dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

सकारात्मकता

    सकारात्मकता खुशबू की तरह है, जो हमें ही नहीं, पूरे वातावरण को महका देती है। डर और आशंकाओं को मन से निकाल कर यदि हम सकारात्मक सोचें तो हमारा पूरा परिवेश खुशियों की महक से भर जाएगा...

लोककथा है। गर्मी और थकान से हारा एक मुसाफिर एक छायादार वृक्ष के नीचे बैठ गया। संयोग से वह जिस पेड़ के नीचे बैठा, वह कल्पवृक्ष था। कथाओं में कल्पवृक्ष एक मिथक है, माना जाता है कि उसके नीचे बैठ कर जो

  कल्पना की जाए, वह फलीभूत होती है।वहां बैठकर उसने सोचा कि काश, कहीं से खाने को कुछ मिल जाता। अचानक उसके सामने भोजन अवतरित हो गया। उसने पानी के बारे में सोचा तो पानी उपस्थित हो गया। उसने पेट भरकर खाना खाया और पानी पिया..। खा-पीकर वह सोचने लगा, कहींइस पेड़ पर कोई प्रेत तो नहीं रहता,जिसने यह चमत्कार किया। उसके मन में डर बैठ गया। वह सोचने लगा कि अगर प्रेत है, तब तो वह मुझे खा जाएगा। उसने यह सोचा ही था कि पेड़ से कूदकर एक प्रेत उसे खा गया..।

हमारी लोक कथाएं हमें संदेश देने के लिए बनाई गई हैं। यह कहानी संदेश देती है कि मन में हम जैसे विचार लाएंगे, उसका वैसा ही असर होगा। यदि हम सकारात्मक सोचेंगे, तो उसकी प्रतिक्रिया भी सकारात्मक ही होगी। यह स्वयंसिद्ध बात भी है, क्योंकि अक्सर सकारात्मक रहने वाले लोगों को खुश और नकारात्मक सोच रखने वालों को अक्सर दुखी देखा जाता है।

दरअसल, हमारा मन हमारी सोच से पूरी तरह प्रभावित हो जाता है। हमारी सोच जैसी भी होती है, वह हमारे चेहरे पर, हमारे व्यवहार में, हमारे कार्र्यों में दिखने लगती है। यदि हमारे भीतर डर और आशंकाओं की आमद हो चुकी है, तो वह हमारी आंखों के जरिये, हमारे माथे की शिकन में, हमारी बातों में, हमारे कामों में दिखेंगी। हम डर और आशंकाओं को पूरी तरह जीने लगेंगे और कभी भी खुश नहीं रह पाएंगे। हमेशा हम भयभीत और नकारात्मक बने

रहेंगे। डर का प्रेत हमें वाकई धीरे-धीरे खा ही जाएगा। सिर्फ डर ही नहीं, कोई भी नकारात्मक विचार यदि हम मन में बैठा लें, तो वह हमें पूरी तरह नकारात्मक बना देता है। यह नकारात्मक छवि हमें लोगों से दूर कर देती है। वहीं सकारात्मक विचार हमें लोगों से जोड़ते हैं, दूसरों की मदद करने को प्रेरित करते हैं, हमें लोकप्रियता देते हैं और व्यक्तित्व में भी निखार लाते हैं।

हमारी सोच का प्रभाव सिर्फ हम पर नहीं, दूसरों पर भी पड़ता है। यदि नकारात्मक विचारों से हमारा मुख म्लान है, हमारे चेहरे पर गुस्सा या दुख है, तो दूसरों को भी हमारा यह रूप पसंद नहीं आता। लोग हमसे दूर भागने लगते हैं। वहीं, जब हम एक मुस्कराहट के साथ लोगों के बीच जाते हैं, तो हमारा स्वागत गर्मजोशी से होता है और हमारी सकारात्मक सोच दूसरों को प्रभावित करती है। जितने भी लोकप्रिय लोग है, उन्होंने सकारात्मक सोच से ही अपने चेहरे पर तेज पैदा किया है। दरअसल, सकारात्मक सोच हमें लोगों से जोड़कर लोकहित के काम करने के लिए प्रेरित करती है।

भारतीय दर्शन मानता है कि हमारे सभी कर्मों का कारण मन है। अच्छा या बुरा कोई भी काम करने से पहले हमें मन

से स्वीकृति लेनी पड़ती है। अमृतबिंदु उपनिषद में कहा गया है, मन एव मनुष्याणां कारणं बंधमोक्षयो: अर्थात, मन बंधन का भी कारण है और मोक्ष का भी। मन के परिष्कृत हो जाने से या उसमें सकारात्मक ऊर्जा भर जाने से स्वत: ही दया, करुणा, उदारता, सेवा, परोपकार जैसे सद्गुणों का उदय हो जाता है। हमारा मन सकारात्मक विचारों के प्रवाह

से ही परिष्कृत होता है। मन में बैठा हुआ डर हमें हमारी सोच या कल्पना के अनुसार ही फल देने लगता है। कई बार लोगों को‌ भूत-प्रेत दिखाई देने लगते हैं, जबकि वैज्ञानिक युग में उनका कोई अस्तित्व नहीं माना जाता। यह उसी सोच और कल्पना का प्रभाव है कि जो है ही नहीं, उसे भी

हम देखने लगते हैं। मनोविकारों से बचने के लिए हमें सृजनात्मक और सकारात्मक सोच अपनानी होगी। ऐसा करने से हमें सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। 

भगवानश्रीकृष्ण ने गीता में कहा है, जिसका मन वश में है, राग-द्वेष से रहित है, वह स्थायी प्रसन्नता प्राप्त करता है। जो व्यक्ति मन को वश में कर लेता है, उसी को कर्मयोगी 

कहा जाता है।

गौतम बुद्ध ने कहा था, मन को मारने से इच्छाएं नहीं मरती, इसलिए मन को मारने की नहीं, उसे साधने की जरूरत है।

मन को साधने का अर्थ यही है कि वह नकारात्मकता से प्रेरित न हो। इसका यही उपाय है कि मन को सकारात्मक विचारों की खुराक दी जाए, ताकि डर, आशंकाएं और नकारात्मक विचारों का प्रवाह रुक जाए और हम सदैव प्रसन्न, सुखी और मानवता की सेवा करने वाले बने रहें। 

मंगलवार, 24 अक्तूबर 2023

रामायण में वर्णित मुख्य स्थान

 रामायण में वर्णित मुख्य स्थान....


1. तमसानदी : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर उन्होंने नाव से नदी पार की।

2. श्रृंगवेरपुरतीर्थ : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था। श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है।

3. कुरईगांव : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे।

4. प्रयाग: कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। कुछ महीने पहले तक प्रयाग को इलाहाबाद कहा जाता था ।

5. चित्रकूट : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। चित्रकूट वह स्थान है, जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते हैं। तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भारत यहां से राम की चरण पादुका ले जाकर उनकी चरण पादुका रखकर राज्य करते हैं।

6. सतना : चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था। हालांकि अनुसूइया पति महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहा करते थे, लेकिन सतना में 'रामवन' नामक स्थान पर भी श्रीराम रुके थे, जहां ऋषि अत्रि का एक ओर आश्रम था।

7. दंडकारण्य : चित्रकूट से निकलकर श्रीराम घने वन में पहुंच गए। असल में यहीं था उनका वनवास। इस वन को उस काल में दंडकारण्य कहा जाता था। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर दंडकाराण्य था। दंडकारण्य में छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आंध्रप्रदेश राज्यों के अधिकतर हिस्से शामिल हैं। दरअसल, उड़ीसा की महानदी के इस पास से गोदावरी तक दंडकारण्य का क्षेत्र फैला हुआ था। इसी दंडकारण्य का ही हिस्सा है आंध्रप्रदेश का एक शहर भद्राचलम। गोदावरी नदी के तट पर बसा यह शहर सीता-रामचंद्र मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भद्रगिरि पर्वत पर है। कहा जाता है कि श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान कुछ दिन इस भद्रगिरि पर्वत पर ही बिताए थे। स्थानीय मान्यता के मुताबिक दंडकारण्य के आकाश में ही रावण और जटायु का युद्ध हुआ था और जटायु के कुछ अंग दंडकारण्य में आ गिरे थे। ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में सिर्फ यहीं पर जटायु का एकमात्र मंदिर है।

8. पंचवटीनासिक : दण्डकारण्य में मुनियों के आश्रमों में रहने के बाद श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम गए। यह आश्रम नासिक के पंचवटी क्षे‍त्र में है जो गोदावरी नदी के किनारे बसा है। यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी। राम-लक्ष्मण ने खर व दूषण के साथ युद्ध किया था। गिद्धराज जटायु से श्रीराम की मैत्री भी यहीं हुई थी। वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड में पंचवटी का मनोहर वर्णन मिलता है।

9. सर्वतीर्थ : नासिक क्षेत्र में शूर्पणखा, मारीच और खर व दूषण के वध के बाद ही रावण ने सीता का हरण किया और जटायु का भी वध किया था जिसकी स्मृति नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में 'सर्वतीर्थ' नामक स्थान पर आज भी संरक्षित है। जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पर हुई, जो नासिक जिले के इगतपुरी तहसील के ताकेड गांव में मौजूद है। इस स्थान को सर्वतीर्थ इसलिए कहा गया, क्योंकि यहीं पर मरणासन्न जटायु ने सीता माता के बारे में बताया। रामजी ने यहां जटायु का अंतिम संस्कार करके पिता और जटायु का श्राद्ध-तर्पण किया था। इसी तीर्थ पर लक्ष्मण रेखा थी।

10. पर्णशाला : पर्णशाला आंध्रप्रदेश में खम्माम जिले के भद्राचलम में स्थित है। रामालय से लगभग 1 घंटे की दूरी पर स्थित पर्णशाला को 'पनशाला' या 'पनसाला' भी कहते हैं। पर्णशाला गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहां से सीताजी का हरण हुआ था। हालांकि कुछ मानते हैं कि इस स्थान पर रावण ने अपना विमान उतारा था। इस स्थल से ही रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बिठाया था यानी सीताजी ने धरती यहां छोड़ी थी। इसी से वास्तविक हरण का स्थल यह माना जाता है। यहां पर राम-सीता का प्राचीन मंदिर है।

11. तुंगभद्रा : सर्वतीर्थ और पर्णशाला के बाद श्रीराम-लक्ष्मण सीता की खोज में तुंगभद्रा तथा कावेरी नदियों के क्षेत्र में पहुंच गए। तुंगभद्रा एवं कावेरी नदी क्षेत्रों के अनेक स्थलों पर वे सीता की खोज में गए।

12. शबरी का आश्रम :  तुंगभद्रा और कावेरी नदी को पार करते हुए राम और लक्ष्‍मण चले सीता की खोज में। जटायु और कबंध से मिलने के पश्‍चात वे ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे। रास्ते में वे पम्पा नदी के पास शबरी आश्रम भी गए, जो आजकल केरल में स्थित है। शबरी जाति से भीलनी थीं और उनका नाम था श्रमणा। 'पम्पा' तुंगभद्रा नदी का पुराना नाम है। इसी नदी के किनारे पर हम्पी बसा हुआ है।

पौराणिक ग्रंथ 'रामायण' में हम्पी का उल्लेख वानर राज्य किष्किंधा की राजधानी के तौर पर किया गया है। केरल का प्रसिद्ध 'सबरिमलय मंदिर' तीर्थ इसी नदी के तट पर स्थित है।

13. ऋष्यमूक पर्वत : मलय पर्वत और चंदन वनों को पार


करते हुए वे ऋष्यमूक पर्वत की ओर बढ़े। यहां उन्होंने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की, सीता के आभूषणों को देखा और श्रीराम ने बाली का वध किया। ऋष्यमूक पर्वत वाल्मीकि रामायण में वर्णित वानरों की राजधानी किष्किंधा के निकट स्थित था। ऋष्यमूक पर्वत तथा किष्किंधा नगर कर्नाटक के हम्पी, जिला बेल्लारी में स्थित है। पास की पहाड़ी को 'मतंग पर्वत' माना जाता है। इसी पर्वत पर मतंग ऋषि का आश्रम था जो हनुमानजी के गुरु थे।

14. कोडीकरई : हनुमान और सुग्रीव से मिलने के बाद श्रीराम ने वानर सेना का गठन किया और लंका की ओर चल पड़े। तमिलनाडु की एक लंबी तटरेखा है, जो लगभग 1,000 किमी तक विस्‍तारित है। कोडीकरई समुद्र तट वेलांकनी के दक्षिण में स्थित है, जो पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में पाल्‍क स्‍ट्रेट से घिरा हुआ है। यहां श्रीराम की सेना ने पड़ाव डाला और श्रीराम ने अपनी सेना को कोडीकरई में एकत्रित कर विचार विमर्ष किया। लेकिन राम की सेना ने उस स्थान के सर्वेक्षण के बाद जाना कि यहां से समुद्र को पार नहीं किया जा सकता और यह स्थान पुल बनाने के लिए उचित भी नहीं है, तब श्रीराम की सेना ने रामेश्वरम की ओर कूच किया।

15. रामेश्‍वरम : रामेश्‍वरम समुद्र तट एक शांत समुद्र तट है और यहां का छिछला पानी तैरने और सन बेदिंग के लिए आदर्श है। रामेश्‍वरम प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ केंद्र है। महाकाव्‍य रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है।

16. धनुषकोडी : वाल्मीकि के अनुसार तीन दिन की खोजबीन के बाद श्रीराम ने रामेश्वरम के आगे समुद्र में वह स्थान ढूंढ़ निकाला, जहां से आसानी से श्रीलंका पहुंचा जा सकता हो। उन्होंने नल और नील की मदद से उक्त स्थान से लंका तक का पुनर्निर्माण करने का फैसला लिया। धनुषकोडी भारत के तमिलनाडु राज्‍य के पूर्वी तट पर रामेश्वरम द्वीप के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक गांव है। धनुषकोडी पंबन के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। धनुषकोडी श्रीलंका में तलैमन्‍नार से करीब 18 मील पश्‍चिम में है।

इसका नाम धनुषकोडी इसलिए है कि यहां से श्रीलंका तक वानर सेना के माध्यम से नल और नील ने जो पुल (रामसेतु) बनाया था उसका आकार मार्ग धनुष के समान ही है। इन पूरे इलाकों को मन्नार समुद्री क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता है। धनुषकोडी ही भारत और श्रीलंका के बीच एकमात्र स्‍थलीय सीमा है, जहां समुद्र नदी की गहराई जितना है जिसमें कहीं-कहीं भूमि नजर आती है।

17.'  नुवारा एलिया' पर्वत श्रृंखला :

 वाल्मीकिय-रामायण अनुसार श्रीलंका के मध्य में रावण का महल था। 'नुवारा एलिया' पहाड़ियों से लगभग 90 किलोमीटर दूर बांद्रवेला की तरफ मध्य लंका की ऊंची पहाड़ियों के बीचोबीच सुरंगों तथा गुफाओं के भंवरजाल मिलते हैं। यहां ऐसे कई पुरातात्विक अवशेष मिलते हैं जिनकी कार्बन डेटिंग से इनका काल निकाला गया है।

श्रीलंका में नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास स्थित रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल आदि की पुरातात्विक जांच से इनके रामायण काल के होने की पुष्टि होती है। आजकल भी इन स्थानों की भौगोलिक विशेषताएं, जीव, वनस्पति तथा स्मारक आदि बिलकुल वैसे ही हैं जैसे कि रामायण में वर्णित किए गए है।। 

जय श्रीराम, 

सोमवार, 28 अगस्त 2023

रक्षाबंधन 2023 राखी बांधने का शुभ मुहूर्त



जानिए रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त :- पंचांग के अनुसार, इस साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की

पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 45 मिनट पर हो रहा है. 

रक्षाबंधन 2023 पर भद्रा का साया

इस साल 30 अगस्त को रक्षाबंधन पर भद्रा का साया है. राखी वाले दिन भद्रा सुबह 10 बजकर 58 मिनट से शुरू हो रही है और यह रात 09 बजकर 01 मिनट तक है. ऐसे में जब भद्रा खत्म होगी, तब राखी बांधा जा सकेगा. यह भद्रा पृथ्वी लोक की है, इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं.

रक्षा बंधन का पर्व प्रत्येक वर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार पुरे विश्वभर में मनाया जाने वाला एक ऐसा पर्व है जो अपने साथ भाई बहनों के प्यार को स्नेहरुपी धागों में जन्मजन्मांतर तक बांध के रखता है,भाई -बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है यह पर्व।

30 अगस्त 2023 के दिन  भद्रा का साया रहेगा 

रक्षाबंधन भद्रा पूँछ - शाम 05:30 - शाम 06:31

रक्षाबंधन भद्रा मुख - शाम 06:31 - रात 08:11

रक्षाबंधन भद्रा का अंत समय - रात 09:02

रक्षाबंधन 2023 राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

30 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त रात 09:01 बजे से रात्रि 11:30 तक .

31 अगस्त को सूर्योदय से प्रातः 7:45 तक शुभ मुहूर्त। 

उदया तिथि के अनुसार 31 अगस्त को सुबह से पूरे दिन तक रक्षाबंधन मनाया जा सकता है। 

तिथि दो प्रकार की होती है 

एक वह जो सूर्य-चंद्र के भोग्यांश प्रति 12 अंश पर सुनिश्चित कर के पंचांग में प्रतिदिन समय के साथ लिख दिया जाता है। 

दूसरी वह तिथि होती है जिसे उदया तिथि के नाम से जानते है या साकल्यापादिता तिथि के नाम से जाना जाता है। 

ध्यान रहे :-उदया तिथि या साकल्यापादिता तिथि सूर्योदय के बाद चाहे जितनी हो, वह तिथि उस दिन व्रत,पूजा आदि के लिए मान्य होती है और पुण्यकाल प्रदान करने वाली होती है, उदया तिथि सूर्योदय से चाहे एक घाटी हो या आधी घटी हो वह पुरे दिन मान्य होती है। 

रक्षाबंधन के त्योहार को प्रभावशाली बनाने के लिए वेद मन्त्र का उच्चारणः करते हुए राखी बांधे , जिससे भाई बहन का पवित्र रिस्ता कायम रहे ,

आज के दिन सभी भाइयों को अपनी बहन के साथ सभी बहनो की रक्षा करने का संकल्प लेना चाहिए , जिससे समाज में माताए बहने आजादी से अपना कार्य कर सके।

राखी बांधते समय करें इस मंत्र का उच्चारण :-

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥

भविष्यपुराण के अनुसार इन्द्राणी द्वारा निर्मित रक्षासूत्र को देवगुरु बृहस्पति ने इन्द्र के हाथों बांधते हुए निम्नलिखित मंत्र के द्वारा रक्षाबन्धन बाँधा था।

इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- "जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)"

अधिक जानकारी के लिए निचे दिए गए नंबर पर संपर्क करे 

9227204176

राधा मोहन पांडे 

बुधवार, 16 अगस्त 2023

कौन कहता है की कांग्रेस ने पिछले 65 सालों में कुछ काम नही किया ? बहुत किया

 इतिहास ज्ञात होना चाहिए -: अधाधुंध कांग्रेस की आलोचना करते जाना ठीक नहीं है। कांग्रेस की उपलब्धियां भी जाननी चाहिए और देखिए।

कौन कहता है की कांग्रेस ने पिछले 65 सालों में कुछ काम नही किया ? बहुत किया, लेकिन मुसलमानों के लिए ?

