dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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रविवार, 29 मई 2011

अंदाज ए मेरा: आत्‍मसमर्पित नक्‍सली की कहानी........ उसी की जुबान...

अंदाज ए मेरा: आत्‍मसमर्पित नक्‍सली की कहानी........ उसी की जुबान...: "उसकी उमर कोई 21 साल है। वैसे तो 21 साल की उमर कोई बडी उमर नहीं होती लेकिन इस कम उम्र में उसने काफी कुछ झेला है। उसका नाम संध्‍या है। आज..."

गुरुवार, 26 मई 2011

आब लीअ लिच्ची से बनल रसगुल्ला के मज़ा..

लिच्ची के दीवाना आ शौक़ीन के लेल एकटा नीक खबर अछि। आब ओ साल भैर लिच्ची के मज़ा लए सकय ये कियाकि आब लिच्ची से बनत रसगुल्ला जकरा दू बरस तक अहाँ आराम से राखि सकय छिये। एही प्रोडक्ट के उत्पादन मुजफ्फरपुर के बेला के अवस्थित लीची के इंटरनेशनल यूनिट में मंगल दिन से शुरू भए गेल ये। एही बरस लिच्ची के २० दिनक सीजन में करीब तीन लाख रसगुल्ला बनाबै के लक्ष्य ये। जकरा तीन दिन के भीतर देश आ विदेश के बाज़ार में उतारि देल जाएत। पिछलो बरस लिचिका इंटरनेशनल लिच्ची के पचास हज़ार डिब्बा बाज़ार में उतारलक रहे मुदा एही बेर के सीजन में एकर मांग बीस लाख डिब्बा के अछि। एही रसगुल्ला के मांग एतय जबरदस्त ये की बनय से पहिने एकर बुकिंग भए जाय रहल ये। एही बेर एकर बाज़ार दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, के संगे स्विट्जर्लैंड, इंगलैंड आ जर्मनी बाज़ार में भी खूब ये। एकर डिमांड के देखय के बाद बिहार के अलावा आऔर राज्य भी एकर ऊपर ध्यान दए रहल ये मुदा मुजफ्फरपुर के लीची के ते बाते जुदा अछि, पाहिले लिचिका इंटरनेशनल के जूस, आ प्लप के स्वाद ते लेते रही आब लीअ लिच्ची के रसगुल्ला के मज़ा.

शनिवार, 21 मई 2011

सजना हमर मनमोहना@प्रभात राय भट्ट

हे ययो दुलरुवा सजना हमर मनमोहना,
अहाँ बिनु दिन राईत हम काटैछी कहुना,
बितल अषाढ़ एलई देखू सावन के महिना,
संगीसहेली सभक आबिगेलय प्रियतम पहुना,

मिलल नजैर अहाँ संग  हमर जहिया स:,
अहाँ बिनु दिल लगैया नए हमर तहियाँ स:,
बड़ मुश्किल स: हम दिन राईत काटैछी,
सद्खैन सजना अहाँक बाट तकैत छि,

टुनिया मुनिया चुटकुनिया के भेलई वियाह,
पुनिया ललमुनिया के द्वार  एलई बराती,
मुदा हम बनल छि संगी सभक सराती,
नीन्द स: उठी उठी गबैछी हम पराती,

यी सभ देखिक मोन कटैय हमर अहुरिया,
हम कहिया बनब अहाँक घर क बहुरिया,
हे ययो दुलरुवा सजना हमर मनमोहना,
अहाँ बिनु दिन राईत हम काटैछी कहुना,

एसगर राईतमें नुका नुका श्रृंगार करैछी,
लाल लाल चुनरी ओढ़ी हम पेटार करैछी,
मोने  मोन हम सोचलौ यी बेकार करैछी,
फेर अपने हाथे श्रृंगारक उज्जार करैछी,

हम तडपैछी जेना ज़ल बिनु तडपैय मीन,
जाईगजाईग प्रात: करैछी उडीगेल आईखक निन,
सजना निरमोहिया राखु हमर स्नेहक लाज ,
जल्दी स: लक आऊ बराती संग शाज बाज , 

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मुह किया फुलौनेछी@प्रभात राय भट्ट

मुह किया फुलौनेछी@प्रभात राय भट्ट

मुह किया फुलौनेछी नोर किया बहौनेछी,
किछ बाजु नए सजनी हमर प्राण प्रिया,
मोन कुह्कैया सजनी फटईय हमर हिया,
भूल करबै नए कहियो  देब  दगा प्रियतम,
अहाँक पबैला लेब हम  बेर हजार बेर जन्म,

संग देब अहाँ केर  जाधैर चलतै  हमर साँस,
अहूँ संग नए छोड़ब यी अछि हमर आस,
अहाँ छि अनमोल रत्न रखाब हम जतन,
अहिं पैर निछावर केनु प्रिया अपन तनमन,

अहाँक स्नेह स: मोनमे हमरा उमरल उमंग,
प्रेमक  डगैर पैर हम चलब अहाँक संग संग,
कियो तोईर नए सकैत अछि यी प्रेम बंधन,
आई नए त काईलह हेतई अपन प्रेम मिलन,

लाख बैरी हेतई दुनिया चाहे अओर जमाना,
प्रियतम जौं अहाँ संग दी त मिलजेतै ठेगाना ,
प्रेम स: उपजैय जिनगीमें रंगविरंगक बहार,
प्रेमक जे दुश्मन ओकर जिनगी अछि बेकार,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 20 मई 2011

बहुत याद आबय ये

बहुत याद आबय ये 
कचका आमक फक्का
मालदह केर चभक्का
आ दलानक कक्का

बहुत याद आबय ये 
माय के करेज
पुआरक सेज
आ बेटीक दहेज़

बहुत याद आबय ये 
पुआरक गठरी
कनिया के फसरी
आ मुरही,कचरी

बहुत याद आबय ये 
बाबाक सोंटा
फुलक लोटा
आ लिरियाबैत झोंटा

बहुत याद आबय ये  
गोटपीस ताश
ईक्का से आश
आ दुग्गी से निराश

बहुत याद आबय ये 
दुर्गा थानक मेला
नटुआ के झमेला
आ जिलेबी, केला

बहुत याद आबय ये 

गामक ललमुनिया
छोटका छोटका अमीया
आ नबकी दुलहिनिया

बहुत याद आबय ये 
जट्टा-जट्टिनक नाच
धधकैत चुल्हाक आँच
आ पोठीया माँछ

बहुत याद आबय ये 
गामक होली
होलिबाक टोली
आ भाँगक गोली

बहुत याद आबय ये 
गाय के लथाड़
नाव पतबार
आ हटिया बजार
बहुत याद आबय ये 
तीसी के तेल
गरदा के खेल
आ लाठी के रेल

बहुत याद आबय ये 
ओ कनही कुकुर 
दीदी के ससुर
आ भाँगक सुरूर

बहुत याद आबय ये 
मालदहक मज़ा
शिवालाक गाँजा
आ बाँसक बाज़ा

बहुत याद आबय ये 
चक्का तिलकोर
आमक बौर
आ माछक झोर 

बहुत याद आबय ये

उजरा रसगुल्ला
चौबटिया के हल्ला
आ टोला-मोहल्ला

बहुत याद आयब गेल

फेर कहब
आब विदा.

शनिवार, 14 मई 2011

हमर किछु रुबाई

१.
सगर जिनगीक तोरा सौं मीत जोरलौं,
एक दोसरक बेगरता सौं प्रीत जोरलौं
गरबहिंयाँ द दुनु गोटे बन्हलौं सिनेहके
तोहर नेहक गिलेबा सौं भीत जोरलौं

२.
"दहेज़ ब्यथा पर एकटा रुबाई"
कोना कहू कहितो ई लाज होईया ,
बिनु टाका कूटमैतीक ने काज होईया,
सेहनता अई बेटी महफा में बैसती,
किये मैथिल भेलौं ई संताप होईया !

३.
यौवन मचान सन गात सोनलत्ती छऊ,
काया कनोजैर सन घाम धूपबत्ती छऊ,
रसगर ठोर तोहर तोरलक सबूर के ,
मातल आँखी बुझ जरदाक पत्ती छऊ
4

आहाँ रूपक भेरियाधसान लागल अई,
छोरा संग बुढबोक आन जान लागल अई
आबो समेटू अपन भाभट दसगरदा
आँगन में घट्कक दलान लागल अई !

5
जिनगी अमोल तोहर कोंख भेटल माँ,
तोरे आँचर में हमरा भरोस भेटल माँ,
सब आफद अनेरे उरल कपूर सन ,
तोहर ममता के जखने बसत भेटल माँ

6
ईशा आ पैगम्बरक झगरा सुनलौं,
अन्हरा जिहाद के फतबा सुनलौं,
सुनलौं निछा गेलई लादेन परसु ,
आई फेर केदन लादेन भेल इ की सुनलौं !
7

हुनक सोह टीसईया काँट बबूर जेना ,
आँईख भिजैईया तारी खजूर जेना ,
हुनके रूपक चिप्पी लगेलौं करेज में,
वो अघाई छईथ कछहरिक हजूर जेना !

रविवार, 8 मई 2011

अंदाज ए मेरा: मां

अंदाज ए मेरा: मां: "मां। दुनिया का सबसे प्‍यारा शब्‍द। दुनिया में कई रिश्‍ते होते हैं लेकिन शायद ही ऐसा कोई रिश्‍ता होगा जो सिर्फ एक अक्षर में सिमटा हो, लेकिन ..."

यात्रा@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Saturday, May 7, 2011 at 8:56pm
यात्रा@प्रभात राय भट्ट

मरलोउपरांत रहैय ओ आत्मा जीवंत,
जिनकर यात्रा होइत अछि अनन्त,
अनबरत चलैत रहू लक्ष्यक डगर पैर,
मिलय नए मंजिलक ठेगाना जाधैर,

पाछू कखनो घुईर नए ताकू,
डेग पैर डेग बढ़ाऊ आगू,
पाथैर कंकर पैर चल परत,
कांट क चुभन सहपरत,

भसकैय संगी सेहो साथ नएदिए,
एसगर जिनगी क यात्रामें चल पड़य,
रही रही मोनमें उठ्य जोर टिस,
जुनी कियो नए ताकत अहाँदिस,

भसकैय अपनों सम्बन्ध पराया,
साथ छोइड सकैय स्वस्थ काया,
मुदा टूटे  नए अटल विस्वास,
एक दिन बुझत मोनक प्यास,

भेटत अहांके अपन मंजिलके ठेगाना,
जिनगी अनंत यात्रा छै बुझत जमाना,
मरलोउपरांत रहैय ओ आत्मा जिवंत,
जिनकर यात्रा होइत अछि अनन्त,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 6 मई 2011

अंदाज ए मेरा: प्‍यार, प्‍यार, प्‍यार......

अंदाज ए मेरा: प्‍यार, प्‍यार, प्‍यार......:

 http://atulshrivastavaa.blogspot.com/ 

जिनगी में इंसान के कखनो - कखनो  एहेन  मोर  पर  आबी के ठार   क  देत  अछि , जतय आदमी  बिचार सुनय भजैत अछि  और ----

खट्टर काका से वार्तालाप " दहेज़ मुक्त मिथिला" के संदर्व में"


http://maithilaurmithila.blogspot.com/2008/05/blog-post_29.html

खट्टर काका से वार्तालाप 

" दहेज़ मुक्त मिथिला" के संदर्व में"

( हम - खट्टर काका के दलान पर जखन पहुन्चलो , हुनक आँगन से अबाज आयल जे एखन ओ भोजन पर बैसल छैथि कनिक कालक बाद में आओ -: )

हम -     बेस ठीक अच्छी तबे में हम कनिक एहो गाम घुमने आबैत छी , (दू मिनट के बाद खट्टर काका के धर्म पतनी हमरा जोर से अबाज देलैथि जे ) , यो मदन बाबु अपनेक के बुलाबैत छैथि , हम हुनक आंगन गेलो , देखलो खट्टर काका आशन पर बैस भोजन सांत मन से करैत छलैथि , हमरा इसारा कके कहैत छैथि जे अहूँ अहि आशन पर बैसल जाओ ---

 दबे में देखलो जे काकी सजल थाड़ी भैर हाम्रो आगू में राखी देलखिन , हम संकुचित मन से अक्चकित रूप में पारी गेलो , खट्टर काका इसारा रुपे कहलैथि पहिने भोजन करू बाद में सब गप - सप्प हेबे करत , हम पूर्ण रुपे , भूख त लागले छल भोजन डईत के केलो , भोजनक उपरांत पान आ सुपारी सेहो भेटल , आ खट्टर काका हमरा हाथ जोड़ी सेहो अतिथि सत्कार रक संग एहो कहलैथि जे आई हमरा १०८ टा ब्रामण भोजन के फल भेटल ,

हम - से कोना ?

खट्टर काका -- आई बैसाखक दुवाद्शी छी ब्रामण भोजन करेनैय परम अब्स्यक होयत अच्छी , कियाकि कैल हम दुनु प्राणी एकादशी व्रत में छेलो

हम - अपन मन में सोचैत ई उत्तर भेटल जे एकही पंथ दुई काज सायद लोग सब एकरे कहैत अछि , कनेक बिश्राम केलक बाद ----

खट्टर काका - तहन बताओ मदन बाबु आई फेर पुनः कुन उदेश्य से अपनेक हमर दलान के पवित्र कैलो ?
हम -- खट्टर काका अहि से किछ दिन पहिने हम अपनेक सँ मिथिला के संदर्व में -- 
http://maithilaurmithila.blogspot.com/2008/05/blog-post_29.html 
बात करैक लेल आयल छलो , ओ अपनेक वचन समस्त मिथिला वाशी के सर्वोपरी आ उदेश्य पूर्ण लगलैन , ओहिना आई फेर अपनेक समक्ष मिथिला में जे भ्रस्ट लोकैंन दुवारे जे उपजल कुरितियाँ , जाकर हम सब दहेज़ प्रथा कहैत छियक ओही के सन्दर्भ में आई फेर हम अपनेक सँ जानकरी जनैय एलो हन ,जे एकर निदान कोनक हेतैय जाही से आबे बाला दिन में हमर मिथिला '' दहेज़ मुक्त मिथिला '' कहओत ?

खट्टर काका -- बहुत निक गप्प अपनेक हमर मोनक बात राखि लेलो , मदन बाबु अहि विषय पर कतेको बुजुर्ग आ नव युबक के सेहो उदेश्य देलियां कियो कान बात नै देलैन , क्याकि आइकैल में सब मत्लवी छैथि , बस अप्पन देखाइत छैन दोसर के जे भेलैन से भेलैन हमर काज त ठीक अछि , अहि में कोना चलत ई दहेज़ मुक्त मिथिलाक अभियान ?

हम -- खट्टर काका सब से पहिने ई कहू जे की दहेज़ प्रथा भेनाय जरुरी छैक की , अहि बिना कन्यादान शाम्भव नै चैक ?

खट्टर काका --- मदन बाबु ई की गप्प पुछैत छि ई त गाम - घर के गल्ली - कुची में जे कुकुर आ बिलाईर रहित छैक तकरो बुझलो छैक जे दहेज़ प्रथा बहुत खाराप होयत छैक , जे कन्या गत के भूमि हीन और कर्ज लिन बना देत अच्छी ,

हम -- खट्टर काका जहन कुकुर और बिलाईर के बुझल छैक जे दहेज़ प्रथा बहुत खाराप होयत छैक तहान अप्पन मिथिलाक के लोक की कुकुर आ विलाईर से नीच अच्छी की ? , जे हम बिना दहेज़ लेने आ नै दहेज़ देने बियाह काराव ? ई कन्यागत आ बअर यागात के कुन धर्म के आ कुन शासन के नियम छियक से बताऊ ?

खट्टर काका -    दहेज़ प्रथा कउनु शासन आ पूरण से नै आयल अछि , ई अप्पन मिथिला से निकलल अछि जे हमर मान केना बढ़त , जे फल्ला झा के या फल्ला ठाकुर के एतेक मांग देलकैन त चिलां बाबु के एतेक दान देलकैन , ईहा गप्प सप एक दोसर सुनलक आ अप्पन समाज में रित बना लेलक जकरा हम सब आई कैल दहेज़ प्रथा के नाम से जनैत छी

हम - खट्टर काका हमर नवयुबक भाई - बोहिन के अनुमान अछि जे ई प्रथा एक दिन विनासक के कारन बनत ताहि लेल एकरा ख़तम कोना कयाल जा सकैत अछि ? जे अबैय बाला पीढ़ी के जिनगी में समस्या नै आबैय आ स्वतंत्र जिनगी जीवय

खट्टर काका - बहुत निक गप्प मदन बाबु अपनेक पूछलो , यदि नव युबक चाहैत त अहि प्रथा के बहुत जल्दिय ख़तम क सकैत अच्छी , एक दोसर के सहयोग से क्याकि आबैय बाला दिन मंहगाई आ बेरोजगारी के दिन होयत , ओही में अपनेक सब की - की सब क सकैत छि , ई मिथिले टा में नै सम्पुरण भारत वर्ष में कल्याण होयत ,
नव युबक अप्पन परिवार अप्पन गाम अप्पन समाज अप्पन क्षेत्र अप्पन देश के भविष्य होयत अच्छी , ओकरा शोचाणय छैक जे हमर आबैय बाला दिन में की - की दिककत होयत , ताहि दुवारे ओ अप्पन माय - बाबु, सासु - ससुर , भाई बोहिन , काका - पीती , बाबा दादा नाना सब से अहि विषय पर बात करैथि जे अहाँ सब हमर भविष्य के बारे में शोचू जे दहेज़ की -की करत हमर सबके जिनगी में , एकर उपाय अपनेक सब मिल के करू आ दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ
हम - खट्टर काका किछ लोग कहैत छैथि जे दहेज़ मुक्त मिथिला तखन बनत जहन प्रेम वियाह के प्रधानता रहत की ई अप्पन मिथिला में संभव अछि ?

खट्टर काका - बात त बहुनिक सोचैत छैथि नव्युबक लोकेन मुद्दा ई संभव निक लागैत अछि , मदन बाबु यदि प्रेम बियाह के प्रधानता देत छि त कन्यादान के महत्व नै रहत क्याकि अप्पन मिथिला एकरा स्वीकार नै करत कारन की प्रेम में जाईत धर्म नै देखल जायत अछि , यदि किनको प्रेम एगो छोट वर्ण से हओत छैन त ओकरा अप्पन समाज अप्पन बरदारी में मान सम्मान नै देत अछि , अन्यथा ओकरा अप्पन घर परिवार से निकैल दैत अछि , ताहि से प्रेम बियाह उचित नै लागैत अच्छी |
हम -- खट्टर काका आई कैल में राजनिति लअके , दहेज़ प्रथा किछ हद तक बढ़ी गेल अछि अहि सन्दर्व में अपनेक की बिचार अछि राजनिति केनाय जरुरी लागैत अछि की ?

