dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

हम नै ई दुनियाँ कहैया

हम नै ई दुनियाँ कहैया

हमरा राज्य में ई सब भेल ,
फल्ला के राज्य में कि सब भेल
फूसी - फटक सब नेता बजैया ,

इलेक्शन बाद फेर के पुझैया
हम नै ---- ई दुनियाँ कहैया

गाम - गाम में मुखिया सरपंच ,
एक दोसरक सब खाइया अंस
ग्राम विकासक काज कहैया ,
अपन रोजी- रोटी के मार्ग बनबैया

हम नै ---- ई दुनियाँ कहैया

बढिक दाही रौदिक अकाली ,
घर- खसि ई सब लोग कहैया
एसडियो -बीडीओ सब के लेखा - जोखा ,
भगवती से सद्दा ईहा मनबैया
हम नै ---- ई दुनियाँ कहैया

हॉस्पिटल चकर सब दिन लगैया ,
बिमारी सबहक खान भेटैया
डाक्टर सब नै नजैर परैया ,
अपन किल्निक सदीखन बैसैया
हम नै ---- ई दुनियाँ कहैया

तिलक द्हेजक जखन बात चलैया ,
लाख डेढ़ लाख से कम नै कहैया
अपना पर जखन विपैत परैया ,
बापरे - बाप कहिय दूर भगैया
हम नै ---- ई दुनियाँ कहैया

साधू – संत के जो बात चलैया ,
लोक -लाज से भीन्ने मरैया
आसन लगा सब भाषण करैया ,
अपन पेट लेल खुद्ये मरैया
हम नै ---- ई दुनियाँ कहैया

चिठ्ठी - पत्री के आब पढ़ेया ,
हेंड सेट से फुर्सत नै भेटैया
खन दरिभंगा , खन मधुबनी ,
अपना में सब लोक बजैया

हम नै ---- ई दुनियाँ कहैया

हाय - हेलो सब लोग बजैया ,
छोरी - छोरा संग नाच करैया
अपना के महान बुझैया ,
अपन मान- सम्मान गम्बैया
हम नै ---- ई दुनियाँ कहैया
मदन कुमार ठाकुर
पट्टीटोल , कोठिया ,भैरब स्थान
झंझारपुर , मधुबनी , बिहार -८४७४०४


जुदाई@प्रभात राय भट्ट


जुदाई@प्रभात राय भट्ट

ये हवा मुझे ईतना बता ,क्या है मेरे महबूब की पता !!

नजाने किस हल में होगी ओ कुछ नहीं मुझे पता !!

जीना मुहाल हो गया है मेरा ,जबसे हुवा ओ मुझ से जुदा !!

मौला मेरे मुझे मेरे महबूब से मिलादे ,उम्र भर करूँगा मै तेरा सजदा !!

मेरे बेबसी की नजाकत पर जरा तरस खाओ !!

रहम करके मौला मेरे महबूब से मिलादों !!

डस रही है मुझे इस तन्हाई में लम्बी रात की जुदाई !!

एहसास होता है की ओ साथ है मेरे बनके मेरी परछाई !!

ढल चुकी है सूरज छाने लगी है अँधेरा !!

मुझे मेरे महबूब से मिलना है नजाने कब होगी सबेरा !!

नजाने क्या भूल हुयी मुझसे ,क्या है मेरा खता !!

नजाने किस हालमे होगी ओ ,कुछ नहीं मुझे पता !!

मौला मेरे मौला मुझे मेरे मेह्बुबसे मिलादे ,या तो फिर जनाजा उठादे !!

मौला मेरे मौला मुझे मेरे मेह्बुबसे मिलादे ,मेरे तक़दीर बनादे !!

उसकी यद्मे ईतना टूटा हूँ की छुनेसे बिखर जाऊंगा !!

मिलने की तमन्ना सायद दिलमे लिए मिटटी में दफ़न होजाऊंगा !!

