dahej mukt mithila

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मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023

श्रीराम के प्रशंसा लिखू, हमर नहिं "

 


     तुलसीदास जी हनुमान चालीसा लिखैत छलाह, राति में ओकरा सम्हारि कऽ रखैत छलाह आ भोर में उठि कऽ देखैत छलाह जे हुनकर लिखल हनुमान चालीसा कियो मिटा कऽ चलि जाइत छल। तुलसीदास जी हनुमान जी के स्मरण कयलनि हनुमान जी प्रकट भेलाह,              
      तुलसीदास जी कहलखिन्ह जे हम हनुमान चालीसा लिखैत छी आ कियो आबि कऽ मिटा दैत अछि। हनुमानजी कहलखिन्ह जे एंह। ओ तऽ हमहीं मिटाबैत छी। तुलसीदास जी कारण पूछलखिन तऽ हनुमान जी उत्तर देलखिन्ह जे जँ प्रशंसा लिखवाक अछि तऽ हमर प्रभु श्रीराम के प्रशंसा लिखू, हमर नहिं ।तुलसीदास जी के तखन अयोध्याकांड के पहिल दोहा स्मरण भेलन्हि आ तखन ओ हनुमान चालीसा के शुभारम्भ में लिखलन्हि.                                                                                           "श्रीगुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुरु सुधारि।                   रनउं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।

         एहि पर हनुमान जी कहलखिन जे हम तऽ रघुवर नहिं छी तखन तुलसीदास जी कहलखिन्ह जे अहाँ आ प्रभु श्रीराम एकहि प्रसाद ग्रहण कयला सँ अवतरित भेल छी तें अहुं रघुवर छी। तुलसीदास जी हनुमान जी के मोन पाड़ैत छथिन्ह जे ब्रम्ह लोक में सुवर्चला नामक एक टा परी रहैत छलीह, ओ एक बेर ब्रम्हा जी पर मोहित भऽ गेलीह जाहि पर ब्रम्हा जी क्रोधित भऽ हुनका गिद्ध योनि में जयवाक श्राप दऽ देलखिन्ह जाहि पर सुवर्चला कानय लगलीह आ ब्रम्हा जी के दया आबि गेलैन्ह ओ कहलखिन्ह जे जाउ। राजा दशरथ पुत्र प्राप्ति के लेल पुत्रेष्ठि यज्ञ केर आयोजन करताह आ यज्ञ में हवि के रूप में जे प्रसाद तीनू रानी के बांटल जेतैन्ह आ ओहि में सँ केकैयी के हिस्सा लऽ कऽ उड़ि जायब आ माँ अंजना जे अपन आंचर पसारि कऽ भगवान भोलेनाथ सँ पुत्र कामना हेतु ठाढ रहतीह अहाँ हुनकर आंचर में जा कऽ प्रसाद खसा देबैन। आ सेएह भेल ओम्हर प्रभु श्री राम केर जन्म भेल आ एम्हर अंजना ओहि प्रसाद के ग्रहण कऽ कऽ अहाँ के जन्म देलन्हि, तें प्रभु श्रीराम अहाँ के अपन भाई कहैत छैथि "तुम मम भरतहिं सम भाई" तुलसीदास जी एकटा आओर तर्क देलखिन्ह जे जखन अहाँ माँ सीता के तकैत तकैत अशोक वाटिका पहुंचलहुँ तखन ओहिठाम माँ सीता अहाँ के अपन पुत्र बनाओने छलीह.  
                                                                          
  "अजर अमर गुननिधि सुत होहू ।
       करहुं बहुत रघुनायक छोहू" 

     तत्पश्चात् जखन अहाँ सीता के पता लगा कऽ प्रभु श्रीराम सँ भेंट कयलहुँ तऽ भगवान राम स्वयं अहाँ के अपन पुत्र कहने छलाह.                                         
 "सुनु सुत तेहि उरिन मै नाही।
 देखेउं करि विचार मन मांही।।  

     तें अहाँ रघुवर छी आ तुलसीदास जी के एहि तर्क के सुनि भक्त वत्सल हनुमान जी अन्तर्ध्यान भऽ जाइत छैथि। जय सियाराम ।जय जय हनुमान ,

सोमवार, 20 फ़रवरी 2023

वैदिक मन्त्रों में लोग धर्म एवं उपासना मूर्ति-पूजा या मानसिक

    


वैदिक मन्त्रों में उच्चारण तथा स्वर की शुद्धता पर अत्यधिक बल दिए जाने के कारण जब समाज के अधिकांश लोग धर्म एवं उपासना से दूर होने लगे तो आगम-पद्धति का प्रचलन हुआ। 

इसमें लौकिक संस्कृत भाषा के पौराणिक मंत्र थे तथा अतिथि-सत्कार की शैली में मूर्ति-पूजा या मूर्ति-पूजा या मानसिक  पूजा की जाती थी। जल, फूल, चंदन, नैवेद्य आदि अर्पित वस्तुओं पर विशेष जोर था, मन्त्र पर कम ध्यान दिया जाता था। 

इस नई आगम-पद्धति ने एक बार फिर समाज के सभी वर्णों को उपासना के स्तर पर जोड़ने का काम किया। 

आगे लगभग 8वीं शती में जब क्षेत्रीय भाषाओं का विकास आरम्भ हुआ तब संस्कृत की पौराणिक भाषा भी दुर्बोध होती गयी तो जनभाषा को धर्म की भाषा बनाया गया। इसके शाबर मन्त्र आज भी सर्वथा विस्मृत नहीं हुए हैं, जिन्हें हम लोकभाषा में स्तुतियाँ कह सकते हैं। 

यह p सिद्धों और नाथों के सम्प्रदाय में सर्वाधिक हुआ। वास्तव में भारत के धार्मिक आन्दोलन का यह दूसरा प्रखर आंदोलन था, जिसने उपासना के स्तर पर समाज को एकसूत्र में बाँधने का कार्य किया। 

इसी काल में उत्तर भारत की धार्मिक परम्पराओं में लोकभाषा के माध्यम से शिव की उपासना जन-जन तक फैली। सिद्ध सम्प्रदाय अनीश्वरवादी था लेकिन नाथ सम्प्रदाय ने ईश्वरवाद का रास्ता अपनाया और आदिनाथ शिव को अपनी परम्परा में आदिगुरु के रूप में स्थापित किया। 

इसी शिव के साथ अभिन्न रूप में शक्ति को जोड़कर शाक्त-आगमों के साथ समन्वय स्थापित किया गया, जिसे शंकराचार्य ने भी ‘सौन्दर्य लहरी’ में शिवः शक्त्या युक्तः कहकर समन्वय का सूत्र दिया। 

अगस्त्य संहिता ने रामोपासना को शैव-परम्परा के साथ जोड़ने का अद्भुत कार्य किया, जिसे तुलसीदास ने शिव के मुख से रामचरित कहाकर व्यापक प्रसार दिया।

 मिथिला के कपिलेश्वरस्थान, जमुथरि के गौरीशंकर स्थान तथा हाजीपुर के गौरीशंकर स्थान में शिवलिंग पर राम गायत्री तथा रामपद का अंकन हमें इसी समन्वय का सूत्र देता है। फलतः उत्तर भारत में शैव परम्परा का प्रचार सबसे अधिक रहा।

शिव मन्दिरों से इस नाथ सम्प्रदाय की गतिविधियाँ चलती थी। अतः हमें उत्तर भारत के अधिकांश शिव मन्दिरों के नाम में ‘ईश्वर’ अथवा ‘नाथ’ शब्द दिखाई देते हैं। संस्कृत में दोनों शब्द स्वामी के अर्थ में प्रचलित हैं, लेकिन कभी कभी हम ‘नाथ’ शब्द का प्रयोग ‘पति’ आदि स्वामीवाचक शब्दों के साथ भी देखते हैं, जैसे पशुपतिनाथ। अतः हम यह मान सकते हैं कि शैव परम्परा के जो प्राचीन शिव मन्दिर नाथ सम्प्रदाय की गतिविधि के केन्द्र रहे थे उनके साथ नाथ शब्द जुड़ा और उसी अवधारणा के अनुरूप बहुत सारे नव स्थापित शिव मन्दिरों के नामकरण में भी ‘नाथ’ शब्द जुड़े।

शनिवार, 11 फ़रवरी 2023

WELL WARNED IS WELL ARMED

 

दुनिया मे पांच बड़े धंधे हैं.. जो दुनिया को चलाते हैं.. जो Deep State द्वारा पोषित हैं.... जहाँ से पैसा आता है.. सरकारें बदलने का, युद्ध लड़ने का.. सभ्यताओं को बर्बाद करने का।

*Energy*

*Pharma*

*Defence*

*Infrastructure*

*Technology*

*Energy -       

 * पिछले 7-8 साल से अम्बानी अडानी लगातार निशाने पर हैं... चाहें किसान आंदोलन हो, चाहे मानवाधिकार की बात हो, चाहे सरकार से निकट होने का आरोप हो... इन दोनों को हमेशा लपेटा गया है.... पंजाब मे किसान आंदोलन के नाम पर सबसे ज्यादा हमले अम्बानी अडानी पर ही हुए... अम्बानी के Towers तोड़े गए.. वहीं अडानी का dry port बंद करा दिया गया... ऑस्ट्रेलिया मे कोयले की खान खरीदने पर हल्ला मचाया गया.... कारण है इनका Energy के क्षेत्र मे उतरना।

*Pharma -*

 याद कीजिए कैसे आदार पूनावाला पर लोग हमलावर थे। जब covid की vaccine बनाई जा रही थी... भारत biotech को फर्जी बताया गया.. उनके रिजल्ट्स पर सवाल उठाये गए.... कैसे जाम्बिया और उज़्बेकिस्तान मे एकाएक भारतीय दवाएं ban की गई... WHO ने ban लगाया लेकिन सबूत आज तक नहीं दिया

*Defence - make in india*

         पर हमले किसने किये? याद कीजिए. भारतीय हथियारों को inferior बताया गया... आज अम्बानी, अडानी,  महिंद्रा, टाटा, कल्याणी जैसे बड़े समूह इस क्षेत्र मे हैं.... *आपको क्या लगता है... कल को इनका नम्बर नहीं आएगा??*

*Infrastructure -*   

     देश मे कुछ बनाना अलग बात है... लेकिन जब आपके देश के उद्योगपति बाहर जा कर project लेने लगें.. तो दर्द होना स्वाभाविक है. आज हमारे लोग बाहर मेट्रो projects बना रहे हैं, ports बना रहे हैं, एयरपोर्ट्स बना रहे हैं... अडानी इस मामले मे शायद लक्षमण रेखा लांघ गए.... श्रीलंका में चीन से port छीना... इजराइल मे port ले लिया.. Africa मे कई देशों मे चीन और यूरोप की कंपनियों को सीधा टक्कर दे रहे हैं... ऐसे मे क्यों नहीं उस पर दबाव बनाया जायेगा??

*Technology -*

                यहाँ हम अभी Service Provider की तरह काम कर रहे हैं.... जिस दिन हम Technology Stack और Hardware दोनों देने लगे.. एक comprehensive solution देने लगे... हमले होने लगेंगे। पिछले कुछ सालों मे Infosys और Wipro जैसी कंपनियों पर penalty लगी हैं... हालांकि उसमे इनकी भी गलती थी.. वीसा नियमो का उल्लंघन किया था, Technology apartheid का सामना फिलहाल रूस ने किया है... रातों रात सभी Tech कम्पनिया वहाँ से गायब हो गई.. उनकी tech कंपनियों को बाहर के देशों ने काम देना बंद कर दिया...... आपको नहीं लगता कि ऐसा भारत के साथ हो सकता है?

*मामला उतना सीधा नहीं है जितना दिखता है.... यह हमारी अल्प सोच ही है..... जो किसी के भी कहने पर उसकी बात सच मान लेते हैं.. और अपने ही पक्ष को कमजोर कर लेते हैं।*

*हम एक ऐसे प्रतिद्वंदी के सामने हैं, जिसके पास एक पूरा ecosystem है.... सरकारें हैं.., Media है, NGO हैं, Credit agencies हैं, Global Banking Cartel है, Academicia है, Intellectuals हैं।

आप सड़क बनाएंगे... वह बता देंगे कि आपका देश बड़ा गरीब है..., आप Train चलाएंगे... वह छाप देंगे कि आपके देश मे खाने को रोटी नहीं है.... आप दूसरे देशों की सहायता करेंगे... वो भूख के index मे आपके स्थान का मजाक उड़ाएंगे.... आप Space मे कुछ बड़ी उपलब्धि हासिल करेंगे... वो आपकी credit rating को downgrade कर देंगे......  आप बंदरगाह बनाएंगे,  Nuclear Power plant बनाएंगे... वो NGO और पर्यावरण संरक्षण के नाम पर Environmentalists की फ़ौज आपके पीछे छोड़ देंगे।*

  उनके पास सब कुछ है.. हमारे पास दिमाग है... दुर्भाग्य की बात है कि हम वह भी इस्तेमाल नहीं करते... Its a 5th Gen warfare... we are the weapon.. Its better to hit others coming in our way instead of hurting ourself.. Everytime.

         इसलिए सावधान रहिये, बिना समझे देश को कमजोर बनाए रखने वाले हमलावारों की बातो मे ना आइये, OUR COUNTRY IS IN RIGHT HANDS WITH TEAM OF PATRIOTS AND WARRIORS, स्वतंत्र भारत के इतिहास में लाल बहादुर शास्त्री जी के बाद नरेंद्र मोदी जी दूसरे प्रधानमंत्री हैं, _जिनका हित ही देश का हित है।_ लाल बहादुर शास्त्री जी पर बस चल सका और उनका जो हस्र हुआ वह सारे विश्व को मालूम है जिसका परिणाम 50 वर्ष तक देश को भुगतना पड़ा है। अब यदि किसी कारण से राष्ट्र विरोधी एवं सतही सोच वाले लोगों के propoganda पर विश्वास करके हम लोगों ने मोदी को खो दिया तो देशवासियों की अपेक्षा के अनुरूप भारत विश्वगुरु कभी नहीं बन पायेगा और देशवासियों के लिये यह सिर्फ एक स्वप्न ही रह जायेगा।*