dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

AAP SABHI DESH WASHIYO KO SWATANTRAT DIWAS KI HARDIK SHUBH KAMNAE

शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

उपन्यास हमारा लग रहब :२



मिथ्लाकगाम्घर : गामक पछ्बरिया -दक्शिन्बरिया लों पर , एक दम बाग्मतिक धार स सटल । तकर उत्तर में काची सरक आ सड़क के उत्तर स पसरल भुतहा बाढ़ । मुर्द्घत्ति में दुटा पिपरक गाछ आ एकता आमक बिशाल सुखायल गाछ छलैक ।जखन कखनो मुर्दा जराब लोक मुर्द्घती आबैत छलैक । आइ मुर्द्घती लग देने महिष लेने सरक पर जैतप्रणव सभ सब दिन सिहरी जैत छल ।झट महिसक सड़क स उत्तरी बाढ़ म तप लेत छल ।मुदा सरकक काट में बाढ़ स पहिने कल्लू चौधरीक बरका गाछी चलें - सूचा कलामी आमक । आजुक दिन अहि गाछी में मुनारा के भुत पटकी देने छलाई ।लूक्रा स चुरैल चुन -तमाकू मांगने छलैक ।भुट्टा के टी बाँही के खिहारने रहैक भूत , बान्हे पर बेहोश भ गेल छल ।रुद उगला पर चर्बाहा सभ उठा के गाम आन्ने छलैक आ घुरण मिश्र झार - फूक कैने छलथिन ।

मुदा मुर्द्घुत्ति में टी अड्डे छलैक - भूत - चुरैलक । घुरण मिश्र कहैत छलथिन सभके, जे आनाह्रिया राती में पीपर आ बराक गाछ पर भूत, जीं आसन जमौने रहित छैक आ निचा समसान में डैन - चूरानी सभ नंगते नाचैत छैक ।पेरक उनटा पंजा आ नाकियैत स्वर ।घुरण मिश्र ते महाष्ट्मिक राती सेहो समसान साधित छलाह , डैने - जोगिन बश में छलैन ।हुनके डरे गामोक बेशी लोग के तंग नहीं करैत छलैक भूत प्रीत । 

मुदा प्रणव क्र बार डर लागैत छलैक ।बेशी आन्हार में महिष नहीं खोलैत छल । झाल्फाल ईजोत भेला पर महिष खोली पहिने सरके - सरक मुर्द्घत्ति धरी आस्ते - आस्ते लाबैत छल , आ मुर्द्घत्ति लग अबिते महिष के जोर स दौरा देत छलैक बाधमे । तहियो सबटा रोइया भुलाकी जाइत छलैक । लागैत छलैक जेना कियो पछा स खेहारने आबैत होई ।

मुदा सभ स बेसी देराईट छल ओ स्कूल स ।  भूतो स बेशी रोइया भूल्कैत छलैक ओकर नेंग्रा गुरूजी के नाम स  । एकदम कसाई छलैक गुरूजी । ख्जूरक मोटका छारी स सौसे देह दागी देत छलैक,  लाल्बिथुआ स सौसे देह चकता जेका उगी जाइत छलैक , बिश्बिशाईट रहित छलैक ।  देहमे नहीं गंजी , नहीं अंगा , उघार देह , मेल- फाटल पैंट के सेहो समेटी क पोनपर चकता उगा देत छलैक ।आ ओ झंझ्नाईट देह लेने घरमे ममी स नूकाइल फिरैत छल । मामी देखिये लेत छलैक - आई फेर कसैया मार्लाकाऊ तोरा , हर हरी बज्र खसतैक ओकरा पर । गरीबक आही ज़रा देतैक निरदैया के । कोना कसाई जका नेना के मारलक -ए - हाउ देब ।   मामी ओकरा करेज स सता लैत छलैक । हाथ लागला स फूटल देह आर छान - छाना उठैत छलैक , मुदा मामी क आँखिक नोर आ देहक शीतलता सब टा छंछानी के लागले कम् क देत छलैक 

आ नाहक के डटा जाइत छलाह  बेचारे मामा । आँगन में पैर दैताही मामी बमकी उठैत छलथिन - अहाँ अहि कसैया गुरूजी के किछु कहबैक सह नहीं होइत अछि ?  सभ दिन नेना केर देह फुला देत अछि आ मौनी बाबा जेका आहा हमर बात सुनी गूम रही जाइत छि । आई नहीं जायब आहा ते हमही कहबैक ओही राक्छास के । एक टा टांग तूतले छैक , दोस्रो तोरी देबैक ।

मामी चिकारी उठैत छलीह - ओही कसयाक देवता कहैत छियैक ? कठिलेल मारैत छैक , हम नहीं भुजैत छियैक ? सनिश्चारी नहीं ल जाइत छैक तकर तामस सबक केर नाम पर उतारैत छैक । आ सबक कोना याद करौ हमर नेना ?  एक्को टा किताब छैक ?  एक टा फूट्लाहा स्लेट आ गाबिध ल क आई ५ बरख स स्कूल जाइत अछि । तहियो केक्रोस कम अछि हमर नेना ? करतीं कियो मुकाबला बाबु - भैयक नेना जिनका लग एक झोरा कॉपी - किताब रहित छैन ? आई गुरूजी क कप्पार फोरी देबैक हम एक दिन खापरी स ।

