dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014


Swabhiman

आब जीबे क की करब,
जखन स्वाभिमाने नै रहल!
अपन पहिचान रहितो,
दोसरक पहिचान ल जीबे छी!!
आब जीबे क की करब,
जखन मातृभूमि सँ दूर भेलौ!
अपन खेत पथार रहितो,
दोसरक खेत पटबै छी!!
आब जीबे क की करब,
जखन मातृभाषा बिसरलौँ!
अपन समृद्द भाषा रहितो,
दोसरक बोली बजै छी!!
   :गणेश कुमार झा "बावरा"

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

शिव भक्ति - बंदना आ भजन


महा शिवरात्रिक पुजनोतसब शुभ अवसर पर - सुनिल कुमार झा (पवन) जी के मुखारबिंद सन सुनल जाओ - शिव भक्ति बंदना आ भजन

आडंबरी मिथिला आ पूँजी-पलायन


    जमीन्दारी प्रथा जहिया रहल आ अंग्रेजकेँ मालगुजारी तथा रैयत सँ लगान लेबामे भरुवापन्थी देखबैत सामन्ती जमीन्दार बिचोलियागिरी करैत रहल ताहि समयसँ मिथिला समाजमे कतेको तरहक दिखावटीपन प्रवेश केलक से ऐतिहासिक साक्ष्यसँ स्पष्ट अछि। ओ चाहे दरभंगा महाराजा होइथ या फेर तमाम ड्योढि-दरबार चलेनिहार, मुसलमान शासक सँ लैत अंग्रेजी हुकुमत केर सामने नतमस्तक होइत भूमिव्यवस्था संचालन करैत रहला आ गोटेक-आधेक निष्ठावान बनि आम-किसानकेँ जमीनक मालिक मानि ईमानदार सिद्धान्तसँ काज कयलाह, मुदा अधिकांशत: उद्धरण बेईमानी व क्रूरताक देखाइत अछि - ई एक महत्त्वपूर्ण कारण अछि जे आइ मिथिला विपन्न अवस्थामे आ टूटल-बिखडल समाजक संग बिना कोनो अपन वजूद आगू बढि रहल अछि। वर्तमान मिथिलाक किछु भाग नेपाल मे आ किछु भाग भारतमे पडैत अछि, अपन कहि बस पौराणिक इतिहास आ निस्सन्देह एक पूर्ण संस्कृति धरि मिथिलाक अलगे सम्मानपूर्वक स्थापित करैत अछि। 

वर्तमान समयमे दिखावटीपन तथाकथित पैघ वर्ग लेल चरम पर अछि। एहि दिखावाक परिणाम मिथिलाक्षेत्र घोर-विपन्न रहितो बहुत पैघ परिमाणमे पूँजी पलायनकेर कारक बनैत देखा रहल अछि। जन्मसँ मृत्यु धरि मिथिलामे उत्सव मनेबाक, कुलदेवता प्रति समर्पित रहबाक आ मिष्ठान अन्नदान करबाक संग आरो निहित न्युनतम कर्मकाण्डीय व्यवहार अनिवार्य रहल छल। लेकिन आब एहि समस्त व्यवहारमे तथाकथित समृद्ध लोकवर्ग द्वारा किछु बेसिये प्रदर्शनकारी आ अनावश्यक खर्चा सँ भरल व्यवहारसँ समाज पूर्णरूपेण प्रदूषित भऽ गेल अछि, जेकर दुष्परिणाम यैह जे विशाल पूँजी सकारात्मकतामे नहि लगानी भऽ निरर्थक विनाशकारी निर्माणमे मिथिला सँ बाहर ठेला रहल अछि। एखन संछिप्त मे एतबी कहय चाहब (निचाँ देल एक फोटोक आलोकमे), भोजभात हो या दान-दहेज या श्राद्धदान - सब किछु आडंबरी आ खर्चीला बनि गेल अछि, समस्त खर्चा बनियाक दोकानक मार्फत बैंकमे आ बैंकक मार्फत संकलित पूँजी विकासशील वा विकसित राज्यक उद्योग ऋणमे आ फेर हमरा लोकनिक धियापुता ओहि विकासशील-विकसित राज्यमे प्रवासी बनि अपन टैलेन्ट केँ बंधुआ मजदूरक दरपर लीलाम करैत सिट्ठी चूसबाक लेल मजबूर अछि। 




रविवार, 23 फ़रवरी 2014

सगर राति दीप जरए , आन्दोलन आ बभनभोज- अतुलेश्वर


सगर राति दीप जरए , आन्दोलन आ बभनभोज- अतुलेश्वर
कथा साहित्यक प्रकाशन करए वला पत्र-पत्रिका अभावक कारण एकटा प्रश्न ठाढ़ भेल कि यदि मैथिलीक रचनाकारकें अपन रचनाक लेल कोनो मंच नहि भेटत तँ मैथिली आबयवला समयमे रचनाकारक अभाव सँ गुजरि सकैत अछि। आ मैथिली भाषा आ साहियक क्रान्तिकारी पुरुष डा.काञ्चीनाथ झा किरणक जन्म दिवसक अवसर पर लोहना गाममे जे समारोह आयोजन भेल छल ओहिमे पंजाबी भाषामे जहिना भरि रातिक कथा गोष्ठी कयल जा रहल छल ओहिना मैथिली भाषामे आरम्भ कयल जाए। आ कथा साहित्यक पुरोधा आ युवा साहित्यकारक पथपर्दशक स्व. प्रभाष कुमार चौधरीक नेतृत्वमे ई आन्दोलन प्रारम्भ भेल । कहल जा सकैछ जे काल सापेक्ष ई आन्दोलन मैथिली साहित्य लेल वरदान साबित भेल,कारण कतेको कथाकार, आलोचक एहि आन्दोलन सँ मैथिली साहित्य मध्य उपस्थित भेलाह तँ दोसर दिश एक नव आलोचनाक बाट फूजल। मुदा आइ काल्हि तँ एहि मे कथाक चर्चा सँ बेशी मानकीकरण,कखनो जातिवाद,कखनो भत्ताक गप्प होइत अछि। एतेक धरि जे कथाक गोष्ठीक अस्मिता पर कुठाराघात करैत किछु मैथिली अहित सेवी लोकनि ओकरा सरकारी संस्थाक कार्यक्रमसँ जोड़ि ओकर अस्मिता आ स्वतंत्रताक नष्ट करबाक प्रयास क’ रहल छथि। कारण जखनहिं साहित्य अकादेमी आ सरकारी संस्था सभसँ जोड़ल जाएत तँ एहि गोष्ठी सँ जनसहभागिता कम भेल जाएत आ कथा गोष्ठी अपन उद्देश्यक बाटसँ भटकि जाएत ई षडयंत्र हमरा जनैत एहि कारणेँ कएल जा रहल अछि , जे मैथिलीमे नव-नव रचनाकारक अभाव हुअए आ मैथिली साहित्य किछु वर्ग धरि सिमटि जाए। एहि तरहेँ बहुतों गोटा एहि बेरक कथा गोष्ठीकेँ सगर राति दीप जरएक श्रृंखला सँ नहि जोड़बाक आग्रह कयलन्हि अछि समर्थन हमरो अछि,कारण यदि हम सभ विरोध नहि करब तखनि ई लोकनि हमर सभक अस्मिता पर एहिना आघात कयल करताह आ जेकरा रोकब आवश्यक अछि, एहि लेल एकजूट होयब जरूरी अछि।नहि तँ एकटा आन्दोलन षडयंत्रक फाँसमे समाप्त भ’ जाएत।
हँ एहि गोष्ठी मे एकटा बात उठल छल जे बभनभोज। गोष्ठी कथा गोष्छी नहि भ’ बभनभोज भ’ गेल , ई सगर राति दीप जरए लेल एकटा आर आघात भेल । आशा करब आदरणीया विभा रानी सँ जे एहि आन्दोलनक दीपकेँ उद्देश्य सँ नहि भटकय देथि पुनः माँ जानकीक भाषा मैथिलीक आन्दोलन अपन उद्देश्य मे लागि जाए। आ सगर राति दीप जरए मैथिली कथा साहित्यक दीपकेँ मात्र जरौने टा नहि रहए ओ सम्पूर्ण विश्वमे मैथिली कथा साहित्यक दीप जगमगबैत रहए । एहि कामनाक संग हम सभ पुनः अपन आन्दोलनक नेतृत्व स्वयं करी आ घुसपैठिया लोकनिकेँ एहि आन्दोलन सँ भगाबी । एहि उद्देश्य संग दक्षिण भारत आबि आ माँ जानकीकेँ मोन पाड़ि।

शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

कथा मि‍लन सदाय-सगर राति‍ दीप जरय केर 80म गोष्‍ठी (निर्मलीमे आयोजि‍त)-80म सगर राति‍ दीप जरय'' निर्मलीमे 45 गोट पोथीक लोकार्पण-रिपोर्ट उमेश मण्डल




80म सगर राति‍ दीप जरय'' निर्मलीमे 45 गोट पोथीक लोकार्पण-

बाल निबंध-

1. देवीजी (ज्योती झा चौधरी) कवि‍ राजदेव मण्डल

वि‍वि‍धा-

1. कुरुक्षेत्रम अन्तर्मनक- (गजेन्द्र ठाकुर) डॉ. बचेश्वर झा

शब्द.कोष-

1. अंग्रजी-मैथि‍ली शब्दकोष- (गजेन्द्र ठाकुर) डॉ. रामाशीष सिंह
2. मैथि‍ली-अंग्रेजी शब्दकोष- (गजेन्द्र ठाकुर) डॉ. अशोक अवि‍चल
वि‍हनि‍ कथा संग्रह-
1. बजन्ता-बुझन्ता (जगदीश प्रसाद मण्डाल) अनुमण्‍डलाधि‍कारी अरूण कुमार सिंह
2. तरेगन- दोसर संस्करण (जगदीश प्रसाद मण्डल)- वि‍धायक सतीश साह

लघु कथा संग्रह-
1. सखारी-पेटारी (नन्द वि‍लास राय) डॉ. शि‍वकुमार प्रसाद
2. उलबा चाउर (जगदीश प्रसाद मण्डल) वि‍नोद कुमार ‘वि‍कल’
3. अर्द्धांगि‍नी (जगदीश प्रसाद मण्डल) दुर्गानन्द मण्डल
4. सतभैंया पोखरि‍ (जगदीश प्रसाद मण्डल) प्रो. जयप्रकाश साह
5. भकमोड़ (जगदीश प्रसाद मण्डल) फागुलाल साहु

दीर्घ कथा संग्रह-

1. शंभुदास (जगदीश प्रसाद मण्डल) सदरे आलम गौहर

कवि‍ता संग्रह-

1. बसुन्धरा (राजदेव मण्‍डल) गजलकार ओम प्रकाश झा
2. राति‍-दि‍न (जगदीश प्रसाद मण्डल) रामजी प्रसाद मण्डल
3. रथक चक्का उलटि‍ चलै बाट (रामवि‍लास साहु) नाटककार बेचन ठाकुर
4. नि‍श्तुकी दोसर संस्‍करण (उमेश मण्डल) जनकवि‍ रामदेव प्रसाद मण्डल ‘झारूदार’
5. इन्द्र्धनुषी अकास (जगदीश प्रसाद मण्डल) पत्रकार राम लखन यादव
6. प्रतीक (मनोज कुमार कर्ण मुन्नाजी) अधि‍वक्‍ता वीरेन्द्र कुमार यादव

गजल संग्रह-

1. क्यो जानि‍ नै सकल हमरा (ओम प्रकाश झा) साहि‍त्‍यकार जगदीश प्रसाद मण्डल
2. माझ आंगनमे कति‍याएल छी (मनोज कुमार कर्ण मुन्नाजी) गायक रामवि‍लास यादव
3. मोनक बात (चन्दन कुमार झा) डॉ. शि‍वकुमार प्रसाद
4. अंशु (अमि‍त मि‍श्र) कथाकार कपि‍लेश्वर राउत

गीत संग्रह-

1. गीतांजलि‍ (जगदीश प्रसाद मण्डल) अमीत मि‍श्र
2. तीन जेठ एगारहम माघ (जगदीश प्रसाद मण्डल) चन्दन कुमार झा
3. सरि‍ता (जगदीश प्रसाद मण्डल) बालमुकुन्द
4. सुखाएल पोखरि‍क जाइठ (जगदीश प्रसाद मण्डल) बि‍पीन कुमार कर्ण
5. हमरा बि‍नु जगत सुन्ना छै (रामदेव प्रसाद मण्डल ‘झारूदार’) अधि‍वक्‍ता मनोज कुमार बि‍हारी
6. क्षणप्रभा- (शि‍व कुमार झा ‘टि‍ल्लू‘’) राजाराम यादव

अनुवाद साहि‍त्य-

1. पाखलो (उपन्यास (कोंकणीसँ हि‍न्दी सेवी फर्णांडि‍स एवं शंभु कुमार सिंह तथा हि‍न्दी‍सँ मैथि‍ली शंभु कुमार सिंह- कवि‍ शंभु सौरभ

नाटक-

1. रि‍हलसल (रवि‍ भूषण पाठक) कवि‍ राम वि‍लास साफी
2. बि‍सवासघात (बेचन ठाकुर) बाल गोवि‍न्द यादव ‘गोवि‍न्दाचार्य’
3. बाप भेल पि‍त्ती आ अधि‍कार (बेचन ठाकुर) कवि‍ रामवि‍लास साहु
4. रत्नाकार डकैत (जगदीश प्रसाद मण्डल) कि‍शलय कृष्ण
5. स्वयंवर (जगदीश प्रसाद मण्डल) कवि‍ शंभु सौरभ
6. पंचवटी एकांकी संचयन- (जगदीश प्रसाद मण्डल) उपन्‍यासकार राजदेव मण्डल
7. कम्‍प्रोमाइज- (जगदीश प्रसाद मण्डल) कथाकार राम प्रवेश मण्डल
8. झमेलि‍या बि‍आह (जगदीश प्रसाद मण्डल) अधि‍वक्‍ता वीरेन्द्र् कुमार यादव

उपन्यास

1. हमर टोल (राजदेव मण्डल) कवि‍ हेम नारायण साहु
2. जीवन संघर्ष (दोसर संस्करण) जगदीश प्रसाद मण्डाल) नारायण यादव
3. बड़की बहि‍न (जगदीश प्रसाद मण्डल) कवि‍ शारदा नन्द सिंह
4. जीवन-मरण (दोसर संस्करण) (जगदीश प्रसाद मण्डल) डाकबाबू छजना
5. नै धाड़ैए (बाल उपन्यास, जगदीश प्रसाद मण्डल) गुरुदयाल भ्रमर
सह्त्रबाढ़नि‍ (ब्रेल लि‍पि‍) गजेन्द्र ठाकुर) शि‍क्षक मनोज कुमार राम

वायोग्राफी-

1. जगदीश प्रसाद मण्डल एकटा वायोग्राफी- (गजेन्द्र ठाकुर) कवि‍ उमेश पासवान
संस्‍मरण साहि‍त्‍य-
मध्य प्रदेशक यात्रा (ज्योति‍ झा चौधरी) कथाकार नन्द वि‍लास राय

80म कथा गोष्ठी “कथा मि‍लन सदाय-सगर राति‍ दीप जरय” निर्मलीमे पठि‍त कथा एवं कथाकारक नाओं-
1. जीवपर दया करी- पल्लवी कुमारी
2. स्पेशल परमीट- ओम प्रकश झा
3. ढेपमारा गोसाँइ- ओम प्रकाश झा
4. ओ स्त्री - सदरे आलम गौहर
5. बाल अधि‍कार- नारायण झा
6. मांग- अमि‍त मि‍श्र
7. नवतुरि‍या- अमि‍त मि‍श्र
8. जनता लेल- अमि‍त मि‍श्र
9. थ्रीजी- मुकुन्द मयंक
10. पढ़ाइ आ खेती- बि‍पीन कुमार कर्ण
11. बदरि‍या मूसक घर- उमेश पासवान
12. अपन घर- लक्ष्मी दास
13. मि‍त्र- नारायण यादव
14. प्रेम एगो अचम्भा - बाल मुकुन्द पाठक
15. भगवानक पूजा- संजय कुमार मण्डल
16. वि‍पन्नता- पंकज सत्‍यम
17. गौतमक अहि‍ल्या-- दुखन प्रसाद यादव
18. तरकारीक चोर- ललन कुमार कामत
19. व्यंग्य- मि‍थि‍लेश कुमार व्यास
20. खेनि‍हारक लेखा- चंदन कुमार झा
21. चाहबला- कपि‍लेश्वर राउत
22. बि‍लाइ रस्ता काटि‍ देलक- राम वि‍लास साहु
23. भैरवी- रौशन कुमार झा
24. संदेह- शारदा नन्द सिंह
25. अंधवि‍श्वास- शम्भू सौरभ
26. डीजे ट्रोली- बेचन ठाकुर
27. मुखि‍याजी सँ मंत्री धरि‍ एक्के रंग- दुर्गा नन्द ठाकुर
28. कारागार- कि‍शलय कृष्ण
29. पैघ लोक के?- नन्द वि‍लास राय
30. पेंच-पाँच- शि‍व कुमार मि‍श्र
31. महेशबाबूक चौकपर एकदि‍न- गौड़ी शंकर साह
32. परि‍वर्त्तन- राजदेव मण्डल
33. एकघाप जमीन- जगदीश प्रसाद मण्डल
34. गइ बुढ़ि‍या हम बड़ बि‍हर छी- डॉ. शि‍व कुमार प्रसाद
35. भीखमंगा- डॉ. अशोक अवि‍चल

मिथिलांचलक प्रसिद्ध साहित्यिक मंच “सगर राति‍ दीप जरय” केर 80म आयोजन जे निर्मली (सुपौल)मे स्थानीय कलाकार स्व. मि‍लन सदाय केर नाओंपर आयोजित छल तइ कथा गोष्ठीमे जे समीक्षक-आलोचक सभ पठि‍त कथापर समीक्षा केने रहथि‍, आलोचना केने रहथि‍ से सूची निम्न अछि‍-
डॉ. शिव कुमार प्रसाद
ओम प्रकाश झा
राजदेव मण्डल
जगदीश प्रसाद मण्डल
डॉ. अशोक अवि‍चल
डॉ. रामाशीष सिंह
उमेश पासवान
चन्दन कुमार झा
राम वि‍लास साहु
फागुलाल साहु
पंकज सत्यम्
किशलय कृष्ण
शंभु सौरभ
कपिलेश्वर राउत
बाल गोवि‍न्द यादव गोवि‍न्दा‍चार्य
वीरेन्द्र कुमार यादव
राम वि‍लास साफी
शि‍व कुमार मि‍श्र
दुर्गानन्द मण्डल
नारायण यादव
संजय कुमार मण्‍डल
राम प्रवेश मण्डल
नारायण यादव
बालमुकुन्द पाठक
बेचन ठाकुर
दुर्गानन्द ठाकुर
शारदा नन्द सिंह
हि‍न्‍दुस्‍तान (सुपौल एवं मधुबनी संस्‍करण) दैनि‍कमे प्रकाशि‍त

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

Mathili lel samuhik upwash

२१ फरवरी , शुक्रवार  के मातृभाषा दिवश अछि  आ  अपन मातृभाषा मैथिली के मिथिला में शिक्षा में उचित अधिकार दिएबाक लेल पटना में १५ तारीख स अनशन पर बैशल छैथ भाई अनूप आ भैया मनोज।  मुदा बिहार सरकार बनल अछि बौक , बहीर। हम सभ मिथिलावाशी  एहि आन्दोलन में अपन भागीदारी कम स कम  एक दिनक सामूहिक उपवाश राखि द सकैत छी--जे जहाँ छी ओतै रहि उपवाश राखू जाहि स हिनका सभ के शक्ति भेटें। इ सामूहिक उपवाश २१ के राखल गेला।  पूरा मिथीला मिथिला राज्य निर्माण सेना के एहि अनशन में भागी बनता से आशा।  इ सूचना एस  एम एस के द्वारा अपन अपन लोक के दी आ एतेक त कम स कम हम सभ कए सकै छी। 
    जय मिथीला जय मैथिली जय मिरनिसे 

शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

स्वयं स्वच्छ तँ दुनिया स्वच्छ


दहेज मुक्त मिथिला - 



आत्मालोचना लेल बाध्य करी एहि कूप्रथाक पोषककेँ - स्वयं स्वच्छ तँ दुनिया स्वच्छ, पहिले स्वयं एहि लोभरूपी जंजालसँ मुक्त बनी, तदोपरान्त संसार स्वत: सुन्दर बनय लगैत छैक। 
एहि अभियानमे सदस्यक भूमिका:

*दहेज मुक्त विवाह केनिहारकेँ समाजिक सम्मानसँ सम्मानित केनाय।
*हर बेटी लेल समुचित शिक्षा आ आत्मनिर्भरता लेल अभियान संचालन।
*मैथिली भाषा ओ मिथिला संस्कृतिक संरक्षण लेल सामूहिक प्रयास।
*प्रवासी मैथिल सबकेँ एक केनाय आ मिथिला-मैथिली सहित वैवाहिक परिचय सभा आयोजन।
*मिथिलाक विभिन्न धरोहर लेल स्वयंसेवासँ संरक्षणक प्रयास

मिथिलाके कर्मठ सेवक जे किछु करय लेल प्रतिबद्ध छथि - हिनका लोकनिक एक एहेन पहल थीक जाहिमें अपने लोकनि सदस्यता लैत एहि मूहिम के आगू बढबैत मिथिलाके हरेक गाम सऽ लऽ के संपूर्ण विश्व भरि मैथिल के प्रत्येक वासस्थल तक एकर प्रभाव पहुँचैक आ मिथिला दहेज मुक्त बनैक - से एकजूट प्रयास करी।

दहेज के स्वच्छ स्वरूप जे स्वेच्छा सँ बेटीके माय-बाप-अभिभावक बेटीके विवाहके अवसर पर अपन बेटी-जमाय-सासूरके परिवार लेल दैत छैक - मुदा आजुक एहि युगमें दहेज माँगरूपी दानव बनल अछि आ समग्र मिथिलाके विकासके प्रमुख अवरोधक बनल अछि... एकरा सऽ मुक्ति पबैक लेल स्वस्फूर्त जागृतिके आवश्यकताके सभ गोटे बूझी।

दहेज मुक्त मिथिला नहि सिर्फ फेशबुक के पेज पर बल्कि यथार्थमें कार्यरत एक एहेन सामूहिक मूहिम थीक जाहिमें अपनेक व्यक्तिगत सहयोग के परम आवश्यकता छैक। इ संस्था मुख्यतः सदस्य द्वारा आपसमें जमा कैल कोष सँ केवल कार्यक्रमके आयोजन करैत अछि, आ एहि संस्थाके कोनो एहेन इच्छा नहि छैक जे चन्दाके धन्धा करय वा किनको ऊपर जबरदस्ती कोनो अपन विचार के थोपय। स्वेच्छा सँ जुड़निहार प्रति इ संस्था आभारी रहत।

एहि संस्थाके प्रथम स्लोगन निम्न प्रकार अछि:

यौ मैथिल बंधुगण! आउ सभ मिलि एहि मंच पर चर्चा करी जे इ महाजाल सँ मिथिला कोना मुक्त होयत! जागु मैथिल जागु..!!

अपन विचार - विमर्श एहि जालवृत पर प्रकट करू! संगे हम सभ मैथिल नवयुवक आ नवयुवती सँ अनुरोध करब, जे अहीं सबहक प्रयास एहि आन्दोलन के सफलता प्रदान करत! ताही लेल अपने सभ सबसँ आगा आओ आ अपन - अपन विचार - विमर्श एहि  पर राखू....

एक बेर एहि जालवृत पर जरुर पधारी...

 Pankaj Jha -

Pankaj Jha
      विवाह एक टा एहन सम्बंध जतय दू आत्मा के मेल स प्रकृति सञ्चालन लेल प्रेम आ मर्यादा के संग मनुष्य जीवन के सार्थक करवाक एक टा विधा. मुदा इ पवित्र रश्म के आर्ह में मांग रूपी दहेज़ के एक दोषर के देखा देखि कुप्रथा बनावल गेल. समाज इ कुरीति स ग्रषित और त्रस्त अइछ. समस्त मैथिल भाई बंधू स अनुरोध जे दहेज़ मुक्त मिथिला द्वारा दहेज़ रूपी कुप्रथा के समाप्त करवाक जागरूकता अभियान में जूरी. "दहेज़ नई लेब नई देब", "बेटी के शिक्षा दय स्वाभिमानी बनायब", "बेटा बेटी एक समान दुनु के एकहि सम्मान". 

Murli Dhar
Murli Dhar  - 

 दहेज रूपी कलङ्क सं मुक्ति पाव लेल समाजक प्रत्येग वर्गकें द्रिढ सङ्कल्पित हेवाक आवश्यकता छैक। अहि विषय पर अहि तरहक सङ्गोष्ठि आत्म चिन्तन मन्थन केनाई सामाजिक दाईत्वक निर्वाह केनाई अति आवश्यक अछि। कहावत छैक जे, डिबिया तर अन्हार,,,,,,अपनाके मनुष्यमे सर्व श्रेष्ठ मनुष्य सावित क'र वला वर्ग अपने बेटा बेटी'के मोल भाव बोली,,, दहेज'क मण्डी मे (करैत) लगवैत छथि। अहि सं बैढ'क बेसी भावनात्मक अत्याचार वा नीच कार्य दोसरो कोनो भ सकैत छै,,,,? जय मिथिला।

दिनांक १६/०२/२०१४ रवि दिन दुपहर १ बजे सँ जरी मरी माँता मंदिर, वर्ली हिल रोड, वर्ली नका, कंपा कोला गल्ली, वर्ली, मुम्बई -१८ संपर्क ९८२१७१६७९६ जागर आबि. समाज के सार्थक दिशा में बढ़े में अपनेक सहयोग अनुमोल हेत. धन्यबाद. 

एक बेर एहि जालवृत पर जरुर पधारी... 

दहेज़ मुक्त मिथिला...
Website:-
www.dahejmuktmithila.org

https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

M.R.N.S.केर आह्वान:

 
    लिपि त लुप्त भ गेल भाषा बचाउ ! दरभंगा,मधुबनी सहरसा सँ आउ ! बेगुशराय भागलपुर सँ आउ ! जाहि गामक छी ताही गाम सँ आउ ! दिल्ली मुम्बइ कलकत्ता सँ आउ ! रेल बस चाइर पहिया सँ आउ ! जेना क सम्भव हुए तेना क आउ ! 14 फरवरी सँ 23 फरवरी तक आउ ! पटना आउ ! पटना आउ ! लिपि त लुप्त भ गेल भाषा बचाउ !


  एखन बहुत रास प्रश्नक जबाब "मिथिला राज्य निर्माण सेना"क अनशन संग हिनका आ बिहार सरकारकेँ देबाक छन्हि:

1. मैथिली मे प्राथमिक शिक्षाक संवैधानिक अधिकार मैथिलीभाषीकेँ किऐक नहि देल गेल अछि?

 2. संविधानक धारा ३५०ए द्वारा निर्धारित अधिकार अनुरूप मैथिलीभाषीकेँ मैथिलीमे न्युनतम शिक्षा पेबाक अधिकारसँ बिहार सरकार किऐक वंचित रखने अछि?

3. मैथिली समान पौराणिक आ समृद्ध साहित्यसँ विभूषित भाषाकेँ संवर्धन-प्रवर्धन लेल बिहार सरकार सौतेली माय जेकाँ किऐक व्यवहार करैत अछि?

      जेना कि ज्ञात अछि जे भारतीय प्रशासनिक सेवा मे नहि सिर्फ मिथिलावासी वा बिहारी मैथिल बल्कि आनो-आनो राज्यक लोक मैथिली भाषा रखैत प्रशासनिक परीक्षाक तैयार करैत आबि रहल छथि आ आइएएस-आइएफएस आदि बनैत छथि, राज्य व देशकेँ गुणवत्तापूर्ण प्रशासन प्रदान करैत छथि... एनामे मैथिली प्रति स्वयं गृहराज्य उदासीन रहि कहीं अलग राज्यक माँगकेँ स्वयं समर्थन आ लोकभावनाकेँ भडकाबय केर काज तऽ नहि कय रहल अछि?

एखन धरि कतेक शिक्षक केर आ कतेक विद्यालयमे मैथिलीक पढाइ करायल जा रहल अछि?

केन्द्रिय स्तरसँ पूछल जेबाक अछि:

सविधानक आठम अनुसूचीमे सूचीकृत भाषा, एकर समृद्ध इतिहासक सागर रहैत वर्तमानमे उपेक्षाक हद्दपर टिप्पणी आ एहि लेल बिहार सरकारकेँ आवश्यक निर्देशन आदि...?

तहिना मिथिला क्षेत्रक विश्वविद्यालय आ काउन्सेलिंग सेक्सनसँ पूछबाक अछि:

कि कारण छैक जे मैथिली विषयमे छात्रकेँ पढबाक लेल उत्साहवर्धन नहि कैल जा रहल छैक?

आजुक विपन्न अवस्थाक सृजक केकरा मानल जाय?

पद बेसी, अभ्यर्थी कम! कोना?
निवेदक:
मिथिला राज्य निर्माण सेना

सम्पर्क:

श्याम मैथिल, अध्यक्ष - ९८७३९५३९८१
अनुप मैथिल, प्रवक्ता ओ अनशनकारी - ८०५१५१८६८७

BANEBE MITHILA

BANEBE MITHILA

सुनहो भैया सुनहो काका
चलहो अपन गाम हो,
सभ मिल जुइल बनेबै
अपन सुन्नर मिथिला धाम हो...
काहे के हम जेबै भैया
पंजाब बंगाल असाम हो,
सभ कुछ त हई अपने लंग
क लेबै जुगार हो...
जमीन हई पानी हई
हई शुद्द बसात,
ज्ञान के हई भंडार मिथिला
लगा लेबै उद्योग हो...
बिहारी बनि सुनबहोँ गाहिर
या मैथिल बनि बनबहोँ महान,
फैसला करहोँ हो भैया
आब न करहोँ वक्त नुकशान...
मिथिला राज्य निर्माण सेना
भड़ि रहल हुँकार हो,
अबहो काका अबहो भैया,
दहू मिरानिसे के संग हो..
सभ मिल जुइल बनेबै
अपन सुन्नर मिथिला धाम हो....
जय जय मिथिला जय जय मिरानिसे
 :गणेश कुमार झा "बावरा "

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

अन्हार




हाँ सोचैत की रहैत छी ?
हऽम !
हम सोचैत नहि छी
हम देखैत छी
हम दुनीयाँकेँ बुझैक प्रयत्न कए रहल छी
कि हमहूँ एहि दुनीयाँक हिस्सा छी?
कि हम देशक हिस्सा छी ?
कि हम एहि राजक हिस्सा छी ?
कि हम एहि समाजक हिस्सा छी ?
कि हम अपन परिवारक हिस्सा छी ?
नहि ! नहि ! नहि ! नहि !
तँ फेर हमर अस्तित्व की अछि ?
हम एहिठाम किएक एलहुँ ?
हम एहिठाम किएक छी ?
हम एहिठाम की कए रहल छी?
किछु नहि
पत्ता नहि
नहि जनैत छी
किछु नहि
नहि ! नहि ! नहि ! नहि !
किछु नहि
किछु नहि अर्थात शून्य 
शून्य
अन्हार
नाकामयाबी
अलगाव ।

एहि जिनगीक कोन मोल
जकर किछु सार्थकता नहि
जन्म लेनाइ
अभाबमे पोसेनाइ
सपनाक गरदैन घोटनाइ
माथपर जिमेदारी आ चिन्ताक बोझ
असफलता
शून्यता
फेर एक दिन
सभ चिन्तासँ मुक्त भऽ
लुप्त भऽ जेनाइ
काल्हि
जाहिखन एकटा नव भोर होएत
केकरो मोनमे इआद नहि
केकरो मुँहमे नाम नहि
इतिहासक पन्नामे कथा नहि
फेर एकटा शून्य
घोर अन्हार
अपार अन्हारक साम्राज्य
जाहिठाम
आन कि अपनो सभ इआद नहि राखत ।

की इहे जिनगी छी ?
एकरे नाम जीवन अछि ?
इहे मनुक्खक जीवन पाबैक हेतु
चौरासी लाख योनी पार करए परैक छैक
एहिठाम की भेटल
खाली शून्य
घोर अपार अन्हार
यदि हाँ
इहे जीवन अछि
इहे जीवनक सार अछि
तँ, हे भगवती
हमरापर दया करू
हमरापर कृपा करू
हमरा अहाँक ई जीवन नहि चाही
हमरासँ नीक तँ कीड़ा मकोड़ा
मानलहुँ कि ओकरो लग बड्ड शून्य छैक 
घोर अन्हार छैक
मुदा
अभाब नहि छै
असफलता नहि छै
निराशा नहि छै
चिन्ता नहि छै
माथपर बोझ नहि छै
ओ अपनाकेँ तुक्ष नहि बुझै छै
आर
फेर ओकरा
एकटा नव उच्च जीवन पाबैक आशो तँ छैक ।

हमरा लग की अछि ?
किछु नहि
खाली आर खाली घोर अन्हार
हम जन्म लै छी
आ ओकरा तियाइग कए
एकटा अनन्तमे हरा जाइ छी
काल्हि
हमर नामो धरि नहि रहि जाइए
हे भगवती
कि हमरा सभकेँ
एहने जीवन भोगैक लेल
जीवन देने छी
तँ कृपा कऽ अपन जीवन लए लिअ
हमरा सभकेँ एहेन जीवन नहि चाही
कमसँ कम
हमरा तँ बिल्कुल नहि
हमरापर दया करू भगवती
अपन ई जीवन लऽ लिअ ।
@ जगदानन्द झा ‘मनु’

सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

CHALU MITHILA

CHALU MITHILA
घुइर चलू घुइर चलू मैथिल
अपन मिथिला देश
बाट जोहै छथि माए मिथिला,
आँचर मे लऽ स्नेहक सनेश।
उजइर पुजइर गेल छै ओकर
सभटा खेत पथार
गाम घर सभ भक्क पड़ल छै
डिबिया बाती नै जरै छै
देख ई दशा
माए मिथिला के फाटै छै कुहेश ।...
जाहि धरा पर बहैत अछि
सात सात धार
आई ओहि धरा के छाती अछि सुखाएल
खाए लेल काइन रहल अछि नेन्ना भुटका
माइर रहल छथि माए मिथिला चित्कार ।
देखू देखू हे मिथिलावाशी केहन आएल काल
देब भूमि तपोभूमि
आई बनल आतंकक अड्डा
जतऽ कहियो पशु पंछियोँ वाचैत छल शास्त्र
आई ओहि धरा सँ सुना रहल अछि बम बारुदक राग ।
हे मैथिल!
दोसरक नगरी रौशन केलौँ
छोइड़ अपन देश
आबो जँ नै आएब मिथिला
तऽ भऽ जाएत मिथिला डीह 
कुहैर कुहैर क कहैथ माए मिथिला ई..
चलू चलू यौ मैथिल अपन मिथिला देश
फेर सँ बनेबै ओहने मिथिला
देखतै देश विदेश..जय मिथिला
   :गणेश कुमार झा "बावरा"

शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

मिथिला - पहिने आ आब: एक छोट समीक्षा

         मिथिला - पहिने आ आब: एक छोट समीक्षा


       पहिने मिथिलामे नदी सब बान्हल नहि रहैक, एकर पाइन नव-नव पाँक-माइट आ नव अनाज-उत्पत्तिक जोगार संग बेसी रास खेत मे पहुँचि जाय, तहिना सैकडों तरहक मत्स्य (माछ), घोंघा, सितुआ, सिगहार, सेमार, काउछ आ तरह-तरहकेर नव जीवन-आधारक प्रवेशसँ समूचा मिथिलाक पोखैर, डबरा, चभच्चा आदिकेँ भरने रहैत छलैक। लोक गद्दर चाउर सँ लैत बिरनफूल-बासमतीतककेर उत्पादन करैत माछ-काउछ-घोंघीझोर सँ सेहो सन्तुष्टि पबैत छल। सवा कट्ठा एक परिवारक भरण-पोषण लेल काफी होइक। आब ओहि पाइनकेँ बान्हसँ बान्हि सीधा गंगाजी आ फेर सीधा गंगासागर समुद्रमे खसायल जाइछ। पाइनसँ संस्कार बनैत छैक। ई कहबी सुनैत रही - ओ सच भऽ गेलैक अछि। आब सगरो बाहरी कमाईसँ जीवन-निर्वाहक हवा चलि रहल छैक। गाममे रहनिहार बेवकूफ कहाय लागल छैक। आब आध्यात्मिकताक ठामपर भौतिकता सवारी कसैत छैक। आधुनिक मिथिलाक निर्माणमे गंभीर शोध आ बड पैघ परिवर्तनक जरुरत छैक। 
  
      मिथिलामे नदी ऊपर बाँध बनाबय के योजना कोना बनल? उपलब्ध जानकारी आ शोधपत्र सँ ज्ञात होइत अछि जे ब्रिटिश ईन्डिया सरकार मिथिला क्षेत्रकेँ जलमग्न आ बाढिग्रस्त मानैत एक मेगा प्रोजेक्ट तैयार केलक जेकरा लोक 'वैभेल प्रोजेक्ट' केर नामसँ जानैत अछि। लेकिन जाबत एहि परियोजनापर काज शुरु होइत ताबत भारत स्वतंत्र भेल आ भारतीय नेतृत्व स्वराज्य पबैत तात्कालीन राजनीतिक उग्रपाँति (यानि पंजाब ओ बंगाल) सबकेँ तुष्टीकरणमे हत्त-पत्त वैह वैभेल प्रोजेक्ट लेल छूटायल बजेट बिहार मे खर्चा नहि कय भाखडा नांगल ओ दामोदर घाटी परियोजनाकेँ स्वीकृति दैत उपेक्षाक सबसँ पहिल डाँग हमरा लोकनिपर बरसेलक। अफसोस जे एहि तरहक डाँगक प्रतिकार पर्यन्त मिथिलावासी या बिहारवासी नेतृत्त्व पाँति कोनो खास नहि केलनि। जरुर बिहारक पहिल मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण बाबु एहि लेल बिहारक प्रभावशाली नेता डा. राजेन्द्र प्रसादकेँ पत्र लिखलनि, मुदा ताहि समय धरि राजेन्द्र बाबु आर एकटा विशिष्ट समूह सरदार बल्लभभाई पटेलकेर पक्षमे रहबाक चलते संस्थापन पक्ष यानि नेहरुजी सँ दूर रहबाक चलते मात्र अफसोस प्रकट करैत एहि लेल सीधा प्रधानमंत्री नेहरुसँ पत्राचार करबाक अनुरोध करैत बात अन्ठा देलनि। 
  
      लेकिन बात धीरे-धीरे चर्चाक विषय बनल आ ओहि वैभेल परियोजनाक नामपर वगैर कोनो तरहक विशेष शोध या विचार केने भारत सरकार कोसी बाँध परियोजना अनैत लगभग वैह तर्ज सँ आ कोसी प्रोजेक्टकेर स्थापना करैत सब नदीपर बाँध बान्हि लोककेँ फुसलाबैत-बहलाबैत मिथिलाक बर्बादीक एक पटकथा तैयार करैत काज शुरु करौलनि। एम्हर बाँध परियोजनासँ एक सऽ एक ठीकेदार - जमींदार सब अठन्नी अपना लेल अठन्नी काज लेल सूत्रपर ब्रह्मलूट मचौलक आ अन्ततोगत्वा मिथिलाक भविष्य ५६ फाटकवला कोसी बराजक स्वीचपर लटका देल गेल। जँ समीक्षा कैल जाय आ खर्चाक शुरुसँ अन्त धरि जोडल जाय तऽ ई बात स्पष्ट होयत जे आम जनमानसकेर कल्याण मात्र कागज मे आ राजनीति करबा लेल ब्रह्मलूटक एक नीक साधन एहि बाँध परियोजनामे रहल। हम एकर विस्तृत प्रभाव मिथिलाक शनै:-शनै: मृत्युक दिशामे गमनरूपमे सेहो देखैत छी। नहिये पनबिजली, नहिये सिंचाई लेल उपयुक्त नहर, नहिये पोखैर व छोट-छोट नदीकेँ निरन्तर पाइन भेटबाक जोगार, नहिये मत्स्य-मखानक विस्तृत कृषि आ नहिये मिथिलावासीक लेल मिथिलामे कोनो तरहक स्वरोजगारक नव बाट - एतय तक जे पहिले रहल सेहो बर्बाद होइत लोक पलायन करय लेल मजबूर आ आन राज्यमे जाय सस्ता मजदूरी करैत अपन बाल-बच्चाकेँ पोसय लेल मजबूर निरीह मैथिल बिहारी बनि आसाम, पंजाब, बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यमे माइर-गाइर खाइतो जीवन चलबैत अछि। 

पहिले पलायनक मात्रा न्यून छल, लेकिन जेना-जेना बिहारक सूरज जातिवादिताक भुमडीमे फँसैत गेल, तहिना-तहिना सक्षम व समृद्धवर्ग सेहो गाम छोडि अपन पूँजी समेत मिथिलासँ पलायन करबाक बाट निकालय लगलाह। गाम आरो विपन्न बनि गेल। लोक बोनि-मजदूरी करय लेल पर्यन्त लजाय लागल। खेत - खरिहान सब मशानमे परिणति पाबय लागल। पतझड केर मौसम मिथिलामे अपन कहर बिहारी राजनीतिक कूचाइलसँ चारू कात कनकन शीतलता पसारय लागल। यैह कारण छैक जे २०१३ मे आब मिथिलाक युवा तुरिया सेहो अपन सोराज बिना किछु संभव नहि अछि से सोचि मिथिला राज्य आन्दोलन तीव्र केलक।
 https://www.facebook.com/pravin.choudhary 
Pravin Narayan Choudhary 

गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014

हकार (ओमप्रकाश झा) ८१म सगर राति दीप जरय कथा गोष्ठीक आयोजन देवघरमे २२ मार्च २०१४ शनि दिन भऽ रहल अछि। ई आयोजन देवघरमे बमपास टाउन स्थित "बिजली कोठी" नम्बर ३ मे संध्या ५ बजे सँ २२ मार्च २०१४ केँ शुरू भऽ कऽ २३ मार्चक भोर धरि हएत

हकार (ओमप्रकाश झा)
८१म सगर राति दीप जरय कथा गोष्ठीक आयोजन देवघरमे २२ मार्च २०१४ शनि दिन भऽ रहल अछि। ई आयोजन देवघरमे बमपास टाउन स्थित "बिजली कोठी" नम्बर ३ मे संध्या ५ बजे सँ २२ मार्च २०१४ केँ शुरू भऽ कऽ २३ मार्चक भोर धरि हएत। अहाँ सभ कथाकार लोकनि सादर आमंत्रित छी।

मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

सरस्वती पूजा


एहि संसारमे जतेक शक्तिक प्रादुर्भाव भेल अछि ओ सब नारीरूपमे, प्रकृतिक अनुपम छटाक संग आ सदिखन वरदायिनी बनैत मातृशक्तिसँ सिंचित करैत मानवजातिलेल सदैव किछु शक्तिदायिनी बनि हरदम पूजनीय - तहिना माघ मासक अन्तघडी समूचा जगत जखन पियर-पियर फूलसँ सुशोभित नव-पियर फर धरैत जगत् केँ अपन नया प्राकृतिक शक्ति देबाक लेल तत्पर रहैत अछि ताहि समय प्रादुर्भाव होइछ ब्रह्माक विशेष अनुकम्पा आ विष्णुक आज्ञासँ एक विलक्षण चतुर्भुजा देवी, एक हाथमे वीणा, दोसरमे वरमुद्रा, तेसरमे पुस्तक आ चारिममे माला, वैह कहाइत छथि सरस्वती देवी - वैह प्रदान करैत छथि समूचा संसारकेँ विद्या आ ताहि हेतु हुनक पूजन कैल जाइछ मौसमक खास परिवर्तन दिवस यानि वसन्त पंचमीक दिन जाहि दिनसँ शुरू होइछ प्रकृतिक एक विशेष दिन - बस पीरे-पियर फूल, फल आ मँज्जरसँ सजल एहि वसन्त ऋतुक आगमन दिवसकेँ लोक नव विद्याक प्रादुर्भाव लेल पूजा दिवसरूपमे मनाबैत अछि। ई पूजा खास कय पूर्वोत्तर भारतवर्षमे मनायल जाइछ। 


ब्रह्माक प्रभावसँ जनित देवी सरस्वतीकेर प्रकट होइते समूचा संसारमे ध्वनि प्रकट होइछ, वैह वाणीरूपमे परिणति पबैत अछि, वीणासँ एहि ध्वनि ओ वाणीक प्राकट्यकेर इतिहास आइयो माँ शारदेक पूजा लेल प्रसिद्धि पबैत अछि आ एहि वसन्त पंचमीक दिन मिथिला खास तौरसँ सुशोभित रहैछ। कहबी मात्र नहि, सच्चाई सेहो एहि तरहक अछि जे सब तरहक मौसमक जननी आ पोषक समूचा संसारमे मात्र भारतवर्ष केर अनुपम भूमि मिथिलामे लोक दूइ देवी यानि लक्ष्मी आ पार्वतीक अवतार प्रत्यक्ष पौलनि तऽ तेसर शक्तिदात्री देवी सरस्वती भले कतहु अन्यत्र कोना रहि सकैत छलीह ताहि लेल एहि ठामक मानव व समस्त जीवमंडलमे ओ व्याप्त होइत अपन प्राकट्य प्रकट केने छथि। सरस्वती पूजा नहि सिर्फ मिथिलामे वरन् समस्त पूर्वी भारत जे आजुक बांग्लादेशरूपमे सेहो प्रकट अछि ताहि ठाम तक अपन प्रभावक्षेत्र बनबैत विशेष अनुकम्पाक बरसात केने छथि। 

ऋग्वेदमे कहल गेल अछि:- 

प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु। 

             अर्थात ‌ई परम चेतना थिकी। सरस्वती केर रूप मे यैह हमरा लोकनिक बुद्धि, प्रज्ञा आ मनोवृत्ति आदिकेर संरक्षिका थिकी। हमरा लोकनिमे जे आचार आर मेधा अछि तेकर आधार भगवती सरस्वती मात्र छथि। 

हिनक समृद्धि आ स्वरूप केर वैभव अद्भुत अछि। पुराणक अनुसार श्रीकृष्ण स्वयं सरस्वतीसँ प्रसन्न भऽ हुनका वरदान देवे छलाह जे वसंत पंचमीक दिन हिनकर जे आराधना करत ओ सुन्दर फल अर्थात् विद्याधनकेर अम्बार लगायत, ततहि लक्ष्मी आ पार्वती सेहो अपन आशीषकेर बरसात करती आ ताहि हेतु एहि शुभ दिन सरस्वतीक पूजा कैल जयबाक विशेष परंपराक शुरुआत भेल जे आइ धरि निरंतरतामे अछि।