dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

               गजल
मतलब के सब संगी मतलबी छै लोक
कियो मनाबै छै ख़ुशी कियो मनाबै छै शोक

स्वार्थक वशीभूत दुनिया की जाने ओ प्रेम
प्रेम पथ पर किएक कांट बोए छै लोक

सभक मोन में भरल छै घृणाक जहर
दोसर के सताबै में तृष्णा मेटाबै छै लोक

ललाट शोभित चानन गला पहिर माला
भीतर भीतर किएक गला कटै छै लोक

सधुवा मनुखक जीवन भगेल बेहाल
कदम कदम पर जाल बुनैत छै लोक

अप्पन ख़ुशी में ओतेक ख़ुशी कहाँ होए छै
जतेक आनक दुःख में ख़ुशी होए छै लोक

अप्पन दुःख में ओतेक दुखी कहाँ होए छै
जतेक आनक ख़ुशी में दुखी होए छै लोक

अप्पन चिंतन मनन कियो नहि करेय
आनक कुचिष्टा में जीवन बिताबै छै लोक

विचित्र श्रृष्टिक विचित्र पात्र छै सब लोक
"प्रभात" के किएक कुदृष्टि सं देखै छै लोक
.....................वर्ण:-१६ ................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: