dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

सोमवार, 30 जनवरी 2023

रचनाकार - श्री बद्रीनाथ राय जी


की कहियौ बहिना हम,ससुरा के हाल गे।

साउस हमर सूर्पनखा,ससुर हमर काल गे। ।


गोतनी छै गोर मुदा, गौरवे  छै आन्हर।

ढेकरइए साढ सन, नह जेना नाहर ।।

ननदी नटिनिया बड़ बजबै छै गाल गे।

साउस हमर ..... ...            

देवर छै गोबर सन,कोयला सन काया।

भैंसुर छै भैंसा सन निर्लज बेहाया।।

कंठी पहिरी करै कौआ हलाल गे।

साउस हमर ..................

बाबू दहेज देलनि किनला अनारी।

बुझए नञि बात बरद अवगुण छै भारी।।

कोठी छै ढन ढन होय भूख हड़ताल गे।

साउस हमर .....    ..        ........

घर मे नञि चिक्कस,नञि कोठी मे चाउर छै।

बारी मे ओल बहुत, उपजल खम्हाउर छै।।

नोरे  मे तरुआ तरै छी लाल लाल गे।

साउस हमर .......

सरपंचो सासुर के,मौगा छै मुखिया।

पेटु प्रमुख आओर  डीलर छै दुखिया। ।

मेम्बर  के पेट जेना,टंकी विशाल गे।

साउस हमर ...     ....    .......... 

वर हमर बुरिबक सन, फर महकारी।

भेलै विवाह देख,कोठा अटारी।।

बिगरल व्यवहार हुनक,तेकरे मलाल गे।

साउस हमर .............       ............

रचनाकार - श्री बद्रीनाथ राय जी

रचनाकार - श्री बद्रीनाथ राय जी

 


गे बहिना वर हमर बड़ बुरिबक आऔर अनारी छै,

मूर्खशिरोमणि कारी छै ना।..................

दूष्ट दहेजक हम छी मारल ,

यौवन जिबिते गेलै जारल।

बुरिबक बात नञि बुझए,

बापक आज्ञाकारी छै।।

मूर्खशिरोमणि....     .........

एक त गोबर के छै  चोत,

हम छी  लाजे लाहालोट।

लाजक बात की  कहियौ,

नञि पुरूषे नञि नारी छै। ।

मूर्खशिरोमणि ...  .........     .      ...  .

यौवन छिन्न भेल निस्तेज, 

फाटए कोमल  कोढ करेज। 

बुझए प्रणय निवेदन के नञि,

पैघ बीमारी  छै ।।

मूर्खशिरोमणि.....................

कहितो  लाज लगइए भारी,

अकिल के खोलए नञि अलमारी।

बरही बिना ओजारक ,

वुद्धिक बन्द केबारी छै।।

मूर्खशिरोमणि... ..... .. ............

करबै  केकरा पर हम आश ,

बाहर पवन बहै उनचास।

केकरा कहबै मनक बतिया,

बड़  लाचारी छै।।

मूर्खशिरोमणि ... .........

जहिना झरकल सन छै देह,

हमरो जरलै सख सिनेह।

विद्या पढने एक्कहि मात्र  ,

मुदा भैंसबारी छै।।

मूर्खशिरोमणि...   ..... ..........

शिक्षा पहला मे अछि फेल,

हमरा चिन्हलक नञि बकलेल।

नहिरा नीक लगइए, 

रहै जेना कुमारी छै।।

मूर्खशिरोमणि...... .................

पौरूष रखने नञि जरलाहा ,

बथुआ साग सनक नरमाहा।

यौवन धधकि रहल अछि, 

हमरा संङ लाचारी छै।

मूर्खशिरोमणि ......................|

......    .........

रचनाकार - श्री बद्रीनाथ राय जी

 


गे बहिना वर हमर बड़ बुरिबक आऔर बकलेल छै,
सासुर सेन्टर जेल छै ना
देवर चारू काच कुमार,ससुरक साप  सनक फुफकार।
ननदी नाक कटाक' नङटिनीया सन भेल छै।।
सासुर सेन्टर जेल छै ना...
बर्तन मजिते देह खियाएल,साउसक बातो बेस पिजाएल।
धनि ओ जुन्ना सन के ऐठलि आऔर विष वेल छै।।
सासुर सेन्टर जेल ..  ..............
घर  मे डर लगइए भारी,लागल नञि छै फटक  केबारी।
सबटा दूष्ट दहेजक कारण गड़बर भेल छै।।
सासुर सेन्टर जेल छै ना... . . .......
ससुरक जेठ भाइ  मुहझौसा, फूलल बेङ सनक अछि ढौसा।
अगुआ आगि लगाक' सारा मे सूति गेल छै।।
सासुर सेन्टर जेल  ........    . ..............|
मरए वरक बाप जे लोभी,ओ छथि देवक वेद विरोधी।
स्रष्टा सृष्टी केलनि गड़बर आऔर बेमेल छै।।
सासुर सेन्टर जेल छै ना... ............।

रविवार, 15 जनवरी 2023

आँख फाड़ दिमाग़ को हिला देने वाला सच, पढ़ कर आप भी आश्चर्य चकित रह जायेंगे ?



      भारत में कुल 4120 MLA और 462 MLC हैं अर्थात कुल 4,582 विधायक।

प्रति विधायक वेतन भत्ता मिला कर प्रति माह 2 लाख का खर्च 

91 करोड़ 64 लाख रुपया प्रति माह। इस हिसाब से प्रति वर्ष लगभ 1100 करोड़ रूपये।

भारत में लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर कुल 776 सांसद हैं।

इन सांसदों को वेतन भत्ता मिला कर प्रति माह 5 लाख दिया जाता है।

अर्थात कुल सांसदों का वेतन प्रति माह 38 करोड़ 80 लाख है। और हर वर्ष इन सांसदों को 465 करोड़ 60 लाख रुपया वेतन भत्ता में दिया जाता है।

अर्थात भारत के विधायकों और सांसदों के पीछे भारत का प्रति वर्ष 15 अरब 65 करोड़ 60 लाख रूपये खर्च होता है।

ये तो सिर्फ इनके मूल वेतन भत्ते की बात हुई। इनके आवास, रहने, खाने, यात्रा भत्ता, इलाज, विदेशी सैर सपाटा आदि का का खर्च भी लगभग इतना ही है।

अर्थात लगभग 30 अरब रूपये खर्च होता है इन विधायकों और सांसदों पर।

अब गौर कीजिए इनके सुरक्षा में तैनात 

एक विधायक को दो बॉडीगार्ड और एक सेक्शन हाउस गार्ड यानी कम से कम 5 पुलिसकर्मी और यानी कुल 7 पुलिसकर्मी की सुरक्षा मिलती है।

7 पुलिस का वेतन लगभग (25,000 रूपये प्रति माह की दर से) 1 लाख 75 हजार रूपये होता है।

इस हिसाब से 4582 विधायकों की सुरक्षा का सालाना खर्च 9 अरब 62 करोड़ 22 लाख प्रति वर्ष है।

इसी प्रकार सांसदों के सुरक्षा पर प्रति वर्ष 164 करोड़ रूपये खर्च होते हैं।

Z श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त नेता, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए लगभग 16000 जवान अलग  से,

जिन पर सालाना कुल खर्च लगभग 776 करोड़ रुपया बैठता है।

इस प्रकार सत्ताधीन नेताओं की सुरक्षा पर हर वर्ष लगभग 20 अरब रूपये खर्च होते हैं।

*अर्थात हर वर्ष नेताओं पर कम से कम 50 अरब रूपये खर्च होते हैं।

इन खर्चों में राज्यपाल, भूतपूर्व नेताओं के पेंशन, पार्टी के नेता, पार्टी अध्यक्ष , उनकी सुरक्षा आदि का खर्च शामिल नहीं है।

यदि उसे भी जोड़ा जाए तो कुल खर्च लगभग 100 अरब रुपया हो जायेगा।

अब सोचिये हम प्रति वर्ष नेताओं पर 100 अरब रूपये से भी अधिक खर्च करते हैं, बदले में गरीब लोगों को क्या मिलता है ?

*क्या यही है लोकतंत्र ?*

*(यह 100 अरब रुपया हम भारत वासियों से ही टैक्स के रूप में वसूला गया होता है।)*

_एक सर्जिकल स्ट्राइक यहाँ भी बनती है_

◆ भारत में दो कानून अवश्य बनना चाहिए

→पहला - चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध

नेता केवल टेलीविजन ( टी वी) के माध्यम से प्रचार करें

→दूसरा - नेताओं के वेतन भत्तो पर प्रतिबंध

| तब दिखाओ देशभक्ति |

प्रत्येक भारतवासी को जागरूक होना ही पड़ेगा और इस फिजूल खर्ची के खिलाफ बोलना पड़ेगा ?

*इस मेसेज़ को जितना हो सके फेसबुक और व्हाट्सअप ग्रुप में फॉरवर्ड कर अपनी देश भक्ति का परिचय दें।*

सादर निवेदन

माननीय PM and CM जी,

कृपया सारी *योजना बंद कर दीजिये।*

सिर्फ

*सांसद भवन जैसी कैन्टीन हर दस किलोमीटर पर खुलवा दीजिये ।*

सारे झगड़े ख़त्म।

*29 रूपये में भरपेट खाना मिलेगा..*

80% लोगों को घर चलाने का झगड़ा ख़त्म।

*ना सिलेंडर लाना, ना राशन*

और

घर वाली भी खुश ।

*चारों तरफ खुशियाँ ही रहेगी।*

फिर हम कहेंगे सबका साथ सबका विकास ।

*सबसे बड़ा फायदा 1र् किलो गेहूँ नहीं देना पड़ेगा*

और

*PM जी को ये ना कहना पड़ेगा कि मिडिल क्लास के लोग अपने हिसाब से घर चलाएँ ।*

इस पे गौर करें

कृपया कड़ी मेहनत से प्राप्त हुई ये जानकारी देश के हर एक नागरिक तक पहुँचाने की कोशिश करे ।

शान है या छलावा...।

पूरे भारत में एक ही जगह ऐसी है जहाँ खाने की चीजें सबसे सस्ती है ।

चाय = 1.00

सुप = 5.50

दाल= 1.50

चावल =2.00

चपाती =1.00

चिकन= 24.50

डोसा = 4.00

बिरयानी=8.00

मच्छी= 13.00

ये *सब चीज़ें सिर्फ गरीबों के लिए है और ये सब Available है Indian Parliament Canteen में।*

और उन *गरीबों की पगार है 80,000 रूपये महीना वो भी बिना income tax के ।*

आपके Mobile में जितने भी नम्बर save है सबको forward करें ताकि सबको पता चले …

कि यही कारण है कि इन्हें लगता है कि जो *आदमी 30 या 32 रूपये रोज़ कमाता है वो ग़रीब नहीं है।*

*Jokes तो हर रोज़ Forward करते हैं, आज  इसे भी Forward करें और  भारत की जनता को एवम् संविदा कर्मियों कोजागरूक करें।*

सोमवार, 9 जनवरी 2023

एकटा आग्रह- अपन अगल बगलक परिवारक जनगणनाक समय ध्यान दऽ मातृभाषामे "मैथिली" अवश्य लिखाबी।



सरकारक विभिन्न स्रोतसँ जनतब देल जा रहल अछि जे एहि दसकक जनगणना आरम्भ भऽ गेल अछि।बिहारमे एहिबेर जातिक सूचना सेहो गणना होयत।कोनो बात नहि।जकर जे जाति आ धर्म छै से लिखेबे करता ,मुदा एहि फेरमे हमरा लोकनि पड़ि अपन भाषाकेँ नहि बिसरि जाइ। कृपया 

1•अपन आ अपन अगल बगलक परिवारक जनगणनाक समय ध्यान दऽ मातृभाषामे "मैथिली" अवश्य लिखाबी।

2• अपना गामक जनगणना 

कर्मचारीसँ सम्पर्क कऽ हुनकासँ मातृभाषाक कोष्ठमे  मैथिलीकेँ भरबाक आग्रह करी।

3• सम्प्रति मिथिलाक आधा लोक प्रवासमे रहैत अछि ,तेँ कृपया शहरी आ महानगरी क्षेत्रमे रहनिहार अपन परिवारक लोककेँ मातृभाषामे मैथिली लिखेबाक लेल मोबाइलपर स्मरण आ तगादा करैत रहियनि।

4•ध्यान रहय वर्तमानमे जँ प्रवासी लोकनि मैथिलीकेँ मातृभाषा नहि लिखौता तँ मैथिलीक वास्तविक आँकड़ा बहुत कमजोर आ निराशाजनक भऽ जायत।

5• गामसँ लऽ कऽ महानगर धरि पाठशालामे पढ़बला छात्रकेँ विशेष रूपसँ मातृभाषा मैथिली हेबाक भावना जागृत कराबी।

ध्यान रहय "जँ एखन नहि तऽ फेर कहियो नहि"।

अपन मातृभाषाक लेल एहिबेर कनेक सतर्क होउ आ प्रयास करू।

*जय मिथिला जय मैथिली ।*

मंगलवार, 3 जनवरी 2023

ललित बाबू के पुण्यतिथि पर विशेष -

 ललित बाबू के पुण्यतिथि पर विशेष - KIRTI NARAYAN JHA     


                    मिथिलाक विकास पुरुष स्वर्गीय ललित बाबू द्वारा आरंभ कयल गेल मिथिला आई धरि विकास केर रस्ता कें टकटकी लगौने ताकि रहल अछि ओहि भागीरथ के जे मिथिलांचलक विकास के लेल सहायक होइतेऽ! राजनैतिक आहे माहे सँ दूर कोनो पिछङल क्षेत्र के आगू बढ़यबाक बास्ते जँ कियो प्रयास करैत छैथि भले ओ कोनो राजनैतिक पार्टी कए प्रतिनिधि होइथ सभ सँ पहिने ओ सामाजिक उत्थानकर्ता मानल जएताह। एकर जीवन्त उदाहरण छलाह पूर्व रेल मंत्री स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र।जिनकर एकटा नारा प्रसिद्ध छल जे "हम रहि अथवा नहिं रही बिहार बढि क रहत" नहि जानि केकर नजैर लागि गेलैक जे बिहार आ मिथिला आइयो बाट जोहि रहल अछि ओहि विकास पुरुष केँ।              आई कमला कोशी केर भयानक विभीषिका मिथिला वासी नहिं झेलैत रहैत। आई मिथिला पेंटिंग के बारे में जँ कियो चर्चा क रहल छैथि त ओहि मे ललित बाबू केर नाम श्रद्धा केर संग लेल जाइत अछि। झंझारपुर आ नेपाल के बीच अवस्थित वज्र देहात के रेलवे सँ जोङि कय देश के समक्ष ओहि गामक प्रतिनिधि के प्रतिनिधित्व दियावै में हिनक अद्भुत प्रयास छल। हिनक द्वारा कयल गेल काज के जँ सूचि बनाबी त हमर आर्टिकल बहुत लम्बा भ जायत संगहि हमरा विश्वास अछि जे हमरा सभ में सँ अधिकांश लोक हुनका द्वारा कयल गेल काज सँ पूर्णतया अवगत हेताह ।                                                                ई बात सत्य अछि जे किछु गोटे, हुनक विकास कार्य सँ सहमत नहिं हेताह मुदा अधिकतर मिथिला वासी हमरा हिसाबे ओहि विकासोन्मुखी मिथिलाक परिकल्पना केर क्षण स्मरण कए किछु कालक लेल रोमांचित अवश्य भ जएताह। मिथिलाक ई अभाग कही अथवा किछु आओर एहि क्षेत्र केर उपेक्षा बिहार सरकार द्वारा कैल जाएत रहल अछि। ललित नारायण मिश्र केर जन्म ०२ फरवरी १९२२ बसंत पंचमी दिन हुनक मामा गाम कुमार वाजितपुर वैशाली जिला मे भेल रहैन। कोशी कए विनाश लीला केर कारण सँ हिनक पूर्वज बलुआ बाजार में आबि क बसि गेल छल।                                                                              होनहार बिरवान के होत चिकने पात के चरित्रार्थ करैत छात्र जीवन में स्वतंत्रता आन्दोलन में कूदि गेल रहैथि आ कोशी बाबू के नाम सँ प्रसिद्ध भेल छलाह। अपन लोकप्रियता केर वदौलत जवाहरलाल नेहरू आ लाल बहादुर शास्त्री केर ई प्रिय पात्र भय गेलाह। श्रीमती इन्दिरा गाँधी हिनका पर बहुत बेसी विश्वास करैत छलीह।                                                                      किछु आलोचक केर अनुसार हिनक लोकप्रियता सँ जरि कए हिनक हत्या में हुनक हाथ छलैन्ह। मुदा ई सभ हम मिथिला वासी केर आक्रोश केर कारण अछि आ हमरा लोकनि कें ओहि विषय में चर्चा नहिं करवाक अछि। एकहि वाक्य में जँ ललित बाबू के मिथिलांचलक एकमात्र विकास पुरुष कही त अतिशयोक्ति नहि होयत। जय मिथिला। जय मैथिली 

एकटा धार्मिक प्रसंग - KIRTI NARAYAN JHA

           एकटा गाम में एकटा बूढी माता रहैत छलीह जे असगर छलीह। एक दिन गाम मे एकटा बहुत पैघ महात्मा पहुंचलाह। बूढ़ी माता हुनकर खूब स्वागत सत्कार केलखिंह। महात्मा जी जखन जाए लगलाह तऽ बूढी माता कहैत छथिन्ह जे महात्मा जी। अहाँ तऽ भगवान के बहुत पैघ भक्त छी। हमरा आशीर्वाद दियअ जे हम जे असगर रहैत छी से कियो हमरा संग रहवाक लेल भेट जाए कारण हम असगर रहैत रहैत परेशान भऽ गेलहुँ अछि। महात्मा जी हँसि कऽ अपन झोरा में सँ एकटा भगवानक मूर्ति निकाललन्हि आ बूढी माय के दैत कहलखिन्ह जे ई लियअ। ई आइ सँ अहाँ के बेटा छी। एकरा अपन बेटा जकाँ पालन पोषण करू। बूढी माय ओहि मूर्ति के खूब लार दुलार सँ पोषय लगलीह।                                                                                                                                                         एक दिन गामक किछु उकठ्ठी धिया पूता सभ एकटा मूर्ति के लार दुलार करैत देखि कऽ बूढी माता के खिझैवाक लेल बूढ़ी माता सँ कहलकै जे आइ गाम मे जंगल सँ एकटा भेड़िया घुसि गेलै अछि जे छोट छोट बच्चा के उठा कऽ लऽ जाइत छैक आ ओकरा मारि कऽ खा जाइत छैक। अहूँ अपन बच्चा पर ध्यान देबै नहिं तऽ ओकरो भेड़िया उठा कऽ लऽ जाएत।                                                                                                                                                      बूढ़ी माय साकांच भऽ गेलीह। अपन बच्चा के बचएबाक लेल भूखले पियासल भरि भरि राति डंडा लऽ कऽ पहरा देवय लगलीह। पाँच दिन आ पाँच राति बिना किछु खेने पीने आ बिना सूतने अपन बच्चाक रक्षा करवाक लेल द्वार पर डँटल छलीह।                                                                                                                                    ओहि भोली भाली बुढ़िया के भाव देखि भगवानक हृदय प्रेम आ स्नेह सँ भरि गेलैन्ह। भगवान प्रकट रूप में बूढी माताक स्नेह प्राप्त करवाक लेल सुन्दर रूप धारण कऽ कऽ वस्त्र आ आभूषण सँ सुसज्जित भऽ कऽ उपस्थित भऽ गेलाह। भगवान के पेएर के आहट पावि बूढी माता भेड़िया बूझि लाठी लऽ कऽ दौड़लीह। भगवान कहलखिन्ह जे माय। हम तऽ अहाँक बौआ छी जकर अहाँ रक्षा करवाक लेल ठाढ छी। बूढी के विश्वास नहि होइत छैन्ह। तखन भगवान कहैत छथिन्ह जे हम त्रिलोकनाथ भगवान छी। वरदान माँगू। हम अहाँक भक्ति सँ बहुत प्रसन्न छी। बूढ़ी माता के तखन एकाएक ध्यान खूजैत छैन्ह आ ओ भगवान के पेएर पर खसैत वरदान मँगैत छैथि जे हे भगवान ।हमर बच्चा के भेड़िया सँ बचा दियअ। भगवान आओर बेसी प्रसन्न भऽ जाइत छैथि आ कहैत छथिन्ह जे मैया। अहाँ हमरा संगे चलू। हम अहाँ के अप्पन धाम लऽ चलैत छी आ भेड़िया सँ डरवाक कोनो आवश्यकता नहिं छैक आ तखन बूढी माता के भगवान अपना संग लऽ जाइत छथिन्ह।                                                                                    एहि प्रकार सँ भगवान के प्राप्त करवाक लेल सभ सँ आसान तरीका छैक जे भगवान सँ बिना कोनो छल कपट के प्रेम करू जेना बूढी माता करैत छलीह। हमरा सभकें अप्पन भीतर में बैसल भगवान के अंश के काम, क्रोध लोभ मोह आ अहंकार रूपी भेड़िया सँ रक्षा करवाक चाही जाहि सँ एक न एक दिन भगवान अवश्य दर्शन देताह कारण भक्त पर कृपा केनाइ भगवान केर स्वभाव होइत छैन्ह।                                                                                                जय सियाराम ।    जय बजरंगबली