dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014

मिथिलाक लोकपर्व सामा चकेवा

मिथिलाक लोकपर्व सामा चकेवा
   
         छठि के भोरका अर्घ्य के दिन सं अपन मिथिला मे एकटा पावनि मनाएल जाएत अछि सामा-चकेवा. सामा-चकेबा के अहां मिथिलांचल के एकटा खास लोकपर्व कहि सकैत छी. सामा-चकेवा अहां के आओर दोसर ठाम देखय लेल नहि मिलत.

       बच्चा मे गाम मे बहिन सभ के सामा-चकेवा पावनि के मनाबैत देखैत छलहुं. एकरा अहां सामा-चकेवा खेलैत सेहो कहि सकय छी. ओना त ई पावनि लड़की-महिला सभ के अछि… मुदा बच्चा मे ओहि मे हमहुं सभ शामिल भs जाएत छलहुं.

सामा चकेबा भाई-बहिनक प्रेमक पावनि अछि. अहि मे सामा-चकेवा… सतभइया… बृंदावन… चुगला… ढोलिया बजनिया… वन तितिर … पंडित आओर दोसर मूर्ति खिलौना सं खेलल जाइत अछि… सन स बनल चुगला के जलायल जाइत अछि… सामा चकेवा भोरका छठि के शुरू भs कार्तिक पूर्णिमा के दिन तक खेलल जाएत अछि आओर विसर्जन करि देल जाइत अछि
.
सामा चकेवा के बारे मे कहल जाइत अछि जे सामा भगवान श्रीकृष्ण के पुत्री श्यामा छलीह. ओ अपन पिताक शाप के कारण चिड़य बनि गेल छलीह. कहल जाइत अछि जे भगवान श्रीकृष्णजी के बेटी श्यामा… सामा के जंगल में खेलय के शौक छलन्हि… अपन एहि प्रकृति सं जुड़ल रहय के शौक… फूल पत्ती… पक्षी सं खेलय के शौक के लेल ओ हर दिन पौ फूटतहिं जंगल दिस चलि जाइत छलीह. सामा के प्रकृति सं जुड़य… गाछ-बृक्ष… पशु-पक्षी सं खेलय के ई बात चुगला…चूड़क के नीक नहि लागल. ओ श्रीकृष्णजी के पास जा क सामा के बारे मे उल्टा पुल्टा बात बता देलक. एहि पर खिसियाक भगवान कृष्ण सामा के चिड़य बनि जाइ के शाप दs देलथिन्ह. जेहि सं सामा चिड़य बनि गेलीह.


जखन एहि बातक पता सामा के भाई के लगलन्हि. त ओ अपन बहिन के शाप सं मुक्त करय आ वापस लाबय लेल लगि गेलाह. ओ तप करय लगलाह. हारि कs भगवान के कहय पड़लन्हि जे कार्तिक मास के अहांक बहिन अयताह आओर पूर्णिमा के दिन विदा भय जएताह. ताहि दिन सं भाई- बहिनक प्रेमक.. स्नेहक ई पावनि… सामा चकेबा के रूप में मनावल जाइत अछि.


एहि पावनि मे सामा-चकेवा के मूर्ति लs क आठों दिन सामा चकेवा खेलल जाएत अछि. एहि मे एकटा आओर बात अछि जे ई शाम के बाद खेलल जाएत अछि. सामा चकेवा के गीत गाएल जाएत अछि.

Amit Chaudhary 

शनिवार, 18 अक्तूबर 2014

धनतेरस:--

धनतेरस:--

 
       जाहि तरहें देवी लक्ष्मी सागर मंथन सौं उत्पन्न भेल छलीह ओहि तरहें भगवान धनवन्तरि सेहो अमृत कलशक संग सागर मंथन सौं उत्पन्न भेल छलाह।

        देवी लक्ष्मी हालांकि धनक देवी छथि। परन्तु हुनक कृपा प्राप्त करबाक हेतू स्वस्थ्य और दीर्घ आयु सेहो चाही।
अहि कारणे दीपावली सौं दू दिन पहिले यानी धनतेरसे सौं दीपामाला सजय लगैत अछि। कार्तिक कृष्ण पक्षक त्रयोदशी तिथि के दिन धन्वन्तरिक जन्म भेल छल ताहिकारणे अहि तिथि के धनतेरस के नाम सौं जानल जैत अछि।

         धन्वन्तरी जखन प्रकट भेलाह तS हुनका हाथ में अमृत सौं भरल कलश छलनि। भगवान धन्वन्तरी चुकि कलश लय प्रकट भेल छलाह ताहि कारणे अहि अवसर पर बर्तन खरीदबाक परम्परा अछि।   कतोहू कतोहू लोकमान्यताक अनुसार इहो कहल जैत अछि कि आजुक दिन धन (वस्तु) खरीदला सौं ओहिमे 13 गुणाक वृद्धि होइत छैक।
भगवान धन्वंतरीक सब प्रकारक रोग से मुक्ति दैत छथि। यैह कारण अछि जे धनतेरसे क दिन केहु प्रकारक की व्याधि से पी‍ड़‍ित व्यक्तिक को धन्वंतरीक स्तोत्रक पूरी श्रद्धा से पाठ करबाक चाही।

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधिदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।  

सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥


कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।

वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढ़दावाग्निलीलम॥

शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2014

दसा

'दसा

उज्जर केश उज्जर पनही,
उज्जर वेश उज्जर कंगही |
बयस पचपन मोन जुआन ,
राखी अप्पन दसाक ध्यान ।
ऊठी कत्तय बैसी कत्तय,
बाजी कक्खन मुस्की कत्तय|
एक्कर सदिखन रहय ज्ञान ,
राखी अप्पन दसाक ध्यान ।
उमर उत्तर भेला पचास ,
जीभ 'जोरक' नै दास खबास |
बांचत तक्खने प्रौढक मान,
राखी अप्पन दसाक ध्यान ।
पहिरी केहेन कपड़ा लत्ता ,
आबो छोडू अहंगक सत्ता  |
सम्भव तक्खने सुभग सम्मान,
राखी अप्पन दसाक ध्यान ।
देखू , भोरे द'र दलान ,
सम्भव सेवा सालिगराम |
भजन कीर्तन सीताराम ,
राखी अप्पन दसाक ध्यान ।

सादर : महेश झा 'डखरामी'

गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014

अंतर्भाव



अंतर्भाव

प्रीति परात ह्रदय धवल ,
अंतर आबद्ध भ्रमर कमल |
कँवल कोमल प्रेम पाश ,
कुंजी कन्चुक कंत आश |
पसरल भुवन भाष्कर भाव ,
भ्रमर भ्रमित आसक्ति प्रभाव |
सुन्दर सोच , सुंदर काज ,
शब्द सुन्दर , सुंदर लाज |
अगम अथाह कमल विमल ,
मदान्ध गन्ध मत्त प्रवल |
कोमल गुन्जन शिथिल गात ,
सिनेह निमंत्रण प्रणय प्रपात |
नयन नेह मन ह्रदय हंसल ,
दर्शन प्रीतम नित्य नवल |

सादर: महेश झा 'डखरामी'

शनिवार, 11 अक्तूबर 2014

मिथिलाक समाद मैथिलि में

मिथिलाक  समाद मैथिलि में
                                                                        
Pravin Narayan Choudhary 

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान


Shekhar Mishra
·     मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान प्रारम्भ भेल , काल्हि मधुबनी जिला मुख्यालय स्थित श्री ज्योति रमण झाजीक आवास पर, जेकर अध्यक्षता कैलन्हि श्री जीवछ झा भा.प्र.से. ई पवित्र संकल्प प्राय: मिथिलाराज्य अभियानक दिशा मे एक निर्णायक मोड़ सिद्ध होयत.

शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

मिथिलाक समस्या


मिथिलाक समस्या

 
  निश्चित रुप सँ आई मिथिला कमजॊर अछि! कॊनॊ जाति जखन अंधकार , गरिबी आ गंदगी मॆ रहत! ऒकर जनता असंगठित छैक! एहि बातक अनुभव प्राप्त करबाक पद्धति मंद छैक ,मुदा ऒ कार्य दिश अवश्य बढी रहल अछि!

डा. लक्ष्मण झा - 
     मिथिला एक गॊट राज्य बनै इ मांग भारतक आजाद भॆला कॆ साथॆ शुरु भॆलै! मुदा अहि दिशा मॆ अखन धरि कॊनॊ ठॊस परिणाम नहि आयल अछि! 26 जूलाई 1953 क दरभंगा कॆ टाँउन हाँल मॆ मिथिला प्रांतिय सम्मॆलन आयॊजिद भॆल,ताहि मॆ सर्वसम्मति सँ मिथिला प्रांतक निर्माणक पक्ष मॆ प्रस्ताव स्वीक्रत भॆल छलैक!

मिथिला समस्त भारतवर्ष मॆ सब सँ प्राचीन संप्रभूता संपन्न राज्य रहल अछि! प्रान्त ऒ प्रदॆशक कॊन कथा,एतय कम सँ कम पांच हजार वर्ष सँ राजतंत्र,गणतंत्र आ वाद मॆ साम्राज्यक अन्तर्गत शासन रहल अछि!समस्त दुनिया मॆ मिथिलाक  गणतंत्रात्मक शासन प्रणाली सभ सँ अधिक प्रचीन अछि!

    मैथिली साहित्यक इतिहास कम सँ कम एक हजार वर्षक छैक! एतॆक गौरवशाली प्राचीन संस्क्रति एवं परंपराक प्राप्तकॆ निहार क्षॆत्र कतौ अंधकार मॆ पड़ल रहय! दॆशक आजुक राजनीतिक नॆता लॊकनिक उपॆक्षा सँ एहि क्षॆत्रक ई स्थिति भ गॆल अछि!  तथ्य त ई इंगित करैया जॆ राज्यक मांग लॊकतांत्रिक आ संवैधानिक छै! उत्तर मॆ हिमालय सँ दक्षिण मॆ गंगा तक सॊलह यॊजन चौसठी कॊस चाकर आ पूव मॆ महानंदा सँ पच्क्षिम मॆ गंडकी नारायणी तक 24 यॊजन‍ छियानवॆ कॊस(6150 वर्ग कॊस अथवा 25000 वर्ग मील विस्त्रित दू कॊटी जनसंख्या छॊट कॊना भॆल? विश्‍व संध मॆ 63 गॊट राष्ट्र जनसंख्या मॆ आ 18 गॊट विस्तार मॆ मिथिला सँ छॊट अछि !

     किन्तु ऎतॆ सब कॆ बादॊ राज्य निर्माण आंदॊलन पूरा जॊर नहि पकरलक! किएक त जनता कॆ बीच ई अंधविश्‍वाश पसैर गॆल छई कि मिथिला राज्य निर्माण भॆला सँ ब्राह्म्ण जाति कॆ फायदा हॆतै! मुदा वास्त‌विक‌ता त‌ ई छै मिथिला मॆ ब्राह्म‌ण‌ कॆ  ज‌न‌संख्या अन्य‌ जाति कॆ तुल‌ना मॆ न‌ग्‍ण‌ छै! कॊनॊ राज‌नितिक‌ इकाइक‌ निर्माण‌ सं ऒहिठाम‌ ब‌स‌निहार स‌ब‌ कॆ फाय‌दा हॆतै! ज‌न‌तांत्रिक‌ प‌द्ध‌ति मॆ ज‌क‌र‌ ज‌न‌संख्या अधिक‌ हॆतै सॆह‌ शास‌न‌ च‌ला स‌कैत‌ अछि! तॆं एहि संबंध‌ मॆ ब्राह्म‌ण‌ आ अब्राह्म‌ण‌ स‌वाल‌ उठौनिहा या त‌ स्वंय‌ मूर्ख‌ छिया या दॊस‌र‌ कॆ ब‌नाब‌ईत‌ छिया!

       एत‌बा न‌हि 22 दिस‌म्ब‌र‌ 1953 इ. क‌ तात्कालिक‌ प्रधान‌मंत्री ज‌वाह‌र‌ लाल‌ नॆह‌रु राज्य‌ पुन‌र्ग‌ठ‌न‌ आयॊग‌ कॆ ग‌ठ‌न‌ कॆलैन‌ अहि आयॊग‌ कॆ अध्य‌क्ष‌ भॆला सैय‌द‌ फ‌ज‌ल‌ अली आऒर‌ एम‌.प‌निक्क‌र‌ आ ह्रद‌य‌ नाथ‌ कुंज‌रु आऒर स‌द‌स्य‌ नियुक्त‌ क‌य‌ल‌ गॆलाह‌! आयॊग‌ कॆ मिथिला दिश‌ सँ सॆहॊ प्रस्ताव‌ आ संभार‌ प‌त्र दॆल‌ गॆल‌ मुदा आयॊग‌ कॆ निस्प‌क्ष‌ता आ यॊग्‍य‌ता प‌र क‌क‌रॊ विश्‍वास‌ न‌हि छ‌लै!

      जान‌कार‌ लॊक‌क‌ क‌ह‌बाक‌ त‌ एत‌ ध‌रि छैन‌ जॆ मिथिला राज्य‌क‌ निर्माण‌ मॆ स‌ब‌ सँ पैघ‌ बाधा ई छ‌लै जॆ ऒहि स‌म‌य‌ कांग्रॆस‌ जॆ कि दॆश‌ कॆ माय‌ बाप‌ छ‌ल‌ तै मॆ क्यॊ राष्ट्रिय‌ स्त‌र‌ कॆ मैथिल‌ नॆता न‌हि छ‌ल‌! मुदा राज‌नीतिक‌ कार‌ण‌ सँ अल‌ग‌ स‌माज‌ मॆ किछु सामाजिक‌ कार‌ण सॆहॊ वाधा ब‌न‌ल‌!
आजुक‌ स‌म‌य‌ मिथिलाक्ष‌र‌ अप‌न ज‌न्म‌भुमि सँ लुप्त‌ भ‌ गॆल‌ अछि! म‌धुब‌नी द‌र‌भंगा जॆ कि मिथिला कॆ ह्रद‌य‌स्थ‌ल‌ अछि ऒत‌य‌ लॊग‌ स‌ब‌ मैथिली ब‌ज‌नाय‌ हिन‌ता बुझ‌य‌ छाईथ‌!
      आब‌ ज‌रुर‌त‌ अछि एहि बात‌क‌ जॆ स‌ब‌ गॊटॆ मिल‌ क‌ स‌र‌कार‌क‌ स‌म‌क्ष‌ मिथिला राज्य‌क‌ मा‍ग‌ क‌रि! आ अप‌न‌ अस्तित्व‌ कॆ बचावी!
Mithila Today
www.mithilatoday.com

रविवार, 5 अक्तूबर 2014

अभागल जनता

"अभागल जनता "
कोनो मोल नहि सधारण मनुषक जिनगीक
कीड़ा मकोड़ा जेना समा जाइत अछि
अकाल काल के गाल मे
बड़का बड़का कहाबे वाला जनसेवक
जनता के बुझैत अछि भेड़ बकड़ी
कटवा दैत अछि अपन कुर्सी खातिर
मृत्यु परल लाश पर सेहो होइत अछि राजनिती
खूब घोषणा होइत अछि क्षतिपूर्तिक हेतु
हर बेर बनैत अछि जाँच आयोग
मुदा परीणाम घास के तीन पात
लाशक मुआवजा मे सेहो घूसखोरी
ताहु पर साहबक सिनाजोड़ी
के किछु कहतै ओकरा
ओकरे शाशन ओकरे प्रशाशन
जनसाधारण बहाएत नोर
मुदा "अभागल जनताक" नोरक नहि कोनो मोल !!!!!!!!!!!
               
        :गणेश कुमार झा "बावरा "
          गुवाहाटी