dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

शनिवार, 28 दिसंबर 2013

मिथिलाक चतुथ॔ नाम तिरहुतः कि॓एक..?

मिथिलाक चतुथ॔ नाम तिरहुतः कि॓एक..?

वि० पु०....  

 "गण्डकी तीर मारम्भ चम्पारण्यान्तकं शिवे । 
 विदेह भूः समाख्याता तिरभुक्त मिथः मनुः ।।"
 रामायणः...जेहि तिरहुति तेहि समय निहारी । 
 तेहि लघु लगे भुवन दश चारी ।
 जो सम्पदा निज गृह शोहा ।
सो विलोकि सुरनायक मोहा ।।


१, तीर भुक्त " ऋगवेद, सामवेद, यजुवे॔द" तीनू वेद सँ जतय ब़ाह्मण आहुति दैत होइथ से तीरभुक्त तिरहुत भेल ।


२. तृनाम "शाम्भवी, स्वण॔कानन, तपोवन" सँ भुक्तवान अछि जे प़देश से भेल तिरहुत ।


३. कौशकी, गंगा,तथा गंडक तीर तक भुक्तवान "शेष अछि सीमा जाहि देशक" तकरे तिरहुत कहल जाइत अछि ।


४. तीन गुण "सत्व, रज, तम" आर तीन देव "ब़ह्मा, विष्णु, महेश" सँ भाज्यमान जे देश से भेल तिरहुत ।


५. त्रिराम "वलराम, परशुराम, राम" भुगत भेल हो जाि देश में से भेल तिरहुत ।


६. तृसमिर "शितल, मन्द, सुगन्ध" जतय भोगल जाइत हो से भेल तिरहुत ।


• वाणी कुप सरित सर नाना ।
• सलिल सुधा सम मणि सोपाणा ।
• गुँजत माजु मात्र रस भृंगा ।
• कुजत कल वहु वरण विहंगा ।।


७. तृमत "द्वैत, अद्वैत, विशिष्टद्वैत" भुक्तवान अछि जाहि देश में ओहि देश के तृभुक्त अथा॔त तिरहुत कहल जाइत अछि 


८. चारि वस्तु " धम॔, अथ॔, काम, मोक्ष" में सँ तीन वस्तु "धम॔, अथ॔, मोक्ष" जतय भोगल जाईत हो ताहि देश के तृभुक्त कहल जाइत अछि आ से भेल तिरहुत ।

९. तृताप "दैहिक, दैविक, भौतिक" भुक्तवान अथा॔त समाप्त कएनिहार जे देश तकरा तिरहुत कहल जाइत अछि ।


१०. तृविधकम॔ "संचित, प़ारब्ध, क़ियामाण" मे निष्ठा राखि भोगैत छथि जे देश ताहि देश के तिरहुत कहल जाइत अछि ।

     


जीव कान्त मिश्र, 

अड़ेर,मधुवनी, मिथिला

महासचिव विद्यापति परिषद्,


 सिन्दरी,धनवाद,झारखण्ड

बुधवार, 25 दिसंबर 2013

आखिर मैथिल कियाक मिथिलासन दूर ?

 आखिर मैथिल  कियाक मिथिलासन दूर  ? 

     कखनो काल इ बात के बरा कचोट होइत अइछ जे आखिर मिथिलाक सेलेब्रिटी सब मैथिलि मिथिलाक नाम स दूर किया रहs चाहैत छैथ? आन आन भाषा भाषी जेना बंगाली, मराठी, पंजाबी, तेलगु, तमिल, आसामी, ओडिया एवं प्रकारे सब प्रान्त के सेलिब्रिटी सदेव अपन भाषा आ अपन संस्कृति के सम्मान लेल आगा रहैत छैथ. अतय तक कि भोजपुरी के लेल मनोज तिवारी तक के समर्पण आ योगदान अविश्मरणीय छैन. मुदा मैथिलि के? तकर कारण कि? शायद इ त नई कि मैथिल सेलेब्रिटी आई तक मैथिलि के कारण सेलिब्रिटी नई बनला. ताई ओ मैथिलि के स्नेह रखितो मैथिलि के महत्व नई दई छैथ. तखन त जिम्मेदार हम मैथिल छी.

किछु दिन पहिने इ बात सामने आयल जे मिथिला क्षेत्र के सिनेमा हॉल मैथिलि सिनेमा लगेबा तक स मना का दई छैथ. आ भोजपुरी लेल तुरंत तैयार. इ कारण त बहुत दुखद आ चिंता योग्य अइछ.

कि इ सत्य छई कि मैथिलि सिनेमा पर टैक्स और भोजपुरी टैक्स फ्री? अगर एहन बात छई त इ चिंतन बहुत गम्भीर.

मैथिलि सिनेमा के लेल पूंजी निवेश स पूंजीपति मैथिल किया कात होई छैथ?

कि मिथिला में मैथिल के मोन स मैथिलि के प्रति स्नेह कम भ रहल अइछ? आखिर किया? कारण की? अगर अई में सच्चाई छई त माँ मैथिलि के अस्तित्व के खतराक घंटी बुझी.

कतौ कतौ इहो सुनय में आयल जे मैथिल कलाकार सब के मैथिलि के नाम पर गुमराह कायल जाइत अइछ. हुनक सहयोग लय किछु व्यक्तिगत लोक अपन निजी स्वार्थ शिद्ध सेहो करैत छैथ..

जे किछु हो सायद इ अंतिम मोका के दौर गुजैर रहल जे सब मैथिल जागौथ, सब अपन अस्मिता के रक्षा लेल आगा आबौथ, ठगना सब के चिन्ह सार्थक काज में योगदान करैथ, कियाक की आब नई जागब त पहचान मिटा जायत.

मिथिला राज्य निर्माण सेना के १९ जनवरी २०१४ के कोंस्टीटूशन क्लब, देल्ही में मैथिलि मिथिलाक अस्मिताक पर चिंतन लेल महा सभा के आयोजन में माँ मैथिलि के प्रति हम सब अपन कर्त्तव्य निर्वाहन लेल जरुर पहुंची.....अपनेक उपस्थिति आ सहयोग निश्चित माँ मैथिलि के सम्मान के लेल एक टा सकारात्मक दिशा देत.

मुम्बई 

मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

गाम बदलि रहल अछि


गाम बदलि रहल अछि
समाँग बदलि रहल अछि
छ्नीक सुखक खातीर
लोक चाम बदलि रहल अछि।

गामक फूसक घर
पक्कामे बदलि रहल अछि
शहरक पक्का मकान
टावरमे बदलि रहल अछि।

टीभी रेडिओ
मोबाईलमे बदलि रहल अछि
ब्याहक पबित्र बंधन
लिव इन रिलेशनशिपमे बदलि रहल अछि।

अख़बार आबि गेल नेटपर
चूल्हा गेएशमे बदलि रहल अछि।

पाइ पाइकेँ फरिछोंतमे
भाइ भाइकेँ बदलि रहल अछि
रुपैया नहि आब चौब्बनी अठ्ठनीमे
सिनेह बदलि रहल अछि।

परिभाषा आब सम्बन्धकेँ
खर्चामे बदलि रहल अछि
पिता पुत्रक प्रेम सबहक सोंझा
सराधमे बदलि रहल अछि।

मुखिया बदलि रहल अछि
सरपन्च बदलि रहल अछि
नहि कोनो गामक
समस्या बदलि रहल अछि।

माए कनै छथि एखनो
आँचर तर मुँह नुका कए
अछैते बेटा पुतहु बिनु
नहि हुनक हाथ झरकेनाइ बदलि रहल अछि।

बापक आँखिक नोर
एखनो ताकि रहल अछि
आबि बनेए कियो लाठी
नहि हुनक सपना बदलि रहल अछि।  

@जगदानन्द झा ‘मनु’    

बधाई व अपील

बधाई व अपील


  दिन ब दिन बढैत समस्यासँ निजात पबैक निमित्ते एकजुटता बढा रहल छथि। एक तरफ जेना दिल्लीक हर कोणमे महाकवि विद्यापतिजीकेर स्मृति संग-संग मिथिलाक एक पर एक विभूति - दीना-भद्री, राजा सलहेश, लोरिक समान लोकदेवता सहितकेँ स्मृतिमे अनैत फेरसँ सुदृढ मिथिला निर्माण लेल संकल्प लऽ रहल छथि, तहिना दोसर दिशि राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक लडाई लेल सेहो विभिन्न समूह अपन-अपन काज करबा दिशि ध्यान देबय लागल छथि।

यैह क्रममे दहेज मुक्त मिथिला अभियानक प्रसार सेहो मिथिला, दिल्ली, महाराष्ट्रसँ आब हैदराबाद (आँध्र प्रदेश) तक पसैर गेल। हालहि संपन्न विद्यापति समारोहक सुअवसरपर हैदराबाद प्रभारी श्री संतोष मिश्रा एहि अभियानक बैनर टाँगि आ एकर उद्देश्यसँ जनमानसकेँ परिचित करौलनि। तहिना मुंबईक नालसोपारामे आयोजित काल्हिक बैठकसँ एहि पवित्र मुहिमकेर प्रशंसा युग निर्माण योजना, मथुरा (गायत्री परिवार) द्वारा करैत समस्त देशमे जतय-जतय ई अभियान संचालित भऽ रहल अछि ताहि सब ठाम ओ सब एकरा पूर्ण सहयोग देता से वचन देलैन। जनजागरण लेल दुनू संस्था आपसी सहयोग करत ताहि लेल प्रतिबद्धता प्रकट केलैन। आब ई दायित्व हमरे लोकनिक बनैत अछि जे जतय कतहु मैथिल कनेकबो सक्रिय छी से भारग्रहण करैत एहि अभियानकेँ अपन शहर वा गाम वा जगहपर प्रसार करैत युग निर्माण योजना समान देशक प्रतिष्ठित अभियानसंग सेहो जुडी। एहि लेल इच्छूक सदस्य संपर्क करी: १. श्री मदन ठाकुर - ९३१२४६०१५०, २. श्री राम नरेश शर्मा - ९२२१०७४१४१, ३. संतोष चौधरी - ९९१०६०७७२० वा दहेज मुक्त मिथिला सँ जुडल कोनो अभियानी सँ। दहेज मुक्त मिथिलाक हरेक शाखा पूर्ण स्वायत्तता संग कार्य कय सकैत अछि। पूर्ण आर्थिक स्वतंत्रता सेहो हासिल कय सकैत अछि, सिवाये आवश्यक सदस्यता कोरम संस्थाक विधान अनुरूप पूरा करबाक काज छोडि केन्द्रीय समिति संग कोनो तरहक घीचातीरी नहि रहबाक स्वच्छ परंपराक पालन हम सब करैत छी। शाखा लेल अधिकार वा अन्य कोनो भी विन्दुपर अपन जिज्ञासा जँ हो तँ इमेल पठा सकैत छी: pravin112@hotmail.com पर। कतहु सामूहिक विवाह, दहेज मुक्त विवाह लेल परिचय सभा, दहेज कूप्रथा विरुद्ध जागरण कार्यक्रम, गरीब वा मजदूर वर्ग बेटी सब लेल पूर्ण मुफ्त शिक्षाक व्यवस्थापन - एहि सबहक संग मिथिलाक हर तरहक धरोहरक संरक्षण लेल ई संस्था अपने लोकनि संग हर स्तरपर सहयोग करबाक लेल तत्पर रहत।

मुंबई मैथिलकेर दहेज विरुद्ध एकजुटता


मुंबई मैथिलकेर दहेज विरुद्ध एकजुटता

   
         दहेज मुक्त मिथिला - महाराष्ट्रा द्वारा ,  22-12-2013  मुंबई केर नालसोपाडामे एक महत्त्वपूर्ण बैसार राखल गेल छल।  एहि संस्था द्वारा लैंगिक विभेद अन्त करबाक लेल, बेटीक शिक्षा अनिवार्यरूपे करबैत आत्मनिर्भर बनेबाक लेल आ माँगरूपी दहेज नहि लेबाक-देबाक लेल जोर-शोरसँ प्रचार-प्रसार कैल जाइत अछि। संगहि मिथिलाक विभिन्न धरोहर सबहक संरक्षण लेल वर्तमान सरकारी उदासीनता आ राजनैतिक उपेक्षाक चलतबे स्वस्फूर्त स्वयंसेवासँ लोकमानस द्वारा अपनहि कैल जायत तखनहि मिथिला फेर अपन समृद्धि ओ उत्कर्ष प्राप्त करत - एहेन कठोर प्रतिबद्धताक संग ठाम-ठाम जागृतिमूलक कार्यक्रम ओ समारोह द्वारा अलख जगेबाक काज करैत आबि रहल ई संस्था हालहि महाराष्ट्रमे गठित राज्य समितिक सक्रियतासँ मुँबईवासी मैथिल बीच अभियान तीव्र गतिसँ स्थान पाबि रहल अछि। लोक एहि अभियानकेँ हृदयसँ लगबैत आत्मगौरवक बोध करैत अपन वृत्ति स्वच्छ रखबाक संकल्प लऽ रहल छथि आ एहि संस्थाक अभियान संग अपनाकेँ जोडि रहल छथि। 
     "मात्र ४ महीनाक छोट अन्तरालमे २ महत्त्वपूर्ण शाखा खोलि चुकल दहेज मुक्त मिथिला अपन लक्ष्य हर बेटी लेल शिक्षा आ दहेज प्रथाक अन्त लेल विभिन्न योजना बनबैत आगू बढि रहल अछि।" कहैत छथि संस्थाक महाराष्ट्र अध्यक्ष संजय मिश्रा। ज्ञातब्य हो जे २८-०७-२०१३ केर पहिल बैसारसँ ई संस्थाक महाराष्ट्र ईकाइ गठन भेल छल। एहिमे फेसबुकसँ जुडल बहुते रास मिथिला-मैथिली चिन्तक अपन सुन्दर सूझ-बूझसँ धरातलपर अभियान संचालन करबाक संकल्प लेने छलाह। "मिथिलाक हेराइत गौरवकेँ फेर वापसी करबायब, एहि लेल दृढ संकल्पित छी। समाजक हरेक वर्गमे समानता, मैथिली भाषाक मधुर-मिठाससँ परिचय आ मिथिलाक विकास लेल मिथिला राज्य प्रति सदैव समर्पित रहब।" ई विचार रखैत छथि दहेज मुक्त मिथिला प्रवक्ता राम नरेश शर्मा जे अनेको मैथिली-मिथिला अभियानकेर संचालक-सहयोगी सेहो छथि। संस्था लेल समर्पित दीपक खाँ, लालबाबु शर्मा, रंजित झा, करुणेश निशेष, वी. एन. झा आ नमो नारायण मिश्र सहित सैकडों अभियानी हाल धरि जुडिकय अभियानकेँ व्यापकता प्रदान कय रहल छथि। "एहि अभियानक पवित्रता देखि - नारी प्रति समुचित सम्मानक बात सुनि समाजक हर वर्ग चाहे मैथिल वा मराठी, सब कियो हृदयसँ स्वागत कय रहल छथि। हम धर्म-कर्मसँ जुडल रहैत मानव समाज लेल एहि पवित्र उद्देश्य लेल निरन्तर काज करब आ निश्चितरूपेण मिथिलाक गौरव दहेज मुक्त समाज बनेलासँ हेतैक।" अपन विचार रखैत छथि संस्थाक संरक्षक पंडित धर्मानन्द गुरुजी। 



    दहेज मुक्त मिथिला जेकर स्थापना ३ मार्च, २०११ ई. मे फेसबुक पर उपस्थित मैथिल युवासमूह द्वारा कैल गेल छल - संस्थापक सदस्य व राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज झा स्वयं मुंबईमे रहैत छथि आ मिथिला लेल हर अभियानमे अपन तन, मन आ धन सँ योगदान देबाक हिनक विशिष्ट प्रतिभासँ मिथिला समाज, मराठी समाज सब आह्लादित अछि। "समूचा भारतमे ई अभियान पसरय ताहि लेल आह्वान करैत छी। हमर मिथिलाक पौराणिक कालसँ वर्तमान काल धरि एक अलग पूर्ण संस्कृति-सभ्यताक रूपमे रहल अछि। संसारमे के नहि जनैत अछि जे सीता मिथिलाक बेटीरूपमे पृथ्वीपर अवतार लेने छलीह। जनक समान विदेह कहौनिहार हमरा लोकनिक राजा होइत रहलाह अछि। मूर्त-अमूर्त आइयो हमरा सबहक राजा जनकहि छथि। भारतक संविधानसँ मैथिली एतेक देरी सँ मान्यता पौलक, नहि जानि राज्यरूपमे स्वशासन करबाक अधिकार संविधानसँ कहिया भेटत। लेकिन स्वयंसेवासँ विकास करबाक लेल हम सब सक्षम छी आ से करैत रहब।" उद्गार प्रकट करैत राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज समस्त भारतक मैथिलसँ एहेन प्रतिबद्धता निर्माण लेल आह्वान करैत छथि।
   काल्हि मैथिली अधिकार दिवसपर आयोजित नालसोपाराक बैसारमे ओहि ठामक नगर सेवक श्री भरत मकवाना केर प्रमुख आतिथ्य रहल छल। तहिना गायत्री परिवार केर अधिकारी सेहो अपन उपस्थिति रखलैन। हिनका लोकनि द्वारा हर तरहें संस्थाकेँ सहयोग करैत समाजसँ गन्दगी सफाई अभियान लेल निरंतर सहयोग देबाक घोषणा कैल गेल। तहिना मैथिल समाजक अनुपम उपस्थिति जाहिमे अनुप सत्यनारायण झा, धर्मेन्द्र झा, कृष्णकान्त झा अन्वेषक, इन्दिरा देवी, पुनीता शर्मा सहित दर्जनों लोककेर उपस्थिति रहल छल। 



शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

बुधियार छौंडा आ राजनीति

बुधियार छौंडा आ राजनीति

              फूलचन्द्र शर्मा 'श्रोत्रिय' - प्रेमसँ पुकारल जाइत रहल फूलबा! खचरक आइड जे धियापुताक नंगटइक कारण विशेषण भेटैत छैक ताहिसँ विभूषित। विद्यालयमे पहिल घंटीसँ अन्तिम घंटीतक खुरापाती दिमागसँ किछु टेनामनी करिते टा छल। कखनहु कियो तऽ कखनहु कियो ओकर शिकायत मास्टरसाहेबकेँ कहैत छलन्हि आ २ छडी मारैत ओकरा दोबारा फेर ओ गलती करबाक लेल नहि कहि कक्षामे पठा देल जाइत छलैक। लेकिन ओ छौंडा चोटभुस्सूक बनि गेल छल, तैयो दिमाग ओकरा बुझबैत रहैक जे वैह गलती नहि लेकिन दोसर तँ कैले जा सकैत छैक... कि हेतैक, २ छडी आरो सही, लेकिन गलती पर गलती करैत रहि गेल फूलबा। एवम् क्रमसँ ओ जखन मैट्रीकमे गेल तऽ एक दिन ओकरा विद्यालयकेर सबसँ बेसी लोकप्रिय मास्टरसाहेब बजाकय कहलखिन जे देख फूलबा, भले बदमस्तीमे मुदा तोहर दिमाग कम नहि छौक। तोँ जँ चाहमे तऽ ओतबा बुधियार बनि सकैत छेँ! ई बात ओकरा बुझबामे सेट कऽ गेलैक। ओ तहिये हँसैत मास्टरसाहेबकेँ देखैत रहल चुप्पे मुदा मोने-मन धरि शप्पथ खा लेलक जे आब बुधियार बनबाक नवका प्रयोग जरुर करत। देखा चाही जे बुधियार बनि कय कि होइत छैक!


हौ बाबु! ओ तऽ सही मे तेना बुधियार बनि गेल जे आब ओकरा बिना कक्षा सून्न लागय लगैक। सब मास्टरसाहेब भालचन्द्र बाबु (लोकप्रिय मास्टरसाहेब)केँ बेर-बेर धन्यवाद देथिन जे अपने जहियासऽ ओकरा गुरुमंत्र देलियैक तहिया सऽ तऽ फूलबा मानू जे एकदम आदर्श विद्यार्थी बनि गेल अछि। कतेक बेर फूलबाक सोझाँमे सेहो प्रशंसा करबासँ लोक नहि चूकैत छल। चारूकात तूती बाजय लागल - बुधियार फूलबा, बुधियार फूलबा..... एम्हर फूलबा धरि मोने-मोन बदमाशे छल आ सोचैत छल जे देखियौ, मात्र नाटक पर तऽ लोकक ई हाल छैक जे बुधियार-बुधियार के रट्टा मारैत रहैत अछि। कनेक आरो प्रयोग बढा दैत छी। देखा चाही जे बुधियारक सीमा कि होइत छैक। ओ आब मोनिटर बनिकय कक्षाक सब विद्यार्थी सबहक नेता बनि गेल। एक-एक विद्यार्थीकेर समस्याकेँ अपन जिज्ञासा सँ बुझैत ओकर समाधान निकालबाक भरपूर चेष्टा करय लागल। केकरो लाइब्रेरीसँ किताब दियाबैक, तँ केकरो पुअर ब्वाइज फंडसँ परीक्षा फीस दियाबैक.... होइत-होइत फूलबा आब भैर विद्यालय केर एकछत्र नेता बनि गेल छल। हलाँकि विद्यालयमे ओकर ई रुतबा कनिये दिन रहलैक ताबत ओ टेस्ट परीक्षा पास करैत फाइनलकेर तैयारी लेल बहरा चुकल छल.... लेकिन ओकर बुधियारी आ राजनीति दुनू ताबे तक खूब प्रसिद्धि पाबि गेल छलैक। लोक प्रशंसा करैक, लेकिन फूलबा मोने-मोन हँसैत रहैत छल। ओकरा तऽ एखनहु बदमाशिये बुझाइत छलैक, कारण ओ बुधियार तऽ बस देखबय लेल बनि गेल छल, भीतर तऽ ओ खचरइ ओहिना छलैक, बरु ओकरा एना लगैक जे आब ओकर ओ खच्चरपन जुआन भऽ गेल छलैक। ओकरामे बहुत रास नव प्रयोगक यानि बुधियार बनबाक देखाबटीक चलते आरो परिपक्वता बढि गेल छलैक। 

आब ओ कालेजमे पहुँचि गेल आ शहरक कालेज जतय अलग-अलग गामसँ छात्र-छात्रा सब आयल छलैक ततय ओकरा एना लगलैक जे कियो चिन्हि नहि रहल अछि.... से फेर शुरु तँ बदमाशिये सँ करय पडत। कारण एतय के-कतेक बुधियार अछि तेकर पहिचान होयबामे कनेक समय लागि जायत। लेकिन बदमस्ती करैत शुरु करब तऽ बड जल्दी पोपुलर भऽ जायब। ओ सोचैत-सोचैत निर्णय केलक जे आब ओ धियापुतावला बदमस्ती करब से नहि शोभा देत... तऽ आब जे फर्स्ट ईयरवला बदमस्ती होइत छैक.... यानि फिल्म फूल आ काँटा मे जेना अजय देवगन करैत छैक तेना करब आ कलेजिया छात्रा सबसंग हिरोपनी देखबैत शुरु करब। खूब स्टाइलमे कपडा पहिरब। बापक देलहा पाइसँ पहिने एगो हिरो रेन्जर साइकिल कीनब। बूटवाला जुत्ता आ जीन्स पहिरब। कहियो-कहियो मंगलहबो मोटरसाइकिल लेकिन वैह चढि कलेज जायब.... आदि। सहीमे फूलबा कनिये दिनमे कालेजमे सेहो प्रसिद्ध लफुआ बनि गेल। लफुवइ मे लेकिन ओकरा राजनीतिक जीवन खतरामे बुझेलैक.... तखन ओ तुरन्त दोसर रूप यानि विद्यालयकेर अनुभवसँ क्लासमे अपन लफुवे मित-मितनी सबहक झमेलाकेँ संबोधन करैत प्रोफेसर साहेब सब पर इम्प्रेशन आ क्रमश: अपन प्रभावशाली कुशाग्रतासँ जल्दिये ओ कालेजमे सेहो नेता बनि गेल। विद्यार्थीवाला कोनो संगठनमे ज्वाइन केलक आ फेर सीढी-दर-सीढी चढैत ओकर राजनीति चमैक गेलैक। मुदा ओ मोने-मोन आइयो बदमस्तीमे रमल छल। 

फूलबा ग्रेजुएशनकेर डिग्री लेलक आ ओकरा युवा नेता मानि एगो पार्टी (नवका) ओकरा चुनाव लडय लेल गछलकैक। फूलबा आब मुंगेरीलालवाला सपनामे अपन आँखि मिचमिचबैत बुझू जे कनाह बनि गेल छल। धरि ओ आब अपना केँ विधायक बनेबाक लेल पूर्णरूपेण तैयारीमे बदमाशी-बुधियारीक ब्लेन्ड जे ओ स्कूल-कालेजमे अपनौने छल से प्रयोग करबाक प्लान बनेलक। ओकरा लेकिन आब किछु बेसी मेहनत करय पडि रहल छलैक, कारण आब ओ सिविक-सोसाइटीकेँ फेस करय जा रहल छल आ ओकर इमैच्योरिटी ओकरा कतहु-कतहु गडबडा दैत छलैक। बा-मोस्किल ओ अपन युनिक ब्लेन्डकेर प्रयोग करय लेल आतूर बनि गेल। ओ ताइक-ताइक कय पुरनका स्थापित नेता सबहक डाटा सब डिकोड करय लागल। खने ओ विकासक डाटा तँ खने ओ निर्वाचनक डाटा सब पर काज करय आ दिन-राइत बदमस्ती-बुधियारीक ब्लेन्डसँ अपन खुरापात-होशियारी देखबय लागल। सिविक सोसाइटीमे सेहो ओकर विभिन्न घोषणाक असैर पडय लगलैक। आमसभाक चुनावमे ओ अपन भाग्य अजमेलक। ओहि ठाम लेकिन ओ पहिल बेर पास नहि भेल धरि तेसर स्थानमे रहल। लेकिन ओकर हिम्मत बनल रहलैक। बाबु, भैया सब ओकरा बोल-भरोस दैत रहल आ बेर-बेर प्रयाससँ एक दिन ओ नेता बनत से कहि ओकरा धैर्य रखबाक लेल कहल जाइत रहलैक। लेकिन फूलबाक मोने-मन हँसी लगैत रहलैक आ ओ अपन भितरिया बदमस्ती मुदा देखौटी होशियारी सँ क्षेत्रक सेवा रोजगार उपलब्ध करेबा आ सूचना केन्द्र खोलि सार्वजनिक हितक कार्य करैत रहबाक प्रण लेलक। फूलबाक भविष्य पर ध्यान छैक, ओ ऐगला चुनाव मे नहि प्रथम तँ दोसर जरुर आयत आ ताहि सँ ऐगला बेर ओ प्रथम पक्का बनत। तेकर बाद ओ अपन बदमस्ती-बुधियारीक ब्लेन्ड आधारित नव राज्य गठन करबा धरि अपन जीवनक लक्ष्य मानैत अछि। लेकिन ओ ततेक सोचैत अछि जे अपनो सोचलहबा कहियो कार्यरूपमे नहि अबैत छैक आ बेर भेलापर ओ बेसीकाल असफल बनैत अछि। धरि फूलबा हिम्मत नहि हारल अछि। 

क्रमश:......

      फूलबा सेहो ऐगला चुनावक इन्तजार कय रहल अछि आ हमर पाठक सेहो ताबत इन्तजार करता। लेकिन अपन प्रतिक्रिया धरि जरुर लिखता से अनुरोध अछि। हाँ, संयोगसँ फूलबा मिथिला राज्यक आन्दोलनमे सेहो जुडबाक योजना बना रहल अछि, ई बात लेखककेँ कानमे कहलकैन अछि। 

मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

मिथिला राज्य आंदोलन के निमित्त, दु-शब्द - संजय झा “नागदह”

मिथिला राज्य आंदोलन के निमित्त, दु-शब्द - संजय झा “नागदह” 5 दिसंबर २०१३, जंतर मंतर, नई दिल्ली

मिथिला राज्य आंदोलन के निमित्त, दु-शब्द - संजय झानागदह” 5 दिसंबर २०१३, जंतर मंतर, नई दिल्ली
 मिथिलानगरी नमस्तुभ्यं ,नमस्तुभ्यं मिथिलावासिने माता सीता नमस्तुभ्यं , जन्मभूमि नमस्तुते !!राम जी लक्ष्मण जी सँ कहने छथि:-अपि स्वर्णमयी लंका मे लक्ष्मण रोचते, जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी एहन सुंदर लंका नगरी जे स्वर्ण सँ बनल अछि मुदा हमरा कनिको नइ सोहाइत अछि, कियाक जन्मदाता जन्मभूमि स्वर्गो सँ बढ़ि अछि  आ वोहू मे जतय माँ लक्ष्मी, सरस्वती, आदि शक्ति माता सीता के रूप मे पृथ्वी सँ अवतरित भेलीह जगह अछि मिथिला

सबहक इच्छा होइत छनि जे मरणोपरांत स्वर्ग के प्राप्ति करी जखन कि हमारा अनुकूले जे सब पूर्व जन्म मे पुण्य अर्जित केने छथि हुनके जन्मटा एही मिथिला नगरिया मे अछि, कारन कि आदिमाता अन्यत्र अवतरित सकैत छथि ? एतहि जाहि भूमिमार्ग सँ अवतरित भेलीह पुनः ओहि मार्ग सँ पृथ्वी मे समाहित गेलीह

एहन सुंदर मिथिलाधाम में जन्म लेलापरान्तो हमरा लोकनिकेँ मिथिलावासी रहितहुँ बिहारी कह पड़ैत अछि हमरसभक पूर्बज सेहो बहूत प्रयास केलाह सतत सेहो लागल छथि मुदा एखनधरि प्रयास असफल रहल  हमर सभक जे संस्कार अछि जे ताहि अनुकूल अपन पूर्वजकेँ अर्थात जे हमरा सँ श्रेष्ठ  छथि वा छलाह हुनक प्रयास के सत-सत नमन करैत हमारा लोकनिक   कर्तव्य अछि, जे अपन  देवता, पितर, सभक अधूरा आस वा टुटल आसकेँ पूरा करबाक यथासाध्य कमरतोड़ मेहनत ' अपन इतिहास, भूगोल, संस्कृति,संस्कार,विधि,व्यवहार,पौराणिक धरोहरकेँ क्रमबद्ध रूपे प्रशाशनिक तरीका सँ रक्षा करवाक लेल यथासाध्य सामूहिक रूप सँ प्रयास करवाक चाही   

        

बुधवार, 11 दिसंबर 2013

बीते 100 सालोँ मे मिथिला के प्रति बिहार का रवैया :

Mithila Against BIHAR



 बीते 100 सालोँ मे मिथिला के प्रति बिहार का रवैया :

1. बिहार मेँ दो एयरपोर्ट गया और पटना मेँ, पूर्णियामे नाम
मात्र का एयरपोर्ट। जब बिहार मे किसी जगह एयरपोर्ट
नहीँ था उस समय दरभंगा मे था पर आज ? पटना एयरपोर्ट
पर उतरने वाले अधिकतर यात्री उत्तरी मिथिला केँ होते हैँ पर
उत्तरी मिथिला मे एक भी एयरपोर्ट नही जहां से लोग
यात्रा कर सकेँ, क्योँ ?

2. बिहार के राज्य गीत और राज्य प्रार्थना मेँ
   मिथिला को कोइ जगह नहीँ क्या मिथिला,बिहार मेँ नहीँ है ?

3. बिहार के गया और मोतिहारी मेँ नये केद्रीय
विश्वविद्यालय बनेँगेँ, क्या पूर्णिया/ मुजफ्फरपुर इस लायक
नहीँ हैँ ?

4. बिहार सरकार ने आजतक भारत सरकार से मिथिला मे
बाढ़ की समस्या को नेपाल के समक्ष उठाने
को नही कहा है, क्योँ ? उत्तरी मिथिला मेँ बाढ़ का निदान
नहीँ हो सका है, क्योँ ?

5. आजतक कोशी पर डैम नहीँ बन सका है अगर ये डैम बन
जाता तो मिथिला बिहार को 24 घंटे बिजली उपलब्ध
कराता! क्या ये नहीँ बनना चाहिये ?

6. बिहार के पटना, गया और हाजीपुर मेँ लो फ्लोर बसेँ
चलेँगी क्या दरभंगा/ भागलपुर/कटिहार इस लायक नहीँ हैँ ?

7. मैथिली बिहार की प्रमुख भाषा है, मैथिली बिहार
की एकमात्र क्षेत्रीय भाषा है जो भारतीय संविधान
की अष्टम अनुसूचीमे शामिल है तो फिर आज तक इसे बिहार
की दूसरी राजभाषा का दर्जा क्योँ नहीँ ? यहां ये
बताना जरुरी है की मैथिली नेपाल की द्वितीय
राष्ट्रभाषा है!

8. बिहार सरकार भोजपुरी फिल्मोँ को कर मेँ छूट देती हैँ पर
मैथिली फिल्मोँ को नहीँ, क्योँ ?

9. मिथिला मेँ आजतक प्रारंभिक शिक्षा मैथिली मेँ
देनी नहीँ शुरु की गयी,क्योँ ?

10. बिहार सरकार उर्दू, बांग्ला के
शिक्षकोँ की नियुक्ति कर रहीँ पर मैथिली के
शिक्षकोँ की नहीँ, क्योँ ?

11.  जो IIIT दरभंगा के लिए था उसे नीतीश कुमार छीन कर
बिहटा स्थानांतरित कराये, क्योँ ? 

12. 2008 के कोसी पीड़ितोँ को आजतक न्याय नहीँ मिल
सका है, क्योँ ? 

13. मिथिला क्षेत्र मे नये उद्योग धंधे लगाने की बात
तो छोड़िये जितने भी पुराने जूट मिल, पेपर मिल, चीनी मिल
आदि थे वे सारे क्योँ बंद हो गये ?

14. नीतीश कुमार मिथिला क्षेत्र मेँ होने वाले हर इक
सभा मेँ ये कहते हैँ की मिथिला के विकास के बिना बिहार
का विकास नहीँ हो सकता तो फिर उन्होँने मिथिला के
विकास के लिए अब तक क्या किया ?

   कितने कारण गिनाऊ, बिहार के मिथिला के प्रति उदासीन
के ? अब तो बिहार पर विश्वास ही नहीँ है, बीते 100
सालोँ मे धोखा, धोखा और सिर्फ धोखा!
 
     अब आप बताइये बिहारी मित्रोँ क्योँ न करु पृथक
मिथिला राज्य की मांग ?"

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

विवाह पंचमी: शुभकामना संदेश






विवाह पंचमी:

 शुभकामना संदेश

आजुक तिथि अगहन इजोरिया पंचमी,

 त्रेतामे औझके दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामकेर 

विवाह जनकनन्दिनी सीता संग भेल छलन्हि। 

  श्री मैथिली पुत्र प्रदीपजी लिखैत छथि:
मिथिला के धिया सिया जगतजननि भेली,
धरनी बनल सुरधाम हे!
धन्य मिथिक भूमि घर-घर ऋषि-मुनि,
दूलहा जगतपति राम हे!!
गंगा बहथि जतय कोसी रहथि ततय,
कमला-गंडकके बथान हे!
हिमगिरिके घर गौरीके नैहर
शिवजी भेला मेहमान हे!!
एहि तरहें कविश्रेष्ठ नहि मात्र जगज्जननी सियाकेँ अपन गरिमामय रचनामे समेटलनि 

बल्कि समस्त मिथिला-महिमाकेँ सेहो वर्णन कयलनि अछि। 
          स्नेहलता  
राम आ सीताक विवाहपर हजारों गीत रचने छथि। ओ मिथिलाक वैशिष्ट्यकेर वर्णन करैत कहने छथि:
अपना किशोरीजी केर टहल बजेबय - आहो राम - टहल बजेबय
यौ हम मिथिले मे रहबय -२
हमरा न चाही चारू धाम यौ हम मिथिलेमे रहबय!!
साग पात खोंटि-खोंटि दिवस गमेबय -

 आहो राम - दिवस गमेबय
यौ हम मिथिले मे रहबय,
हमरा न चाही सुख आराम -

 यौ हम मिथिले मे रहबय!!
        तहिना रामचरितमानसमे सियाजीक विवाह-प्रसंगकेर वर्णन करैत
गोस्वामीजी लिखैत छथि:-
जेहि सोभा नीच घर सोहा, तेहि देखि सुरनायक मोहा!

          कहब छन्हि जे रामजीक विवाहक अवसरपर देवलोककेर राजा स्वर्गाधिपति इन्द्र जखन मिथिला अबैत छथि तँ गामक बाहर बसनिहार सामान्य सेवक-वर्गक घरक ऐश्वर्य देखि मोहित भऽ जनकक अंगना आ विवाहस्थल बुझि ओतहि प्रवेश करैत छथि..... मुदा विवाहमण्डप नहि देखि अपन सन्देह जे आखिर राजाक अंगना यैह थीक तँ विवाह कतय भऽ रहल अछि पूछलापर ई पबैत छथि जे ओ घर तँ मात्र एक सेवकवर्गक छल। मिथिलाक सम्पन्नताकेँ दिग्दर्शन एक पाँतिमे एना होइछ। 

         आइ ओ मिथिला राज्य एतेक गरीब बनि गेल अछि जे करोडों लोक ओतयसँ पलायन कय गेल अछि। ताहि हेतु एक बेर फेरसँ मिथिलावासी जनककालीन ऐश्वर्यपूर्ण मिथिला राज्यक माँग एहि भारतवर्षमे कय रहल छथि। पुन: गौरवबोधक संग प्राचिन मिथिला प्राप्त हो, ताहि लेल स्वराज्यक माँग कैल जा रहल अछि। भारतीय गणतंत्रमे ई संविधानसम्मत मिथिलाराज्य चाही। विवाहपंचमीकेर शुभ अवसरपर समस्त आस्थावान भारतीयसँ मिथिलाक गरिमाक रक्षा लेल एहि औचित्यपूर्ण माँगकेर समर्थनक आशाक अपेक्षा मिथिलावासी करैत अछि।

- प्रो. उदय शंकर मिश्र 


मैथिलि विवाह  गीत  एतय सन डोनलोड करू - 
http://maithilaurmithila.blogspot.in/2010/03/mp3.html