मौला मेरे मौला मुझे मेरे मेह्बुबसे मिलादे ,मेरे तक़दीर बनादे !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 25 जनवरी 2011

क्या पाया क्या खोया @प्रभात राय भट्ट


क्या खोया क्या पाया !!!
by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Friday, 24 December 2010 at 09:40
खाली हाथ आया था, खाली हाथ है जना ! !
जीवन क्या है , मैने अब तक नही पह्चना !!
कौडी कौडी जोद्के, बनाया महल और खजाना ! !
अशक्त हो गया हूँ, अब बनते नही कुछ कर पाना !!
हिसाब बडी मुस्किल है, अपने कर्मो का कर पाना !!
उलझ रहा हूँ, अपने आपमे हमने क्या पाया क्या खोया !!
भुल गया अपने जीवनकी, मुलभूत कर्मोंको ! !
उल्झे रहे स्वार्थ ,लोभ ,लालच और मायाकी जालमे !!
फस्ते गये झुठ फरेब , असत्य और जुल्मकी चालमे ! !
फैस्लाकी घडी आई तो,अपने भी मुकड गये अन्त काल मे !!
जिसको मैने जिन्दगी माना, ओ भी काम न अया ईश हालमे ! !
उलझ रहा हूँ अपने आपमे , हमने क्या पाया क्या खोया !!
बोल नही पाया मैने सत्य ,निष्ठा ,प्रेम और सदभाव कि वानी ! !
भुखे को न खिलाया कभी , प्यासे को न पिलाया पानी !!
भोग बिलाशमे अन्धा होके , जीव जगत से किया मनमानी ! !
अब तो नफरत के भी काविल न रहा , ये मेरे जिन्दगानी !!
पथभ्रष्ट हो गया मैन , खुद बखुद हो रहा है आत्मग्लानी ! !
समझ गया अब , हमने क्या पाया क्या खोया !!
परमानन्द खोया और छनिक भोग बिलाश अहंकार पाया !!
Aकविता के रचनाकार :--प्रभात राय भट्ट
प्रस्तुतकर्ता Prabhat from madhes पर 11:22 M

सोमवार, 24 जनवरी 2011

मिथिलाधाम@प्रभात राय भट्ट


मिथिलाधाम !!!
स्वर्ग स: सुन्दर अछी हमार मिथिलाधम !!
ऋषि मुनि तपस्वी आर माँ जानकी जन्म लेलैथ अहि ठाम !!
ज्ञानभूमि तपोभूमि आर स्वर्गभूमि अछी हमर जनकपुरधाम !!
गौतम कणाद मन्दन भारतीसुशिला यी अछी मिथिलांचल के गरिमा !!
युगो युग गुनगान होइत अछी मथिलांचल धर्ति क महिमा !!
हरबाहक श्रमदेखि धर्ति प्रतिदान केलैथ सिया जी सन् गहना !!
मिथिला क सब घर स्वर्ग लगैया,लोग ईहा के साधु सन्त !!
चाहे कोनो ऋतु होइ सद्खन बहैत ईहा बसन्त !!
मनोरम प्रकृति आर मनमोहक मिथिला क संस्कृति !!
एक दोसर स: सब लोग करैत अगाध प्रेम आर प्रिती !!
हर जीव ईहा के स्वाभिमानी करैथ नै किनको आशा !!
मधुरों स: मधुर मिथिला क मैथिल भाषा !!
मिथिले मे पुनरजन्म लि यी सब लोग मे अछी अभिलाषा !!
महाकवि विधयापति आर नागार्जुन सन् प्रखर विद्वान !!
जग ब्याप्त कैलैथ मिथिला क गरिमामय शान !!
स्वर्ग स सुन्दर धर्ति अछी हमर मिथिलाधम !!!!!!
कविता के रचैता:- प्रभात राय भट्ट
ग्राम :धिरापुर --2
जनकपुरधाम( नेपाल )

शनिवार, 22 जनवरी 2011

सौदागर नेता @प्रभात राय भट्ट


सौदागर नेता


उलटपुलट करते है हम राजनितिमे सरकार कि साता !!