• पाकिस्तान बनाया, मुसलमानों के लिए,

• बांग्लादेश बना,  मुसलमानों के लिए,

• धारा ३७० लागू हुई, मुसलमानों के लिए।

• अल्पसंख्यंक बिल आया, मुसलमानों के लिए।

• मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बना, मुसलमानों के लिए।

• अल्पसंख्यंक मंत्रालय बना, मुसलमानों के लिए।

• वक़्फ़ बोर्ड बनाया, मुसलमानों के लिए।

• अल्पसंख्यंक विश्वविद्यालय बना, मुसलमानों के लिए।

• देश का बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ, मुसलमानों के लिए।

• Places of worship Act लाये,  मुसलमानों के लिए।

• Anti communal violence bill दो बारी संसद में पेश किया परंतु BJP ने पास नहीं होने दिया,  वो बिल भी मुसलमानों के लिए और कहीं अगर यह बिल पास हो जाता तो हिंदुओं को ख़त्म होने में मात्र 10 साल लगते ?  यदि किसी को कोई शक हो तो google पर जाकर पढ़ सकता है। • देश को चुपचाप इस्लामिक देश बनाने की तैयारी कांग्रेस ने की थी, और हिंदूओं के लिए सिर्फ आरक्षण दिया, ताकि हिंदू समाज सदा आपस मे लड़ता रहे और कभी गजवा-ए-हिन्द को समझ ही न पाये ।

हिंदूओं को दुय्यम, दोयम ( second rate citizen) नागरिक बनाने के लिए - हिंदू कोड बिल लाये, तो वो भी मुसलमानों के लिए,

कभी - कभी मन करता है कि पोस्ट ही ना करूं ?  फिर ख्याल आता है कि पढेगा भारत, तभी तो कांग्रेसियों की छाती पे चढ़ेगा भारत ? इस पोस्ट को पढ़कर कुछ समझ आया तो अधिक से अधिक लोगों तक क्या पोस्ट पहुंचने में सहयोग करें।

जय श्री राम  - राधे राधे गोविन्दा 

मंगलवार, 15 अगस्त 2023

कुछ सच जो 1947 से आज तक कानूनन हम हिन्दुस्तानियों से छिपाकर रखे गए (Transfer of Power Agreement. )



    प्रत्येक भारतीय को यह जानना आवश्यक है की आखिर क्यों 2024 में  मोदी जी को सत्ता में लाना हम भारतीयों के लिए अति आवश्यक है जान कर होश उड़ जायेंगे 

       कुछ सच जो 1947 से आज तक कानूनन हम हिन्दुस्तानियों से छिपाकर रखे गए,आजादी के समय कुकर्मी नेहरू और गाँधी ने जल्दी सत्ता पाने की लालच में अंग्रेजो के साथ Transfer  of  Power Agreement. गोपनीय समझौता साइन किया

         जिसकी शर्त ये है की 1947 से 50 वर्षों तक भारत इस पेपर को सार्वजनिक नहीं कर सकता और इसमें संसोधन का अधिकार भारतीय संविधान के अनुसार भारतीय संसद, प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पास भी नहीं है,संविधान अनुच्छेदों 366, 371, 372, 395

*जिसके कुछ भयानक तथ्य*

*क्या आप जानते हैं कि 1947 से आज तक हमारे देश से प्रतिवर्ष 10 अरब रुपये पेंशन  महारानी एलिजाबेथ को आज भी जाती है।

*समझौते के तहद भारत आजतक प्रति वर्ष 30 हजार टन गौ-माँस ब्रिटेन को देने के लिए बाध्य है।

*भारत अपना एंबेसडर (राजदूत) जापान,चीन, रूस जैसे देशों में नियुक्त करता है…लेकिन श्रीलंका,पाकिस्तान,कनाडा,आस्ट्रेलिया इन देशों में राजदूत नही केवल हाईकमिश्नर (उच्चायुक्त) ही नियुक्त कर सकता है.आखिर ऐसा क्यों.?

*आखिर भारत समेत 54 देशों को कॉमनवेल्थ कंट्री के नाम से क्यों जाना जाता है, इंडिपेंडेंट नेशन के नाम से क्यों नहीं?*

        कॉमनवेल्थ का अर्थ होता है,"सयुंक्त सम्पत्ति" Joint Propertyब्रिटिश नैशनैलिटीअधिनियम 1948 के अन्तर्गत हर भारतीय,आस्ट्रेलियाई, कनेडियन,चाहे हिन्दू,मुसलमान ईसाई, बौद्ध, सिक्ख आज भी कानूनन ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ के ग़ुलाम हैं जो अब मर चुकी है तो अब उनकी जगह हम किंग चार्ल्स 3 के गुलाम हैं।

*सन् 1997 में इस Transfer  of  Power Agreement.गोपनीय समझौता के 50 साल पूरे होने से पहले ही इसको सार्वजनिक होने से रोकने हेतु विदेश एजेंट सोनिया माइनो ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्द्र कुमार गुजराल द्वारा इसकी अवधि 2024 तक बड़ा दी थी।

*अब 2024 में ये गोपनीय समझौता पुन: सार्वजनिक होने के डर से भारत विरोधी शक्तियां मोदी जी का विरोध कर रही हैं ताकि 2024 में भी यह सार्वजनिक न हो पाये और..* 

*हमारे देश से 10 अरब रुपये पेंशन प्रतिवर्ष ब्रिटेन जाता रहें।

*हमारे देश से प्रति वर्ष 30 हजार टन गौ-माँस ब्रिटेन जाता रहे और भी रहस्य झुपे है।

*स्वतन्त्र भारत का इतिहास गवाह है कि जब भी भारत में मजबूत नेता लाल बहादुर शास्त्री जी आए तो उनकी हत्या करवाई गई यह सभी को पता है…

*उन्हे ताशकंद में खाने में जहर दिया गया.. उनकी मौत,सुभाष चंद्र बोस की मौत आदि रहस्य बनकर रह गई..

*इसी तरह हमारी स्वतंत्रता भी एक रहस्य बनी है

       मेरे प्रिय सनातनी भारतवासियों से अपील है कि अपना निज स्वार्थ ऊंचनीच प्रांतवाद के सब भेदभाव मिटाकर देश धर्म और आनेवाली पीढ़ी की रक्षा, सुख शांति समृद्धि के लिए 2024 मे मोदी सरकार को भारी जनादेश से प्रधानमंत्री बनाना ही होगा..,इसे अपनी मजबूरी, लाचारी या समय की मांग कहें दूसरा कोई विकल्प ही नही है।

*वरना देश के दुश्मन गद्दार कांग्रेसी, वामपंथी, स्वार्थी भ्रष्टाचारी केजरी, ममता अखिलेश जैसे आतंकवादी टुकड़े टुकड़े गैंग समर्थक भारत को लूटकर बर्बाद कर देंगे या इस्लामिक देश बनाने की कगार पर खड़ा कर देगें।

इसीलिए ये चंद रुपयों में बिके हुए विपक्षी दल, न्यूज चैनल जी जान लगाकर जनता को गुमराह करके मोदी जी को बदनाम और रोकने की बेसब्री से कोशिश दिनरात कर रहे हैं…

अतः जागरूक रहें और हर भारतीय को उनकी वाली पीढ़ी को सुरछित जीवन देने के उद्देश्य से ये बात बताएं सावधान रहें, सतर्क रहें।

*हम भारतीयों के पास.मोदी लाओ देश बचाओ. के अलावा दूसरा कोई रास्ता ही नहीं।

      *सनातन एकता जिंदाबाद*

*इस संदेश को कम से कम पांच ग्रुप मैं जरूर भेजे*

*कुछ लोग नही भेजेंगे लेकिन मुझे यकीन है आप जरूर भेजेंग

मंगलवार, 8 अगस्त 2023

लघुकथा - रुबी झा मधुबनी

       भूषणक घरमे आय चारि दिन सँ चूल्हामे आँच नै पड़लैन। घरमे एको कनमा अन्न नै छलैन।पैन पीब क' दुनू बच्चा कें पाँजड़िमे साटि भूषणक कनिया सुति रहै छलैथि।आय बड़का बेटा (५)बड कानै लगलैन,और छोटका( २) कानैयो कें स्थितिमे नै छलैन ततेक कमजोर भँ गेल छलैन।भूषण सँ भूषनक कनियाँ कहलखिन्ह !यौय चलु ना   पीताम्बर बाबू कें खेतमे जन गेलैन्है धान काटैय लेल अपनो सब काटि आनब ।और बोइन जें हैत ओहि सँ चूल्हामे पजाड़ पड़त और बच्चा सब कें भूख शांत हैत।लागैया दुनू बच्चा कें अन्न बिना प्राण निकैल जैत।भूषण  बजला मइर जैब चारु प्राणी पेटमे पेट सटा कँ से मंजूर। लेकिन दोसरा कें खेतमे ब्राम्हण भँ कँ बोइन करय कोना जायब।लोक कि कहत ? समाज कि सोचत ?

कनिया कहलखिन्ह कियै ब्राम्हण भेनाय अभिशाप छै कि ?

भूखल-प्यासल घरमे प्राण त्यैग देब लेकिन किनको खेत मे काज करय नै जैब।लोक कि कहत, समाज कि सोचत ?

समाज हमरा खाय लेल द जायया कि ?

हमरा सँ तँ नीक फेकना अछि दुनू प्राणी बोइन करैया और बच्चा सब कें पोसैयै।

कनियाक बात सुनि भूषण मुरी झुकोने चुपचाप बैसल रहि गेलैथ।

नहिं किछु बजला आ नहिं हिलला!

आखिर ओ ब्राह्मण छलैथ कोना ककरो दोसरक खेतमे बोइन करऽ जैतैथ।

            इ जें मैथिल समाजक ढकोसलापन अछि ताहि कारणे सेहो अपने सब बहुत पाछु रैह गेलौंह।

और पलायन कें एकटा मुख्य कारण हमरा जनैत ईहो  अछि।

परदेशमे जा कँ हमसब सब काज करब,ठेली- रेरी लगायब,दोसरक घरमे काज करब।

लेकिन अपन गाम मे रहि कँ बबुआनी छाँटब।

रविवार, 16 जुलाई 2023

कौन कहता है की कांग्रेस ने पिछले 65 सालों में कुछ काम नही किया ?

 इतिहास ज्ञात होना चाहिए -: अधाधुंध कांग्रेस की आलोचना करते जाना ठीक नहीं है। कांग्रेस की उपलब्धियां भी जाननी चाहिए और देखिए।

कौन कहता है की कांग्रेस ने पिछले 65 सालों में कुछ काम नही किया ? बहुत किया, लेकिन मुसलमानों के लिए ?

