|| सोहर ||
आयल बसंत मधुमास
कि कुसुम फुलायल रे ।
ललना रे पसरल चहुँ मकरंद
कि गंध छिरिआयल रे ।।
सुतल पलंग भय छत्तिस
तिरसठि कंत भेल रे ।
ललना रे मधुप करै अटखेल
मदन मन जागल रे ।।
आयल....
बढ़ि गेल दुहुँ दिश प्रेम
उमड़ि गेल बादल रे ।
ललना झरल स्वाति बुन्द
सगरो तन सिहरल रे ।।
आयल.....
दिन दिन बढ़ल टिकुलवा
कि झुकि गेल पल्लव रे ।
ललना रे भेल असहतनभार
कि चित करय अवतव रे ।।
आयल....
दूर भेल दुःख दारुण सन
वेदन अगिन सन रे ।
ललना सुन यशोदाक भवन
उगल चारु चान सन रे ।।
आयल.....
उगइत माधक किरण सन
जेठक पवन सन रे ।
ललना मिथिला जलक तल सं
कि फुलला कमल सन रे ।।
आयल.....
व्यासक वेदक बचन सन
गंगा केर जल सन रे ।
"रमण"धन धन पाओल पूत्र
कि लालन ललित सन रे ।।
आयल......
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
आयल बसंत मधुमास
कि कुसुम फुलायल रे ।
ललना रे पसरल चहुँ मकरंद
कि गंध छिरिआयल रे ।।
सुतल पलंग भय छत्तिस
तिरसठि कंत भेल रे ।
ललना रे मधुप करै अटखेल
मदन मन जागल रे ।।
आयल....
बढ़ि गेल दुहुँ दिश प्रेम
उमड़ि गेल बादल रे ।
ललना झरल स्वाति बुन्द
सगरो तन सिहरल रे ।।
आयल.....
दिन दिन बढ़ल टिकुलवा
कि झुकि गेल पल्लव रे ।
ललना रे भेल असहतनभार
कि चित करय अवतव रे ।।
आयल....
दूर भेल दुःख दारुण सन
वेदन अगिन सन रे ।
ललना सुन यशोदाक भवन
उगल चारु चान सन रे ।।
आयल.....
उगइत माधक किरण सन
जेठक पवन सन रे ।
ललना मिथिला जलक तल सं
कि फुलला कमल सन रे ।।
आयल.....
व्यासक वेदक बचन सन
गंगा केर जल सन रे ।
"रमण"धन धन पाओल पूत्र
कि लालन ललित सन रे ।।
आयल......
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"