इस काम के लिए मिलता है,

गाडी पैसा बंगला और बिबिध प्रकार के भता !!

नाप तौल मोलजोल करके बनाते है हम अपनी सरकार !!

क्युं कि मै हुँ एक सौदागर नेता और राजनीति है मेरा व्यापार !!

राजनीति के व्यापार मे, मै बडी माहिर हुँ !!

अल्पसंख्यक हो जाने पर दुसरे नेता को खरिद लाता हुँ !!

मोटी रकम मिल्ने पर खुद विक जता हुँ !!

क्युं कि मै हुँ एक सौदागर नेता और राजनीति है मेरा व्यापार !!

मुझे इसे क्या है लेना देना,मरे जनता या डुबे देश !!

अग्ले इलेक्शन मे फिर बदल लूँगा अपना भेष !!

जनता को दुंगा नई नई विकास योजना कि संदेश !!

क्युं कि मै हुँ एक सौदागर नेता और राजनीति है मेरा व्यापार !!

लाज शर्म तो मुझे विल्कुल नही आती !!

चाहे जनता मुझे गाली गलौज कि बौछार दे !!

चप्पल जुता से बने माला कि उपहार दे !!

फिर भी हम हश हश के जी लेते है !!

लाज शर्म को एकही घुट मे पिलेते है !!

क्युं कि मै हुँ एक सौदागर नेता और राजनीति है मेरा व्यापार !!



















रचनाकार :-
प्रभात राय भट्ट
धिरापुर वार्ड न :२ जनकपुरधाम( नेपाल )

शुक्रवार, 21 जनवरी 2011


मिथिलाधाम @प्रभात राय भट्ट
मिथिलाधाम !!!
स्वर्ग स: सुन्दर अछी हमार मिथिलाधम !!
ऋषि मुनि तपस्वी आर माँ जानकी जन्म लेलैथ अहि ठाम !!
ज्ञानभूमि तपोभूमि आर स्वर्गभूमि अछी हमर जनकपुरधाम !!
गौतम कणाद मन्दन भारतीसुशिला यी अछी मिथिलांचल के गरिमा !!
युगो युग गुनगान होइत अछी मथिलांचल धर्ति क महिमा !!
हरबाहक श्रमदेखि धर्ति प्रतिदान केलैथ सिया जी सन् गहना !!
मिथिला क सब घर स्वर्ग लगैया,लोग ईहा के साधु सन्त !!
चाहे कोनो ऋतु होइ सद्खन बहैत ईहा बसन्त !!
मनोरम प्रकृति आर मनमोहक मिथिला क संस्कृति !!
एक दोसर स: सब लोग करैत अगाध प्रेम आर प्रिती !!
हर जीव ईहा के स्वाभिमानी करैथ नै किनको आशा !!
मधुरों स: मधुर मिथिला क मैथिल भाषा !!
मिथिले मे पुनरजन्म लि यी सब लोग मे अछी अभिलाषा !!
महाकवि विधयापति आर नागार्जुन सन् प्रखर विद्वान !!
जग ब्याप्त कैलैथ मिथिला क गरिमामय शान !!
स्वर्ग स सुन्दर धर्ति अछी हमर मिथिलाधम !!!!!!
कविता के रचैता:- प्रभात राय भट्ट
ग्राम :धिरापुर --2
जनकपुरधाम नेपाल
Photo 1
Posted by Prabhat from madhes at 11:19 AM

विश्व बैंक के समाजसेवी- उद्यमी के तलाश...

अगर अहां कोनो एनजीओ चलाबैत छी... समाजसेवा केर काज करय छी... आ फेर एहन काज करि रहल छी जेहि सं अहांक संग समाज के सेहो फायदा भ रहल अछि. लोक के जीवनस्तर सुधरि रहल अछि. तं विश्व बैंक के अहांक तलाश अछि.

एतबे नहि अहां कोनो उद्यम करय चाहय छी. अहां Entrepreneur बनय चाहय छी आ दू साल सं एहि फील्ड मे छी. अहां के पास अपन नव-नव आइडिया अछि. एहि आइडिया सं समाज के बदलय चाहय छी तं फेर अहांक लेल नीक मौका अछि.

विश्व बैंक 1998 सं ‘इंडिया डेवलपमेंट मार्केटप्लेस 2011’ नाम सं एकटा प्रोजेक्ट चलाबैत अछि. एहि प्रोजेक्ट मे अखन धरि दुनियाभर के 8 सय सं बैसि परियोजना के 60 मिलियन अमेरिकी डॉलर अनुदान देल जा चुकल अछि.

भारत मे जेहि परियोजना के विश्व बैंक मदद मिलल अछि... ओहि मे Dhrishtee, Vision Spring आओर Akash Ganga शामिल अछि. एहि परियोजना मे ककरा मदद देल जाएत एकर चयन एकटा प्रतियोगिता सं होएत अछि.

देश मे कइटा विजेता छथिन्ह मुदा अखन धरि बिहार सं कोनो विजेता नहि सामने अएलाह अछि. ई परियोजना बिहार सं सेहो जुड़ल अछि. मुख्य रूप सं ई बिहार... उड़ीसा आओर राजस्थान के लेल अछि.

एहि मे विजेता के चयन दू साल के लेल होएत. एहि दू साल मे विश्व बैंक सं कई तरहक मदद मिलैत अछि. आर्थिक मदद के तौर पर 50 हजार अमेरिकी डॉलर ( करीब साढ़े 22 लाख रुपया ) मिलैत अछि.

एहि मे प्रतियोगिता काफी कड़ा होएत अछि. मुदा विश्व बैंक एहि के लेल करीब 13 विजेता के चयन करत. तेरहों विजेता के करीब साढ़े 22- 22 लाख रुपया मिलत. एहि लेल प्रतियोगिता टफ होए के बादहुं उम्मीद करि सकय छी.

मगर एहि मे कोनो खास व्यक्ति शामिल नहि भ सकैत अछि. कोनो संस्था... संगठने टा अप्लाई करि सकैत अछि. एकरा संग ओ कम सं कम दू साल सं एहि क्षेत्र मे काज करि रहल हो. भारत सरकार सं रजिस्टर्ड हो.

अप्लाई करय वक्त अहां के ई बताबय पड़त कि अहां बिहार... उड़ीसा आओर राजस्थान मे कि करय चाहय छी? अहां एहन कोन नवका प्रोजेक्ट शुरू करय चाहय छी जेहि सं लोक के जीवनस्तर सुधरय... लोक के रोजगार के साधन मिलय?

अहां के एहन बिजनेस मॉ़डल पेश करय पड़त जेहि सं एहि तीनु राज्य के गरीब लोक के रोजगार के साधन उपलब्ध भ सकय. ओ अपना पर आत्मनिर्भर बनि सकय. संगहि संग ओ मॉडल कतेक भरोसमंद अछि. चलय वाला अछि कि नहि?

अहां एक सं बेसि प्रोजेक्ट... मॉडल पेश करि सकय छी... अप्लाई करि सकय छी मुदा ओ एक दोसरा सं लिंक नहि होए. कनिओ मिलैत नहि होए. एक बेर अप्लाई करला के बाद ओहि मे कोनो चेंज नहि होएत ताही लेल सावधानी सं भरब.

ई प्रतियोगिता 10 दिसंबर, 2010 के शुरू भेल आओर अप्लाई करय के आखिरी तारीख अछि 23 जनवरी, 2011. जेहि मे सं 30 टा के चुनल जाएत.... आओर ओहि 30टा मे सं 13 विजेता के घोषणा जयपुर मे 7-8 अप्रैल के कएल जाएत.

मधेशी जनता

  मधेश  करता  है  गजू  बाबु  तुझे  सलाम ,तुझसे  ही  मिला  मधेशी  जनता  को  एक  नया  अबम . अज  गजू  बाबु  हमारे  बिच  नहीं  है  पर  उनकी  बनी  अज  भी  हमारे  साथ  है , कदम  कदम  पे  हमे  मार्गदर्शन  करते  है ,उन्होंने  हमे  स्वतंत्र  ज़िन्दगी  जीने  की  कला  सिखलाये ,मधेश  को  आजादी  दिलाने  की  कसमे   उठाये ,अकेला  वोह  सकस  थे  जो  संषद  भवन  में  मधेसी  पोषक  धोती  और  कुरता  पहनके  जाते  थे ,पहाड़ी  समुदाई  के  लोग  गीध  के  नजर  से  उन्हें  देखता  था , पर  वोह  कवी  भी  कदम  पीछे  नै  हटाये  , एक  बीर  योधा  की  बहती  आगे   और  सिर्फ  आगे  बढ़ते  गए .उनका  अकेला  आजादी  की  यात्रा  था  और  वोह  अकेले  ही  सरे  पहाड़ी  समुदाई  से  लड़ते   रहे , पर  हम  मधेशी  जनता  जो  उनके  साथ  नैन्शाफी  किये  है  वोह  अज  हमे  ज्ञात  हो  रहा  है ,जिन्हों  ने  अपने  ज़िन्दगी  को  भुलाके  हमारे  लिए  जीते  रहे , हमने  उनकाही  दमन छ ओद   दिया ,नगण्य  रूपसे  उन्हें  मधेसी  जनता  की  साथ  मिली . अज  जब  वोह  हमारे  बिच  नहीं  है  तो  उनकी  कमी  मह्सुश  हो  रही  है .अज  मधेशी  जनता  में  जो  उर्जा  है  यही  उर्जा  हम   पहले  दिखाए  होते  और  गजू  बाबु  को  साथ  दिए  होते  तो  18 साल  पहले  ही  हमे   आजादी  मिल  गयी  होती .खैर  अब  भी  हम  सरे  मधेसी  जनता  मिलके  उनके  सपने  साकार  करें  क्यों   की  वोह  हमारे  आदर्श  है .

गुरुवार, 20 जनवरी 2011

नमक हराम नेता

नमक हराम नेता
फैल रही है अराजकता
स्वार्थलिप्सा की छाओमे !!
बह रही है खुनकी नदियाँ
मधेश की हर गाओमे !!
चल रही है गुन्डागर्दी
अपहरण हत्या और फिरौती की
संजाल गदार नेताओ की आडमे !!
उसको तो सताकी कुर्सि
और बैंक बैलेन्स अपरम - पारमें !!
चाहे देश की जनता जाये भाड्मे !!
लुट गई जनताकी अमन चैन
छिन गयी आँखोकी निन्द !!
मधेश आन्दोलन की काम मे !!
सुनी होगयी माँ की गोद,
धुल गयी माथेकी सिन्दुर !!
आनाथ हो गये सैकड़ो बच्चे
आमुल परिवर्तनकी नाममे !!
फिर भी न मिल पाया एक
जन्मशिधनागरिक अधिकार !!
मधेश मुदों को कायर नेताओ
बना डाला अपने जेबों का पैकेट
भरने का राजनीति व्यापार !!
धिकार है तुम मधेसी नेताओ पे,
जो भुल गया उन सहिदों का सपना !!
मधेस आन्दोलन को सफल बनाया
प्राणआहुति दे के अपना !!
कायर और कतार नेताओ
भरले तुझे झोली जितना है भर्ना !!
जब जनता जाग जाएगी
एक ऐसा तुफान आयेगा !!
मिट जाएगा तेरा बहुरुपिये
और नौटंकीबालि हस्ती !!
डुब जाएगा तेरा गंदी राजनीति की कस्ती !!
फिर कायम होगा अमन चैन
और समृद्ध समाज की एक आदर्श बस्ती !!
कविता का रचनाकार :--
प्रभात राय भट्ट
जनकपुरधाम नेपाल