• पाकिस्तान बनाया, मुसलमानों के लिए,

• बांग्लादेश बना,  मुसलमानों के लिए,

• धारा ३७० लागू हुई, मुसलमानों के लिए।

• अल्पसंख्यंक बिल आया, मुसलमानों के लिए।

• मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बना, मुसलमानों के लिए।

• अल्पसंख्यंक मंत्रालय बना, मुसलमानों के लिए।

• वक़्फ़ बोर्ड बनाया, मुसलमानों के लिए।

• अल्पसंख्यंक विश्वविद्यालय बना, मुसलमानों के लिए।

• देश का बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ, मुसलमानों के लिए।

• Places of worship Act लाये,  मुसलमानों के लिए।

• Anti communal violence bill दो बारी संसद में पेश किया परंतु BJP ने पास नहीं होने दिया,  वो बिल भी मुसलमानों के लिए और कहीं अगर यह बिल पास हो जाता तो हिंदुओं को ख़त्म होने में मात्र 10 साल लगते ?  यदि किसी को कोई शक हो तो google पर जाकर पढ़ सकता है। • देश को चुपचाप इस्लामिक देश बनाने की तैयारी कांग्रेस ने की थी, और हिंदूओं के लिए सिर्फ आरक्षण दिया, ताकि हिंदू समाज सदा आपस मे लड़ता रहे और कभी गजवा-ए-हिन्द को समझ ही न पाये ।

हिंदूओं को दुय्यम, दोयम ( second rate citizen) नागरिक बनाने के लिए - हिंदू कोड बिल लाये, तो वो भी मुसलमानों के लिए,

कभी - कभी मन करता है कि पोस्ट ही ना करूं ?  फिर ख्याल आता है कि पढेगा भारत, तभी तो कांग्रेसियों की छाती पे चढ़ेगा भारत ? इस पोस्ट को पढ़कर कुछ समझ आया तो अधिक से अधिक लोगों तक क्या पोस्ट पहुंचने में सहयोग करें।

जय श्री राम  राधे राधे गोविन्दा 

बुधवार, 14 जून 2023

ऐना कियाक ?

 


आइ भोरे भोर हम चिरपरिचित मिथिला-मैथिलक नेतृत्व जीक आग्रह पर हुनक पोती के उच्च शिक्षा हेतु मार्गदर्शन देबाक हेतु हुनक घर पहुँचलहुँ। घरक लहजा देखि दंग रहि गेलहुँ। घरक सात सदस्य में सँ एक्को गोट सदस्य केँ मैथिली बजैत नहिं पयलहुँ। सब के सब अंग्रेजी किंवा हिन्दी में बात कयलन्हिं। हम बीच-बीच में मैथिली बाजि अप्पन मैथिल होबाक परिचय देबऽ चाहलहुँ। मुदा हमर प्रयास बेकार भऽ गेल। स्वयं हमर सबहक मिथिलाक नेतृत्व जी बजलाह : " मैथिली नहिं अंग्रेजी में बुझाबक प्रयास करियौन।  इ सब मैथिली नहिं जनैत छथीन्ह।"

हमर मन बड्ड व्यथित भऽ गेल। नहिं रहल गेल।  पुछि बैसलयन्हि जे - ऐना कियाक ? आहाँ सनक मैथिली अनुरागी कियाक अपना बाल बच्चा के मैथिली सँ दूर रखने छी ?

आँखिक संकेत के माध्यम सँ किछु कहलथि । शायद ओ कहऽ चाहलथि जे - चुप रहू, किछु दिन आर जीबऽ दिय। हम मजबूर छी। शपथ खाऽ कऽ कहैत छी आब हम कोनो मिथिला-मैथिलक समारोह में नहिं जायब। हम पतित छी। हमरा माँफ कऽ दिय।

ओ प्रतिष्ठित व्यक्ति रुमाल सँ आँखि पोछथि घर में भागि गेलाह। हमर आँखि में सेहो नोर भरि गेल छल। कहुना अपना के सम्हारैत जे काज लेल गेल छलहुँ से पूरा कऽ यथाशीघ्र अप्पन घर वापस आबि गेलहुँ। किन्तु एक टा प्रश्न मन में बार बार एखनहुँ घुमि रहल अछि जे ऐना कियाक ?

डाॅ माया शंकर झा 'राष्ट्रभाषा-रत्न'

राष्ट्रीय अध्यक्ष 

मिथिला स्वराज्य अभियान मंच 

कोलकाता

शनिवार, 10 जून 2023

मोदी कौन है ?

 Binod Rai 

मोदी कौन है ?

इसका जवाब एक जानकार *राजनैतिक वैद्य* ने बड़ा सुंदर समझाया।

आयुर्वेद और मेडिकल सांईस में *शहद* को अमृत के समान माना गया हैं।

लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि शहद को अगर *कुत्ता* चाट ले तो वह मर जाता हैं। 

यानी जो मनुष्यों के लिये अमृत हैं वह शहद *कुत्तों* के लिये जहर है।

शुद्ध *देशी गाय के घी* को आयुर्वेद और मेडिकल सांईस औषधीय गुणों का भंडार मानता हैं।

मगर आश्चर्य, गंदगी से प्रसन्न रहने वाली *मक्खी* कभी शुद्ध देशी घी को नहीं खा सकती।

गलती से अगर *मक्खी* देशी घी पर बैठ कर चख भी ले तो वो तुरंत तड़प तड़प कर वहीं मर जाती है।

आर्युवेद में *मिश्री* को भी औषधीय और श्रेष्ठ मिष्ठान्न माना गया हैं।

लेकिन आश्चर्य, अगर *गधे* को एक डली मिश्री खिला दी जाए, तो कुछ समय में उसके प्राण पखेरू उड़ जाएंगे।

यह अमृत समान श्रेष्ठ मिष्ठान, मिश्री *गधा* कभी नहीं खा सकता हैं।

*नीम* के पेड़ पर लगने वाली पकी हुई निम्बोली में कई रोगों को हरने वाले औषधीय गुण होते हैं।

आयुर्वेद उसे *"उत्तम औषधि"* कहता हैं।

लेकिन रात दिन नीम के पेड़ पर रहने वाला *कौवा* अगर निम्बोली खा ले तो उस कौवे की मृत्यु निश्चित है।

मतलब, इस धरती पर ऐसा बहुत कुछ हैं... जो हमारे लिये अमृत समान हैं, गुणकारी है, औषधीय है... 

पर इस धरती पर ऐसे कुछ जीव ऐसे भी हैं जिनके लिये वही *अमृत... विष है।*

*मोदी वही गुणकारी अमृत औषधि है।*

लेकिन कुत्तों *(आतंकवादी-दंगाई),*

मक्खियों *(देशद्रोही-गंदगी),*

गधों *(वामपंथी सोच-राजनैतिक मूर्ख)*

और 

कौवों *(स्वार्थी कपटी मीडिया)* आदि के लिये... विष समान है।

इसलिये यह कुछ तत्व इतने भयभीत है

 *आपसे निवेदन करता हूं इस पोस्ट को  सभी ग्रुप मे भेजिये |        सादर धन्यवाद 

 *देश सर्वोपरि हे थोड़ा समय निकालकर  पोस्ट जरूर पढ़ें।   "मोदी हैं तो मुमकिन है।

  "योगी है तो हड़कंम्प है |


बुधवार, 7 जून 2023

अपने बच्चों को संवेदनशील बनाईए

 सामाजिक जीवन पर कुछ शायद सेवा विभाग एवं परिवार प्रबोधन के कुछ काम आए

कुछ माता-पिता बड़े समझदार होते हैं !

वे अपने बच्चों को किसी की भी मंगनी, विवाह, लगन, शवयात्रा, उठावना, तेरहवीं (पगड़ी) जैसे अवसरों पर नहीं भेजते,

 इसलिए की उनकी पढ़ाई में बाधा न हो!

उनके बच्चे किसी रिश्तेदार के यहां आते-जाते नहीं, न ही किसी का घर आना-जाना पसंद करते हैं।

वे हर उस काम से उन्हें से बचाते हैं . .

 जहां उनका समय नष्ट होता हो !" 

उनके माता-पिता उनके करियर और व्यक्तित्व निर्माण को लेकर बहुत सजग रहते हैं !

 वे बच्चे सख्त पाबंदी मे जीते हैं!दिन भर पढ़ाई करते हैं,

 महंगी कोचिंग जाते हैं, अनहेल्दी फूड नहीं खाते,

 नींद तोड़कर सुबह जल्दी साइकिलिंग या स्विमिंग को जाते हैं, महंगी कारें, गैजेट्स और क्लोदिंग सीख जाते हैं, क्योंकि देर-सवेर उन्हें अमीरों की लाइफ स्टाइल जीना है !

फिर वे बच्चे औसत प्रतिभा के हों या होशियार, उनका अच्छा करियर बन ही जाता है, क्योंकि स्कूल से निकलते ही उन्हें बड़े शहरों के महंगे कॉलेजों में भेज दिया जाता है,जहां जैसे-तैसे उनकी पढ़ाई भी हो जाती है और प्लेसमेंट भी।

 अब वह बच्चे बड़े शहरों में रहते हैं और छोटे शहरों को हिकारत से देखते हैं !

 मजदूरों, रिक्शा वालों, खोमचे वालों की गंध से बचते हैं ...

ये बच्चे छोटे शहरों के गली-कूचे, धूल, गंध देखकर नाक-भौं सिकोड़ते हैं।रिश्तेदारों कीआवाजाही उन्हें बेकार की दखल लगती है। फिर वे अपना शहर छोड़कर किसी मेट्रो सिटी या फिर  विदेश चले जाते हैं ..

वे बहुत खुदगर्ज और संकीर्ण जीवन जीने लगते हैं। 

अब माता-पिता की तीमारदारी और खोज खबर लेना भी उन्हें बोझ लगने लगता है !

 पुराना मकान, पुराना सामान, पैतृक संपत्ति को बचाए रखना उन्हें मूर्खता लगने लगती है !

