dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

शनिवार, 30 अप्रैल 2022

मंद बुद्धियों को मैं बता दूं कि मंदिर हम अपने पैसों से बनवा रहे है..जनता ने स्वेच्छा से अपना दान दिया। सरकारी पैसे 70 साल में हज हाऊस, हज सब्सिडी और मौलानाओ को पगार देने पर खर्च हुए थे।

 *अगर कांग्रेस 150 एकड़ जमीन पर नेहरू, संजय, इंदिरा और राजीव गांधी की समाधि न बनवाती तो इस पर 20-30  अस्पताल और बन सकते थे*।                                                    60 साल बाद जिस देश में सरकार बदलने के बाद PM को टॉयलेट बनवाना पड़े। उस देश मे लोग अस्पताल के लिए बोल रहे है सोचो दोष किसका 

राजस्थान का सीएम अशोक गहलोत सरकार का 100 करोड रुपए दरगाह में देकर आ गया किसी के मुंह से एक शब्द नहीं निकला किसी ने नहीं बोला कि अस्पताल को पैसे देने चाहिए चाहिए। जिस कौम में डॉक्टर कम, आतंकवादी ज़्यादा हैं वो भी हॉस्पिटल पर ज्ञान बांट रहे है ,मतलब हद है बेशर्मी की😷मंद बुद्धियों को मैं बता दूं कि मंदिर हम अपने पैसों से बनवा रहे है..जनता ने स्वेच्छा से अपना दान दिया। सरकारी पैसे 70 साल में हज हाऊस, हज सब्सिडी और मौलानाओ को पगार देने पर खर्च हुए थे। अस्पतालों पर नहीं *अखिलेश ने 600 करोड़ का हज हाउस बनवाया..* 

 *मायावती बहन जी ने 1200 करोड़ की अपनी और हाथियों की मूर्ति बनवाई..* तब किसी ने नहीं पूछा कि टिपू भैया और बहन जी ये मूर्ति की जगह अस्पताल 🤪🤫क्यों नहीं बनबाये..????

कुछ टुक्कड़जीवी दोगले कह रहे हैं अस्पताल बनवाना मोदी की जिम्मेदारी है

 *जबकि 2014 के पहले देश में सिर्फ 6 एम्स व 189 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे* 

 *आज 22 एम्स व 279 सरकारी मेडिकल कॉलेज है..* 

 *यानी 6 साल में 16 नए एम्स खोले गए और 90 नए मेडिकल कालेज खोले गए..* 

दरअसल इस वामी/कामी को हॉस्पिटल या इलाज से मतलब नहीं है,, इसे तकलीफ मंदिर बनने से है....जानकारी के लिए बता दूँ कि मंदिर में सरकार का एक रुपया नहीं लगा है.. 

नोट:- कोरोना की आड़ में मंदिर को निशाना बनाने वालों..बक बक करना बंद कर लो...🚩

 *1947 में भारत में 600 मस्जिदें थीं आज 11लाख मस्जिदें हो गई हैं* 🥸

तो 70 सालों में कांग्रेस ने देश में क्या बनवाया??

अस्पताल या मस्ज़िद ?

*भुवनेश्वर पारीक(हिन्दु) जरनल सेक्रेटरी ग्लोबल हिन्दु ऑर्गेनाइजेशन जयपुर।*

आपको अच्छा और सच लगे तो जरूर सभी ग्रुप में भेजे

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

रामायण” क्या है?


अगर कभी पढ़ो और समझो तो आंसुओ पे काबू रखना.......

रामायण का एक छोटा सा वृतांत है, उसी से शायद कुछ समझा सकूँ... 

एक रात की बात हैं, माता कौशल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी। 

नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ?

मालूम पड़ा श्रुतकीर्ति जी (सबसे छोटी बहु, शत्रुघ्न जी की पत्नी)हैं 

माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया |

श्रुतकीर्ति जी आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं

माता कौशिल्या जी ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बेटी ? 

क्या नींद नहीं आ रही ?

शत्रुघ्न कहाँ है ?

श्रुतिकीर्ति की आँखें भर आईं, माँ की छाती से चिपटी, 

गोद में सिमट गईं, बोलीं, माँ उन्हें तो देखे हुए तेरह वर्ष हो गए ।

उफ ! 

कौशल्या जी का ह्रदय काँप कर झटपटा गया ।

तुरंत आवाज लगाई, सेवक दौड़े आए । 

आधी रात ही पालकी तैयार हुई, आज शत्रुघ्न जी की खोज होगी, 

माँ चली ।

आपको मालूम है शत्रुघ्न जी कहाँ मिले ?

अयोध्या जी के जिस दरवाजे के बाहर भरत जी नंदिग्राम में तपस्वी होकर रहते हैं, उसी दरवाजे के भीतर एक पत्थर की शिला हैं, उसी शिला पर, अपनी बाँह का तकिया बनाकर लेटे मिले !! 

माँ सिराहने बैठ गईं, 

बालों में हाथ फिराया तो शत्रुघ्न जी नेआँखें खोलीं, 

माँ !

उठे, चरणों में गिरे, माँ ! आपने क्यों कष्ट किया ? 

मुझे बुलवा लिया होता ।

माँ ने कहा, 

शत्रुघ्न ! यहाँ क्यों ?"

शत्रुघ्न जी की रुलाई फूट पड़ी, बोले- माँ ! भैया राम जी पिताजी की आज्ञा से वन चले गए, 

भैया लक्ष्मण जी उनके पीछे चले गए, भैया भरत जी भी नंदिग्राम में हैं, क्या ये महल, ये रथ, ये राजसी वस्त्र, विधाता ने मेरे ही लिए बनाए हैं ?

माता कौशल्या जी निरुत्तर रह गईं 

👉देखो क्या है ये रामकथा...

यह भोग की नहीं....त्याग की कथा हैं..!!

यहाँ त्याग की ही प्रतियोगिता चल रही हैं और सभी प्रथम हैं, कोई पीछे नहीं रहा...  चारो भाइयों का प्रेम और त्याग एक दूसरे के प्रति अद्भुत-अभिनव और अलौकिक हैं ।

"रामायण" जीवन जीने की सबसे उत्तम शिक्षा देती हैं ।

भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी सीता माईया ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया..!!

परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले लक्ष्मण जी कैसे राम जी से दूर हो जाते! 

माता सुमित्रा से तो उन्होंने आज्ञा ले ली थी, वन जाने की.. 

परन्तु जब पत्नी “उर्मिला” के कक्ष की ओर बढ़ रहे थे तो सोच रहे थे कि माँ ने तो आज्ञा दे दी, 

परन्तु उर्मिला को कैसे समझाऊंगा.??

क्या बोलूँगा उनसे.?

यहीं सोच विचार करके लक्ष्मण जी जैसे ही अपने कक्ष में पहुंचे तो देखा कि उर्मिला जी आरती का थाल लेके खड़ी थीं और बोलीं- 

"आप मेरी चिंता छोड़ प्रभु श्रीराम की सेवा में वन को जाओ...मैं आपको नहीं रोकूँगीं। मेरे कारण आपकी सेवा में कोई बाधा न आये, इसलिये साथ जाने की जिद्द भी नहीं करूंगी।"

लक्ष्मण जी को कहने में संकोच हो रहा था.!!

परन्तु उनके कुछ कहने से पहले ही उर्मिला जी ने उन्हें संकोच से बाहर निकाल दिया..!!

वास्तव में यहीं पत्नी का धर्म है..पति संकोच में पड़े, उससे पहले ही पत्नी उसके मन की बात जानकर उसे संकोच से बाहर कर दे.!!

लक्ष्मण जी चले गये परन्तु 14 वर्ष तक उर्मिला ने एक तपस्विनी की भांति कठोर तप किया.!!

वन में “प्रभु श्री राम माता सीता” की सेवा में लक्ष्मण जी कभी सोये नहीं , परन्तु उर्मिला ने भी अपने महलों के द्वार कभी बंद नहीं किये और सारी रात जाग जागकर उस दीपक की लौ को बुझने नहीं दिया.!!

मेघनाथ से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को “शक्ति” लग जाती है और हनुमान जी उनके लिये संजीवनी का पर्वत लेके लौट रहे होते हैं, तो बीच में जब हनुमान जी अयोध्या के ऊपर से गुजर रहे थे तो भरत जी उन्हें राक्षस समझकर बाण मारते हैं और हनुमान जी गिर जाते हैं.!!

तब हनुमान जी सारा वृत्तांत सुनाते हैं कि, सीता जी को रावण हर ले गया, लक्ष्मण जी युद्ध में मूर्छित हो गए हैं।

यह सुनते ही कौशल्या जी कहती हैं कि राम को कहना कि “लक्ष्मण” के बिना अयोध्या में पैर भी मत रखना। राम वन में ही रहे.!!

माता “सुमित्रा” कहती हैं कि राम से कहना कि कोई बात नहीं..अभी शत्रुघ्न है.!!

मैं उसे भेज दूंगी..मेरे दोनों पुत्र “राम सेवा” के लिये ही तो जन्मे हैं.!!

माताओं का प्रेम देखकर हनुमान जी की आँखों से अश्रुधारा बह रही थी। परन्तु जब उन्होंने उर्मिला जी को देखा तो सोचने लगे कि, यह क्यों एकदम शांत और प्रसन्न खड़ी हैं?

क्या इन्हें अपनी पति के प्राणों की कोई चिंता नहीं?

हनुमान जी पूछते हैं- देवी! 

आपकी प्रसन्नता का कारण क्या है? आपके पति के प्राण संकट में हैं...सूर्य उदित होते ही सूर्य कुल का दीपक बुझ जायेगा। 

उर्मिला जी का उत्तर सुनकर तीनों लोकों का कोई भी प्राणी उनकी वंदना किये बिना नहीं रह पाएगा.!!

उर्मिला बोलीं- "

मेरा दीपक संकट में नहीं है, वो बुझ ही नहीं सकता.!!

रही सूर्योदय की बात तो आप चाहें तो कुछ दिन अयोध्या में विश्राम कर लीजिये, क्योंकि आपके वहां पहुंचे बिना सूर्य उदित हो ही नहीं सकता.!!

आपने कहा कि, प्रभु श्रीराम मेरे पति को अपनी गोद में लेकर बैठे हैं..!

जो “योगेश्वर प्रभु श्री राम” की गोदी में लेटा हो, काल उसे छू भी नहीं सकता..!!

यह तो वो दोनों लीला कर रहे हैं..

मेरे पति जब से वन गये हैं, तबसे सोये नहीं हैं..

उन्होंने न सोने का प्रण लिया था..इसलिए वे थोड़ी देर विश्राम कर रहे हैं..और जब भगवान् की गोद मिल गयी तो थोड़ा विश्राम ज्यादा हो गया...वे उठ जायेंगे..!!

और “शक्ति” मेरे पति को लगी ही नहीं, शक्ति तो प्रभु श्री राम जी को लगी है.!!

मेरे पति की हर श्वास में राम हैं, हर धड़कन में राम, उनके रोम रोम में राम हैं, उनके खून की बूंद बूंद में राम हैं, और जब उनके शरीर और आत्मा में ही सिर्फ राम हैं, तो शक्ति राम जी को ही लगी, दर्द राम जी को ही हो रहा.!!

इसलिये हनुमान जी आप निश्चिन्त होके जाएँ..सूर्य उदित नहीं होगा।"

राम राज्य की नींव जनक जी की बेटियां ही थीं... 

कभी “सीता” तो कभी “उर्मिला”..!!

 भगवान् राम ने तो केवल राम राज्य का कलश स्थापित किया ..परन्तु वास्तव में राम राज्य इन सबके प्रेम, त्याग, समर्पण और बलिदान से ही आया .!!

जिस मनुष्य में प्रेम, त्याग, समर्पण की भावना हो उस मनुष्य में राम हि बसता है... 

कभी समय मिले तो अपने वेद, पुराण, गीता, रामायण को पढ़ने और समझने का प्रयास कीजिएगा .,जीवन को एक अलग नज़रिए से देखने और जीने का सऊर मिलेगा .!!

"लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो,

स्वामी तुम जैसा, मेरा रघुराइ हो.. 

नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो, 

चरण हो राघव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो..

हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो, 

लव कुश के जैसी, संतान हमारी हो.. 

श्रद्धा हो श्रवण जैसी, सबरी सी भक्ति हो, 

हनुमत के जैसी निष्ठा और शक्ति हो... "

ये रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की।

!! *जय जय श्री राम* !!

गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

हनुमान चालीसा कब लिखा गया क्या आप जानते हैं। नहीं तो जानिये,


    हनुमान चालीसा कब लिखा गया क्या आप जानते हैं। नहीं तो जानिये, शायद कुछ ही लोगों को यह पता होगा?