शनिवार, 15 जनवरी 2011

तानी मनोरंजन केयलो हो

पटना में पटीयालक छैला दिल्ली में दिल लागैलक गे मुंबई ले जाके

ताला खोल दहो ---३

छम - छम बजौ

बुधवार, 12 जनवरी 2011

हमारा स्कूल

हमारा  रेड रोज  स्कूल 
 
 
खिलती  है  यहाँ  नित दिन  शिक्षा का नया  फुल
सबसे  अच्छा  है  हमारा  रेड रोज  स्कूल 
 
सुबह - सुबह  होता यहाँ  माँ शारदा की बिन्ती
जिस से  मिलता  बच्चो को  मन  की शांति
 
न गंदगी ना कोई  शर्मंदिगी ना खी पर हैं धुल
सबसे  अच्छा  है  हमारा  रेड रोज  स्कूल 
 
मियती  है यहाँ  पर  प्रतिदिन  नयी  संस्कार
गरीब  हो या  आमिर  सब को है  पूरा अधिकार
 
स्नेह  और  प्यार  से भरा है  भरपूर
सबसे  अच्छा  है  हमारा  रेड रोज  स्कूल 
 
दूर - दूर  से शिक्षक  आकर  होंसला बढ़ाते  है
सिलेबस   के साथ - साथ कंप्यूटर  भी  सिखलाते है
 
 
जो न समझे  इनका  प्यार है  उनका ये सब भूल 
सबसे  अच्छा  है  हमारा  रेड रोज  स्कूल 
 
दूर - दूर से बच्चे  आकर  होंसला  बढ़ाते  है
अपने  माता - पिता  को  आज्ञा  का आश्रय करते हैं
 
छोटा सा  गाव में  मेरा  यह स्कूल 
सबसे  अच्छा  है  हमारा  रेड रोज  स्कूल 
 
 
लिखिका -
 
मनीषा कुमारी
ग्राम /पोस्ट  मेहथ
झांझरपुर , मधुबनी ,
बिहार

बुधवार, 5 जनवरी 2011

Welcome the new & Powerful DDR4 RAM For Computer's Memory !!

Happy New Year 2011 Techies & Bloggers....!!Hope it's been a good start for all...!!


Well Friends, one good news for the people from Computer fields as well as for the Computer users. Recently, Samsung Electronics has developed the First DDR4 Dynamic RAM module. This Chips are manufactured using the 30 mm-class process and promise much higher transfer rate and lower power consumption.

                          The new DDR4 DRAM will build a greater confidence in cutting-edge green memory for mainstream application. Let's us briefly discuss the main features of DDR4 and have comparison with its earlier version.

FEATURES OF DDR4 DRAM:-

  • It can read and write the date at the rate of up to 2.13 Gb per second, which is much higher than the DDR2 & DDR3. The data transfer rate for DDR2 and DDR3 are 800 Mbps and 1.66 Gbps consecutively.
  • Less power Consumption with only 1.2 volt as compared to 1.6 volt for DDR3.
  • Around 40% reduction in power consumption as compared with DDR3 module, so useful for notebook in terms of power efficiency.
  • Higher performance for Computers
  • Eco-Friendly
This is Pretty cool news. While we certainly didn't expect Samsung to be the name that cropped up first, let's welcome it. So it's only a matter of time until we hear more on this front. Stay Tuned.....!   :-)

Comments on the post will be Appreciated and do feel free to do so....!