वे पैतृक संपत्ति को जल्दी ही उसे बेचकर 

'""राइट इन्वेस्टमेंट""' करना चाहते हैं !

 माता-पिता से ..

 "वीडियो चैट" में उनकी बातचीत का मसला अक्सर यही रहता है .

इधर दूसरी तरफ कुछ ऐसे बच्चे होते हैं जो सबके सुख-दुख में जाते हैं!

जो किराने की दुकान पर भी जाते हैं, बुआ, चाचा, दादा-दादी को अस्पताल भी ले जाते हैं, 

तीज-त्यौहार, श्राद्ध, बरसी के सब कार्यक्रमों में हाथ बंटाते हैं, 

क्योंकि उनके माता-पिता ने उन्हें यह मैनर्स सिखाया है !

 कि सब के सुख-दुख में शामिल होना चाहिए और ..

 किसी की तीमारदारी, सेवा और रोजमर्रा के कामों से जी नहीं चुराना चाहिए .

इन बच्चों के माता-पिता.... उन बच्चों के माता-पिता की तरह समझदार नहीं होते..

 क्योंकि वे इन बच्चों का

 "कीमती समय" अनावश्यक कामों में नष्ट करवा देते हैं !

फिर ये बच्चे छोटे शहर में ही रहे जाते हैं और दोस्ती यारी रिश्ते नाते  जिंदगी भर निभाते हैं !

यह बच्चे, उन बच्चों की तरह "बड़ा करियर" 

नहीं बना पाते, इसलिए उन्हें असफल और कम होशियार मान लिया जाता है !

समय गुजरता जाता है, फिर कभी कभार, 

वे 'सफल बच्चे' अपनी बड़ी गाड़ियों या फ्लाइट से छोटे शहर आते हैं, 

दिन भर एसी में रहते हैं, पुराने घर और गृहस्थी में सौ दोष देखते हैं।

फिर रात को, इन बाइक, स्कूटर से शहर की धूल-धूप में घूमने वाले

 'असफल बच्चों' को ज्ञान देते हैं कि.... तुमने अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली आदि आदि !!

असफल बच्चे लज्जित और हीनभाव से सब सुन लेते हैं !

 फिर वे 'सफल बच्चे' वापस जाते समय इन असफल बच्चों को,

 पुराने मकान में रह रहे उनके मां-बाप, नानी, दादा-दादी का ध्यान रखने की हिदायतें देकर, 

वापस बड़े शहरों या विदेशों को लौट जाते हैं।

फिर उन बड़े शहरों में रहने वाले बच्चों की, इन छोटे शहर में रह रहे मां, पिता, नानी के घर कोई सीपेज   रिपेयरिंग का काम होता है तो यही 'असफल बच्चे' बुलाए जाते हैं।

 सफल बच्चों के उन वृद्ध मां-बाप के हर छोटे बड़े काम के लिए .. यह 'असफल बच्चे' दौड़े चले आते हैं। 

कभी पेंशन, कभी किराना, कभी घर की मरम्मत, कभी पूजा...डॉ . के यहां लाना ले जाना  कभी कुछ कभी कुछ !

जब वे 'सफल बच्चे' मेट्रोज के किसी एयरकंडीशंड जिम में ट्रेडमिल कर रहे होते हैं....!

तब छोटे शहर के यह 'असफल बच्चे' उनके बूढ़े पिता का चश्मे का फ्रेम बनवाने,किसी दूकान के काउंटर पर खड़े होते हैं...

 और तो और इनके माता पिता के मरने पर अग्नि देकर तेरहवीं तक सारे क्रियाकर्म भी करते हैं !

सफल यह भी हो सकते थे....! 

इनकी प्रतिभा और परिश्रम में कोई कमी न थी....!

 ""मगर... 

इन बच्चों और उनके माता-पिता में शायद 'जीवन दृष्टि अधिक' थी !"

कि उन्होंने धन-दौलत से अधिक, "मानवीय संबंधों और सामाजिक मेल-मिलाप को आवश्यक" माना .

सफल बच्चों से किसी को कोई अड़चन नहीं है.. 

मगर बड़े शहरों में रहने वाले, वे 'सफल बच्चे' अगर 'सोना' हैं, तो छोटे शहरों-गांवों में रहने वाले यह 'असफल बच्चे' किसी 'हीरे' से कम नहीं !

आपके  हर छोटे-बड़े काम के लिए दौड़े आने वाले ,

 उनका कैरियर सजग बच्चों से कहीं अधिक तवज्जो और सम्मान के हकदार है !

अपने बच्चों को "संवेदनशील" बनाईए...

वे "धन कमाने की मशीन" नहीं हैं !

 सही  सकारात्मक एवं मानवीय दृष्टिकोण ही सही जीवन है !!

गुरुवार, 25 मई 2023

लो भाई 3 पूर्व भारतीय प्रधानमंत्रियों पर प्रश्नोत्तर।

Q1: थुसु रहमान बाई नाम से महिला कौन है ?

Ans: पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की माँ।

Q2: जवाहरलाल नेहरू के पिता कौन हैं ?

Ans: श्री मुबारक अली

Q3: मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू के बीच क्या संबंध है ?

Ans: मुबारक अली की मृत्यु के बाद मोतीलाल नेहरू, थुसु रहमान बाई के दूसरे पति हैं। मोतीलाल मुबारक अली के कर्मचारी के रूप में काम कर रहा था और वह उसके लिए दूसरी पत्नी है। तो मोतीलाल नेहरू जवाहरलाल नेहरू के सौतेले पिता हैं।

Q4: क्या जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडित जन्म से हैं ?

Ans: नहीं, पिता और माता दोनों ही मुसलमान हैं।

Q5: क्या जवाहरलाल नेहरू अपने सौतेले पिता की वजह से अपना हिन्दू नाम रखे हुए थे ?

Ans: हाँ, क्योंकि ये नाम एक पर्दा था। लेकिन मोतीलाल भी खुद कश्मीर पंडित नहीं हैं।

*Q6: मोतीलाल के पिता कौन हैं और पंडित उनके नाम के साथ कैसे जुड़ गए ?*

Ans: मोतीलाल के पिता जमुना नहर (नेहर) के ग़यासुद्दीन गाज़ी हैं जो 1857 के विद्रोह के बाद दिल्ली भाग गए और फिर कश्मीर चले गए।

वहाँ उन्होंने अपना नाम गंगाधर नेहरू में बदलने का फैसला किया ('नहर/नेहर' 'नेहरू' बन गए) और "पंडित" को इस नाम के सामने इसलिए रखा कि वे लोगों को अपनी जाति पूछने का कोई मौका न दे। अपने सिर पर टोपी (टोपी) के साथ पंडित गंगाधर नेहरू इलाहाबाद चले गए।

उनके बेटे मोतीलाल ने लॉ की डिग्री पूरी की और लॉ फर्म के लिए काम करना शुरू किया।

Q7: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के माता-पिता कौन हैं ?

Ans: जवाहरलाल नेहरू के सौतेले पिता से जन्मे मंसूर अली (मुस्लिम) और कमला कौल नेहरू (एक कश्मीरी पंडित)।

Q8: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के माता-पिता कौन हैं ?

A: जहांगीर फ़िरोज़ खान (फ़ारसी मुस्लिम) और इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू उर्फ मामूना बेगम खान।

इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू उर्फ मामूना बेगम खान- w/o जहांगीर फिरोज खान (फारसी मुस्लिम), जिन्होंने बाद में मोहनदास करमचंद गांधी की सलाह पर अपना नाम बदलकर गांधी रख लिया।

उनके दो बेटे राजीव खान (पिता फिरोज जहांगीर खान) और संजीव खान (नाम बाद में बदलकर राजीव गांधी व संजय गांधी हो गए) संजय के पिता भी फिरोज़ नही बताये जाते।

Q9: क्या जवाहरलाल नेहरू (भारत के पूर्व प्रधानमंत्री), मुहम्मद अली जिन्ना (पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री) और शेख अब्दुल्ला (कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री) एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं ?

Ans: हाँ

 *ऊपर बताए गए तीन लोगों की माताओं में एक ही पति मोतीलाल नेहरू थे।

 *जिन्ना की मां मोतीलाल की चौथी पत्नी हैं।*

 *अब्दुल्ला मोतीलाल की 5 वीं पत्नी जो उनके घर की मेड थी के माध्यम से है।

*इसलिए दोनों के पिता एक ही थे। जबकि जवाहर लाल के पिता मोतीलाल जवाहर लाल के सौतेले पिता हैं।

Q10: आपको ये सभी उत्तर कहां से मिले, जबकि मुझे इतिहास की पुस्तकों में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है, जिसका मैंने अध्ययन किया है ?l

Ans: एम. ओ. मथाई (जवाहरलाल नेहरू के निजी सहायक) की जीवनी से।

👉 *एम.ओ. मथाई!!*

सभी को फॉरवर्ड करें :--

           *बहुत कम लोगों को पता है कि यह परिवार भारत के लोगों को धोखा दे रहा है।"*

*सबको असलियत से रूबरू करायें*

[: लो खोद के लाया हूं घोटाले बाज काग्रेस का कच्चा चिठ्ठा :-

क्या आपको पता है मोदी जी कड़े निर्णय कहीं भी क्यों नहीं ले पाते हैं ❓

ऐसे में वह जो भी कर पा रहे हैं वह भी बड़ा चमत्कार है आश्चर्यजनक है

 नीचे लिखा अगर आप पढ़ेंगे तो आपको पता लग जाएगा

*देश मे मुस्लिम और क्रिश्चियन का कार्ड खेलने वाली कांग्रेस ने देश मे क्या-क्या गुल खिलाये हैं...!

*जानना हरेक भारतवासी का हक़ है...