प्रनाव्के खापरी स कपार फोर्बाक बात पर हशी लैग जैत छलैक । आ ओकरा हसित देखि मामियो केर क्रोध बिला जाइत छलैन । ओहो हँसा लागैत छलथिन । मामा मौका देखि किम्ह्रो सासरी जाइत छलाह ।

मुदा मामी ओकरा नहीं छोरैत छलैक ।  अपने हाथे कहा - पीआ संग सूता लैत छलैक । बहूत रास खिस्सा सब कहैत छलैक ,  मनियार्बा दैत्य वाला , हक्काली डैने ।   मुदा प्रणव के निन्न नहीं होइत छलैक --
" सुगी रानी क खिस्सा कहू मामी "
आ मामी कहैत छलैक 

सुगी रानी सुगी रानी कता जाइत छि ?
साईं पूत मारलक-इ रूसल जाइत छि ।।
हमारा लग रहब? 
रहब ने कियक ? 
खाय की देब ?
सूखा रोटी     ।
सूताय की  देब ......?
शितलपाती । 


सुगी रानी नहीं रूकैत छलीह  , सूखा न्रोती खेनाई आ शीतल पाती पर सूत्नाई हुनका मंजूर नहीं होइत छलैन  । मुदा मामी क संगे शीतल पाती पर परल प्रणव सूखा रोटी  खा क सुगी रानी क खिस्सा सुनैत सूती रहित छल । निभेर सूतैत छल आ झाल्फाल ईजोत में महिष खोली भूता बाढ़ में निकली जाइत छल ।

बाढ़ स घुरी पोखरी स नहा आबैत छल आ हाथ में सिलेट गाबिश ल मामिक कहैत  छलैन - स्कूल जैत छि मामी ।

मामी दौरी क बहार आबैत छलथिन आ ओकर पैंटक पोच्केट में  कहियो मकैक लाबा , कहियो तम्हा चूर , आ कहियो - कहियो मुरही डी देत छलथिन आ ओ फाकैत - फकैत स्कूल दिश दौरी जाइत छल ।

मुदा कोनो कोनो दिन ओ दू बेर - तीन बेर चिचियैत छल -मामी , जाइत छि  । मुदा मामी घर स नहीं बहरैत छलथीं । ओ भुजी जाइत छल आ फेर चिचिआक कहैत छल - आई हम जलखई नहीं करब , भूख नहीं अछि ।

मुदा स्कूल स घुर्लो पर  मामी सामने नहीं आबैत छलथिन । 

एक टा मौनी ल क प्रणव दौरिक चुनु के पूताहू लग चल जाइत छल - थोरे मुरही दे चुनु के पुतहु ।

चुनुक पुतहु मोलायम स्वर में कहैत छलैक - कोनो बेचा हाउ बौउआ  ?

नहीं आई किछु नहीं अछि  । ओहिना दे  । दोसर दिन डी देबौक  । मामी के नहीं कहिय्हिक । प्रणव कने  आधिकार स  कहैत छलैक  ।   चुन्नू के पूताहू ओकरा मानित छलैक  ।  अपन छोटकी मौनी स २-३ मौनी मुरही देत छलैक आ प्रणव भागी केर आँगन आबैत छल  ।   तखन मामी घुरी के ताकैत छलैक ओकरा दिश   ।  मुदा दुनु आखी नोर स भरल ।  भट-भट खस लगैत छलैक ओकरा अपने हाथे मुरही खुआबैत काल   ।


मुदा गुरूजी के कनियो दया - माया नहीं होइत छलैक ओकरा देंगाबैक काल ।  सनी दीन के सभ चटिया लाइन में ठाढ़ होइत छलैक  ।  एक टा चटिया आगू - आगू पढैत छलैक आ सभ दोहराबैत छलैक :- 


गणेश जी महराज चधिये   तुरग 
नौ सौ मोती झलके अग
एक मोती हरी तालम ताला 
गुरु प्धाबे पंडित वाला 
पंडित वाला देहु आशीष 
जियो लरका  लाख बारिश ।

मुदा गुरूजी लाख बर्ष जीबाक आशीष देबाक बदला ख्जूरक मोटका छारी ल लाइन में ठाढ़ चटिया हक़ मूह  देखैत नेंग्रा टांग के इम्हर स उम्हर घिसियाबैत छलैक  ।  जिनकर सनिश्चारी कम् रहलें हुनका चाट १ छारी -ठीक से पढो  । आ प्रणव लग आबी आखी रंगी जाइत छलैन --सभ सनिक वैह हाल  । ने एको टा पाई  , नहीं एक्को कंमा चऊर । लाइन स घिची लैत छलथिन बाहर आ चटचट छारी मारी देह फूला देत छलथिन - ठीक से लाइन में खरा होना नहीं आता है  ? उचारण एकदम भ्रस्त  । कॉपी किताब कहा है  ?  असहाय मारी खेत प्रणव आ डेरेल ठाढ़ बाकी चटिया सभ । मुदा दू गोते खिल्खिलाके हसित छलैक । प्रणव के मारी लागला पर सभ दीन । जेना बार आनंद आबी रहल होई । खिल-खिल-खिल-खिल ।

गुरूजी के साहश नहीं छलैन जे दुनु के तोक्त्हीं -- एना हसित कियैक छे ? उघार देह पर अनवरत छारी बरिसित छलैक --चट -चट आ दुनु  छुरी लगातार हसित छलैक -खिल-खिल...खिल-खिल ।



मिथिलाक गामघर: upanyaas : hamaraa lag rahab

कोई टिप्पणी नहीं: