dahej mukt mithila

(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम-अप्पन बात में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घरअप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम - अप्पन बात ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: apangaamghar@gmail.com,madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

रविवार, 25 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

             गजल
कनिया ए कनिया एना करैछी किया
फाटैए करेज हमर जरैय  जिया

चढ़ल जवानीमे नए करू नादानी
करेजमे साटी जुड़ाउ हमर हिया

जखन तखन नखरा देखबैतछी
एना रुसल फूलल रहैतछी किया

सैद्खन अहींक सुरता करैतछी
अहांक प्रेम स्नेह लए तर्शैय जिया

लग आबू सजनी आब नए तर्साबू
आगि  लागल  तन  मोन  जरैय जिया

तरस देखाबू हमरा पैर सजनी
अहिं लए फाटैए रानी हमर हिया

नखरे नखरामे वितल उमरिया
स्नेहक प्यासल रहल हमर जिया

अहां सं हम दूर भS जाएब सजनी
तखन बुझब की होईत अछी पिया

घुईर  नै आएत अहांक "प्रभात" पिया  
रटैत  रहब गोरी अहां पिया पिया
...................वर्ण:-१४.........................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं: