडा स झापि भगवति लग राखि देवेइ I
उङद दालि के फुला के १४ टा बड़ पकैल जायत ,जकरा सरेला पर सुतरी में गांथल जायत (बिना सुइया के) बड़ गुथल सुतरी के बोहनी के मुँह पर बांधल जायत I
केरा के पात पर सिन्दूर आ काजर सँ बिष-विषहारा लिखल जायत I
राति खन कनी मुंग आ बेसी बूंट (कला चना ) फुलय ल पड़तय I
वट सावित्री पूजा क दिन
नव कनियाँ नहा धो क सासुर स आयल नव कपङा पहिर के श्रृंगार कय ,खौछ लय ,भगवती क पूजा कय ,हाथ में साजी (जाही में कनिया पुतरा रहत ),आ माथ पर बोहनी (जाही में लाबा भरल रहत आ जकरा मुँह पर सुतरी में बांधल 14 टा बङ रहत )लय के भगवती के गोङ लागी सब संगे बङ क गाछ तर जेती
गाछ तर बोहनी में राखल लाबा कर के पात पर राखि देथिन आ ओही बोहनी में पानि भैर देथिन
गाछ तर अरिपन रहत ,एकटा अरिपन के ऊपर 7 टा बिअनि रहत ,आ सात टा डाली में फुलायल बूंट ,फल ,मिठाई राखल रहत
गाछ तर अहिवात जरायल जैत
एक टा डाली में चौर ,सुपारी जनऊ,पैसा फल -मिठाई राखल रहत जे पूजा के बाद पंडित क य देल जायत
आम क पात पर 60(साइठ )ठाम फुलायल मुंग आ फल -मिठाई के नवेद्य लगायल जायत
एकटा बियनि पर आ एक टा आम पर पांच टा सिन्दूर लगा बङ के गाछ के जैङ में ‍‍राखल जैत
अरिपन पर विष-विषहारा लिखल पात राखि ओही पर मईटक विष -विषहारा राखल जायत
कनिया एक टा बङ क पात केश में खोसती
सबटा ओरिआन बाद कनियाँ गौरी सबहक(सासूर बला,नहिअर बला जे राति में बनल आ विवाह बला ) आगु नवेद्य राखि फूल आ सिन्दूर लय गौरी पूजति
ओकरा बाद बिन्नी हाथ में लय जांघ तर बोहनी राखि कथा सुनति(कथा ब्लॉग में नीचां उपलब्ध भेटत )
कथा सुनला के बाद कनिया साङी के खूंट पर गाछ तर रखलाहा आम आ एक टा सिन्दूर क गद्दी ल के मौली धागा बांधैत गाछ के चारू तरफ पांच बेर घूमती
फेर गाछ तर राखल बियनि से गाछ के तीन बेर होंकैत गला मिलति
आब पुतरा के हाँथों कनिया के सिंदूरदान हेतई (कनिये करेती)
ओकरा बाद सबटा नवेद्य उसगरति ,आ विष-विषहरा के दूध लाबा चढेति
बोहनी में बांधल सबटा बङ के वायां हाथ के अंगुठा और अनामिका स तोरी के एक बेर आगु आ एक बेर पाछु फेकैत फकरा पढती-बङ लिय(पाछु ),मर दिय (आगु )
ओकरा बाद माथ पर फेर बोहनी उठेती ,हाथ में साजी लेती आ भगवती घर में एती
गाछ तर राखल डाली सेहो उठी के भगवती घर में रखायत
भगवती के गोङ लगी 7 टा अहिवाती के डाली देथिन आ सब पैघ सब के गोङ लागी आशीर्वाद लेती
कथा
एक टा गाम में एकटा ब्राह्मण अपना कनियाँ और सात टा पुत्र संगे खुशी खुशी रहेत छलाह Iहुनका घर के चौका में चिनवार लग एक टा नाग-नागिन अपन बिल बना क रहेत छल Iब्राह्मण क कनिया साँपक डरे प्रतिदिन भात पसेला क बाद ओकर गरम माँर साँप क बिल में ढारि दैत छलईथ जाहि सं साँप क सबटा पोआ(बच्चा ) सब मरि जाईत छल I निरंतर अपन पोआ सब के मरला सं क्रोधित भय नाग –नागिन एक दिन ब्राह्मण के श्राप देलखिन जे “जेना अहाँ हमार बच्चा सब के मारलउ तहिना अहाँ के वंश के सबटा बच्चा सब साँप के कटला से मरि जायत “I समयांतराल में ब्राह्मण के बङका बेटा के हर्षो- उल्लास सं विवाह भेलनि Iविवाहोपरांत ब्राह्मण बेटा कनियाँ के द्विरागमन करा अपना घर दिश बिदा भेला I रास्ता में किछु देर क वास्ते सुस्तेवा लेल एक टा वट वृक्ष क नीचा में दुनू बर कनियाँ बैसलाह Iओहि गाछ के जैङ में एकटा धोधैर चल जाहि में नाग-नागिन रहित छलईथ I नाग-नागिन धोधैर सं निकलि दुनू बर कनियाँ के डैस लेलखिन जाहि सं दुनू के मृत्यु भय गेल I ब्राह्मण क घर में दुःख के पहाङ टूटि परल I अहिना क कय ब्राहमण के छ्हो पुत्र के एक एक करि कय कसर्प-दोष सं मृत्यु भय गेलनि I ब्राह्मण –ब्राह्मणि चिंतित रहअ लगला आ अपन छोटका बेटा के हमेशा अपना आँखि के सामने रखैत छलैथ I बेटा के हमेशा झापि-तोपि के रखैत छलैथ कि कतहुँ साँप –बिच्छु ने काटि लई I ब्राह्मण क बेटा जखन पैघ भेला त धनोपार्जन हेतु घर से बाहर जेबा लेल जिद करय लगला I पहिने त हुनकर माता-पिता हुनका बाहर भेजवा लेल तैयार नई होईत छला ,फेर एही शर्त पर राजी भेला कि हमेशा अपना संगे एकटा छाता और जूता रखता I शर्त मानी ब्राह्मण बेटा घर सं बिदा भेला I जाईत-जाईत एकटा गाम लग पहुचला, गाम के बाहर एकटा धार छल ,ब्राह्मण बेटा जूता पहिर लेलथि आ धार के पार करअ लगला I तखने गाम के किछु लङकी सभहक झुण्ड सेहो धार पार करैत छल Iसब सखि सब ब्राह्मण के बेटा के जुत्ता पहिर पानि में जाईत देखि ठठहा के हंसअ लगली आ कह लगली कि – “हे देखू सखि सब केहन बुरबक छै ई ब्राह्मण बेटा पानि में जूता पहिरने अईछ “I ओहि झुण्ड में एकटा सामा धोबिन के बेटी सेहो छल से सखि सबके अपन तर्क देलखिन जे –हे सखि नई बुझलौं ,ब्राह्मण बेटा पानी में जूता एही दुआरे पहिरने ऐछ जाहि सं पनि में रहै बला साँप –कीङा ओकरा पैर मे नइ काटि लइ” I ब्राह्मण बेटा ओहि लङकी के तर्क सुनि चकित भेला I धार पार कय सब गोटा आगु बढ़ल ,धुप बेसी छल मुदा ब्राह्मण बेटा छाता अपना कांख तर दबने रहल, सब सखि सब मुँह झाँपी मुस्कुरैत रहलि आ सोचैत छलि ,जे एतेक धुप छै आ ई मानुष छत्ता कांख तर दबेने ऐछ Iबर रौउद छल आ गाम क उबर-खाबङ मैइटक रस्ता ,सब गोटा चलैत-चलैत थाईक गेल I रस्ता कात में एकटा बरका विशाल बङ क गाछ छल जकरा देख सब गोटा ओहि छाया में विश्राम करवा हेतु गाछ तर बैस रहल I ब्राह्मण बेटा जखने गाछ तर बैसला अपन कांख तर दबैल छत्ता खोइल ताइन लेलइथ I सब सखि सब फेर जोर सं हंस लागलि आ कह लागलि जे – “देखिअऊ इ मानुष के धुप छल त छत्ता कांख तर देवेने छल आ जखन गाछ तक छाया में बैसल ऐछ त छत्ता तनने ऐछ “I सामा धोबिन क बेटी जे ब्राह्मण बेटा के बार ध्यान सं देख रहल छालैथ,फेर अपन तर्क देलखिन जे –“ हे सखि सब अहाँ सब फेर नई बुझलौं ,इ ब्राह्मण बेटा गाछ पर रहै बला साँप-कीङा सं अपना क बचबै लेल गाछ तर छत्ता तनने ऐछ “I ब्राह्मण क बेटा जे बरि काल सं सामा बेटी के तर्क सुनैत छला ,ओकर बात सं ततेक प्रभावित भेला कि सोचलैथ कि अगर विवाह करब त एही चतुर कन्या सं करब Iब्राह्मण बेटा गाम क धोबिन लग गेला आ धोबिन सामा सं कहलखिन जे हम आहाँ क चतुर बेटी सं विवाह कर चाहैत छी I सामा धोबिन तैयार भय गेलि आ खुशी –खुशी दुनू के विवाह कय देलखिन I जखन विदागरी क समय आयल त सामा धोबिन कहलखिन जे –“हे बेटी हम त गरीब छी ,हमरा लग धन –दौलत किछु नहि अछि, अहाँ के हम विदागरी में कि दिय ?” सामा क बेटी ताहि पर उत्तर में कहलखिन जे –“हे माय अहाँ हमरा किछु नय मात्र कनी धान क लाबा ,कनी दूध ,बोहनी आ एक ता बियन दिय आ आशीर्वाद दिय जे हम अपना पति आ हुनकर वंश वृद्धि में सहायक होइयन I” सामा धोभिन सब चीज जे हुनकर बेटी कहलकैन ओरिआन कय क देलखिन आ आशीर्वाद दय दुनू बर कनियाँ के बिदा केलखिन Iब्राह्मण बेटा अपना कनियाँ क लय अपना गाम दिश चल लगला I चलैत-चलैत जखन दुनू गोटा थाईक गेला त विश्राम करवा लेल एक टा बङ गाछ के नीचा में रुकि गेला I सामा धोबिन क बेटी अपन माय क देल सबटा समान गाछ के निचा में राखि अपना वर संगे आराम करय लगलि I ओही बङ के जइङ में एकटा नाग अपना नागिन बिल में संगे रहैत छल Iगाछ के जैङ लग दूध, लाबा आ बोहनी में राखल पानि देखि नाग कय भूख और प्यास जागृत भय गेल आ नाग अपना बिल सं निकलि बाहर जेवाक लेल व्यग्र भ गेला I नागिन बार बार मना कर लागलैथ किन्तु नाग नइ मानलैथ आ बाहर आबि जहिना बोहनी में राखल पानी के पिबा लेल ओहि में मुहँ देलखिन, धोबिन बेटी नाग समेत बोहनी के हाथ सं पकङि अपना जाँघ तर में दाबि क राखि लेलैथ I नाग कतबो प्रयाश केलैथ निकलि न हि पेलैथI जखन बरि काल बितला क बादो नाग घुरि क नहीं अयलाह त नागिन बाहर निकललि आ देखलखिन जे नाग के त एकटा नव कनियाँ पकङने अछि I नागिन ओकरा से कहलखिन कि नाग क छोङि दिअऊ ,परन्तु सामा बेटी नइ मनलखिन I नागिन के निरंतर अनुनय –विनय क बाद धोबिन बेटी एकटा शर्त राखलखिन जे –“हे नागिन हम अहाँ के पति नाग राज के तखने छोङबनि जखन अहाँ हमरा पति आ हुनकर वंश के सर्प-दोष सं मुक्त करब संगहि हुनकर छबो भाई के जे मरि गेल छैथ के पुनः जीवित करब “ I नागिन विवश छलि धोबिन बेटी के शर्त मानवा लेल I नागिन स्वर्ग सं अमृत अनलेइथ आ ब्राह्मण के सबटा पुत्र ,पुत्रवधु के जीवित कय सर्प –दोष सं मुक्त कय सब के आशीर्वाद देलखिन I तखन जा क धोबिन बेटी नाग के छोङलखिन और अपन करनी लेल क्षमा माँगी नाग –नागिन के प्रणाम केलैथ I तखन नाग नागिन ब्राह्मण के सबटा पुत्र आ पुत्रबधु सबके आशीर्वाद दैत कहलखिन –“जेष्ठ मॉस के अमावश्या दिन विवाहित कनियाँ सब ज्यों बङ के गाछ के पूजा करति आ बिष-विषहारा के दूध लाबा चढ़ा हुनकर पूजा करती तँ हुनकर सब के सुहाग अखण्ड रहतेंन “I
नाग –नागिन सं आशीर्वाद लय ब्राह्मण क सातों पुत्र आ सातों कनिया जखन अपना घर पहूँचला त ब्राह्मण –ब्राह्मणि के प्रसन्ता के नई त कुनु ओर रहलनि न छोङ आ दुनू गोटा धोबिन सामा के बेटी के बहुत बहुत आशीर्वाद देलखिन Iओकरा बाद सब गोटा प्रसन्ता पूर्वक रहअ लगला I
समाप्त
फ़ोटो साभार : आनंद झा आ सीमा झा, राधा कुमारी, অশ্বিন ৰাজপুত

मंगलवार, 16 मई 2023

कलयुग के लक्षण

1. कुटुम्ब कम हुआ  ---

2 सम्बंध कम हुए ----

3. नींद कम हुई. ---

4. बाल कम हुए ----

5. प्रेम कम हुआ  ---

6. कपड़े कम हुए -----

7. शर्म कम हुई• ---

8 . लाज-लज्जा कम हुई---- 

9. मर्यादा कम हुई --

 10. बच्चे कम हुए ---

11. घर में खाना कम हुआ---

12. पुस्तक वाचन कम हुआ ---

13. भाई-भाई प्रेम कम हुआ---

 15. चलना कम हुआ ----

16. खुराक कम हुआ ---

17. घी-मक्खन कम हुआ---

 18. तांबे - पीतल के बर्तन कम हुए---

 19. सुख-चैन कम हुआ--- 

 20. मेहमान कम हुए---

 21. सत्य कम हुआ---

 22. सभ्यता कम हुई ----

23. मन-मिलाप कम हुआ

 24. समर्पण कम हुआ  --- इतियादी .

               संतान को दोष न दें...  -----

बालक या बालिका को 'इंग्लिश मीडियम' में पढ़ाया...

'अंग्रेजी' बोलना सिखाया... 

'बर्थ डे' और 'मैरिज एनिवर्सरी'

जैसे जीवन के 'शुभ प्रसंगों' को 'अंग्रेजी कल्चर' के अनुसार जीने को ही 'श्रेष्ठ' मानकर...

माता-पिता को 'मम्मा' और

'डैड' कहना सिखाया...

जब 'अंग्रेजी कल्चर' से परिपूर्ण बालक या बालिका बड़ा होकर, आपको 'समय' नहीं देता, आपकी 'भावनाओं' को नहीं समझता, आप को 'तुच्छ' मानकर 'जुबान लड़ाता' है और आप को बच्चों में कोई 'संस्कार' नजर नहीं आता है, 

तब घर के वातावरण को 'गमगीन किए बिना'... या...

'संतान को दोष दिए बिना'...

कहीं 'एकान्त' में जाकर 'रो लें'...

क्योंकि...-------

पुत्र या पुत्री की पहली वर्षगांठ से ही,

'भारतीय संस्कारों' के बजाय

'केक' कैसे काटा जाता है ? सिखाने वाले आप ही हैं...

'हवन कुण्ड में आहुति' कैसे डाली जाए... 

'मंदिर, मंत्र, पूजा-पाठ, आदर-सत्कार के संस्कार देने के बदले'...

केवल 'फर्राटेदार अंग्रेजी' बोलने को ही,

अपनी 'शान' समझने वाले आप...------

बच्चा जब पहली बार घर से बाहर निकला तो उसे

'प्रणाम-आशीर्वाद' के बदले

'बाय-बाय' कहना सिखाने वाले आप...

परीक्षा देने जाते समय ----

'इष्टदेव/बड़ों के पैर छूने' के बदले

'Best of Luck'

कह कर परीक्षा भवन तक छोड़ने वाले आप...

बालक या बालिका के 'सफल' होने पर, घर में परिवार के साथ बैठ कर 'खुशियाँ' मनाने के बदले...

'होटल में पार्टी मनाने' की 'प्रथा' को बढ़ावा देने वाले आप...

बालक या बालिका के विवाह के पश्चात्...

'कुल देवता / देव दर्शन' 

को भेजने से पहले... 

'हनीमून' के लिए 'फाॅरेन/टूरिस्ट स्पॉट' भेजने की तैयारी करने वाले आप...

ऐसी ही ढेर सारी 'अंग्रेजी कल्चर्स' को हमने जाने-अनजाने 'स्वीकार' कर लिया है...

अब तो बड़े-बुजुर्गों और श्रेष्ठों के 'पैर छूने' में भी 'शर्म' आती है...

गलती किसकी..? 

मात्र आपकी '(माँ-बाप की)'...

अंग्रेजी International 'भाषा' है... 

इसे 'सीखना' है...

इसकी 'संस्कृति' को,

'जीवन में उतारना' नहीं है...

मानो तो ठीक...

नहीं तो भगवान ने जिंदगी दी है...

चल रही है,चलती रहेगी...

आने वाली जनरेशन बहुत ही घातक सिद्द्ध होने वाली है, हमारी संस्कृति और सभ्यता विलुप्त होती जा रही है,बच्चे संस्कारहीन होते जा रहे हैं और इसमें मैं भी हूं,अंग्रेजी सभ्यता को अपना रहे 

सोच कर, विचार कर अपने और अपने बच्चे, परिवार, समाज, संस्कृति और देश को बचाने का प्रयास करें...

हिन्दी हमारी राष्ट्र और् मातृ भाषा है इसको बढ़ावा दें, बच्चों को जागरूक करें ताकि वो हमारी संस्कृति और सभ्यता से जुड़ कर गौरवशाली महसूस करें..!!