।। मैथिली गजल ।।
मणि मानिक सन चम चम काया , चमकैत पुनम चान ।
नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मन मोहक मुस्कान ।।
मणि मानिक सन ............।।
घन घनघोर घटा सन कारी ,घुरमल घुरमल केश ।
मद मातल मद मस्त जवानी , कामिनी काम सनेश ।
गजगामिनी मन मोहनी मुरति, स्वर्ग परी सन भेश ।
पिक बैनी मृगलोचनी सुन्नरि , सौंदर्यक छी खान ।
नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मुख मोहक मुस्कान ।
मणि मानिक सन............।।
चंचल चितवन चन्द्र चकोरी , सुगना जईसन ठोर ।
लाल गुलाब गाल अहाँ कअ , नमगर नाकक कोर ।
हिरणी जईसन चालि चलै छी , बान्हल प्रितक डोर ।
पातर पातर डार लचका कअ , छोड़लौं प्रेमक बाण।
नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मुख मोहक मुस्कान ।।
मणि मानिक सन..............।।
खन खन बाजे कँगन कर में ,पग पायल केर शोर ।
नाक नकवेसर झुमका टीका, अँग अँग भुषण तोर ।
सोरहो सिंगार बत्तिसो अभरण , रमणी रूप बेजोड़ ।
लिखल छन्द " माधव " सुनु दामिनी ,प्रित भरल ई गान ।
नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मुख मोहक मुस्कान ।
मणि मानिक सन............।।
--------- गीतकार दिनेश झा " माधव "
सझुआर , बेनीपुर , दरभंगा , मिथिला
8369384585
मणि मानिक सन चम चम काया , चमकैत पुनम चान ।
नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मन मोहक मुस्कान ।।
मणि मानिक सन ............।।
घन घनघोर घटा सन कारी ,घुरमल घुरमल केश ।
मद मातल मद मस्त जवानी , कामिनी काम सनेश ।
गजगामिनी मन मोहनी मुरति, स्वर्ग परी सन भेश ।
पिक बैनी मृगलोचनी सुन्नरि , सौंदर्यक छी खान ।
नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मुख मोहक मुस्कान ।
मणि मानिक सन............।।
चंचल चितवन चन्द्र चकोरी , सुगना जईसन ठोर ।
लाल गुलाब गाल अहाँ कअ , नमगर नाकक कोर ।
हिरणी जईसन चालि चलै छी , बान्हल प्रितक डोर ।
पातर पातर डार लचका कअ , छोड़लौं प्रेमक बाण।
नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मुख मोहक मुस्कान ।।
मणि मानिक सन..............।।
खन खन बाजे कँगन कर में ,पग पायल केर शोर ।
नाक नकवेसर झुमका टीका, अँग अँग भुषण तोर ।
सोरहो सिंगार बत्तिसो अभरण , रमणी रूप बेजोड़ ।
लिखल छन्द " माधव " सुनु दामिनी ,प्रित भरल ई गान ।
नैन अहाँ केर अछि मधुशाला , मुख मोहक मुस्कान ।
मणि मानिक सन............।।
--------- गीतकार दिनेश झा " माधव "
सझुआर , बेनीपुर , दरभंगा , मिथिला
8369384585
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