खट्टर काका - राजनिति और दहेज़ प्रथा के कुनू अनुओन्य्श्रय सम्बन्ध नै छैक , ओही के उपरांत आई के जुग में हरेक बात पर ,हरेक काज में अप्पन राजनीत उदेश्य बतायल जायत अछि ,जाही से गाम - घर के आम आदमी पर विशेष प्रभाब पारित अछि , अप्पन खेत खालाय्यानामें समय नै दके , चओक चुराह पर राजनीतिक आडा बनके , दहेज़ प्रथा के बात करैत अछि जे फल्लं बाबु के बेटा में एतेक दहेज़ देलकैन ता हिनका बेटी में ऐतबा दहेज़ क्या लगलैन , ताबे में कियोक कहै अच्छी जे मिखिया जी के नैएत के एतेक दान दहेज देलकैन , ई गप्प सप एक कण से दोसर कान में गेल जाही से एक दोसर के जिनगी में विशेष प्रभाब पारित अछि , जाही से दहेज़ के मांग के सेहो बढ्य लागैत अच्छी , ताहि दुवारे राज निति से हटने नबयुबक के अति अबस्यक अछि

हम -     खट्टर काका जायत - जायत बस एतेक बताओ दहेज़ मुक्त मिथिला के अभियान सफल होयत की नै ? हमर नबयुबक के मोनक अभिलाष लागले रही जायत , जे हम सब आब दहेज़ मुक्त बनी गेल छी या बेटी या बोहिन के जिनगी में संकट नै रह्त या संकट मुक्त बनिगेल या दहेज मुक्त मिथिला सफल भगेल

खट्टर काका - अपनेक सब नबयुबक से बस ईहा अनुरोध अछि जे दहेज़ मुक्त मिथिला के अभियान चालू रiखु , एक दिन ई अभियान जरुर सफल होयत , अगर रुकी जायत छी त फेर से सदा के लेल ई लागु रही जायत और मिथिला कमजोर बनजैत , हाँ समय अहि में जरुर लागत मुददा धीरे - धीरे सब ख़तम भजयात आ एक दिन हमर मिथिला दहेज़ मुक्त मिथिला कहओत से हमर सब बुजुर्ग गन के आशा और अभिलाष अछि

जय मैथिल , जय मिथिला समाज

मदन कुमार ठाकुर
कोठिया - पट्टीटोल
भैरव स्थान , झंझारपुर
मधुबनी , बिहार
0 9312460150

की अछि हमार नाम@प्रभात राय भट्ट

http://rayprabhatbhatt.blogspot.com/




की अछि हमार नाम@प्रभात राय भट्ट

जन्म लेलौं हम जतय सीता माए के अछि गाम,
म्या गै हमरा एतेक बतादे की अछि हमार नाम,
किया कहैय हमरा सीसी बोतल आर बिहारी धोती,
आफद भगेल ख्यामे हमरा अपने देशमें दू छाक रोटी,
अपने देश बुझाईय परदेश शासक बुझैय हमरा बिदेशी,
नए छौ तोहर कोनो नागरिक अधिकार तू भेले मधेसी,
भूख स मोन छटपट करैय भेटे नए किछु आहार,
दया धर्म इमान नए छै शासक के किया करैय तिरस्कार,
की यी हमर राष्ट्र नए अछि? या हम सुकुम्बासी थिक?

बौआ हमर नुनु ययौ कान खोइलक दुनु सुनु ययौ,
अहाँ थिक मधेशक धरतीपुत्र हम अहाँक मधेस माए,
निठुर शासक के हाथ बन्धकी परलछि देलौं सब्किछ गमाए,
तन मन धन सब लुट्लक आब करैय खून पसीना शोषण,
आशा केर दीप अहिं अछि हमर वीरपुत्र करू मधेस रोशन ,
मधेसमे जन्म लेली जे कियो फर्ज तेकरा निभाव परत ,
नेपाल स मधेस माए के मुक्त कराब परत ,
सुन्दर शांत स्वतंत्र एक मधेस एक परदेश बनाब परत,
मंगला स त भेटल नए आब छीन क लेब परत ,
लड़ पडत आजादी के लड़ाई देब परत बलिदान ,
तखने भेटत मान समानं आ बनत मधेस महान ,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट