dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012


गजल@प्रभात राय भट्ट

            गजल
कुमुदिनी  पर  भँभर  किये  मंडराईय
यौ पिया कहू नए दिल किये घबराईय  
 
भँभर कुमुदिनी सं मिलन करैत छैक
ये सजनी अहांक दिल किये घबराईय
 
मोनक बगिया में नाचैय मोर मयूर यौ
मोनक उमंग सं दिल किये घबराईय
 
अहाँक  रोम रोम में अछि प्रेमक तरंग
 प्रेमक  तरंग  सं  दिल किये घबराईय
 
प्रीतक बगिया में कुहकैय छैक कोईली
मधुर स्वर सुनी दिल किये घबराईय
 
मोन उपवनमें भरल प्रीतक श्रिंगार
मिलन  कय  बेर दिल किये घबराईय
...............वर्ण:-१६...............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: