dahej mukt mithila

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AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

बुधवार, 31 मई 2017

बजरंग - बत्तसी - रेवती रमण झा "रमण "

|| बजरंग - बत्तसी || 

        ग्रह गोचर सं परेसान त  अहि हनुमंत -     बतीसी  के ११ बार पाठ जरूर करि --- 
 ॥ छंद  ॥ 
जय  कपि काल  कष्ट  गरुड़हि   ब्याल- जाल 
केसरीक   नन्दन   दुःख भंजन  त्रिकाल के  । 
पवन   पूत  दूत    राम , सूत  शम्भू  हनुमान  
बज्र  देह  दुष्ट   दलन ,खल  वन  कृषानु के  ॥ 
कृपा   सिन्धु   गुणागार , कपि  एही  करू  पार 
दीन  हीन  हम  मलीन,सुधि  लीय  आविकय । 
"रमण "दास चरण आश ,एकहि चित बिश्वास 
अक्षय  के काल थाकि  गेलौ  दुःख गाबि कय ॥ 
|| दोहा || 
वंदऊ  शत  सुत  केशरी  सुनू   अंजनी  के  लाल  | 
विद्द्या बुधि आरोग्य बल दय  कय  करू निहाल  || 
||  चौपाई || 
जाहि  पंथ  सिय  कपि तंह  जाऊ  | रघुवर   भक्त    नाथे  हर्षाऊ  ॥ 
यतनहि धरु रघुवंशक  लाज । नञि एही सनक कोनो भल काज ॥ 
श्री   रघुनाथहि   जानकी  जान ।  मूर्छित  लखन  आई हनुमान  ॥ 
बज्र  देह   दानव  दुख   भंजन  ।  महा   काल   केसरिक    नंदन  ॥ 
जनम  सुकारथ  अंजनी  लाल । राम  दूत  कय   देलहुँ   कमाल  ॥ 
रंजित  गात  सिंदूर    सुहावन  ।  कुंचित केस कुन्डल मन भावन ॥ 
गगन  विहारी  मारुति  नंदन  । शत -शत कोटि हमर अभिनंदन ॥ 
बाली   दसानन दुहुँ  चलि गेल । जकर   अहाँ  विजयी  वैह   भेल  ॥ 
लीला अहाँ के अछि अपरम्पार ।  अंजनी    लाल    करु  उद्धार   ॥ 
जय लंका विध्वंश  काल मणि  । छमु अपराध सकल दुर्गुन गनि॥
  यमुन   चपल  चित  चारु तरंगे  । जय हनुमंत  सुमति   सुख गंगे ॥  
हे हनुमंत  सकल गुण  सागर  ।  युगहि चारि कपि  कैल उजागर ॥ 
अंजनि   पुत्र  पताल  पुर  गेलौं  । राम   लखन  के  प्राण   बचेलों  ॥ 
पवन   पुत्र  अहाँ   जा  के  लंका । अपन  नाम  के  पिटलों  डंका   ॥ 
यौ  महाबली  बल  कउ  जानल ।अक्षय कुमारक प्राण निकालल ॥ 
हे  रामेष्ट   काज  वर  कयलों  । राम   लखन  सिय  उर  में लेलौ  ॥ 
फाल्गुन  सखा  ज्ञान गुण सार ।  रुद्र    एकादश    कउ  अवतार  ॥ 
हे  पिंगाक्ष  सुमति  सुख  मोदक । तंत्र - मन्त्र  विज्ञान  के  शोधक ॥ 
अमित विक्रम छवि सुरसा जानि । बिकट  लंकिनी  लेल पहचानि ॥ 
उदधि क्रमण गुण शील निधान।अहाँ सनक नञि कियो वुद्धिमान ॥ 
सीता  शोक   विनाशक  गेलहुँ । चिन्ह  मुद्रिका  दुहुँ   दिश  देलहुँ ॥ 
लक्षमण  प्राण   पलटि  देनहार  ।  कपि  संजीवनी  लउलों  पहार ॥ 
दश   ग्रीव दपर्हा  ए कपिराज  ।   रामक  आतुरे   कउलों   काज  ॥ 
कपि   एकानन  ह्यो  पंचानन   |  जय हनुमंत   जयति  सप्तानान || 
यौ महाबली जग  दुख   मोचन  | दीव्य  दरश लय व्याकुल लोचन || 
वर गुण निधान विद्या-बुधि खान |अहाँ सनक नञि कियो हनुमान|| 
बिनु हनुमंत जुगुति  नञि  राम |  बिनु हरि  कृपा  कतय सुखधाम  || 
जतय अहाँ  मंगल तेहि  दुवारि | करुण कथा  कते  कहल पुकारी  || 
  यश  जत  गाऊ   वदन संसार  |  कीर्ति  योग्य नञि पवन कुमार  ||  
केशरी कंत  विपति  वर  भार  |  वेगहि  आबि  रमण   करू  पार  ||
प्रभु मन  बसिया  यौ  बजरंगी | कुमतिक  काल  सुमति के संगी  || 
सुनू कपि कखन हरब दुख मोर | बाटे   जोहि   भेलहुँ  हम   थोर  ||  
॥ दोहा ॥  
प्रात काल  उठि जे  जपथि ,सदय धरथि  चित ध्यान । 
शंकट   क्लेश  विघ्न  सकल  , दूर  करथि   हनुमान  ॥ 


 हनुमान जी के आरती  

बजरंगबली         के      आरती 
आइ       उतारू     ध्यान    सँ  | 
नञि  बुझलक दुख  हमर कियो 
जे , आइ   कहब   हनुमान सँ  || 
   बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --
 टरल बिकट वर - वर  पथ -कंटक 
                               दया  दृष्टि  जेहि  देलों  यों  | 
                               रघुनन्दन  दुख  भंजन के दुख 
                               काज सुगम  सँ  कयलौ  यौ  || 
                               जा पताल  अहिरावण मारल 
                                बज्र गदा के वान सँ -
                               बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --
                               लखनक प्राणे , पलटि  आनि कय 
                                राम हीया  हुलसइलौ यौ  | 
                                कालक  गाले  जनक  नंदनी 
                                लंका   जाय   छोरयलौं  यौ  || 
                              जहिना  बीसभुज  के निपटयलों 
                               अपनेही बुधि  बल ज्ञान  सँ || 
                               बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --
                               ज्ञान ध्यान रहि , मृत जीवन सन 
                               संत विभीषन छल नरक तल में  | 
                               लंका के  ओ  राजा  बनि  गेल 
                               अहाँक दया सं एक पल में || 
                              "रमणक " काज  सुतारु  ओहिना 
                               अपन कृपा  वरदान सँ  || 
                               बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --
                                                   रचैता -
रेवती रमण झा " रमण "
ग्राम - पोस्ट - जोगियारा पतोर
आनन्दपुर , दरभंगा  ,मिथिला
मो 09997313751

सोमवार, 22 मई 2017

बजरंग - बत्तसी ,मैथिली हनुमान चालीसा से - रेवती रमण झा "रमण "

बजरंग - बत्तसी 
             मैथिली हनुमान चालीसा से -
 ॥ छंद  ॥ 
जय  कपि कल  कष्ट  गरुड़हि   ब्याल- जाल 
केसरीक  नन्दन  दुःख भंजन  त्रिकाल के  । 
पवन  पूत  दूत    राम , सूत शम्भू  हनुमान  
बज्र देह दुष्ट   दलन ,खल  वन  कृषानु के  ॥ 
कृपा  सिन्धु   गुणागार , कपि एही करू  पार 
दीन हीन  हम  मलीन,सुधि लीय आविकय । 
"रमण "दास चरण आश ,एकहि चित बिश्वास 
अक्षय  के काल थाकि  गेलौ  दुःख गाबि कय ॥ 
|| दोहा || 
वंदऊ  शत  सुत  केशरी  
सुनू   अंजनी  के  लाल  | 
विद्द्या बुधि आरोग्य बल 
दय  कय  करू निहाल  || 
||  चौपाई || 
जाहि  पंथ  सिय  कपि तंह  जाऊ  | रघुवर   भक्त    नाथे  हर्षाऊ  ॥ 
यतनहि  धरु  रघुवंशक  लाज  । नञि एही सनक कोनो भल काज ॥ 
श्री   रघुनाथहि   जानकी  ज्ञान ।   मूर्छित  लखन  आई हनुमान  ॥ 
बज्र  देह   दानव  दुख   भंजन  ।  महा   काल   केसरिक    नंदन  ॥ 
जनम  सुकरथ  अंजनी  लाल ।  राम  दूत  कय   देलहुँ   कमाल  ॥ 
रंजित  गात  सिंदूर    सुहावन  ।  कुंचित केस कुन्डल मन भावन ॥ 
गगन  विहारी  मारुति  नंदन  । शत -शत कोटि हमर अभिनंदन ॥ 
बाली   दसानन दुहुँ  चलि गेल । जकर   अहाँ  विजयी  वैह   भेल  ॥ 
लीला अहाँ के अछि अपरम्पार ।  अंजनी    लाल    कर    उद्धार   ॥ 
जय लंका विध्वंश  काल मणि  । छमु अपराध सकल दुर्गुन गनि॥
  यमुन चपल  चित  चारु तरंगे  । जय  हनुमंत  सुमित  सुख गंगे ॥  
हे हनुमान सकल गुण  सागर  ।  उगलि  सूर्य जग कैल उजागर ॥ 
अंजनि  पुत्र  पताल  पुर  गेलौं  । राम   लखन  के  प्राण  बचेलों  ॥ 
पवन   पुत्र  अहाँ  जा  के  लंका । अपन  नाम  के  पिटलों  डंका   ॥ 
यौ  महाबली  बल  कउ  जानल ।  अक्षय कुमारक प्राण निकालल ॥ 
हे  रामेष्ट   काज  वर  कयलों  । राम   लखन  सिय  उर  में लेलौ  ॥ 
फाल्गुन  साख  ज्ञान गुण सार ।  रुद्र    एकादश    कउ  अवतार   ॥ 
हे  पिंगाक्ष सुमित सुख मोदक । तंत्र - मन्त्र  विज्ञान  के  शोधक ॥ 
अमित विक्रम छवि सुरसा जानि । बिकट  लंकिनी  लेल पहचानि ॥ 
उदधि क्रमण गुण शील निधान।अहाँ सनक नञि कियो वुद्धिमान ॥ 
सीता  शोक   विनाशक  गेलहुँ । चिन्ह  मुद्रिका  दुहुँ   दिश  देलहुँ ॥ 
लक्षमण  प्राण  पलटि  देनहार ।  कपि  संजीवनी  लउलों  पहार ॥ 
दश   ग्रीव दपर्हा  ए कपिराज  ।  रामक  आतुरे   कउलों   काज  ॥ 
कपि  एकानन  हयो  पंचानन   जय हनुमंत  जयति  सप्तानन  || 
वर्ण सिन्दूर  देह दुख   मोचन  | दीव्य  दरश लय व्याकुल लोचन || 
गुण  निधान कपि मंगल कारी | दुष्ट दलन  जय - जय  त्रिपुरारी || 
बिनु हनुमंत एता  नञि  राम | बिनु हरि  कृपा  कतय सुखधाम  || 
जतय अहाँ  मंगल तेहि  दुवारि | करुण कथा  कते  कहल पुकारी  || 
  यश जत  गाऊ   वदन संसार  |  कीर्ति  योग्य नञि पवन कुमार  ||  
केशरी कंत  विपति  वर  भार  |  वेगहि  आबि  रमण   करू  पार  ||
प्रभु मन  बसिया  यौ  बजरंगी | कुमतिक  काल  सुमति के संगी  || 
सुनू कपि कखन हरब दुख मोर | बाटे   जोहि   भेलहुँ  हम   थोर  ||  
॥ दोहा ॥  
प्रात काल  उठि जे  जपथि ,सदय धराथि  चित ध्यान । 
शंकट   क्लेश  विघ्न  सकल  , दूर  करथि   हनुमान  ॥ 


 हनुमान जी के आरती  

बजरंगबली   के  आरती 
आइ   उतारू  ध्यान  सँ  | 
नञि  बुझलक दुख  हमर कियो 
जे , आइ  कहबैन   हनुमान सँ  || 
 बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --

टरल बिकट वर - वर  पथ -कंटक 
दया  दृष्टि  जेहि  देलों  यों  | 
रघुनन्दन दुख  भंजन के दुख 
काज सुगम  सँ  कयलौ  यौ  || 
जा पताल  अहिरावण मारल 
बज्र गदा के वान सँ -
 बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --
लखनक प्राणे , पलटि  आनि कय 
राम हीया  हुलसइलौ यौ  | 
कालक  गाले  जनक  नंदनी 
लंका जाय  छोरयलौं  यौ  || 
जाहिना  बीसभुज  के निपटयलों 
अपनेही बुधि  बल ज्ञान  सँ || 
 बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --
ज्ञान ध्यान रहि , मृत जीवन सन 
संत सुग्रीव नरक ताल में  | 
लंका के ओ  राजा बनि  गेल 
अहाँक दया सं एक पल में || 
"रमणक " काज  सुतारु  ओहिना 
अपन कृपा  वरदान सँ  || 
बजरंगबली के  -- नञि  बुझलक --
            रचित - 
रेवती रमण झा "रमण "
ग्राम - पोस्ट - जोगियारा पतोर
आनन्दपुर , दरभंगा  ,मिथिला
मो 09997313751

मंगलवार, 9 मई 2017

|| दहेज़ आगिलगुआ ||


हेज़ आगिलगुआ  , कहू  जायत कहिया 
जे     नै     कराबय    दहेजक     रुपैया   | 
हमर  घरे  बिलटिगेल  , दैया  गए   दैया  ||
दहेज़ आगिलगुआ -------- हमर  घरे  ---   
बेटा       खरीदने      छी ,  दैया    उल्हना  | 
देखबैया    या    गाड़ी ,  देखबैया   गहना ||  
नाच     नचौने    अइ  ,  यौ   बाबू   भैया   | 
हमर    घरे   बिलटिगेल  , दैया  गए दैया  ||
दहेज़  आगिलगुआ -------- हमर घरे  ---    
तिल  भरि  के लूरि  नञि,अछी अप ढंगही | 
हम्मर त  हम्मर , नञि सइंयो  के सगही  || 
कयने    कलमुँहीं  , कमाल   छै  गे   मैया  | 
हमर   घरे   बिलटिगेल  , दैया   गए  दैया  ||
  दहेज़     आगिलगुआ -------- हमर  घरे  ---
 देलैन    नञि   कान   बात , बेचनाक   बाबू |
"रमण "    दुख    अते , कते   हम     सुनाबू
चारु   कात   ताकी  , नञि   एको  सहैया  |
हमर   घरे   बिलटिगेल  , दैया   गए  दैया  ||
 दहेज़     आगिलगुआ -------- हमर  घरे  ---
रचित 
रेवती रमण झा " रमण "
ग्राम - पोस्ट - जोगियारा पतोर
आनन्दपुर , दरभंगा  ,मिथिला
मो 09997313751

शुक्रवार, 5 मई 2017

बहुभाषाविद मिथिला के युगपुरुष डॉ० सुभद्र झा के सत्रहवाँ पुण्यतिथि 13 /05/2017

मैथिली साहित्य महासभा (ट्रस्ट) और विद्यापति डॉ० सुभद्र झा प्रेरणा मंच के तत्वावधान में बहुभाषाविद मिथिला के  युगपुरुष डॉ० सुभद्र झा के  सत्रहवाँ पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि, संगोष्ठी एवं कवी सम्मलेन के  आयोजन  हुनकर  पुण्यतिथि 13 मई 2017 के  माध्यमिक शिक्षक संघ मधुबनी में दिन के 12 बजे से आयोजन अछि ,  
      संगोष्ठी में डॉ० झा के कृतित्व और व्यक्तित्व पक्ष पर मिथिला के दिग्गज विद्वान द्वारा विचार राखल जयत ।  हिनकर  कृतित्व पक्ष पर डॉ० रामदेव झा, पंडित चंद्र नाथ मिश्र "अमर", डॉ शशिनाथ झा, श्री श्याम दरिहरे, डॉ कमला कान्त भंडारी, डॉ शंकरदेव झा, श्री अशोक कुमार ठाकुर अपन वक्तव्य  देता । व्यक्तित्व पक्ष पर डॉ भीम नाथ झा, डॉ उमाकांत झा, डॉ धीरेन्द्र नाथ मिश्र, डॉ योगानन्द झा, डॉ० श्रीशंकर झा, डॉ खुशीलाल झा, श्री उदय शंकर झा "विनोद" डॉ महेंद्र मलंगिया और डॉ विघ्नेश चंद्र झा सहित अन्य गणमान्य विद्वान् अपन - अपन विचार  रखता । 
          अहि  कार्यक्रम में मैथिली अकादमी पटना निदेशक कमलेश झा, कांग्रेस प्रवक्ता श्री प्रेम चंद्र झा, बीजेपी बिहार प्रवक्ता विनोद नायरायण झा, सांसद हुकुव नारायण यादव, समीर महासेठ, रामप्रीत पासवान, सुमन महासेठ, घनश्याम ठाकुर सहित कई अन्य राजनितिज्ञ और समाजसेवी सेहो  भाग लेता ।  कार्यक्रम के  अध्यक्षता कमला कान्त झा जी करता ।  कार्यक्रम के  परिकल्पना मैसाम के संस्थापक सदस्य संजय झा " नागदह" द्वारा कायल गेल  अच्छी ।  अहि  कार्यक्रम के संयोजक  पंडित श्री कमलेश प्रेमेंद्र और मैसाम  के अध्यक्ष उमाकांत झा बक्शी एवं  संस्था के संस्थापक सदस्य विजय झा , ब्रजेश झा , संजीव झा और राम कुमार  झा , सब  बुद्धिजीवि से आग्रह केला  की कार्यक्रम में आबि के  सफल बनाबी ।  संजय झा " नागदह"  कहला   की डॉ सुभद्र झा  एक ऐहन   मिथिला का विद्वान छैथि  जे  विद्यापति और मैथिली भाषा के  विश्व पटल पर पहुँचाबै  काम केला हन  |