2008 मे कांग्रेस सरकार बनने के बाद सोनीया उर्फ एन्टोनियो माइनो और राहुल खान के काले कारनामे...👇

*मुस्लिम क्रिस्चियन आरक्षण का कहर !*

राष्ट्रपति सचिवालय मे कुल पद : 49 

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 45

हिन्दू : 4

उप राष्ट्रपति सचिवालय मे कुल पद : 7 

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 7

हिन्दू : 00

मंत्रियो के कैबिनेट सचिव कुल पद : 20

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 19 

हिन्दू : 1 

प्रधानमंत्री कार्यालय मे कुल पद : 35

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 33

हिन्दू : 2

कृषि-सिचंन विभाग मे कुल पद : 274

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 259

हिन्दू : 15

रक्षा मंत्रालय मे कुल पद : 1379

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 1331

हिन्दू : 48

समाज-हैल्थ मंत्रालय कुल पद : 209

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 192

हिन्दू : 17

वित्त मंत्रालय मे कुल पद : 1008

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 952

हिन्दू : 56

ग्रह मंत्रालय मे कुल पद : 409

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 377

हिन्दू : 32 

श्रम मंत्रालय मे कुल पद : 74

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 70

हिन्दू : 4

रसायन-पेट्रो मंत्रालय कुल पद:121

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 112

हिन्दू : 9

राज्यपाल-उपराज्यपाल कुल पद : 27 

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 20

हिन्दू : 7

विदेश मे राजदूत : 140

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 130

हिन्दू : 10

विश्वविद्यालय के कुलपति पद : 108

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 88

हिन्दू : 20

प्रधान सचिव के पद : 26

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 20

हिन्दू : 6

हाइकोर्ट के न्यायाधीश : 330

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 326

हिन्दू : 4

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश : 23

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 20

हिन्दू : 03

IAS अधिकारी : 3600

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 3000

हिन्दू : 600

PTI कुल पद : 2700 

मुस्लिम-क्रिस्चियन : 2400

हिन्दू : 300

1947 से अब तक किसी सरकार ने इस तरह से सविँधान को अनदेखा और इस का उल्लंघन नहीं किया,  सरकार की नजरों तो जैसे मुस्लीम से श्रेष्ठ, ईमानदार, योग्य, अनुभवी और मेहनती कोई दूसरी जातियो्ँ है ही नहीं... 

*क्या ये सब कानून का उल्लंघन और सविँधान के खिलाफ नहीं था ?

आपको यह सन्देश 3 लोगो को भेजना है।

3 × 3 = 9

9 × 3 = 27

*बस आपको तो एक कड़ी जोड़नी है,*

*देखते ही देखते पूरा देश जुड़ जायेगा.*

जय हिंद, जय भारत |

गुरुवार, 18 मई 2023

बेरसाइतिक पूजा , साभार : सुश्री सीमा झा (mithilasanskar)

 बेरसाइतिक पूजा (नव विवाहित कनिया )

साभार : सुश्री सीमा झा (mithilasanskar)
सामाग्री –
1. बियैन-8 टा
2. डाली -8 टा
3. बोहनी-1
4. अहिवात
5. उड़ीदक दालि के बङ-14
6. सुतरी
7. सरवा -२
8. मईटक नाग-नगीन
9. केरा क पात
10. लावा
11. एकटा सरवा में दही
12. मुंग (फुलायल नवेद्यक वास्ते )
13. चना फुलायल
14. लाल कपङा
15. कनिया -पुतरा
16. साजी
17 अरवा चौर
18. जनॐ -एक जोङ आ गोटा सुपारी
19. फल ,फूल ,मिठाई
20. कांच हरैद ,दुईब,गोटा धनिया
21 बिन्नी (ललका कपङा में चौर,दुईब , हरैद बांधल)
22 .दूध
विधि -
एक दिन पहिने कनिया नहा धोय कए अरवा भोजन करथिन.
साँझ खन भगवती ,महादेव ,ब्राह्मण ,हनुमान आर गौरी कें गीत गावि, दुईब ,कांच हरैद ,धनिया (कनी )फेंट कए गौर बनत,जकरा ढउरल सरवा पर एकटा सिक्का पर गौरी राखि पान क पात स झापि ,पान क पातक ऊपर सिंदूरक गद्दी राखि ललका कपडा स झापि भगवति लग राखि देवेइ I
उङद दालि के फुला के १४ टा बड़ पकैल जायत ,जकरा सरेला पर सुतरी में गांथल जायत (बिना सुइया के) बड़ गुथल सुतरी के बोहनी के मुँह पर बांधल जायत I
केरा के पात पर सिन्दूर आ काजर सँ बिष-विषहारा लिखल जायत I
राति खन कनी मुंग आ बेसी बूंट (कला चना ) फुलय ल पड़तय I
वट सावित्री पूजा क दिन
नव कनियाँ नहा धो क सासुर स आयल नव कपङा पहिर के श्रृंगार कय ,खौछ लय ,भगवती क पूजा कय ,हाथ में साजी (जाही में कनिया पुतरा रहत ),आ माथ पर बोहनी (जाही में लाबा भरल रहत आ जकरा मुँह पर सुतरी में बांधल 14 टा बङ रहत )लय के भगवती के गोङ लागी सब संगे बङ क गाछ तर जेती
गाछ तर बोहनी में राखल लाबा कर के पात पर राखि देथिन आ ओही बोहनी में पानि भैर देथिन
गाछ तर अरिपन रहत ,एकटा अरिपन के ऊपर 7 टा बिअनि रहत ,आ सात टा डाली में फुलायल बूंट ,फल ,मिठाई राखल रहत
गाछ तर अहिवात जरायल जैत
एक टा डाली में चौर ,सुपारी जनऊ,पैसा फल -मिठाई राखल रहत जे पूजा के बाद पंडित क य देल जायत
आम क पात पर 60(साइठ )ठाम फुलायल मुंग आ फल -मिठाई के नवेद्य लगायल जायत
एकटा बियनि पर आ एक टा आम पर पांच टा सिन्दूर लगा बङ के गाछ के जैङ में ‍‍राखल जैत
अरिपन पर विष-विषहारा लिखल पात राखि ओही पर मईटक विष -विषहारा राखल जायत
कनिया एक टा बङ क पात केश में खोसती
सबटा ओरिआन बाद कनियाँ गौरी सबहक(सासूर बला,नहिअर बला जे राति में बनल आ विवाह बला ) आगु नवेद्य राखि फूल आ सिन्दूर लय गौरी पूजति
ओकरा बाद बिन्नी हाथ में लय जांघ तर बोहनी राखि कथा सुनति(कथा ब्लॉग में नीचां उपलब्ध भेटत )
कथा सुनला के बाद कनिया साङी के खूंट पर गाछ तर रखलाहा आम आ एक टा सिन्दूर क गद्दी ल के मौली धागा बांधैत गाछ के चारू तरफ पांच बेर घूमती
फेर गाछ तर राखल बियनि से गाछ के तीन बेर होंकैत गला मिलति
आब पुतरा के हाँथों कनिया के सिंदूरदान हेतई (कनिये करेती)
ओकरा बाद सबटा नवेद्य उसगरति ,आ विष-विषहरा के दूध लाबा चढेति
बोहनी में बांधल सबटा बङ के वायां हाथ के अंगुठा और अनामिका स तोरी के एक बेर आगु आ एक बेर पाछु फेकैत फकरा पढती-बङ लिय(पाछु ),मर दिय (आगु )
ओकरा बाद माथ पर फेर बोहनी उठेती ,हाथ में साजी लेती आ भगवती घर में एती
गाछ तर राखल डाली सेहो उठी के भगवती घर में रखायत
भगवती के गोङ लगी 7 टा अहिवाती के डाली देथिन आ सब पैघ सब के गोङ लागी आशीर्वाद लेती
कथा
एक टा गाम में एकटा ब्राह्मण अपना कनियाँ और सात टा पुत्र संगे खुशी खुशी रहेत छलाह Iहुनका घर के चौका में चिनवार लग एक टा नाग-नागिन अपन बिल बना क रहेत छल Iब्राह्मण क कनिया साँपक डरे प्रतिदिन भात पसेला क बाद ओकर गरम माँर साँप क बिल में ढारि दैत छलईथ जाहि सं साँप क सबटा पोआ(बच्चा ) सब मरि जाईत छल I निरंतर अपन पोआ सब के मरला सं क्रोधित भय नाग –नागिन एक दिन ब्राह्मण के श्राप देलखिन जे “जेना अहाँ हमार बच्चा सब के मारलउ तहिना अहाँ के वंश के सबटा बच्चा सब साँप के कटला से मरि जायत “I समयांतराल में ब्राह्मण के बङका बेटा के हर्षो- उल्लास सं विवाह भेलनि Iविवाहोपरांत ब्राह्मण बेटा कनियाँ के द्विरागमन करा अपना घर दिश बिदा भेला I रास्ता में किछु देर क वास्ते सुस्तेवा लेल एक टा वट वृक्ष क नीचा में दुनू बर कनियाँ बैसलाह Iओहि गाछ के जैङ में एकटा धोधैर चल जाहि में नाग-नागिन रहित छलईथ I नाग-नागिन धोधैर सं निकलि दुनू बर कनियाँ के डैस लेलखिन जाहि सं दुनू के मृत्यु भय गेल I ब्राह्मण क घर में दुःख के पहाङ टूटि परल I अहिना क कय ब्राहमण के छ्हो पुत्र के एक एक करि कय कसर्प-दोष सं मृत्यु भय गेलनि I ब्राह्मण –ब्राह्मणि चिंतित रहअ लगला आ अपन छोटका बेटा के हमेशा अपना आँखि के सामने रखैत छलैथ I बेटा के हमेशा झापि-तोपि के रखैत छलैथ कि कतहुँ साँप –बिच्छु ने काटि लई I ब्राह्मण क बेटा जखन पैघ भेला त धनोपार्जन हेतु घर से बाहर जेबा लेल जिद करय लगला I पहिने त हुनकर माता-पिता हुनका बाहर भेजवा लेल तैयार नई होईत छला ,फेर एही शर्त पर राजी भेला कि हमेशा अपना संगे एकटा छाता और जूता रखता I शर्त मानी ब्राह्मण बेटा घर सं बिदा भेला I जाईत-जाईत एकटा गाम लग पहुचला, गाम के बाहर एकटा धार छल ,ब्राह्मण बेटा जूता पहिर लेलथि आ धार के पार करअ लगला I तखने गाम के किछु लङकी सभहक झुण्ड सेहो धार पार करैत छल Iसब सखि सब ब्राह्मण के बेटा के जुत्ता पहिर पानि में जाईत देखि ठठहा के हंसअ लगली आ कह लगली कि – “हे देखू सखि सब केहन बुरबक छै ई ब्राह्मण बेटा पानि में जूता पहिरने अईछ “I ओहि झुण्ड में एकटा सामा धोबिन के बेटी सेहो छल से सखि सबके अपन तर्क देलखिन जे –हे सखि नई बुझलौं ,ब्राह्मण बेटा पानी में जूता एही दुआरे पहिरने ऐछ जाहि सं पनि में रहै बला साँप –कीङा ओकरा पैर मे नइ काटि लइ” I ब्राह्मण बेटा ओहि लङकी के तर्क सुनि चकित भेला I धार पार कय सब गोटा आगु बढ़ल ,धुप बेसी छल मुदा ब्राह्मण बेटा छाता अपना कांख तर दबने रहल, सब सखि सब मुँह झाँपी मुस्कुरैत रहलि आ सोचैत छलि ,जे एतेक धुप छै आ ई मानुष छत्ता कांख तर दबेने ऐछ Iबर रौउद छल आ गाम क उबर-खाबङ मैइटक रस्ता ,सब गोटा चलैत-चलैत थाईक गेल I रस्ता कात में एकटा बरका विशाल बङ क गाछ छल जकरा देख सब गोटा ओहि छाया में विश्राम करवा हेतु गाछ तर बैस रहल I ब्राह्मण बेटा जखने गाछ तर बैसला अपन कांख तर दबैल छत्ता खोइल ताइन लेलइथ I सब सखि सब फेर जोर सं हंस लागलि आ कह लागलि जे – “देखिअऊ इ मानुष के धुप छल त छत्ता कांख तर देवेने छल आ जखन गाछ तक छाया में बैसल ऐछ त छत्ता तनने ऐछ “I सामा धोबिन क बेटी जे ब्राह्मण बेटा के बार ध्यान सं देख रहल छालैथ,फेर अपन तर्क देलखिन जे –“ हे सखि सब अहाँ सब फेर नई बुझलौं ,इ ब्राह्मण बेटा गाछ पर रहै बला साँप-कीङा सं अपना क बचबै लेल गाछ तर छत्ता तनने ऐछ “I ब्राह्मण क बेटा जे बरि काल सं सामा बेटी के तर्क सुनैत छला ,ओकर बात सं ततेक प्रभावित भेला कि सोचलैथ कि अगर विवाह करब त एही चतुर कन्या सं करब Iब्राह्मण बेटा गाम क धोबिन लग गेला आ धोबिन सामा सं कहलखिन जे हम आहाँ क चतुर बेटी सं विवाह कर चाहैत छी I सामा धोबिन तैयार भय गेलि आ खुशी –खुशी दुनू के विवाह कय देलखिन I जखन विदागरी क समय आयल त सामा धोबिन कहलखिन जे –“हे बेटी हम त गरीब छी ,हमरा लग धन –दौलत किछु नहि अछि, अहाँ के हम विदागरी में कि दिय ?” सामा क बेटी ताहि पर उत्तर में कहलखिन जे –“हे माय अहाँ हमरा किछु नय मात्र कनी धान क लाबा ,कनी दूध ,बोहनी आ एक ता बियन दिय आ आशीर्वाद दिय जे हम अपना पति आ हुनकर वंश वृद्धि में सहायक होइयन I” सामा धोभिन सब चीज जे हुनकर बेटी कहलकैन ओरिआन कय क देलखिन आ आशीर्वाद दय दुनू बर कनियाँ के बिदा केलखिन Iब्राह्मण बेटा अपना कनियाँ क लय अपना गाम दिश चल लगला I चलैत-चलैत जखन दुनू गोटा थाईक गेला त विश्राम करवा लेल एक टा बङ गाछ के नीचा में रुकि गेला I सामा धोबिन क बेटी अपन माय क देल सबटा समान गाछ के निचा में राखि अपना वर संगे आराम करय लगलि I ओही बङ के जइङ में एकटा नाग अपना नागिन बिल में संगे रहैत छल Iगाछ के जैङ लग दूध, लाबा आ बोहनी में राखल पानि देखि नाग कय भूख और प्यास जागृत भय गेल आ नाग अपना बिल सं निकलि बाहर जेवाक लेल व्यग्र भ गेला I नागिन बार बार मना कर लागलैथ किन्तु नाग नइ मानलैथ आ बाहर आबि जहिना बोहनी में राखल पानी के पिबा लेल ओहि में मुहँ देलखिन, धोबिन बेटी नाग समेत बोहनी के हाथ सं पकङि अपना जाँघ तर में दाबि क राखि लेलैथ I नाग कतबो प्रयाश केलैथ निकलि न हि पेलैथI जखन बरि काल बितला क बादो नाग घुरि क नहीं अयलाह त नागिन बाहर निकललि आ देखलखिन जे नाग के त एकटा नव कनियाँ पकङने अछि I नागिन ओकरा से कहलखिन कि नाग क छोङि दिअऊ ,परन्तु सामा बेटी नइ मनलखिन I नागिन के निरंतर अनुनय –विनय क बाद धोबिन बेटी एकटा शर्त राखलखिन जे –“हे नागिन हम अहाँ के पति नाग राज के तखने छोङबनि जखन अहाँ हमरा पति आ हुनकर वंश के सर्प-दोष सं मुक्त करब संगहि हुनकर छबो भाई के जे मरि गेल छैथ के पुनः जीवित करब “ I नागिन विवश छलि धोबिन बेटी के शर्त मानवा लेल I नागिन स्वर्ग सं अमृत अनलेइथ आ ब्राह्मण के सबटा पुत्र ,पुत्रवधु के जीवित कय सर्प –दोष सं मुक्त कय सब के आशीर्वाद देलखिन I तखन जा क धोबिन बेटी नाग के छोङलखिन और अपन करनी लेल क्षमा माँगी नाग –नागिन के प्रणाम केलैथ I तखन नाग नागिन ब्राह्मण के सबटा पुत्र आ पुत्रबधु सबके आशीर्वाद दैत कहलखिन –“जेष्ठ मॉस के अमावश्या दिन विवाहित कनियाँ सब ज्यों बङ के गाछ के पूजा करति आ बिष-विषहारा के दूध लाबा चढ़ा हुनकर पूजा करती तँ हुनकर सब के सुहाग अखण्ड रहतेंन “I
नाग –नागिन सं आशीर्वाद लय ब्राह्मण क सातों पुत्र आ सातों कनिया जखन अपना घर पहूँचला त ब्राह्मण –ब्राह्मणि के प्रसन्ता के नई त कुनु ओर रहलनि न छोङ आ दुनू गोटा धोबिन सामा के बेटी के बहुत बहुत आशीर्वाद देलखिन Iओकरा बाद सब गोटा प्रसन्ता पूर्वक रहअ लगला I
समाप्त
फ़ोटो साभार : आनंद झा आ सीमा झा, राधा कुमारी, অশ্বিন ৰাজপুত

मंगलवार, 16 मई 2023

कलयुग के लक्षण

1. कुटुम्ब कम हुआ  ---

2 सम्बंध कम हुए ----

3. नींद कम हुई. ---

4. बाल कम हुए ----

5. प्रेम कम हुआ  ---

6. कपड़े कम हुए -----

7. शर्म कम हुई• ---

8 . लाज-लज्जा कम हुई---- 

9. मर्यादा कम हुई --

 10. बच्चे कम हुए ---

11. घर में खाना कम हुआ---

12. पुस्तक वाचन कम हुआ ---

13. भाई-भाई प्रेम कम हुआ---

 15. चलना कम हुआ ----

16. खुराक कम हुआ ---

17. घी-मक्खन कम हुआ---

 18. तांबे - पीतल के बर्तन कम हुए---

 19. सुख-चैन कम हुआ--- 

 20. मेहमान कम हुए---

 21. सत्य कम हुआ---

 22. सभ्यता कम हुई ----

23. मन-मिलाप कम हुआ

 24. समर्पण कम हुआ  --- इतियादी .

               संतान को दोष न दें...  -----

बालक या बालिका को 'इंग्लिश मीडियम' में पढ़ाया...

'अंग्रेजी' बोलना सिखाया... 

'बर्थ डे' और 'मैरिज एनिवर्सरी'

जैसे जीवन के 'शुभ प्रसंगों' को 'अंग्रेजी कल्चर' के अनुसार जीने को ही 'श्रेष्ठ' मानकर...

माता-पिता को 'मम्मा' और

'डैड' कहना सिखाया...

जब 'अंग्रेजी कल्चर' से परिपूर्ण बालक या बालिका बड़ा होकर, आपको 'समय' नहीं देता, आपकी 'भावनाओं' को नहीं समझता, आप को 'तुच्छ' मानकर 'जुबान लड़ाता' है और आप को बच्चों में कोई 'संस्कार' नजर नहीं आता है, 

तब घर के वातावरण को 'गमगीन किए बिना'... या...

'संतान को दोष दिए बिना'...

कहीं 'एकान्त' में जाकर 'रो लें'...

क्योंकि...-------

पुत्र या पुत्री की पहली वर्षगांठ से ही,

'भारतीय संस्कारों' के बजाय

'केक' कैसे काटा जाता है ? सिखाने वाले आप ही हैं...

'हवन कुण्ड में आहुति' कैसे डाली जाए... 

'मंदिर, मंत्र, पूजा-पाठ, आदर-सत्कार के संस्कार देने के बदले'...

केवल 'फर्राटेदार अंग्रेजी' बोलने को ही,

अपनी 'शान' समझने वाले आप...------

बच्चा जब पहली बार घर से बाहर निकला तो उसे

'प्रणाम-आशीर्वाद' के बदले

'बाय-बाय' कहना सिखाने वाले आप...

परीक्षा देने जाते समय ----

'इष्टदेव/बड़ों के पैर छूने' के बदले

'Best of Luck'

कह कर परीक्षा भवन तक छोड़ने वाले आप...

बालक या बालिका के 'सफल' होने पर, घर में परिवार के साथ बैठ कर 'खुशियाँ' मनाने के बदले...

'होटल में पार्टी मनाने' की 'प्रथा' को बढ़ावा देने वाले आप...

बालक या बालिका के विवाह के पश्चात्...

'कुल देवता / देव दर्शन' 

को भेजने से पहले... 

'हनीमून' के लिए 'फाॅरेन/टूरिस्ट स्पॉट' भेजने की तैयारी करने वाले आप...

ऐसी ही ढेर सारी 'अंग्रेजी कल्चर्स' को हमने जाने-अनजाने 'स्वीकार' कर लिया है...

अब तो बड़े-बुजुर्गों और श्रेष्ठों के 'पैर छूने' में भी 'शर्म' आती है...

गलती किसकी..? 

मात्र आपकी '(माँ-बाप की)'...

अंग्रेजी International 'भाषा' है... 

इसे 'सीखना' है...

इसकी 'संस्कृति' को,

'जीवन में उतारना' नहीं है...

मानो तो ठीक...

नहीं तो भगवान ने जिंदगी दी है...

चल रही है,चलती रहेगी...

आने वाली जनरेशन बहुत ही घातक सिद्द्ध होने वाली है, हमारी संस्कृति और सभ्यता विलुप्त होती जा रही है,बच्चे संस्कारहीन होते जा रहे हैं और इसमें मैं भी हूं,अंग्रेजी सभ्यता को अपना रहे 

सोच कर, विचार कर अपने और अपने बच्चे, परिवार, समाज, संस्कृति और देश को बचाने का प्रयास करें...

हिन्दी हमारी राष्ट्र और् मातृ भाषा है इसको बढ़ावा दें, बच्चों को जागरूक करें ताकि वो हमारी संस्कृति और सभ्यता से जुड़ कर गौरवशाली महसूस करें..!!

गुरुवार, 16 मार्च 2023

अमेरिका में रसोई में भोजन बनाना छोड़ने का दुष्परिणाम

 


अमेरिका में रसोई में भोजन बनाना छोड़ने का दुष्परिणाम


अमेरिका में क्या हुआ जब घर में खाना बनाना बंद हो गया ? 

1980 के दशक के प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने अमेरिकी लोगों को चेतावनी कि यदि वे परिवार में आर्डर देकर बाहर से भोजन मंगवाऐंगे तो देश मे परिवार व्यवस्था धीरे धीरे समाप्त हो जाएगी। 

साथ ही दूसरी चेतावनी दी कि यदि उन्होंने बच्चों का पालन पोषण घर के सदस्यो के स्थान पर बाहर से पालन पोषण की व्यवस्था की तो यह भी बच्चो के मानसिक विकास व परिवार के लिए घातक होगा।

 लेकिन बहुत कम लोगों ने उनकी सलाह मानी। घर में खाना बनाना लगभग बंद हो गया है, और बाहर से खाना मंगवाने की आदत (यह अब नॉर्मल है), अमेरिकी परिवारों के विलुप्त होने का कारण बनी है जैसा कि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी।

घर मे खाना बनाना मतलब परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से जुड़ना।

*पाक कला मात्र अकेले खाना बनाना नहीं है। बल्कि केंद्र बिंदु है, पारिवारिक संस्कृति का।*

घर मे अगर कोई किचन नहीं है , बस एक बेडरूम है, तो यह घर नहीं है, यह एक हॉस्टल है।

*अब उन अमेरिकी परिवारों के बारे में जाने जिन्होंने अपनी रसोई बंद कर दी और सोचा कि अकेले बेडरूम ही काफी है?*

1-1971 में, लगभग 72% अमेरिकी परिवारों में एक पति और पत्नी थे, जो अपने बच्चों के साथ रह रहे थे।

2020 तक, यह आंकडा 22% पर आ गया है।

2-पहले साथ रहने वाले परिवार अब नर्सिंग होम (वृद्धाश्रम) में रहने लगे हैं।

3-अमेरिका में, 15% महिलाएं एकल महिला परिवार के रुप में रहती हैं।

4-12% पुरुष भी एकल परिवार के रूप में रहते हैं।

5-अमेरिका में 19% घर या तो अकेले रहने वाले पिता या माता के स्वामित्व में हैं।

6-अमेरिका में आज पैदा होने वाले सभी बच्चों में से 38% अविवाहित महिलाओं से पैदा होते हैं।उनमें से आधी लड़कियां हैं,  जो बिना परिवारिक संरक्षण के अबोध उम्र मे ही शारीरिक शोषण का शिकार हो जाती है ।

7-संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 52% पहली शादियां  तलाक में परिवर्तित होती हैं।

8- 67% दूसरी शादियां भी  समस्याग्रस्त हैं।

 अगर किचन नहीं है और सिर्फ बेडरूम है तो वह पूरा घर नहीं है।

संयुक्त राज्य अमेरिका विवाह की संस्था के टूटने का एक उदाहरण है।

*हमारे आधुनिकतावादी भी अमेरिका की तरह दुकानों से या आनलाईन भोजन ख़रीदने की वकालत कर रहे हैं और खुश हो रहे हैं कि भोजन बनाने की समस्या से हम मुक्त हो गए हैं। इस कारण भारत में भी परिवार धीरे-धीरे अमेरिकी परिवारों की तरह नष्ट हो रहे हैं।*

जब परिवार नष्ट होते हैं तो मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्वास्थ्य बिगड़ते हैं। बाहर का खाना खाने से अनावश्यक खर्च के अलावा शरीर मोटा और संक्रमण के प्रति संवेदनशील और बिमारीयों का घर  हो जाता है।

शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है।

*इसलिए हमारे घर के बड़े-बूढ़े लोग, हमें बाहर के खाने से बचने की सलाह देते थे*

लेकिन आज हम अपने परिवार के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं...",

स्विगी और ज़ोमैटो के माध्यम से अजनबियों द्वारा पकाए गए( विभिन्न कैमिकल युक्त) भोजन को ऑनलाइन ऑर्डर करना और खाना, उच्च शिक्षित, मध्यवर्गीय लोगों के बीच भी फैशन बनता जा रहा है।

दीर्घकालिक आपदा होगी ये आदत...

*आज हमारा खाना हम तय नही कर रहे उलटे ऑनलाइन कंपनियां विज्ञापन के माध्यम से मनोवैज्ञानिक रूप से तय करती हैं कि हमें क्या खाना चाहिए...*

हमारे पूर्वज निरोगी और दिर्घायु इस लिए थे कि वो घर क्या ...यात्रा पर जाने से पहले भी घर का बना ताजा खाना बनाकर ही ले जाते थे ।

*इसलिए घर में ही बनाएं और मिल-जुलकर खाएं । पौष्टिक भोजन के अलावा, इसमें प्रेम और स्नेह निहित है।*

*इस संदेश को कम से कम पांच ग्रुप मैं जरूर भेजे*

*कुछ लोग नही भेजेंगे लेकिन मुझे यकीन है आप जरूर भेजेंगे*

सोमवार, 13 मार्च 2023

MITHILAK NARI

 राम जेना पुरूषोत्तम कहावथि,                                               नारी में उत्तम सीता।                                                        मिथिलाक नारी गुणक खान छैथि,                                            माय सुनयना आ जनक पिता।.                                                लाख सुन्नराइ के एक गोराइ,                                                पहिरथि ओ सदिखन साड़ी।.                                                 केहनो समय रहय तैयो ओ                                                    बाजथि मीठ रहैथि ब्यवहारी,                                                  दुनिया में छैथि  सभ सँ सुंदर.                                                 अप्पन मिथिला के नारी।.                                              मिथिलावासी आदि काल सँ,                                                    देवी शक्ति के करैथि सम्मान,                                                       घर घर होइछ भगवती के पूजा,                                             उच्चैठ भगवती मिथिला में महान।                                     कालीदास एही मिथिला में विद्या लेल,                                 पोतलनि भगवती के मूर्ति पर कारी।.                                        दुनिया में छैथि सभ सँ सुंदर                                                  अप्पन मिथिला के नारी।.                                                 मिथिलाक नारी में विदुषी भारती,                                            न्याय करैत पति मंडन के हार मानलन्हि,                                    स्वयं शास्त्रार्थ करैत ओ एहि ठाम,                                              आदि शंकराचार्य के हराओलनि,                                             जगत जननी जानकी के त्याग एहि                                           पृथ्वी पर अछि सभ सँ भारी।                                                  दुनिया में छैथि सभ सँ सुंदर                                                   अप्पन मिथिला के नारी।.                                                      धिया पूता के जिनगी लेल,                                                         ओ छठि के कठिन ब्रत पूजा करैथि ,                                           तीन दिन धरि निराजल रहि,                                                     नित्य दिन भूखल रहि गोसाओन के पूजैथि,                                सभ जनैछ जे गोसाओन के महिमा.                                         एहि जग में अछि अनुपम न्यारी।                                              दुनिया में छैथि सभ सँ सुंदर                                                  अप्पन मिथिला के नारी।                                                       कखनो बेटी, कखनहु पत्नी,                                               कखनहु मायक रूप में भूमिका करैत,                                  परिवारक गाड़ी के अपन स्नेह सँ,                                              पटरी के पटरी सँ जोड़ैत।                                                          प्रेम आ बन्धन सँ जोड़ि कऽ सभके।                                         सफल छैन्ह हिनक कलाकारी।                                              दुनिया में छैथि सभ सँ सुंदर.                                                  अप्पन मिथिला के नारी।                                                   लखिमा ठकुराइन एहि मिथिला के,                                    विद्यापति के प्रेरणा श्रोत।                                                   महाकवि के बेसी रचना में                                                   लखिमा के स्नेह सँ ओत प्रोत।                                                कीर्ति करैथि वखान  मिथिलानी के,                                        सुन्दर सुशील आ स्वभाव गुणकारी।.                                       दुनिया में छैथि सभ सँ सुंदर                                                  अप्पन मिथिला के नारी।