पवनपुत्र हनुमान जी की आराधना तो सभी लोग करते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं, पर यह कब लिखा गया, इसकी उत्पत्ति कहाँ और कैसे हुई यह जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी।

बात 1600 ईस्वी  की है यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था।

एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे, रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला, लोगों को पता लगा कि तुलसीदास जी आगरा में पधारे हैं। यह सुन कर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया। जब यह बात बादशाह अकबर को पता लगी तो उन्होंने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं।

तब बीरबल ने बताया, इन्होंने ही रामचरित मानस का अनुवाद किया है, यह रामभक्त तुलसीदास जी है, मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ। अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा मैं भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ।

बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियों की एक टुकड़ी को तुलसीदास जी के पास भेजा और  तुलसीदास जी को बादशाह का पैगाम सुनाया कि आप लालकिले में हाजिर हों। यह पैगाम सुन कर तुलसीदास जी ने कहा कि मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूँ, मुझे बादशाह और लालकिले से मुझे क्या लेना-देना और लालकिले जाने के लिए  साफ मना कर दिया। जब यह बात बादशाह अकबर तक पहुँची तो बहुत बुरी लगी और बादशाह अकबर गुस्से में लालताल हो गया, और उन्होंने तुलसीदास जी को जंज़ीरों से जकड़बा कर लाल किला लाने का आदेश दिया। जब तुलसीदास जी जंजीरों से जकड़े लाल किला पहुंचे तो अकबर ने कहा की आप कोई करिश्माई व्यक्ति लगते हो, कोई करिश्मा करके दिखाओ। तुलसी दास ने कहा मैं तो सिर्फ भगवान श्रीराम जी का भक्त हूँ कोई जादूगर नही हूँ जो आपको कोई करिश्मा दिखा सकूँ। अकबर यह सुन कर आगबबूला हो गया और आदेश दिया की इनको जंजीरों से जकड़ कर काल कोठरी में डाल दिया जाये।

दूसरे दिन इसी आगरा के लालकिले पर लाखों बंदरों ने एक साथ हमला बोल दिया, पूरा किला तहस नहस कर डाला। लालकिले में त्राहि-त्राहि मच गई, तब अकबर ने बीरबल को बुला कर पूछा कि बीरबल यह क्या हो रहा है, तब बीरबल ने कहा हुज़ूर आप करिश्मा देखना चाहते थे तो देखिये। अकबर ने तुरंत तुलसीदास जी को कल कोठरी से निकलवाया। और जंजीरे खोल दी गई। तुलसीदास जी ने बीरबल से कहा मुझे बिना अपराध के सजा मिली है।

मैंने काल कोठरी में भगवान श्रीराम और हनुमान जी का स्मरण किया, मैं रोता जा रहा था। और रोते-रोते मेरे हाथ अपने आप कुछ लिख रहे थे। यह 40 चौपाई, हनुमान जी की प्रेरणा से लिखी गई हैं। कारागार से छूटने के बाद तुलसीदास जी ने कहा जैसे हनुमान जी ने मुझे कारागार के कष्टों से छुड़वाकर मेरी सहायता की है उसी तरह जो भी व्यक्ति कष्ट में या संकट में  होगा और इसका पाठ करेगा, उसके कष्ट और सारे संकट दूर होंगे। इसको हनुमान चालीसा के नाम से जाना जायेगा।

अकबर बहुत लज्जित हुए और तुलसीदास जी से माफ़ी मांगी और पूरी इज़्ज़त और पूरी हिफाजत, लाव-लश्कर से मथुरा भिजवाया।

आज हनुमान चालीसा का पाठ सभी लोग कर रहे हैं। और हनुमान जी की कृपा उन सभी पर हो रही है। और सभी के संकट दूर हो रहे हैं। हनुमान जी को इसीलिए "संकट मोचन" भी कहा जाता है

*ऐसी ही संस्कारित और प्रेरक पोस्ट अपने मित्रों तक भी पहुचायें, कृपया अधिक से अधिक शेयर करें।*

*जय श्री राम*.

*जय श्री राधे राधे जी*

आपका दिन शुभ हो

रविवार, 17 अप्रैल 2022

भूतपूर्व RBI गवर्नर श्रीरघुराम राजन का सनसनीखेज खुलासा पूरे सुबूतों के साथ।

   प्राइम मिनिस्टर वर्तमान के प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार के नेता श्री नरेंद्र मोदी जी का विरोध करने वाले भूतपूर्व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर श्रीरघुराम राजन का यह निम्नलिखित आर्टिकल संदेश अंतिम तक जरूर पढ़ें आप बर्फ की तरह पिघल जाएंगे आपकी गलत मान्यता बदले बिना नहीं रहेगी कृपया इस संदेश को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें* 👇🏼

*☝️मोदी नहीं होते तो आज भारत की आर्थिक स्थिति कैसी होती*

*भूतपूर्व RBI गवर्नर श्रीरघुराम राजन का सनसनीखेज खुलासा पूरे सुबूतों के साथ।*

*देश का 5 लाख किलोग्राम सोना अगस्त 2013 में गिरवी रखने की नौबत आ गयी थी। देश की अर्थव्यवस्था की उस भयंकर बदहाली की शर्मनाक कहानी क्यों भूल गए राहुल गांधी और लुटियन मीडिया के चाटुकार कांग्रेसी पत्रकार?*

*आजकल राहुल गांधी और लुटियन मीडिया के कांग्रेसी चाटुकार पत्रकार लगातार यह मातम कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर डाला है।*

*अतः आज यह याद दिलाना जरूरी है कि देश की अर्थव्यवस्था की बरबादी तबाही का अर्थ क्या होता है।वह तारीख थी 29 अगस्त 2013, उस दिन तक कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार अपना 9 वर्ष 3 माह का कार्यकाल पूरा कर चुकी थी। इसी 29 अगस्त 2013 को पूरे देश के मीडिया में प्रमुखता से छपी एक खबर से पूरे देश में सनसनी फैल गयी थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की  छवि बहुत बुरी तरह धूमिल हुई थी।*

*इस खबर में बहुत स्पष्ट शब्दों में यह उल्लेख किया गया था कि देश की आर्थिक स्थिति इतनी नाजुक हो चुकी है कि केन्द्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने सुझाव दिया है कि देश के स्वर्णकोष से निकाल कर देश का 5 लाख किलोग्राम सोना गिरवी रख दिया जाए।*

*उस समय देश के स्वर्णकोष में 5 लाख 57 हजार किलोग्राम सोना था। अर्थात देश के स्वर्णकोष का लगभग 90% सोना गिरवी रख देने की सलाह कोई और नहीं बल्कि तत्कालीन केन्द्र सरकार का वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा दे रहा था उस समय के बाजार भाव (27,750 प्रति 10 ग्राम) के हिसाब से इतने सोने की कीमत 1.38 लाख करोड़ रुपए थी। तथाकथित महान अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के 10 वें वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को इतनी दयनीय स्थिति में पहुंचा दिया था। मीडिया में छपी उपरोक्त सनसनीखेज खबर के पश्चात देश में उपजे जनाक्रोश के दबाव में देश के तत्कालीन वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा नेसफाई दी थी कि मेरी बात को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया।*

 *लेकिन आनंद शर्मा की इस सफाई की धज्जियां अगले 2-3 महीने के घटनाक्रम ने उड़ा दी थीं। देश और दुनिया में हो रही जबरदस्त थू-थू के कारण सोना तो गिरवी नहीं रखा गया था।लेकिन देश की दयनीय अर्थव्यवस्था पर पर्दा डालने का एक दूसरा चोर दरवाजा मनमोहनकी तत्कालीन यूपीए सरकार ने खोज लिया था। अपने शासनकाल के अन्तिम वर्ष में यूपीए सरकार ने सितम्बर 2013 से दिसम्बर 2013 के मध्य फॉरेन करंसी नॉन रेसिडेंट डिपोजिट यानी FCNR (B) के माध्यम से लगभग 25 बिलियन डॉलर के कर्ज समेत कुल 32.32 बिलियन डॉलर (2.23 लाख करोड़ रुपयों) का अनापेक्षित कर्ज़ देश के माथे मढ़ दिया था। इस कर्ज का भार भी मोदी सरकार ने ही ब्याज सहित उतारा है।*

*उपरोक्त तथ्य से यह भी स्पष्ट होता है कि मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था को इतनी दयनीय और दरिद्र स्थिति में पहुंचा दिया था कि देश का 90% सोना गिरवी रखकर 1.38 लाख करोड़ रुपए का जुगाड़ करने के बावजूद वह स्थिति नहीं सुधरती। इसीलिए फॉरेन करंसी नॉन रेसिडेंट डिपोजिट" यानी FCNR (B) के माध्यम से यूपीए सरकार ने 2.23 लाख करोड़ रुपयों के कर्ज का जुगाड़ किया था।*

*अंत में, अगस्त 2013 में देश का जो स्वर्ण भंडार 557 टन था उसमें मोदी सरकार ने 148 टन की वृद्धि की है। 30 जून 2021 को देश का स्वर्ण भंडार 705 टन हो चुका था।*

1. RBI के तत्कालीन गवर्नर रहे रघुराम राजन की यह *स्वीकारोक्ति* पढ़िए।

https://indianexpress.com/article/business/banking-and-finance/fcnr-bonds-were-least-bad-option-to-raise-dollars-raghuram-rajan-3011772/

2.*मोदी सरकार ने उस कर्ज को चुकाया।* इसकी पुष्टि के लिए इस लिंक को क्लिक कर के पढ़िए।

https://www.thehindubusinessline.com/money-and-banking/fcnr-deposits-of-2013-set-to-mature-reserve-bank-ready-to-tackle-volatility/article8472235.ece 

*काँग्रेस ,कम्युनिस्ट आदि सब के झूठे प्रचार को जानिए और समझिए।*

*अतः देश हित मे जाग्रत बने* 

*सुन लो रे पप्पूओ- पिंकीयो*

*इन 7 सालों में मोदी जी ने क्या किया जो आज तक स्वतंत्र भारत के इतिहास में कोई नहीं कर पाया। अवश्य पढ़ें कहीं बीच में ही छोड़ दिया तो आपकी आँखे बंद ही रह जाएंगी इसलिए पूरा अवश्य पढ़ें*

*पहली उपलब्धि* 

200 साल तक हमारे देश को गुलाम बनाने वाले ब्रिटेन में 53 देशों की मीटिंग में मोदी जी महा अध्यक्ष बने,,,इसी बात से हर एक भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाना चाहिए,,,

*दूसरी उपलब्धि*

UN मानवाधिकार परिषद में भारत की बड़ी जीत हुई है,,,सबसे ज्यादा वोटों के साथ बना सदस्य,, 97 वोटों की आवश्यकता थी मिले 188 वोट,,,, क्या अब भी भारत की जनता पूछेगी की मोदी विदेश क्यूँ जाते हैं,,,,

*तीसरी उपलब्धि*

दुनियाँ के 25 सबसे ताकतवर देशों की हुई लिस्ट जारी,,, भारत आया नम्बर चार पर हमसे आगे अमेरिका, रूस और चीन है,,,ये है मोदी युग,,,

*चौथी उपलब्धि*

1 लाख करोड़ के पार पहुँचा GST का मासिक टैक्स कलेक्शन,,,,, ये है एक चाय वाले का अर्थशास्त्र,,,

*पाँचवी उपलब्धि* 

नए सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में अमेरिका और जापान को पीछे छोड़ भारत पहुँचा दूसरे स्थान पर,,,,

*छठी उपलब्धि* 

2017-18 में दोगुना हुआ सौर ऊर्जा का उत्पादन,,,,

चीन और अमेरिका भी दंग है,,, 

*सातवीं उपलब्धि* 

भारत की आसमान छू रही GDP को देखकर,,,

भारत की GDP 8.2%, चीन की 6.7% और अमेरिका की 4.2%। अब भी कहेंगे भारतीय की मोदी विदेश क्यों जाते हैं,,,

*आठवीं उपलब्धि*

 ,,, जल थल ओर आकाश तीनों क्षेत्रों से सुपरसोनिक मिसाइल दागने वाला दुनियाँ का पहला देश बना भारत,,, ये है मोदी युग,,,अगर आपको गर्व हुआ हो तो जयहिन्द लिखना न भूलें,,,,

*नवीं उपलब्धि*,

,,,,70 सालों में पाकिस्तान को कभी गरीब नहीं देखा,, लेकिन मोदी जी के आते ही पाकिस्तान कंगाल हो गया,,, दरअसल पाकिस्तान की कमाई का जरिया भारतीय नकली  नोटों का व्यापार था,,,, जिसे मोदी जी ने खत्म कर दिया,,,

*दसवीं उपलब्धि*

 को भी पढ़ें,,,,,, एक बात समझ में नहीं आयी,,,

2014 में कांग्रेसी रक्षामंत्री ऐ.के. एंटोनी ने कहा था देश कंगाल है हम राफेल तो क्या छोटा जेट भी नहीं ले सकते,,,,पर मोदी जी ने ईरान का कर्ज भी चुका दिया,,

राफेल डील भी करली,, S-400 भी ले रहे हैं!

*आखिर कांग्रेस के समय देश का पैसा कहाँ जाता था ?*

*ग्याहरवीं उपलब्धि* 

सेना को मिला बुलेटप्रूफ स्कार्पियो का सुरक्षा कवच,,,

जम्मू कश्मीर में मिली सेना को 2500 बुलेटप्रूफ स्कार्पियो,,,

*बारहवीं उपलब्धि*

अब आपको बताता हूँ भारत का इन 4 सालों में विकास क्या हुआ,,,

अर्थव्यवस्था में फ्रांस को पीछे धकेल नम्बर 6 बना,,,

*तेरहवीं उपलब्धि* 

ऑटो मार्केट में जर्मनी को पीछे छोड़ नम्बर 4 बना,,,

*चौदहवीं उपलब्धि*

बिजली उत्पादन में रूस को पीछे छोड़ नम्बर 3 बना,,,

*पन्द्रहवीं उपलब्धि*

टेक्सटाइल उत्पादन में इटली को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना,,,

*सोलहवीं उपलब्धि*

मोबाइल उत्पादन में वियतनाम को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना,,,

*सत्ररहवीं उपलब्धि*

स्टील उत्पादन में जापान को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना,,,

*अठारहवीं उपलब्धि* 

चीनी उत्पादन में ब्राजील को पीछे छोड़ नम्बर 1 बना,,,

*उन्नीसवीं उपलब्धि*

राम मंदिर, धारा 370, ट्रिपल तलाक,

*जिन पर काम जारी है :-* सी.ए.ए .एनआरसी. समान नागरिक संहिता ,जनसंख्या नियंत्रण कानून इत्यादि।

*बीसवीं उपलब्धि*

हमेशा सोए रहने वाले हिंदूओं में राष्ट्रवाद जगा दिया, पूरी दुनिया के सवा सौ करोड़ हिंदुओं का एक भी राष्ट्र नहीं है। मैं इस काम को सबसे महत्वपूर्ण मानता हूं।

*इसको कहते हैं मोदी युग मोदी सरकार में घाटी से हो रहा है आतंकियों का सफाया,,, लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी नवेद वट को मार गिराया,,,हिज्बुल से जुड़े 2 आतंकी ढेर,, 8 महीनों में 230 आतंकियों को 72 हूरों के पास जहन्नुम में पहुंचाया......*

*कांग्रेस राज में आतंकी दहशत फैलाते थे मोदी राज में सेना आतंकियों के लिए दहशत*  *बनी हुई है,,,ये है मोदी राज का फार्मूला,,,,*

*मोदी जी की बढ़ती हुई ख्याति से सारा विपक्ष बौखला गया है कि अब उनके भ्रष्टाचारी हथकंडे कामयाब नहीं हो सकते तब एक अभिमन्यु का वध करने के लिए सारे भ्रष्टाचारिता के महारथी एक होकर चक्रव्यूह की रचना कर रहे हैं 2024 में मोदी को हराने के लिए,,,लेकिन उन भ्रष्टाचारी महारथियों को यह नहीं मालूम कि द्वापर के अभिमन्यु की चक्रव्यूह भेदन की शिक्षा माँ के गर्भ में ली गयी थी और वो भी केवल घुसने की बाहर निकलने की नहीं, लेकिन इस मोदी रूपी अभिमन्यु ने चक्रव्यूह के भेदन व उसे चकनाचूर करने की शिक्षा माँ के गर्भ से बाहर आकर इस माँ भारती से ली है जो अजेय है पराजेय नहीं है,,,,*

*आइए आज हम सब मिलकर एक संकल्प ले कि इस सेवक को 2024 में इतने भारी बहुमत से विजयी बनावें की वह आंकड़ा गिनीज बुक में दर्ज होकर रह जाय जिस आंकड़े को कोई छू भी न सके,,,,,*

 *2024 में मोदी जी को वापस भारत का प्रधानमंत्री बनाएँ।*

   🇮🇳🇮🇳  *जय हिंद, जय भारत*🇮🇳🇮🇳

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गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

मुस्कराइये कि आप भारतीय हैं

आप किसी भी धर्म, मजहब, जाति के हों, किसी भी प्रांत या क्षेत्र के निवासी हों, यदि आप भारतीय हैं तो मुस्कराने की तमाम वजहें हैं आपके पास| 


1. चैन की सांस लीजिये कि आप दिवालियेपन की कगार पर पहुँच चुके श्रीलंका के निवासी नहीं हैं जहाँ अस्पताल में सर्जरी नहीं हो पा रहीं| जहाँ पेट्रोल, डीज़ल और गैस बाजार से गायब हो चुकी हैं| खाद्यान्न और खाद्य सामग्री का टोटा हो गया है| जनता सड़क पर बाहर आकर इन सबका रोना भी नहीं रो सकती, कर्फ्यू लगा दिया गया है|

2. आप पाकिस्तान के निवासी नहीं हैं जहाँ पूरा का पूरा देश ही गिरवी रखा हुआ है दूसरे देशों के रहमोकरम पर चलता है| कल तक अमेरिका के तलवे चाटने वाला पाकिस्तान आज चीन की चमचागिरी करने को मजबूर है| क्यों न हो? जिसका घर खैरात पर चलता हो उसे जो भीख दे दे वही उसका मालिक| पता नहीं कल कौन इस्लामाबाद की सत्ता संभालेगा, राजनैतिक उठापठक होगी या सैनिक तानाशाही| लोकतंत्र का मखौल बना हुआ है|

3. आप नेपाल के निवासी नहीं हैं जो पुरुषार्थ विहीन होकर छोटी मोटी परियोजनाओं के लिए भी कभी भारत का मुंह ताकता है तो कभी चीन का| जो अपने बफर स्टेट होने का फायदा उठाकर माल-ए-मुफ्त दिल-ए-बेरहम छानते हुए भले ही दोनों बड़े देशों से अनुदान ले लेता हो लेकिन जिसकी स्वयं की उत्पादकता शून्य है| दवाई हो या वाहन, अस्पताल हों या बाँध, हथियार हों या पुल, रेल ट्रैक्स हों या सड़कें, इन्हें खुद कुछ नहीं करना, या तो भारत कर जाये या चीन| नहीं समझ रहे कि एक दिन पूरा देश ही चीन जैसा साम्राज्यवादी, विस्तारवादी हड़प जायेगा और डकार तक नहीं लेगा|

4. अपने भारतीय होने पर गर्व कीजिये जिसने दो साल तक कोरोना महामारी की विभीषिका को झेलते हुए भी उफ़ नहीं की| अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों की हालत पतली हो गयी| जब तथाकथित संपन्न माने जाने वाले विकसित देशों ने भी धन की कमी के कारण अस्पतालों तक के दरवाजे बंद कर दिए तब भी भारत इसका न सिर्फ डटकर मुकाबला करता रहा बल्कि सालों तक अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न और पाँच सौ रुपये प्रति माह बांटता रहा| 

5. संतोष है हमें अपने उस गरीब और दुनिया की नज़रों में अविकसित माने जाने वाले देश भारत के निवासी होने पर जिसने एक सौ अस्सी करोड़ कोरोना वैक्सीन अपने नागरिकों को मुफ्त लगाकर एक विश्व रिकॉर्ड बना दिया| याद करें केजरीवाल और राहुल गांधी जैसे मक्कारों के बयानों को जो कहते थे भारत में टीकाकरण होने में दशकों लग जायेंगे|

6. भारतीय जान लें कि अपने को दुनिया का चौधरी समझने वाला अमेरिका भी मंहगाई की ऐतिहासिक मार से त्रस्त है, पेट्रोल और गैसोलीन के दामों के मामले में आज घुटनों पर है| वहाँ भी पेट्रोल, जो कभी भारतीय दामों का एक मामूली सा हिस्सा हुआ करता था, आज 6 डॉलर प्रति गैलन अर्थात लगभग 104 रुपये प्रति लीटर है जो भारतीय भावों से अधिक कम नहीं|

7. गर्व कीजिये कि जिस भारत की कुछ वर्ष पूर्व तक दुनिया में कोई पूछपरख नहीं थी, आज दुनिया के एक दूसरे हिस्से अर्थात रूस और यूक्रेन में युद्ध होने पर अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, जापान जैसे ताकतवर मुल्कों के कद्दावर नेताओं का नई दिल्ली में जमावड़ा लगा हुआ है| लग रहा है कि भारत ही इस समस्या का निदान निकाल सकता है|

8. तसल्ली रखिये कि आपके प्रधानमंत्री, आपके नेताओं ने देश को संकट में नहीं आने दिया, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव, नेपाल और अन्य पचासों एशियाई अफ्रीकी देशों की तरह “ऋणं कृत्वा घृतं पीबेत” की नीति अपनाते हुए चीन और अमेरिका जैसे देशों के पास गिरवी नहीं रखा| हाँ, थोड़ा सा कष्ट अवश्य हुआ लेकिन वह दिवालिया होने की स्थिति से तो काफी बेहतर रहा|

9. सीना तानते हुए सिर ऊपर उठाइये कि सौ सालों के सर्वाधिक खतरनाक समयखंड से गुजरने के बावजूद आपके देश ने किसी के आगे हाथ नहीं पसारा| अरे हाथ पसारने की बात तो जाने दीजिये, हमने अपनी महान संस्कृति और परंपरा के अनुसार जब श्रीलंका जैसा भुखमरी की कगार पर पहुँचा पड़ौसी देश “त्राहिमाम् शरणागतम्” कहता हुआ हमारे द्वार पर आया तो हमने पुराने गिले शिकवे भूलते हुए उसकी झोली में ढाई बिलियन डॉलर की सौगात डालते हुए दुनिया के सामने साबित कर दिया कि अब भारत “देवता” है “लेवता” नहीं|

10. शुक्र मनाइए कि हमारा नेतृत्व “राहुल गांधी” जैसे अपरिपक्व या “सोनिया गांधी” जैसे भ्रष्ट फिरंगियों के हाथ में नहीं था| क्या होता? कोरोना में ये देश लाशों से पटा होता और आज भारत की हालत पाकिस्तान और श्रीलंका से भी बदतर होती|

11. सब्र रखिये, “बेस्ट” अभी आना बाकी है| यदि भारत में वर्तमान सरीखा नेतृत्व दस वर्ष और रह गया तो आज तो दुनिया भारत की तरफ टकटकी लगाये आशा भरी नज़रों से देख मात्र रही है, भविष्य में दुनिया का केंद्र भारत होगा| आज हमारे बच्चे जिस तरह अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जाकर वहाँ पढ़ाई, नौकरी या व्यवसाय करने की चाहत रखते हैं, आश्चर्य मत करना यदि अमेरिका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लोग भारत आकर शिक्षा प्राप्त या नौकरी करने की तमन्ना रखने लग जायें|

         विश्वास मानिये, वामपंथी विघ्नसंतोषी, विदेशी फंडिंग पाकर विषवमन करने वाली संस्थाएं, एनजीओ और सेवा की आड़ में धर्मपरिवर्तन में लगी ईसाई मिशनरियां सकपकाई हुई हैं, किम्कर्त्व्यविमूढ़ हैं, समझ नहीं पा रही हैं क्या करें, परिणामस्वरूप देश तोड़ने तक पर उतारू हो गयी हैं| हाँ, यदि आपका साथ नहीं मिला तो बोरियाबिस्तर समेटने ही वाली हैं|

         भारत सकारात्मक रूप से बदल रहा है, उत्तरपूर्व और इसके आठों राज्य, जिन्हें भारत से सुदूर मानकर सौतेला व्यवहार करते हुए आतंकवादी संगठनों की दया पर छोड़ दिया था, तेज़ी से मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं| विकास की गंगा अब वहाँ भी बह रही है, पहली बार मेघालय, मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम के लोगों को महसूस हो रहा है कि वे भी भारतीय हैं| अरुणाचल प्रदेश, जिसके लिए चीन अपना हिस्सा होने का झूठा दावा करता है, मजबूती के साथ भारत के कंधे से कंधा मिलाये खड़ा है|

   मान्यवर, हौसला रखिये, अपनी अपनी जगह अपने कर्तव्य का निष्ठापूर्वक पालन करते रहें और गर्व से मुस्कारते हुए एक बार तो कह दीजिये कि – “भगवान, आपका लाख लाख आभार, जो आपने हमें भारत में पैदा किया”|   

मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

आखिर संघ क्यों चुप है ?

   ज -  मैं जब सुबह सुबह घूमने निकला, तो सामने से एक परिचित किन्तु पक्के कर्मकांडी हिन्दू महानुभाव भी साथ हो लिये ।


देश-विदेश की चर्चा एवं राजनीतिक चर्चा आजकल प्रिय विषय है ही तो वह बन्धु चर्चा करते करते कश्मीर से कैराना व केरल से बंगाल तक मानसिक व वाचालिक भ्रमण करने लगे ।

मैं चुप हो उनकी सुन रहा था 

तभी अचानक बोले -

वहां इन स्थानों पर हिन्दू परेशान है, आखिर संघ क्यों चुप है इस मामले में, आखिर संघ कर क्या रहा है ?*

अब तो मुझे जवाब देना ही पड़ा-

मैंने कहा-संघ क्या है ?

बोले-हिन्दुओं का संगठन ।

मैं बोला-तो आप हिन्दू हैं ?

वह बोले-कैसा प्रश्न है यह आपका, मैं कट्टर सनातन हिन्दू हूं ।

तब मैंने कहा-तो क्या आप जुड़े हैं संघ से

वह बोले.. नहीं तो ।

तब मैंने पूछा-आपका बेटा-पोता, नाती या परिवारीजन कोई रिश्तेदार जुड़ा है क्या? 

तब बोले-नहीं कोई नहीं ।

बेटा नौकरी पर है फुर्सत नहीं मिलती उसे ।

पोता-नाती विदेश में सैटल हो चुके हैं ।

रिश्तेदार बड़े व्यवसायी हैं, उसी में व्यस्त हैं व शेष घर पर ही रहते हैं और बच्चों को तो कोचिंग से फुर्सत नहीं मिलती ।

मैंने कहा-इसका मतलब यह हुआ कि संघ आपके व आपके परिवार व रिश्तेदारों को छोड़कर शेष अन्य हिन्दुओं का संगठन है ।

वह चिढ़कर बोले-

आज शर्मा जी,

क्या हुआ है आपको- 

कैसी बात कर रहे हो आप । अरे भाई ऐसी स्थिति मेरी अकेले की थोड़े है ? देश में 90% लोग ऐसे हैं-  जिनको अपने काम से फुर्सत ही नहीं मिलती। तो यह आप केवल मुझ पर ही क्यों इशारा कर रहे हो आप? काम ही तो पूजा है, काम नहीं करेंगे तो देश कैसे चलेगा ?

मैंने फिर कहा- तो मतलब आपके हिसाब से संघ से केवल 10% हिन्दू लोग ही जुड़े हैं? 

वह बोले-जी नहीं साहब-मेरे वार्ड में रहते सारे हिन्दू ही हैं, कुल 10000 की जनसंख्या है वार्ड में हिन्दुओं की ।

पर सुबह सुबह देखता हूं, बस रोज तो उसमें से भी केवल 15-20 लोग ही नजर आते हैं संघ की शाखा में, 

बाकी कभी उत्सव त्योहार पर ही नजर आते हैं ।

मैंने पूछ लिया-कि कभी जाकर मिले उनसे? 

बोले-नहीं..

कभी उनकी कोई मदद की? 

बोले-नहीं ।

कभी उनके उत्सवों कार्यक्रमों में भागीदारी की ?

बोले-नहीं ।

तो फिर आप की संघ से यह सारी अपेक्षा क्यों ?

(मैं -भी तो खीझ गया था अन्दर से) आखिर बोल ही पड़ा-

तो ठेका लिया है संघ ने आप जैसे हिन्दुओं का ?

क्या वह संघ के सारे लोग बेरोजगार हैं ?

उनके पास अपना काम नहीं है या उनका अपना कोई परिवार नहीं है ?

आप तो अपने व्यवसाय व परिवार की चिन्ता करें बस 

और वह अपने व्यवसाय व परिवार की भी चिन्ता न करें व साथ में आप जैसे अकर्मण्य, एकाकी आत्मकेंद्रित हिन्दुओं की भी चिन्ता करें ?

यह केवल उनसे ही क्यों चाहते हैं आप ?

क्योंकि वह भारतमाता कि जय बोलते हैं, देश से प्यार करते हैं, 

वन्देमातरम् कहते हैं ।

क्या यह करना गुनाह है उनका? इसलिये उन से आप यह जजिया वसूलना चाहते हैं ।

जो आप सभी समर्थ होकर भी नहीं करना चाहते वह सब कुछ वह करें ।

वही कश्मीर, कैराना व बंगाल तथा आप जैसों की चिन्ता करें।

देश व समाज की हर तरह की आपदा व संकटों में वही अपना श्रम या धन व जीवन तक बलिदान करें ।

उनको क्यों आपकी तरह मूक या तटस्थ बने रहने का हक नहीं है ?

क्यों वही अपना घर, परिवार सब छोड़कर केवल आप जैसों के लिये ही जियें ?

कभी सोचा-

कि जब वह आप से चाहते हैं कि आप उनको बल दो, साथ दो, समर्थन दो उन्हें ऐसे 10% पर ही अकेला मत छोडो ।तब आप उनको निठल्ला-फालतू व पागल समझ कर उनकी उपेक्षा करते हो ।

और इतना ही नहीं उन्हें साम्प्रदायिक कह कर गाली देते हो, अपने को सेक्यूलर मानकर अपनी शेखी बघारते हो ।

केवल अपने घर-परिवार-व्यवसाय को प्राथमिकता देते हो तथा अपने बच्चों का भविष्य बनाने में ही जुटे रहते हो। 

अगर वह हिन्दू संगठन वाले हैं, तो आप जैसे भी तो सारे हिन्दू ही हैं ।

तो जो कर्तव्य उनका बनता है वह आपका क्यों नहीं बनता? बस जरा यह तो स्पष्ट करें, 

कि क्या वही हिन्दू हैं आप हिन्दू नहीं है सर? 

स्मरण करो- भगतसिंह को फांसी केवल इसलिये हुई थी एवं आजाद को भी इसीलिये अकेले लड़कर मौत को गले लगाना पड़ा था- क्योंकि

अगर यह आप जैसे शेष 90% हिन्दू *हमें क्या करना* कहकर सोये हुये ना होते - यह आप जैसे 90% हिन्दू आत्मकेन्द्रित हो हमें क्या फर्क पड़ता है कहकर न जी रहे होते 

उनके तब खुलकर समर्थन में आये होते, 

तो उनको फांसी देने या मार सकने जितनी हिम्मत या औकात तब भी अग्रेजों में थी नहीं ।

अगर तब यह 90 % हिन्दू आपकी तरह तमाशा ना देखते, कभी इकठ्ठे होकर केवल एक बार अयोध्या पहुंच कर  जय श्रीराम बोल देते

तो यूं राम मन्दिर के लिये 550 साल इन्तजार ही नहीं करना पडता ।

अगर आप जैसे हिन्दू 1947 के बंटवारे के खिलाफ जमकर लामबंद होते तो बंटवारा मान सके यह तो दूर की बात है चर्चा भी कर सकें इतनी दम नेहरू गांधी में थी ही नहीं । न ही महज 30000 अंग्रेज तब 30 करोड़ भारतीयों पर 200 साल तक राज कर सकते थे, ना हमें लूट सकते थे ।

ताजा उदाहरण देख लीजिये यूक्रेन का 

विश्व का बलशाली देश रूस, उन यूक्रेन वासियों की एकजुटता से पस्त है, सामरिक दृष्टि से अति कमजोर यूक्रेन को 3-4 घंटों में परास्त करने के रूस के सपने काफूर हो चुके हैं ।

33 दिन से झक मार रहा है । जन विध्वंस पर उतर आया है पर हरा न सका । 

जबकि कल तक का मसखरा वहां का राष्ट्रपति न योग्य है न अनुभवी । पर जन समाज एक जुट है तो परिणाम सामने है ।

भाई जी-आपकी बात से तो मैं एक बात समझा हूं-

कि देश में दो तरह के हिन्दू हैं-एक संघ वाले हिन्दू, दूसरे संघ की पूरी उपेक्षा या राजनैतिक कारणों से विरोध करने वाले हिन्दू, अपने काम व्यवसाय व लाभ  के लिये ही जुटे रहने वाले हिन्दू । और यह दूसरी तरह के हिन्दू ही आपकी ही तरह इतने बेशर्म हैं कि कभी भी पहली तरह के हिन्दुओं का कोई साथ देते नहीं न ही कोई अपने देश व समाज के प्रति कर्तव्य वहन करते हैं । पर जरूरत पड़ने पर संघ वाले हिन्दुओं से ऐसी अपेक्षा जरूर करते हैं ।

जैसे कि वह आपके जैसों के कोई जर खरीद या वेतन भोगी गुलाम हों । आपकी दया व सहायता पर ही वह पल बढ़ रहे हों ।

या कि जैसे देश की सारी समस्यायें उन्हीं ने पैदा की हो तो वही जाकर समाधान करें ।

क्या मतलब है आपका मिस्टर कर्मकांडी जी ?

संगठन किसी चिड़िया का नाम नहीं होता, 

समाज के सभी लोग एक विचार व व्यवहार के साथ इकट्ठे हों -इकठ्ठे होकर सोचें -इकठ्ठे होकर कर्म करें उसे संगठन कहते हैं -

त्याग तपस्या व बलिदान की भावना से ओतप्रोत होकर जन जन उस संगठन से जुड़ें-तब फिर उस समाज को उस संगठन से अपेक्षित परिणाम की आशा करनी चाहिये वर्ना नहीं ।

आज ऐसा न करके आप जैसे बेवकूफी तो कर ही रहे हैं, ऊपर से फिर कोस कोस कर तो अपना दिमागी दिवालियापन ही दिखा रहे हैं और केवल विरोधी ही नहीं- जिन पर सत्य को सबके सामने रखने की जिम्मेदारी है, वह मीडिया भी ऐसे शाब्दिक पाखंड से अछूता नहीं है ।

तो श्रीमान इसीलिये शान्त है संघ ।

किसी ने यह सही कहा है कि-

रहिमन तहां न बोलिये  , जहां हैं बहरे लोग ।

इस मछली बाजार में,   बिके ना मोहन भोग ।।

और वह मेरे भाई- कोई जवाब ना देकर अपने घर में घुस गये क्योंकि उनका तो फिर घर आ गया था! !

(अनुभव है- यह कल्पना नहीं-)

रविवार, 3 अप्रैल 2022

मैथिलि भाषा के लेल दिल्ली सरकार से मांग केएल जायत जे दिल्ली के स्कूल में मैथिलि भाषा के पढाई चालू कइल जय



      पूर्व निर्धारित समय के अनुसार  दिनांक 03 .04 .2022 के अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद के वैसार ए-581 /3 बी न्यू अशोक नगर दिल्ली में , श्री रवि सिंह महासचिव के सञ्चालन में एवं श्री रामचंद्र झा जी के अधक्ष्यता में आयोजन भेल   ,                              जाहि में निम्लिखित विन्दु पर चर्चा भेल जाहि में आय साल बाबा विद्यापति पर्व समाहरोह के आयोजन केएल जायत एवं मैथिलि भाषा के लेल दिल्ली सरकार से  मांग केएल जायत जे दिल्ली के स्कूल में मैथिलि भाषा के पढाई चालू कइल जय एवं दिल्ली एनसीआर के सव मैथिल के एक जुट केनाई एवं संस्था के पदाधिकारी के विस्तार पर चर्चा भेल जाहि में संस्था के अध्यक्ष शैलेन्द्र मिश्रा जी अपन बात रखलैत जे 2022 में बाबा विद्यापति स्मृत पर्व समाहरोह के आयोजन होयत , अगला वैसार में जगह एवं समय के घोषणा होयत एवं मैथिलि भाषा के दिल्ली स्कूल में लागु के लेल बहुत जल्द एक संस्था के पदाधिकरी दिल्ली के मुख्य मंत्री एवं उपमुख्य मंत्री से मुलाकात करत और मांग करत जे मैथिलि भाषा के जल्द दिल्ली स्कूल में पढाई चालू कइल जय अगर बात नै बनत  त बहुत जल्द दिल्ली सचिवालय के घेराव क धरना देल जायत ,                                                     दिल्ली एनसीआर के सव मैथिल के एक जुट होय के लेल आवाहन कइल गेल और सव संस्था के सेहो एक साथ आबै के लेल आवाहन सेहो भेल  , काफी संस्था एक जगह आवि गेल छैथ और सव के एक साथ लके अपन मैथिलि के हर मांग के लेल संघर्ष कइल जायत एवं दिल्ली सरकार से मांग कइल जायत जे अशोक नगर मेट्रो स्टेशन के नाम बाबा विद्यापति जी के नाम पर कइल जय एवं अध्यक्ष शैलेन्द्र मिश्रा जी कहलैत जे अपन मैथिलि भाषा के बचबैक लेल श्री चंद्र मोहन झा के माध्यम से नोएडा में मैथिलि आबाज अख़बार एवं मिथिला मिलन प्रत्रिका के सुरुवात मैथिलि में भेल एनसीआर में जतेक मैथिल रहै छैथ हर के पास पहुचक चाही जय से हर मैथिल अपन भाषा के बारे में जानकारी रहत एकर अभियान सुरु अछि सव अपन अपन विचार रखलैत एवं संस्था के विस्तार सेहो भेल ,                                                                                          महिला कार्यकारणी के सेहो गठन  भेल जाहि में श्री मति रागिनी सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मति रागिनी तिवारी को महासचिव श्री मति बिभा मिश्रा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री मति सुधा मिश्रा को उत्तराखंड के अध्यक्ष श्री मति अणु कुमारी को महाराष्ट्र के अध्यक्ष श्री मति संजू झा को उतर प्रदेश श्री मति संतोष सिंह ,रेखा ,रानी देवी के कार्यकारणी में राखल गेल एवं एवं श्री मति रागिनी सिंह के महिला टीम के विस्तार के लेल जिम्मेदारी देल गेल ,                                                                   कार्यकारणी के विस्तार कैल गेल जाहि में शैलेन्द्र मिश्रा अध्यक्ष  रवि सिंह महासचिव एवं निशांत झा  जी के मिडिया प्रभारी श्री रामचंद्र झा ,धर्मेंद्र झा ,विजय झा आज़ाद ,सचिन्द्र चौधरी ,अमरनाथ झा ,पंकज कुमार झा विनय कुमार झा ,अमोद चौधरी के उपाध्यक्ष एवं दीपक कुमार मिश्रा ,मोहन जी झा ,धीरज झा ,विद्यानंद चौधरी ,मुन्ना झा ,मनोहर चौधरी ,त्रिपुरी झा ,के सचिव एवं प्रेमचंद्र झा एवं डॉ प्रशून कुमार झा को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनायल गेल एवं प्रेम शंकर झा के संपादक बनायल गेल कृष्ण गोपाल के कोषाध्यक्ष और विस्तार के लेल अध्यक्ष शैलेन्द्र मिश्रा जी के अधिकृत कैल गेल सव नया पदाधिकारी के अध्यक्ष जी फूल के माला से स्वागत केलैथ  

जय मिथिला जय मैथिलि