dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

बुधवार, 7 अगस्त 2019

जय शंकर प्रसाद जी रचित ये पंक्तियां


जय शंकर प्रसाद जी रचित ये पंक्तियां सुषमा जी के व्यक्तिव को सही प्रकार से प्रदर्शित करती हैं......

भावुक मन के शब्द नहीं,
 श्रद्धा के थोड़े पुष्प है ये।
तुम प्रथमा थी,
 तुम अजातशत्रु,
तुम गरिमामय नारी का रूप रही।
तुम मृदु भाषी,
तुम ओजस्वी,
तुम अनुशासित योगी स्वरूप रही।
तुम ममतामय,
तुम करुणामय,
तुम आवश्यक शक्तिस्वरूपा भी।
 तुम क्षमाशील,
 तुम अनासक्त,
 तुम जन-गण आसक्त मां रूपा भी।
बैकुंठ तुम्हारे स्वागत में,
और धरती पे है मौन अहे।
स्वीकार करो मेरा वंदन,
 श्रद्धा के थोड़े पुष्प है ये।------

मंगलवार, 6 अगस्त 2019

mayak aas

मायक आस
नै दैत छी हम किनको दोष
नै अछि हमरा कनिको दुख ,
जे
'ओ 'कियक चलि गेल !!
ई त होबाके छल !
बरख दर बरख सँ त इहे त भ रहल छैक !!
हमहू जनैत छी,जे
हमर दुख ,हमर उपराग
ओहि उसिर खेत के हरियर नै क सकैत अछि ,
जे आब अनेरूवा घास सँ पाटल अछि !
हमरा अकरो दुख नै अछि ,जे
हमर फगुवाक रंग मलिन
आ ,जुड़िशीतलक हुडदंग सून भ गेल अछि !!
हम त बुझै छियेक ,जे
परदेसी बनल हमर संतान सभ
दोसरक रंग में रंगल ,
फुसिक हँसी हँसैत अछि ;
आ ,
मातृभूमि सँ दूर रहबाक दर्द
पाथर बनि क सहैत अछि !!
हं,
हम इहो मानैत छी जे
पलायनक दंश ,
हमर करेज चालनि क देने अछि ;
आ ,हमर सुन पड़ल घर -दुअारि
हमरे मुँह दुसैत रहैत अछि !!
मुदा ,
हमरा अडिग विश्वास अछि ,
फेरु आओते ओ दिन
जहिया ,
हमर आंगनक तुलसी निपायत ,
फेर सँ पंछी सभ रंग -बिरंगक गीत गाओत ;
अरहुलक झोंझर सँ बहराइत बुलबुल,
 फेरु सँ चहकतै;
आ ,
घरक मुंडेरी पर सँ 'ओ '
फेरु इन्द्रधनुषि छटा निहारतै ।
हमरा पूर्ण आस अछि
जहन ,
आमक गाछी सँ अबैत
कोइलिक मधुर स्वर ओकरा बजौते ;
जहन ,
 साओनक पनियैल सोन्हायल
माटिक सुगंध ओकरा ईयाद आओतै ;
तहन,
घुरि अओतैेक हमर बच्चा
हमरा आँचर तर !हमरा कोर में!!
       काशी मिश्रा ✍✍